बॉलीवुड फिल्मों में पसरे नारी विरोधी रवैये को मुंबई पुलिस ने हाल में अपने पोस्ट के जरिए उजागर किया। इंस्टाग्राम पर अपने आधिकारिक अकॉउंट से बॉलीवुड फिल्मों के कुछ डायलॉग को शेयर करके बताया कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है। इसलिए अगर कोई नहीं चाहता कि किसी मुद्दे में कानून का हस्तक्षेप हो तो अपने शब्दों को सोच समझ का इस्तेमाल करें। अपने पोस्ट के नीचे उन्होंने LetsNotNormaliseMisogyny, #MindYourLanguage, #WomenSafety जैसे हैशटैग का इस्तेमाल भी किया।
मुंबई पुलिस के पोस्ट में 8 डायलॉग शेयर किए गए हैं:
- प्रीति, चुन्नी ठीक करो- कबीर सिंह, 2019।
- तुम एक पत्नी हो, तुम्हारा पति जैसा चाहेगा वैसा ही होगा, ये शादी का दस्तूर है, मर्द औरत का भगवान होता है- हम तुम्हारे हैं सनम, 2002।
- अगर खूबसूरत लड़की को न छेड़ों तो ये भी तो उसकी बेईज्जती होती है न- मालामाल, 1988।
- बट आई अलॉउड आयसा टू रन हर बिजनेस- दिल धड़कने दो, 2015।
- प्यार से दे रहे हैं, रख लो, वरना थप्पड़ मार कर भी दे सकते है- दबंग, 2010।
- व्हेन यू कान्ट चेंज न गर्ल, चेंज न गर्ल- चश्मे बद्दूर, 2013।
- वो मेरी बंदी है- कबीर सिंह, 2019।
- पुष्पा, हजार बार मैंने बोला है कपड़े- उजड़ा चमन, 2019।
इस पोस्ट के शेयर होने के बाद कई लोग मुंबई पुलिस की तारीफों के कसीदे पढ़ रहे हैं। तो कुछ इन 8 डायलॉग्स के अलावा और डॉयलॉग ढूँढ-ढूँढ कर ला रहे हैं। जैसे जब वी मेट में कहा जाता है- ‘अकेली लड़की खुली तिजोरी की तरह होती है।’ मुझसे शादी करोगी में कहते हैं- ‘क्या माल है यार।’, बॉर्डर में सुनील शेट्टी कहता है- ‘बेटा ही होगा।’
इस बीच कुछ ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि मुंबई पुलिस जितना कूल बन रही है उसका पता तब चलता है जब रिपोर्ट करवाने जाओ।
अनुज सिंह तो इस पोस्ट को देख मुंबई पुलिस पर तंज कसते हैं, “सोशल मीडिया पर ये सब कूल दिखाना अच्छा लगता है लेकिन जब कोई रिपोर्ट करने जाएगा तब आपको हकीकत पता चलेगी।”
अदनान बहलीम कहते हैं, “ये कोई तर्क नहीं है कि सिनेमा इसलिए बनता है कि समाज की रिएलिटी दिखाई जाए। ये हमारा काम है कि समाज को बेहतर बनाए, सिनेमा मनोरंजन करने का अपना काम कर रहा है।”
एक अन्य यूजर ने कहा, “सिनेमा, समाज की सच्चाई को दर्शाता है न कि विपरीत। सिनेमा को इसमें घसीटने के बजाय वास्तविक जीवन का उदाहरण लें।”
उल्लेखनीय है मुंबई पुलिस के ‘क्रांतिकारी’ और ‘मजेदार’ सोशल मीडिया पोस्ट अक्सर चर्चा में रहते हैं। लेकिन एक वास्तविकता ये भी है कि बीते कुछ समय से मुंबई पुलिस तरह-तरह के विवादों में रही। फिर वो चाहे भगवान राम के पोस्टर फाड़ने के कारण हों, सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़ा केस हो, एंटीलिया के बाहर मिले विस्फोटक वाला मामला, सचिन वाजे की हकीकत या फिर पालघर में साधुओं की हत्या…मुंबई पुलिस और उनकी कार्रवाई पर सवाल उठे हैं। शायद यही है कारण है कि यूजर उनसे सोशल मीडिया पोस्ट में दी गई सीखों को हकीकत के साथ जोड़कर हँस रहे हैं।