Sunday, November 17, 2024
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जनेऊधारी-दत्तात्रेय गोत्री ब्राह्मण का कर्नाटक में नया अवतार, लिंगायत दीक्षा लीः मुरुगा मठ पहुँचे राहुल गाँधी, कहा- शिव योग सिखाने के लिए किसी को भेज दें

इसके पहले राहुल गाँधी खुद को कश्मीरी पंडित, जनेऊधारी ब्राह्मण और 'दत्तात्रेय गोत्र वाले ब्राह्मण' बता चुके हैं। दरअसल, यूपी और लोकसभा चुनावों के दौरान खुद को ब्राह्मण बताकर राहुल गाँधी बाह्मण वोट को साधना चाहते थे। हालाँकि, इसका कुछ खास लाभ होता नहीं दिखा।

कॉन्ग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) ने बुधवार (3 अगस्त 2022) को कर्नाटक (Karnataka) में प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के धर्मगुरु के साथ मुलाकात की। इसके साथ ही उन्होंने लिंगायत समुदाय की लिंग दीक्षा भी ली। बता दें कि राहुल गाँधी को जनेऊधारी ब्रह्मण बताते रहे हैं और उनका नया अवतार लिंगायत के रूप में हुआ है।

राहुल गाँधी ने पार्टी नेता डीके शिवकुमार और केसी वेणुगोपाल के साथ चित्रदुर्ग में श्री मुरुघा मठ पहुँचे। वहाँ पर उन्होंने मठ के धर्मगुरु डॉ श्री शिवमूर्ति मुरुघ शरणारू से लिंग दीक्षा ली। आमतौर पर लिंगायत समुदाय के लोग क्रिस्टल से बना इष्टलिंग पहनकर इस अनुष्ठान को करते हैं और दीक्षा लेते हैं।

इस दौरान राहुल गाँधी ने कहा, मैं पिछले कुछ समय से बसवन्ना जी को फॉलो कर रहा हूँ और उनके बारे में पढ़ रहा हूँ। इसलिए, यहाँ होना मेरे लिए वास्तविक सम्मान की बात है। मेरा एक निवेदन है, अगर आप मुझे कोई ऐसा व्यक्ति भेज सकते हैं, जो मुझे इष्टलिंग और शिवयोग के बारे में विस्तार से बता सके तो मुझे शायद इससे फायदा होगा।”

बता दें कि कर्नाटक में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य में लिंगायत समुदाय की आबादी 18 प्रतिशत से अधिक है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले विधानसभा चुनाव में लिंगायतों को साधने के लिए उन्होंने लिंग दीक्षा है। बता दें कि लिंगायत समुदाय खुद को हिंदू समुदाय से अलग होने लगातार प्रयासरत है। वहीं, राहुल गाँधी भी हिंदू और हिंदुत्व में अंतर बताकर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमले करते रहते हैं। राहुल हिंदुत्व को हिंसक बताते आए हैं।

इसके पहले राहुल गाँधी खुद को कश्मीरी पंडित, जनेऊधारी ब्राह्मण और ‘दत्तात्रेय गोत्र वाले ब्राह्मण‘ बता चुके हैं। दरअसल, यूपी और लोकसभा चुनावों के दौरान खुद को ब्राह्मण बताकर राहुल गाँधी बाह्मण वोट को साधना चाहते थे। आजादी के बाद से एक दशक पहले तक ब्राह्मणों और दलित के समीकरण पर सत्ता-सुख भोगने के बावजूद कॉन्ग्रेस को इन चुनावों में कुछ खास लाभ नहीं हुआ।

अब, कर्नाटक में विधानसभा चुनाव देखकर राहुल गाँधी ब्राह्मण से लिंगायत में दीक्षित हो गए हैं। वे इस समुदाय के संस्थापक बसवन्ना को फॉलो कर रहे हैं और उनके बारे में पढ़ रहे हैं, जिन्होंने ब्राह्मणों के वर्चस्ववादी व्यवस्था का विरोध किया था। बसवन्ना जन्म आधारित व्यवस्था की जगह कर्म आधारित व्यवस्था में विश्वास करते थे। इसलिए इसकी कुरीतियों को हटाने के लिए उन्होंने नए सम्प्रदाय की स्थापना 12वीं शताब्दी में की थी।

लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं और इन दोनों समुदायों का जन्म 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक बसवन्ना ने ही किया था। लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। कर्नाटक के साथ-साथ महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लिंगायतों की अच्छी खासी आबादी है।

चुनाव के मौसम में विभिन्न अवतार में प्रकट होने होने वाले राहुल गाँधी का अगला अगले चुनाव के समय मराठों या सिखों के रूप में हो कोई अचरज की बता नहीं होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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