महाराष्ट्र और हरियाणा में मिली हार के बाद कॉन्ग्रेस ने EVM में गड़बड़ी का अपना पुराना राग अलापना शुरू कर दिया है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस का एक गुट अपनी करारी हार के लिए EVM को दोष देने का पक्षधर नहीं है। ये वही दोनों राज्य हैं, जहाँ पाँच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका लगा था। हालाँकि, दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है।
कॉन्ग्रेस पार्टी में EVM को दोषी ठहराने के सवाल पर उभरे मतभेद स्पष्ट दिखने लगे हैं। कॉन्ग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि महाराष्ट्र में हार से झटका नहीं लगना चाहिए था, क्योंकि विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में कराए गए पार्टी के आंतरिक सर्वे से पता चला कि महाविकास अघाड़ी (MVA) को लोकसभा चुनावों में हासिल की गई बढ़त को बरकरार रखना मुश्किल हो सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस को कॉन्ग्रेस के नेताओं ने बताया कि पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षणों से पता चला था कि एकनाथ शिंदे सरकार की ‘लड़की बहिन योजना’ लोकप्रिय हो रही है। सर्वे में 88% लोगों ने कहा था कि उन्हें इस योजना के बारे में जानकारी है। 82% लोगों ने कहा था कि उनके परिवार में इस योजना की लाभार्थी है। वहीं, 17% लोगों ने माना था कि इस योजना के कारण उनका वोट का रूख बदल गया।
Big story in @IndianExpress. Congress’ own Internal survey showed in October itself that Mahayuti was ahead. Muslims were only category where MVA had edge, among all others: General, OBCs, SC, ST, Mahayuti had a lead. Some rue blaming the EVM as a ‘face saver’… pic.twitter.com/EyMCFp7EDC
— Padmaja Joshi (@PadmajaJoshi) November 29, 2024
इस योजना को सफल होता देखकर कॉन्ग्रेस के रणनीतिकारों ने घोषणापत्र को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित एक बैठक में महिलाओं को 3000 रुपए मासिक सहायता देने का सुझाव दिया था। हालाँकि, तब महायुति गठबंधन ने ‘लड़की बहन योजना’ के तहत दी जा रही 1,500 रुपए प्रति माह की राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपए महीना करने का वादा किया था।
इसके बाद महिला मतदाताओं में महायुति गठबंधन के लिए समर्थन बढ़ गया। मतदान से कुछ दिन पहले कॉन्ग्रेस नेताओं ने सोयाबीन किसानों से संपर्क किया और घोषणा की कि अगर MVA सत्ता में आती है तो सोयाबीन के लिए 7,000 रुपए प्रति क्विंटल और बोनस तय करेगी। हालाँकि, MVA को इसका कोई फायदा नहीं मिला।
दरअसल, कॉन्ग्रेस पार्टी ने 20 नवंबर 2024 को हुए मतदान से चार सप्ताह से भी कम समय पहले अक्टूबर में 103 सीटों पर आंतरिक सर्वेक्षण कराए थे। इस सर्वेक्षणों में पता चला कि महाविकास अघाड़ी की 103 ‘मजबूत सीटों’ में से वह सिर्फ 44 सीटों पर ही आगे थी। वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान 54 सीटों पर MVA आगे थी। यानी मतदान से पहले ही परिणाम को कॉन्ग्रेस भाँप गई थी।
वहीं, उनके सर्वे में यह भी पता चला कि भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति 103 में से 49 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि वह 56 सीटों पर आगे निकल गई। इस सर्वे में यही एक बात MVA के पक्ष में रही कि मुस्लिम ही एकमात्र ऐसा वर्ग था, जहाँ उसे पूर्ण बढ़त हासिल थी। सामान्य, ओबीसी, एसबीसी, एससी, एसईबीसी, एसटी आदि वर्गों में एमवीए से आगे महायुति थी।
पार्टी की आंतरिक सर्वे में 57,309 लोगों से सवाल पूछे गए थे। जिन 103 सीटों पर कॉन्ग्रेस ने आंतरिक सर्वे कराई थी, उनमें से 52 पर कॉन्ग्रेस, 28 पर शिवसेना (यूबीटी), 21 पर एनसीपी शरद पवार और एक-एक सीट पर सीपीएम और समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ा था। हालाँकि, इस योजना ने प्रदेश में भाजपा की गठबंधन वाली महायुति सरकार की वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।