साल 2021 का था। 20 मार्च की रात मुस्लिम भीड़ ने दिल्ली के सराय काले खाँ की दलित बस्ती में घुसकर हमला कर दिया था। वजह खुशी अहमद की दलित युवक सुमित से शादी थी। हमले के बाद खुशी और सुमित को काफी समय तक गुप्त जगह पर रहना पड़ा था। वीडियो जारी कर खुशी ने अपनी और अपने पति की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार भी लगाई थी।
अब सुमित और खुशी सराय काले खाँ के अपने घर लौट चुके हैं। हालाँकि हमले के साल भर बाद भी हमले के शिकार दलित परिवारों के दिक्कतों का अंत नहीं हुआ है। 21 मार्च 2022 को जब ऑपइंडिया की टीम इस बस्ती में पहुँची तो गली में हालात सामान्य दिखे। सुमित का परिवार जिस गली में रहता है वहाँ निर्माण कार्य चल रहे हैं।
हमारी नौकरियाँ चली गईं, मुआवजा नहीं मिला: सुमित के पिता किशनदीप
ऑपइंडिया से बातचीत में सुमित के पिता किशनदीप ने बताया कि अभी माहौल ठीक है। लेकिन वे लोग अपनी तरफ से अब भी सतर्कता बरत रहे हैं। हालाँकि उस घटना के बाद उनलोगों को किसी तरह धमकी नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि इस पूरे विवाद में बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगों ने उनके परिवार की काफी मदद की। वहीं, दलितों के नाम पर राजनीति करने वाले संगठनों से कोई उनकी मदद को नहीं आया। उनके अनुसार आप के काउंसलर एक बार आए थे और कैमरे लगाने का आश्वासन देकर चले गए।
फिलहाल इस गली में कोई सुरक्षा-व्यवस्था नहीं है। किशनदीप बताते हैं, “अब पैरामिलिट्री यहाँ से हट चुकी है। हमारे नुकसान का अभी तक कोई भी मुआवजा नहीं मिला है। इस घटना का केस अभी ठप पड़ा है। जो जेल गए थे उन्हें एक-डेढ़ महीने में ही कोरोना में छोड़ दिया गया है। उसके बाद वो जेल नहीं गए, जबकि उन पर SC/ST का भी केस लगा हुआ है। हम उन पर कानूनी करवाई चाहते हैं जिस से वो किसी और के साथ ये हरकत न करें।”
किशनदीप ने आगे बताया, “मैं पहले होटल में जॉब करता था। मेरी और मेरी बेटी की जॉब इस केस के चलते छूट गई। जो पैसा था वह बेटी की शादी में खर्च हो गया। अभी हमारी आमदनी का कोई भी साधन नहीं है। मैं शादी से पहले भी लड़की के परिवार से मिला और उन्हें समझाने की कोशिश की थी। मैंने अपना मकान तक उनकी बेटी के नाम करने और हर चीज स्टाम्प पर लिख कर देने को तैयार था। लेकिन उन्होंने हमें जातिसूचक शब्द बोल कर मना कर दिया था।”
हिन्दू संगठनों और प्रशासन ने बहुत साथ दिया: सुमित की माँ रजनी
ऑपइंडिया से बात करते हुए सुमित की माँ रजनी ने कहा, “हम मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। अब हमें कोई डरा-धमका नहीं रहा। मेरी बहू मेरे परिवार में मिल-जुलकर रहती है। वो मेरे घर में बहुत खुश है। उनके घर से कभी-कभार छोटी बहन मिलने आ जाती है। हंगामे के दौरान हिन्दू संगठनों और प्रशासन ने हमारा बहुत साथ दिया था।”
पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है सुमित
सुमित के अनुसार शादी करते हुए उन्हें कोई डर नहीं लगा था। उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि इतना बड़ा बवाल हो जाएगा। उसके अनुसार शादी से पहले उसने खुशी के परिवार को काफी समझाने का प्रयास किया था। लेकिन वे लोग उस पर जातीय टिप्पणी करते थे। उसने बताया, शादी के बाद मैं गाजियाबाद में रहने चला गया था। बवाल के डेढ़ महीने बाद ही घर वापस आया। तब से हम पर कोई धमकी, हमला या दबाव जैसी कोई बात नहीं है। मेरी पत्नी मायके नहीं जाती। उनके मम्मी-पापा 1 या 2 बार अपनी बेटी से मिलने आए हैं। मेरी भी उनसे कभी-कभार फोन पर बातचीत हो जाती है।”
हमले के दिन का जिक्र करते हुए सुमित ने बताया, “जब पिछले साल यह बवाल हुआ था तब पुलिस ने आकर सबसे पहले बवाल के वीडियो मेरे DVR से डिलीट करवा दिए थे। फिर वहीं पर दूसरे आदमी से उसका DVR माँगने लगे तो उसने दिया नहीं। उसने पुलिस को बताया कि DVR से वीडियो डिलीट कर भी दोगे तो वीडियो फोन में भी सेव हो चुकी है। तब वह वीडियो वायरल हुई थी। हमने पुलिस को 16 आरोपितों के नाम दिए थे। लेकिन उनमे से सिर्फ 8 को ही गिरफ्तार किया गया। इस घटना में जो मुख्य हमलावर हैं उन पर न तो केस दर्ज हुआ और न ही उनकी गिरफ्तारी हुई।”
सुमित ने आगे बताया, “हमलावर CCTV फुटेज में साफ दिख रहे थे। उस समय के SHO प्रवीण कुमार और चौकी इंचार्ज प्रदीप कुमार से मैंने कई बार मुख्य हमलवारों को पकड़ने की माँग की, लेकिन उन्होंने टाल दिया। अब दोनों का ट्रांसफर हो चुका है। 1 साल पहले ही हमारा और एक अन्य आदमी के CCTV का DVR पुलिस ले गई है। उसे 3 बार थाने जा कर माँगने के बाद भी अब तक लौटाया नहीं गया। अगर कल हम पर फिर से हमला हो जाए तो वो वीडियो कैसे मिलेगी।”
मैं भगवान शिव को बहुत मानती हूँ: खुशी
खुशी अहमद अब खुशी कुड़िया बन गई है। भगवान शिव की अराधना करती है। वह कहती है, “मैं यहाँ बहुत खुश हूँ। ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हूँ। जॉब भी तलाश रही हूँ। मैं भगवान शिव को बहुत मानती हूँ और उनकी पूजा करती हूँ।” उसने बताया, “शादी से पहले मैं जब भी अपने परिवार को समझाने की कोशिश करती वे सुमित की जाति की बात करने लगते थे। मेरा परिवार लड़ाई-झगड़े वाला नहीं है। लेकिन आसपास के लोग उनको उकसाते हैं।”
वे हमलावर आज भी मुझे घूरते हैं: सुमित का पड़ोसी रोहित
ऑपइंडिया से बात करते हुए सुमित के पड़ोसी रोहित ने बताया, “जिन हमलावरों ने मेरी 10 साल की बहन के कपड़े फाड़ने की कोशिश की थी, उनमे से अभी कोई नहीं पकड़ा गया। सभी हमलावरों की उम्र 24 से 25 साल के आसपास थी। सब आराम से घूम रहे हैं। वो हमलावर जब भी मुझे देखते हैं तो घूरते हैं।”
ऑपइंडिया ने पीड़ित परिवारों की शिकायत और केस में प्रगति के संबंध में जानकारी के लिए सनलाइट कॉलोनी थाना के SHO विजय शानवाल से संपर्क किया। उन्होंने बताया, “आप स्टोरी लिख रहे हैं या जाँच कर रहे है। अगर किसी को दिक्कत है तो वो एप्लिकेशन दें। हम किसी को ऐसे ही जानकारी नहीं देते।”