Sunday, November 17, 2024
Home Blog Page 5226

इरशाद, जावेद, शाहरुख़ व अन्य ने युवती का अपहरण कर किया Gang Rape, जंगल में छोड़ा

राजस्थान के भरतपुर जिले से आई खबर के मुताबिक, एक युवती का सामूहिक दुष्कर्म किया गया है। यह घटना सिकरी क्षेत्र में स्थित रुस्तमपुर गाँव की है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक, सात युवकों ने ननिहाल में रह रही युवती के साथ पहले तो गैंगरेप किया और फिर उसे जंगल में छोड़ कर भाग निकले।

स्थानीय समाचारपत्र में छपी ख़बर

इस घटना में आरोपितों के नाम हैं- शाहरुख, जावेद, ताहिर, मोहम्मद अली, सालिम, निसार, इरशाद इत्यादि। इन लोगों के ख़िलाफ़ एक युवक ने मामला दर्ज कराया। उक्त युवक ने अपनी शिकायत में कहा कि उसकी भाभी और भांजी जंगल में शौच करने के लिए जा रहे थे, तभी गाँव में ही रहने वाले आरोपितों ने उसकी भांजी का अपहरण कर लिया। कानून से बेख़ौफ़ आरोपितों ने अपहरण के लिए बोलेरो गाड़ी का इस्तेमाल किया।

यह घटना बुधवार (जून 5, 2019) को सुबह 9 बजे की है। इसके एक दिन बाद दर्द से कराहती युवती ने किसी से फोन माँग कर अपने मामा को कॉल किया और आपबीती सुनाई। जब वे उसकी बताई जगह पर पहुँचे तो पता चला कि आरोपित पीड़िता को घायल अवस्था में जंगल में ही छोड़ कर चले गए थे।

समुदाय विशेष को ख़राब परिप्रेक्ष्य में दिखा रही मीडिया: अलीगढ़ हत्याकांड पर ओवैसी के विवादित बोल

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी एक से बढ़कर एक लगातार विवादित बयान देकर सुर्ख़ियों में बने रहते हैं। इसी क्रम में ओवैसी ने अलीगढ़ में ढाई वर्ष की बच्ची की हत्या के मामले पर टिप्पणी करते हुए इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। बच्ची की नृशंस हत्या पर टिप्पणी करते हुए ओवैसी ने कहा:

“मैं अलीगढ़ वाली घटना की निंदा करता हूँ। मैं एसआर नगर वाली घटना की निंदा करता हूँ’। गोरखपुर बलात्कार कांड की भी मैं निंदा करता हूँ। वो दलित लड़की भी तो आखिर हमारी ही बेटी थी। मैं इंदौर में 5 वर्षीय बच्ची के बलात्कार और हत्या वाली वारदात की निंदा करता हूँ। बिहार के गया में जो भी हुआ, मैं उसकी भी निंदा करता हूँ’। जब मनुष्य राक्षस बन जाता है, तब वह ऐसे घृणित कृत्यों को अंजाम देता है। लेकिन, मुझे हमारी मीडिया से कोई आशा नहीं है। वो इन सारी घटनाओं को नहीं दिखाएगी। ऐसा इसीलिए, क्योंकि उन्हें ऊपर से आदेश है एक समुदाय विशेष को बुरे परिप्रेक्ष्य में दिखाने का।”

अलीगढ़ वाले मामले में अब तक 4 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। इसमें जाहिद, उसकी पत्नी और उसका सहयोगी असलम शामिल है। खबरों के अनुसार, मृत बच्ची के पिता ने फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने में असमर्थता जताई है क्योंकि उनकी पत्नी बीमार है और अपनी बेटी के साथ हुए अत्याचारों से अभी भी शोक में है। इधर असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय वायुसेना के उस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट AN-32 को लेकर भी विवादित टिप्पणी की है, जो असम स्थित बेस कैम्प से उड़ान भरने के बाद गायब हो गया था।

ओवैसी ने चुनाव से पहले पीएम द्वारा इंटरव्यू में कही गई बातों को गायब एयरक्राफ्ट से जोड़ते हुए कहा कि वायुसेना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस बारे में पूछना चाहिए क्योंकि उन्हें रडारों के बारे में बहुत अधिक जानकारियाँ हैं। ओवैसी ने मामले की गंभीरता को न समझते हुए असंवेदनशीलता दिखाई और कहा कि वायुसेना अगर पीएम मोदी से इस बारे में पूछ लेती है तो 5 लाख रुपए भी बचेंगे। बता दें कि भारतीय वायुसेना ने गायब एयरक्राफ्ट के बारे में किसी भी तरह की जानकारी देने के लिए 5 लाख रुपए इनाम देने की बात कही है।

ओवैसी ने केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की जीत को लेकर भी बड़ी बात कही। एआईएमआईएम के अध्यक्ष ने कहा कि राहुल को वहाँ से जीत इसीलिए मिली क्योंकि वहाँ 40% समुदाय विशेष से हैं।

चाय बेचने वाला आज पूरा कर रहा गरीब छात्रों के डॉक्टर बनने का सपना, 14 छात्र NEET में उत्तीर्ण

ओडिशा में 14 ऐसे छात्रों ने NEET (National Eligibility cum Entrance Test) की परीक्षा में बाज़ी मारी है, जिनके पास संसाधन का अभाव था, जो गरीब थे। जहाँ भारत में लाखों छात्र डॉक्टर बनने का सपना लिए नीट की तैयारी करते हैं और परीक्षा देते हैं, ऐसी परिस्थिति में इन 14 छात्रों द्वारा नीट परीक्षा उत्तीर्ण करना सरल नहीं है। लेकिन, इन छात्रों की सफलता के पीछे कोई ऐसा भी है, जिसने उतनी ही मेहनत की है जितनी इन छात्रों ने। उनका नाम है- अजय बहादुर सिंह, ‘जिंदगी फाउंडेशन’ के संस्थापक। जो स्थान बिहार में आनंद कुमार के सुपर 30 का है, वही स्थान ओडिशा में ‘जिंदगी फाउंडेशन’ का है।

अजय बहादुर ख़ुद एक डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन कई कारणों से उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया। अब वो हर उसे बच्चे में अपने उस सपने को देखते हैं, जिसे ‘जिंदगी फाउंडेशन’ द्वारा मदद दी जाती है। यह संस्था डॉक्टर बनने का सपना लिए नीट की तैयारी कर रहे ग़रीब छात्र-छात्राओं को उचित मदद मुहैया कराती है। यह संस्था ऐसे छात्रों के लिए है जो पढ़ने में तो काफ़ी अच्छे हैं लेकिन उनके पास ट्यूशन के लिए लाखों रुपए ख़र्च करने के लिए नहीं हैं। 2018 में इस संस्था के 18 छात्रों ने नीट की परीक्षा उत्तीर्ण की और इसमें से 12 ने विभिन्न प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लिया।

अजय बहादुर सिंह की कहानी भी जानने लायक है। उनके पिता इंजिनियर थे और उनकी भी इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने। इसके लिए अजय जी-जान से जुट कर तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन, अचानक से घर में विपत्ति आन पड़ी और अजय के पिता का किडनी ट्रांसप्लांट के कारण परिवार को अपनी संपत्ति बेचनी पड़ी और वे वित्तीय रूप से काफ़ी कमज़ोर हो गए। अजय को चाय बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालाँकि, उन्होंने किसी तरह सोशियोलॉजी में अपना स्नातक पूरा किया।

चाय के बाद अजय सोडा मशीन बेचने लगे। अपनी पढ़ाई का ख़र्च उठाने के लिए उन्हें बच्चों को ट्यूशन तक पढ़ाना पड़ा। लेकिन, अजय के इरादे चट्टान की तरह थे और उन्होंने वित्तीय संकट से निजात पाकर ख़ुद को इस लायक बनाया कि वे औरों की भी मदद कर सकें। अजय कहते हैं:

“अब मैं वित्तीय रूप से एक अच्छी स्थिति में हूँ, मेरी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं ऐसे छात्रों की मदद करूँ जो अपना ट्यूशन फी का वहन नहीं कर सकते। ग़रीब छात्र हमारी संस्था को ज्वाइन कर सकते हैं, जिसके बाद उनके रहने-खाने एवं पढ़ाई का ख़र्च संस्था ही वहन करती है। इतना ही नहीं, उनकी परीक्षा का व्यय और ट्यूशन फी भी ज़िम्मेदारी हमारी संस्था ही लेती है।”

इस वर्ष नीट क्वालीफाई करने वाले अजय के शिष्यों में से एक कृष्णा मोहंती भी शामिल हैं, जिनके पिता राजमिस्त्री हैं। अजय कहते हैं कि वे अपने शिष्यों से यही गुरुदक्षिणा चाहते हैं कि डॉक्टर बनने के बाद वे ग़रीब मरीजों का इलाज मुफ़्त में करें। यूँ तो ओडिशा ने हजारों छात्रों ने नीट की परीक्षा उत्तीर्ण की है, लेकिन इन 14 छात्रों की कहानी और उनके पीछे खड़े शख्स के बारे में सबको जानना चाहिए।

सिंह का संन्यास: 17 साल की शानदार पारी के बाद युवराज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कहा अलविदा

साल 2000 में पहली बार मैदान में उतरकर अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से आज (जून 10, 2019) संन्यास ले लिया। युवराज सिंह ने साउथ मुंबई होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ऐलान किया।

इस दौरान युवराज काफ़ी भावुक दिखाई पड़े। उन्होंने कहा यह उनके लिए काफी भावनात्मक पल है। उनका करियर एक रोलर-कोस्टर की तरह रहा है। युवराज ने कहा कि वह काफी समय से रिटायरमेंट के बारे में सोच रहे थे और अब उनका प्लान आईसीसी द्वारा मान्यता प्राप्त टी-20 टूर्नामेंट्स में खेलने का है। इस दौरान उन्होंने अपने क्रिकेट करियर को याद करते हुए कहा, “अपने 25 साल के करियर और खास तौर पर 17 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। अब मैंने आगे बढ़ने का फैसला ले लिया है। इस खेल ने मुझे सिखाया कि कैसे लड़ना है, गिरना है, फिर उठना है और आगे बढ़ जाना है।”

युवराज सिंह ने अपना आखिरी वनडे मैच 2 साल पहले 30 जून 2017 को वेस्ट इंडीज के ख़िलाफ़ और आखिरी टी-20 मैच इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 1 फरवरी 2017 को खेला था। अपनी शानदार बल्लेबाजी और गजब की फील्डिंग के लिए पहचाने जाने वाले युवराज टीम इंडिया के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से हैं, जिन्होंने वनडे और टी-20 दोनों में गजब की सफलता हासिल की। युवराज सिंह को उनके धुआंधार 6 छक्कों के बाद शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी भूल पाए। 2011 में उनका जबरदस्त फॉर्म टीम को वर्ल्ड कप जिताने में मददगार रहा था। इस दौरान उन्होंने 362 रन बनाए थे, जिसके कारण उन्हें मैन ऑफ द सीरिज का ख़िताब भी मिला था। युवराज पहले ऐसे ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने विश्वकप में 350 रन बनाए और 15 विकेट अपने नाम किया।

युवराज सिंह ने 304 वनडे मैच खेलकर देश के लिए 8701 रन बनाए। अपने वनडे करियर में उन्होंने 17 शतक और 63 अर्धशतक भी जड़े। वनडे क्रिकेट में युवराज ने 111 विकटों को अपने नाम किया। ऐसे ही टी-20 में युवराज सिंह ने 58 मैच खेलकर 1,177 रन बनाए। जिसमें 8 अर्धशतक भी शामिल हैं। हालाँकि टेस्ट मैचों में युवराज बहुत हल्का प्रदर्शन करते नजर आए। उन्होंने अपने करियर में 40 टेस्ट खेले और 3 शतकों के साथ 1900 रन बनाए।

अपने पूरे करियर में दर्शकों के लिए युवराज जब-जब मैदान पर उतरे, तो किसी हीरो से कम नहीं रहे। उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 2014 में पद्मश्री भी मिला है, साथ ही 2014 में ही उन्हें ICICI ने स्पोर्ट्स पर्सन के रूप में भी सम्मानित किया था।

युवराज का सफर बतौर क्रिकेटर बेहद शानदार रहा। हालाँकि बीच में एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा। 2011 में वर्ल्ड कप के बाद उन्हें इस बीमारी का सामना कर पड़ा। इस दौरान जहाँ उनके फैन्स को एक बड़ा झटका लगा था, वहीं बीमारी से जूझते हुए युवराज ने हार नहीं मानी। इलाज के लिए वह कुछ समय अमेरिका में रहे। यहाँ ढाई महीने उनका इलाज चला और इलाज पूरा करवा कर वो दोबारा अपनी दुनिया में कई अनुभव लेकर लौटे। इस बीमारी से जूझने के बाद युवराज ने एक एनजीओ ‘यू वी कैन’ की स्थापना की। यह संस्था इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य करती है।

वायनाड में मुस्लिमों की बदौलत जीते राहुल गाँधीः असदुद्दीन ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया है कि वायनाड से राहुल गाँधी को जीत इसलिए मिली क्योंकि वहाँ पर 40 फ़ीसदी आबादी मुस्लिमों की है। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि वो देश में मुस्लिमों के लिए जगह चाहते हैं, लेकिन वो यह नहीं जानते कि मुस्लिम समुदाय किसी की भीख पर ज़िंदा नहीं है।  

तेलंगाना के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार (10 जून) को एक जनसभा में कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ तो हमारे बुज़ुर्गों को यह उम्मीद थी यह एक नया भारत होगा। यह भारत आज़ाद, गाँधी, नेहरू, अम्बेदकर और उनके करोड़ों अनुयायियों का होगा। ओवैसी ने कहा, “मुझे अभी भी उम्मीद है कि हमें इस देश में अपना हक़ मिलेगा। हमें भीख नहीं चाहिए, हम आपकी भीख पर ज़िंदा नहीं रहना चाहते।”

बीजेपी विरोधियों को कमजोर बताते हुए AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “आप कॉन्ग्रेस और दूसरी धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ छोड़ना नहीं चाहते लेकिन याद रहे कि उनके पास ताक़त और सोच नहीं है, वे कठिन परिश्रम भी नहीं करते।” जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ कड़ा रूख़ अख़्तियार करते हुए कुछ सवाल किए, जिसके जवाब भी ख़ुद ही दिए। ओवैसी ने कहा, “बीजेपी कहाँ हारी है? बीजेपी पंजाब में हारी है, वहाँ कौन हैं? पंजाब में सिख ज़्यादा हैं। देश में बीजेपी को और कहाँ हार मिली? बीजेपी को क्षेत्रीय पार्टियों से हार का सामना करना पड़ा न कि कॉन्ग्रेस से।”

जानकारी के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2019 में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को वायनाड में 7,05,034 वोट मिले थे। उन्होंने वहाँ, अपने प्रतिद्वंदी पीपी सुनीर को 4,31,063 वोटों से हराकर चुनाव जीता था।

लड़की के साथ डांस कर रहे बिहार के MLA का वायरल Video निकला Fake

स्टडी टूर पर मणिपुर गए बिहार के विधायकों की डांस करने वाली वीडियो सामने आई है। इम्फाल टाइम्स में छपी एक खबर से हिंदी मीडिया को इसके बारे में पता चल। इम्फाल टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार बिहार के चार विधायक भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित मोरे शहर में लड़कियों के साथ डांस करते कैमरे में कैद हो गए। और यह वीडियो वायरल हो गया। हालाँकि, आरोप के घेरे में आए विधायकों ने वीडियो को फेक बताते हुए पूरे मामले की जाँच की माँग की है।

जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, उसमें विधायक (या उनके जैसे दिखने वाले) लड़कियों के साथ डांस करते हुए दिख रहे हैं और साथ में वो डांस करने वाली लड़की को शराब भी पीला रहे हैं।

इम्फाल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट

अखबार ने लिखा कि यह पहली बार नहीं है कि इस तरह की कोई घटना सामने आई है। अखबार का कहना है कि यहाँ ऐसी कई घटनाएँ होती हैं जिसमें वीआईपी, वीवीआईपी इस शहर को ‘सेक्स डेस्टिनेशन’ समझ कर आते हैं। हालाँकि, पर्याप्त सबूतों के अभाव में इस तरह की अनैतिक गतिविधियों पर लगाम नहीं लग पाता।

विधायकों ने वीडियो को बताया फेक

वीडियो वायरल होने और कई मीडिया संस्थानों में इस खबर के चलने बाद विधायक यदुवंश यादव ने कहा है कि इस वीडियो में वे नहीं हैं। ये फेक वीडियो है जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि वे इस वीडियो को लेकर मानहानि का दावा करेंगे। यदुवंश यादव के अलावा 3 अन्य विधायकों का भी यही कहना है कि ऐसे किसी वीडियो से उनका कोई संबंध नहीं है और यह उन्‍हें बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जाँच हो। वीडियो में दिख रहा चेहरा विधायक यदुवंश यादव के चेहरे से मेल नहीं खाता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर ऑपइंडिया ने भी यह खबर प्रकाशित (विधायक द्वारा फेक बताए जाने और वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं का डिस्क्लेमर लगा कर) की थी। लेकिन अब जबकि यह स्पष्ट हो गया है कि यह वीडियो भले ही फेक नहीं हो, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में जिन विधायकों का नाम आया था, कम के कम उनका इस वीडियो से कुछ भी लेना-देना नहीं है।

CM कुमारस्वामी पर टिप्पणी करने के कारण 2 गिरफ़्तार, परिवारवाद की राजनीति से थे नाराज़

कर्नाटक में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बारे में वीडियो पोस्ट करने के कारण 2 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। इन दोनों लोगों पर मुख्यमंत्री व उसके रिश्तेदारों को गाली देने का आरोप है। दोनों आरोपितों के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। इस वीडियो को लोकसभा चुनाव के मतगणना के दिन फेसबुक पर शेयर किया गया था। आरोप है कि इस वीडियो में मुख्यमंत्री के बेटे एचडी कुमारस्वामी को भी गाली दी गई है। इसके अलावा जेडीएस के प्रथम परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में बुरा-भला कहने का भी आरोप लगाया गया है।

दोनों आरोपितों में 26 वर्षीय सिद्दाराजू और 28 वार्षित चमाराजू शामिल हैं। इनमें से एक पेट्रोल पंप पर काम करता है जबकि दूसरा कैब ड्राईवर है। पुलिस ने दोनों आरोपितों के ख़िलाफ़ धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और धारा 505 (2) (वर्गों के बीच शत्रुता या शत्रुता की इच्छा को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। स्थानीय अदालत ने दोनों आरोपितों को पुलिस कस्टडी में रिमांड पर भेज दिया है।

बताया जा रहा है कि दोनों आरोपित हालिया लोकसभा चुनाव में जेडीएस के ख़राब प्रदर्शन से नाराज़ थे। बता दें कि जेडीएस को इस लोकसभा चुनाव में पूरे राज्य में मात्र एक सीट आई। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा और मुख्यमंत्री के बेटे निखिल कुमारस्वामी को भी हार का मुँह देखना पड़ा। जेडीएस के साथ मिल कर कर्नाटक की सत्ता पर काबिज़ कॉन्ग्रेस को भी पूरे राज्य में मात्र एक सीट मिली। वहीं भाजपा ने 28 में से 25 सीटें जीत कर अपना परचम लहराया।

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, दोनों आरोपितों ने बताया कि वे मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के परिवारवाद की राजनीति से नाराज़ थे। उनका मानना था कि जेडीएस के ख़राब प्रदर्शन के पीछे यही वजह थी। पुलिस ने इस मामले में जेडीएस कार्यकर्ताओं द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद कार्रवाई शुरू की। इससे पहले अगस्त 2018 में 24 वर्षीय प्रशांत पुजारी को कुमारस्वामी के ख़िलाफ़ इन्स्टाग्राम पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।

मई 2019 के अंतिम सप्ताह में कर्नाटक में एक कन्नड़ समाचारपत्र के संपादक के ख़िलाफ़ सिर्फ़ इसीलिए मामला दर्ज किया गया था, क्योंकि अख़बार में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल के बारे में लेख छपा था। इस लेख में कहा गया था कि हार के बाद निखिल ने अपने दादा देवेगौड़ा को खरी-खरी सुनाई।

भगोड़ा माल्या पहुँचा क्रिकेट देखने, लोगों ने कहा- ‘चोर है… चोर है’

आर्थिक भगोड़ा एवं शराब कारोबारी विजय माल्या को उस वक़्त लोगों के ग़ुस्से का सामना करना पड़ा, जब उन्होंने उसके ख़िलाफ़ ‘चोर है, चोर है’ के जमकर नारे लगाए। दरअसल, विजय माल्या इंग्लैंड के ओवल क्रिकेट स्टेडियम में रविवार को भारत-ऑस्ट्रेलिया का मैच देखने पहुँचा था। इसी दौरान वहाँ मौजूद लोगों ने उसे देखकर ‘विजय माल्या चोर है’ के नारे लगाने शुरू कर दिए।

ख़बर के अनुसार, रविवार (9 जून) की रात को जब माल्या अपनी गर्लफ्रेंड (किंगफिशर की पूर्व एयर होस्टेस) पिंकी लालवानी और माँ ललिता के साथ स्टेडियम से बाहर निकला, तो क़रीब 100 भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने उन्हें घेरते हुए ‘चोर है, चोर है’ का जमकर नारा लगाया। मौक़े पर मौजूद कुछ लोगों ने इस दृश्य को अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड भी किया। जैसे ही भीड़ थोड़ी कम हुई, तो माल्या ने एक रिपोर्टर से कहा, “मुझे यक़ीन है कि मेरी माँ को चोट नहीं आई है।”

इस भीड़ में एक आदमी ने चिल्लाते हुए कहा, “लोग उससे प्यार करते हैं!”, एक ने कहा, “मर्द बनो! देश से माफी माँगो”, इस पर माल्या ने जवाब दिया, “धन्यवाद, ऑल द बेस्ट।” भीड़ में एक अन्य शख़्स, जिसकी मदद के लिए माल्या ने अपने हाथ आगे बढ़ाए उसने कहा कि कोई चोर उसे छू नहीं सकता, वहीं एक दूसरे शख़्स ने चिल्लाते हुए कहा, “तुम चोर हो।”

यह पूछे जाने पर कि उसकी अदालती सुनवाई की तैयारी कैसे चल रही है, माल्या ने कहा, “तैयारी चल रही होगी, लेकिन आज मैं मैच देखने और भारतीय क्रिकेट टीम का समर्थन करने आया हूँ। बाद में मिलते हैं।” इसके बाद बिना किसी सवाल का जवाब दिए उसने क्रिकेट स्टेडियम गेट में प्रवेश कर लिया और कहा, “मैं यहाँ खेल देखने के लिए हूँ।”

भगोड़े व्यवसायी माल्या की हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 2 जुलाई को होगी। दरअसल, 10 दिसंबर 2018 को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था, जिसके बाद माल्या ने वहाँ की हाईकोर्ट में अपील कर दी थी। वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की चीफ़ मजिस्ट्रेट जस्टिस एम्मा अर्बुथनोट ने उस वक़्त माल्या के मामले को गृह सचिव साजिद जावेद के पास भेज दिया था, उन्होंने भी फरवरी में प्रत्यर्पण की मंज़ूरी दी थी।

शराब कारोबारी विजय माल्या 2 मार्च, 2016 को देश छोड़कर लंदन भाग गया था। माल्या को कड़ा झटका देते हुए मुंबई की मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की विशेष अदालत ने उसे भगोड़ा ‘आर्थिक अपराधी’ घोषित कर दिया था। ब्रिटेन के गृहमंत्री साजिद जावीद ने चार फ़रवरी 2019 को माल्या को करारा झटका देते हुए उसे भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। माल्या को वहाँ की हाईकोर्ट में अपील करने के लिए 14 दिनों का समय दिया गया था।

J&K बैंक की जाँच में निकला चेयरमैन परवेज़ अहमद की कारस्तानियों का जिन्न

गृह मंत्री बनने के साथ ही अमित शाह ने टेरर फंडिंग और आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। टेरर फंडिग करने के इल्जाम में जम्मू-कश्मीर बैंक पर हाल ही में शिकंजा कसा गया है। फर्जी नियुक्तियों की जाँच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बैंक मुख्यालय में रविवार (जून 9, 2019) को लगातार दूसरे दिन छापेमारी की। गौरतलब है कि सभी नियुक्तियाँ तत्कालीन चेयरमैल परवेज अहमद नेंगरू के कार्यकाल के दौरान हुई।

जाँच से पहले परवेज अहमद नेंगरू को उनके पद से हटा दिया गया था। परवेज को हटाए जाने के कुछ देर बाद ही बैंक के एनए रोड स्थित मुख्यालय पर छापामारी की थी जहाँ अधिकारियों ने फाइलों और दस्तावेजों की जाँच की। इस दौरान चेयरमैन सचिवालय तथा एचआरडी सेक्शन में भी महत्तवपूर्ण कागजातों की जाँच हुई। साथ ही कुछ महत्तवपूर्ण फाइलों को जब्त किया। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार परवेज अहमद के बर्खास्त होने को काफ़ी असंतुष्ट करने वाला और शर्मनाक बताया है।

जाँच में 300 से अधिक फाइलें जब्त की गई हैं। साथ ही चेयरमैन सचिवालय और एचआरडी सेक्शन को सील करके वहाँ पर पुलिस की तैनाती कर दी गई है। परवेज अहमद को पद से हटाने के बाद सरकार की ओर से बयान आया कि बैंक के शासन और कार्यप्रणाली संबंधित चिंताओं के साथ-साथ कामकाज में सुधार को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया। दीर्घकालिक उपाय के तहत यह निर्णय लिया है ताकि यह अच्छी तरह से सरकार के स्वामित्व वाले बैंक का उदाहरण बन सके।

खबर के अनुसार उच्च अधिकारियों के अनुसार चेयरमैन बनते ही परवेज अहमद नेंगरू ने अपने भतीजे मुजफ्फर को अपने ऑफिस में नियुक्त कर लिया था। मुजफ्फर को परवेज का खास आदमी माना जाता था। इसके बाद नेंगरू ने अपनी बहु शाजिया अम्बरीन को बैंक के प्रोबेशनरी अधिकारी बना दिया गया था, जो फिलहाल हजरतबल शाखा की प्रमुख है। इतना ही नहीं, नेंगरू ने बैंक की 2 शाखाओं को अपने और अपने ससुर के मकान में ही खोल दिया, जो कि बैंकिंग के लिहाज से उपयुक्त जगह कतई भी नहीं थी।

परवेज के कार्यकाल में कर्मचारियों और अधिकारियों से तबादले के लिए खूब पैसे लिए जाते थे। परवेज ने दो रिश्तेदारों आसिफ बेग और मुहम्मद फाहिम को बैंक के बोर्ड की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। इसमें बैंक से दिए जाने वाले लोन भी शामिल थे। परवेज की बहन का बेटा इफ्को टोकियो इंश्योरेंस में कार्यरत है। चूँकि हाल ही में जम्मू-कश्मीर ने इफ्को टोकियो के साथ डील की है, इसलिए इसमें भी नेंगरू की भूमिका संदेह में मानी जा रही है।

इसके अलावा परवेज के कारनामे परिवारवाद को बढ़ाने तक सीमित नहीं रहे। बैंक में चेयरमैन बनने के बाद परवेज ने बैंक की कई शाखाओं की आंतरिक साज-सज्जा सुधारने के लिए 50 लाख से डेढ़ करोड़ रुपए जारी किए थे जबकि खबरों की माने तो इस काम में सिर्फ़ इस रकम का 30 फीसद खर्चा आया था। इन मामलों के अलावा पूरी जाँच में ये भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर किस तरह पूर्व पीडीपी मंत्री फारूक अंद्राबी का 12 वीं पास भाई और महबूबा मुफ्ती के अंकल सीधे मैनेजर बन गए।

परवेज के कार्यकाल में बैंक नियमों को दरकिनार करके सैंकड़ों रुपए बाँटे गए। डिफॉल्ट करने वालों को भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी गई। सेटलमेंट के नाम पर खूब रिश्वत ली गई। श्रीनगर के रॉयल स्प्रिंग्स गोल्फ़ क्लब के सौंदर्यीकरण पर बैंक पर सीएसआर से 8 करोड़ खर्ज करने की अनुमति दी, जबकि इसका आम जनता से कोई सरोकार नहीं था।

कठुआ रेप केस में आया फैसला- 6 में से 3 को उम्रकैद, बाकी को 5-5 साल की सजा

बहुचर्चित कठुआ बलात्कार केस में पठानकोट की अदालत ने फैसला सुनाया है। अदालत ने 7 में से 6 अभियुक्तों को दोषी पाया है। मुख्य आरोपित सांझी राम को भी अदालत ने दोषी पाया है। आठ वर्षीय बालिका के रेप मामले में कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त के बेटे विशाल जंगोत्रा को सबूत न होने के कारण बरी कर दिया है। विशाल सीसीटीवी में नजर नहीं आया था। कुल 6 में से 3 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली है। बाकी 3 को 5-5 साल की कैद और जुर्माना भरना पड़ेगा।

पठानकोट अदालत ने जिन्हें दोषी पाया उनके नाम हैं- सांझी राम, परवेश कुमार, दीपक खजुरिया, सुरेंदर वर्मा, आनंद दत्ता और तिलक राज। वहीं किशोर आरोपित विशाल के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट सुनवाई करेगा।

इन दोषियों को रणबीर पेनल कोड (आरपीसी) की 120बी (आपराधिक साजिश) 302 (हत्या), 376डी (सामूहिक दुष्कर्म) के तहत सजा दी गई है। इनमें से 2 अभियुक्तों आनंद दत्ता और तिलक राज को सबूत मिटाने के आरोप में रणबीर पेनल कोड की धारा 328 के तहत अदालत ने सजा सुनाई है।

गौरतलब है पिछले साल 10 जनवरी को बच्ची को अगवा कर दोषियों ने उसे कई दिनों तक मंदिर में बंधक बनाकर रखा था। जिस समय बच्ची का अपहरण किया गया उस समय वह घोड़ा चरा रही थी। दरिंदों ने बंधक बनाकर उसके साथ कई दिनों तक रेप किया और बाद में उसकी हत्या की। बच्ची का शव 17 जनवरी को क्षत-विक्षत हालत में जंगल से बरामद हुआ था।