Sunday, December 22, 2024
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बनवारी लाल के लिए ‘भाई’ थे मुस्लिम… फिर भी पहले पैर काटा, फिर हाथ और आखिर में गला: संभल में जब 24 हिंदुओं को दंगाइयों ने एक साथ फूँक दिया

दंगे भड़कने की सूचना मिलने पर बनवारी लाल गोयल प्रभावित इलाके में जाने लगे। उनकी पत्नी और बेटे ने उन्हें रोका। लेकिन वे यह कहते हुए दंगा प्रभावित इलाके में चले गए उन्हें कोई मुस्लिम कुछ नहीं करेगा। पर मुस्लिम दंगाइयों ने हाथ-पैर और गला काट उनकी हत्या कर दी।

संभल में दंगों का पुराना इतिहास रहा है। इन्हीं दंगों के बल पर संभल नगरपालिका क्षेत्र से धीरे-धीरे हिंदुओं को मिटाया गया। देश की स्वतंत्रता के समय संभल नगरपालिका क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी जो आज घटकर 15-20% रह गई है। उस समय मुस्लिम 55% थे। आज वे बढ़कर 80-85 प्रतिशत हो गए हैं।

संभल के खग्गूसराय मोहल्ले में एक ऐसा मंदिर मिला है जिसे 1978 के दंगों के बाद गायब कर दिया गया था। संभल में दंगों को लेकर प्रशासन ने एक इंटरनल रिपोर्ट तैयार की है। इसकी कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। इससे पता चलता है कि 1978 में संभल में सबसे बड़ा दंगा हुआ था। इसी दंगे के बाद खग्गूसराय में रहने वाले करीब 100 हिंदू परिवार इस इलाके को छोड़कर चले गए।

हिंदू शिक्षक की बेटी से बलात्कार, पत्नी को किया किडनैप

यह दंगा होली के बाद 29 मार्च से शुरू हुआ था। इसमें करीब 184 लोगों की हत्या की गई थी। करीब 30 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा था। इसी दंगे के दौरान संभल के जाने माने कारोबारी बनवारी लाल गोयल की तड़पा-तड़पाकर हत्या की गई थी। इसी दंगे के दौरान एक हिंदू शिक्षक की बेटी और पत्नी को मंजर शफी ने उठा लिया था। इस दंगे को भड़काने के पीछे भी शफी की बड़ी भूमिका थी। हिंदू शिक्षक की बेटी को बलात्कार के बाद छोड़ा गया। उनकी पत्नी को हिंदुओं ने बचा लिया था। आज न तो इस शिक्षक और न ही बनवारी लाल गोयल का परिवार संभल में रहता है।

गन्ने की खोई और टायर का ढेर लगाकर 24 हिंदुओं को जलाया

दंगे भड़कने के बाद बनवारी लाल गोयल ने कई हिंदू दुकानदारों को अपने साले मुरारी लाल की कोठी में छिप जाने को कहा था। मुस्लिम आढ़तियों ने इसकी सूचना दंगाइयों को दी। इसके बाद मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ ने ट्रैक्टर लगाकर मुरारी लाल की कोठी का गेट तोड़ दिया। यहाँ 24 हिंदुओं की हत्या कर उन्हें गन्ने की खोई और टायर का ढेर लगाकर मुस्लिम दंगाइयों ने जला दिया। हालात इतने बदतर थे कि अधिकतर हिंदुओं ने कपड़ों के पुतले बनाकर बृजघाट पर अपनों का अंतिम संस्कार किया था।

दैनिक भास्कर ने संभल के इतिहास के जानकार 58 साल के संजय शंखधर के हवाले से भी इस घटना के बारे में बताया है। शंखधर के अनुार इस दंगे से पहले संभल में हिंदुओं की आबादी 35% थी, अब करीब 20 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा, “1978 का दंगा संभल का सबसे बड़ा दंगा है। लाला मुरारी लाल की कोठी में दंगे से बचने के लिए कई लोग छिपे थे। इसका पता चलते ही दंगाइयों ने उनकी कोठी पर हमला कर दिया। जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई। इनमें 24 हिंदू थे।”

बनवारी लाल बोले गोली मार दो, पर दंगाइयों ने काट-काटकर मारा

ऑपइंडिया के पास मौजूद इंटरनल रिपोर्ट बताती है कि दंगे भड़कने की सूचना मिलने पर बनवारी लाल गोयल प्रभावित इलाके में जाने लगे। उनकी पत्नी और बेटे ने उन्हें रोका। लेकिन वे यह कहते हुए दंगा प्रभावित इलाके में चले गए,

सारे मुस्लिम मेरे मित्र और भाई जैसे हैं। सब मेरे साथ काम करते हैं। मुझे कुछ नहीं होगा।

लेकिन बनवारी लाल गोयल को मुस्लिम दंगाइयों ने पकड़ लिया। उनसे कहा कि तुम इन पैरों से पैसे लेने आए हो और उनके पैर काट दिए। फिर कहा कि तुम इन हाथों से पैसे लेने आए हो और हाथ भी काट दिए। इसके बाद गर्दन काट कर उनकी हत्या कर दी गई। इस दौरान मुस्लिम दंगाइयों के सामने बनवारी लाल गिड़गिड़ाते रहे कि मुझे काटो मत, गोली मार दो। पर किसी ने नहीं सुनी। इस घटना को हरद्वारी लाल शर्मा और सुभाष चंद्र रस्तोगी ने अपनी आँखों से देखा था। इस कत्लेआम के दौरान दोनों ने एक ड्रम में छिपकर अपनी जान बचाई थी। हाई स्कूल में पढ़ने वाले हरद्वारी लाल के सगे भाई को भी मुस्लिम दंगाइयों ने चाकू से गोदकर इसी दौरान मार डाला था।

शर्मा और रस्तोगी भी इस कत्लेआम के गवाह थे। इरफान, वाजिद, जाहिद, मंजर, शाहिद, कामिल, अच्छन जैसे नाम आरोपित थे। लेकिन 2010 में यह केस बंद करना पड़ा, क्योंकि गवाह ही हाजिर नहीं हुए। जज ने यह टिप्पणी करते हुए केस बंद किया कि मैं सोच भी नहीं सकता कि इनलोगों (आरोपितों) को फाँसी नहीं हो रही है।

गवाहों पर किस तरह का दबाव रहा होगा इसे इस बात से समझा जा सकता है कि बनवारी लाल के बेटे विनीत गोयल के कारोबारी साझेदार रहे प्रदीप अग्रवाल के भाई की वसीम ने गोली मारकर हत्या कर दी। साथ ही धमकी दी कि यदि उसके खिलाफ किसी ने एफआईआर करवाई तो उसकी भी हत्या कर दी जाएगी। उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।

इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार बनवारी लाल के परिवार पर डॉक्टर शफीकुर रहमान बर्क की ओर से भी दबाव डाला गया था। बर्क संभल से समाजवादी पार्टी से सांसद रहे हैं। फिलहाल उनके पोते जियाउर्रहमान बर्क इस सीट से सपा के सांसद हैं। जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा में जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। 1995 के आसपास बनवारी लाल गोयल के परिवार ने संभल ही छोड़ दिया।

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अजीत झा
अजीत झा
देसिल बयना सब जन मिट्ठा

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