Thursday, October 3, 2024
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सौतेली बेटी से किया निकाह, विरोध करने पर अपनी दूसरी पत्नी को दिया तुरंत तलाक

ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन। इस सुन्दर ग़ज़ल में शायद सही कहा गया है कि प्यार करने की कोई उम्र और सीमा नहीं होती है। शुक्रवार (मार्च 08, 2019) को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश के एक अधेड़ सौतेले पिता तस्लीम अहमद द्वारा तलाकशुदा सौतेली बेटी (तबस्सुम) से शादी करने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। जसपुर पुलिस से इस बारे में शिकायत करने वाली महिला ठाकुरद्वारा की निवासी आरोपित की पत्नी है।

जसपुर (उत्तराखंड, जिला उधम सिंह नगर) के एक गाँव निवासी तस्लीम अहमद ने अपनी पत्नी की मौत होने के बाद क्षेत्र के एक गाँव की विधवा महिला से निकाह किया था। महिला के साथ उसकी एक बालिग बेटी (तबस्सुम) भी साथ आई थी। कुछ समय बाद महिला ने अपनी बेटी की शादी मुरादाबाद के पाकबड़ा में कर दी। लेकिन पति से कहा सुनी होने पर उसे (तबस्सुम को) उसके पति ने तलाक दे दिया।

तब से वह अपनी माँ के साथ मायके में रह रही थी। युवती की माँ का आरोप है कि इस बीच 22 वर्षीय युवती को उसके 45 वर्षीय सौतेले पिता ने अपने प्रेम जाल में फाँस लिया। तस्लीम ने कुछ दिन पहले सौतेली बेटी को अन्य स्थान पर ले जाकर उलेमा को गुमराह कर युवती से निकाह कर लिया। जिसकी जानकारी युवती (तबस्सुम) की माँ को लगी तो उसने हंगामा शुरू कर दिया। जिस पर उसके पति ने महिला को तलाक दे दिया और पत्नी की जगह अपनी सौतेली बेटी को ही साथ रखने की बात कही।

इस पर सौतेली बेटी की माँ ने जसपुर कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर आरोपित पति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की माँग की। लेकिन पुलिस ने दोनों पक्षों को यह कहकर शांत कर घर भेज दिया कि मामला आपस में मिलकर सुलझा लें।

उधर जसपुर की चाँद मस्जिद के इमाम शाकिर हुसैन का कहना है कि सौतेली बेटी से निकाह करना शरियत के हिसाब से हराम है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए। यह घटना क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बनी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक झटके में राम मंदिर मुद्दे को 30 साल पीछे ढकेल दिया

अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का पिछले दिनों एक बड़ा फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या मसले का समाधान मध्यस्थता से निकाला जाए। मध्यस्थता के लिए पूर्व जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में एक पैनल बनाया जाएगा। इस पैनल में श्री श्री रविशंकर, वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू होंगे। मध्यस्थता की प्रक्रिया फैज़ाबाद में होगी और यह पूरी तरह से गोपनीय होगी।

इस फैसले के क्या परिणाम होंगे? कुछ कहा नहीं जा सकता। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हालाँकि, अयोध्या मामले के इतिहास पर नज़र डाले तो सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला घड़ी को उल्टी दिशा में घुमाकर 30 साल पीछे ले जाता दिखता है। क्योंकि, इससे पहले ऐसी ही कोशिश 1990 में की गई थी। अंतर बस इतना है कि उस समय यह पहल केंद्र सरकार ने की थी और इस बार इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।

सबसे पहले इस तरह की मध्यस्थता और बातचीत के पहल की शुरुआत 1986 में हुई थी। उस समय के काँची के शंकराचार्य और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रेसिडेंट मौलाना अबुल हसन नदवी ने नेगोशिएशन की शुरुआत की थी। पर मामला बन नहीं पाया।

इसके बाद एक बार फिर, 1990 में तब के प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने कोर्ट के बाहर कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर इस मामले को सुलझाने का प्रयास किया था। इससे पहले कि वो कुछ कर पाते, उनकी सरकार गिर गई और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने।

1991 में चंद्रशेखर ने भी, चंद्रास्वामी को मध्यस्थ बनाकर ऐसा ही प्रयास किया। उस समय चंद्रास्वामी ने दोनों पक्षों के साथ कई मीटिंग की, पर नतीजा शून्य रहा। उसके बाद गृह राज्य मंत्री सुबोध कान्त सहाय ने तीन मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव, शरद पवार, भैरों सिंह शेखावत के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। लेकिन यह समिति इससे पहले कि अपना कोई प्रभाव छोड़ पाती उससे पहले ही संसद भंग हो गई।

कालांतर में, 1992 में पी वी नरसिम्हा राव ने फिर बात आगे बढाई। चंद्रास्वामी को फिर से कमान सौपी गई। इससे पहले कि बातचीत पटरी पर आती। विश्व हिन्दू परिषद् ने कार सेवा की अपील कर दी, जिसकी परिणति बाबरी विध्वंश के रूप में हुई। इसके बाद तो लम्बे समय तक दोनों पक्ष अपने-अपने दावों पर डटे रहें।

लम्बे अंतराल के बाद, एक बार फिर 2000-02 के बीच अटल बिहारी बाजपेयी ने पीएमओ में अलग से अयोध्या सेल बनाकर बात आगे बढ़ाई। विश्व हिन्दू परिषद् और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बीच कई दौर की बातचीत चली। इस बातचीत को आगे बढ़ने में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कुणाल किशोर की बड़ी भूमिका थी। लेकिन यह प्रयास भी विफल रहा।  

इसके बाद आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को फिर से बातचीत के लिए 2002-2003 में अप्रोच किया काँची कामकोटी पीठ के नए शंकराचार्य ने। काँची के शंकराचार्य अपने प्रस्ताव के साथ लखनऊ में दारुल उलूम के साथ कई दौर की बातचीत की पहल की। प्रस्ताव के कई पॉइंट्स AIMPLB ने ख़ारिज कर दिए, फलस्वरूप वार्ता एक बार फिर बेपटरी हो गई।

इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार अयोध्या के मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। हालाँकि इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज पुलक बसु ने 2010 में एक सिग्नेचर अभियान चलाया और अंततः इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि मध्यस्थता अयोध्या के स्थानीय लोगों पर छोड़ देनी चाहिए।

तो कुल मिलाकर, जब भी अयोध्या के मुद्दे को वार्ता या मध्यस्थता से सुलझाने की कोशिश की गई नतीजा कोई खास उत्साहवर्धक नहीं रहा। खैर, इस बार मध्यस्थता की कमान ख़ुद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में संभाली गई है। अब देखना यह है कि इस मध्यस्थता के क्या परिणाम सामने आते हैं?

राहुल गाँधी ने मुझे मेरी जगह दिखा दी है: सिद्धू

पिछले काफी दिनों से अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर से चर्चाओं में आ गए हैं, लेकिन इस बार चर्चा में आने की वजह अलग है।

दरअसल कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने गुरुवार को पंजाब के मोगा में एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान पंजाब के कई प्रमुख नेता उपस्थित थे। जहाँ पर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को अपने ही राज्य में आयोजित कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की रैली में मंच पर आसीन होने के बावजूद भी बोलने का मौका नहीं दिया गया।

जिसके बाद सिद्धू काफी नाराज दिखे। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि- “यदि मैं राहुल की रैली में बोलने के लिए ठीक नहीं हूँ, तो मैं एक वक्ता और प्रचारक के रूप में भी ठीक नहीं हूँ। आगे मुझे बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता है या नहीं, लेकिन इस रैली ने मुझे मेरी जगह दिखा दी है और साथ ही यह भी साफ हो गया है कि कौन से लोग आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रचार करेंगे।”

सिद्धू इतने पर ही नहीं रूके, उन्होंने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा कि- “साल 2004 में भी बादल की रैली में मुझे बोलने से रोका गया था। उसके बाद यह पहली बार है कि जब मुझे स्पीच नहीं देने दी गई।” सिद्धू ने कहा कि वह बालाकोट हवाई हमले पर पीएम मोदी पर निशाना साधने की तैयारी करके आए थे।

आपको बता दें कि सिद्धू पिछले कुछ समय से पार्टी लाइन के विपरीत चल रहे हैं, जो कि पार्टी को रास नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मना करने के बावजूद उनका पाकिस्तान जाने का फैसला, पुलवामा हमले के बाद उनका यह कहना कि आतंकवाद का कोई देश, जाति और धर्म नहीं होता और फिर बालाकोट में वायु सेना द्वारा की गई कार्रवाई में मारे गए आतंकवादियों की संख्या पर सवाल उठाना आदि ऐसी घटनाएँ हैं, जिनके कारण पार्टी में ही उनका काफी विरोध हुआ है।

Modi is our daddy, he is our daddy, India’s daddy: तमिल नाडु मंत्री राजेंद्र बालाजी

“मोदी इज आवर डैडी” ऐसा किसी और का नहीं बल्कि अम्मा की राजनीति के गढ़ से कहा गया है और यह कहा है, तमिलनाडु सरकार में मंत्री के टी राजेंद्र बालाजी ने। बालाजी ने कहा कि अम्मा की बात और थी, उनका अपना निर्णय था, लेकिन आज जब अम्मा नहीं हैं तो “मोदी इज आवर डैडी, ही इज आवर डैडी, इंडिआज डैडी।”

एक तरह से यह बात कह कर बालाजी ने तमिलनाडु की जनता को यह एहसास कराने की कोशिश की कि बेशक आज अम्मा नहीं हैं, पर तमिलनाडु अनाथ नहीं है। दक्षिण भारत से किसी मंत्री के द्वारा ऐसे विचार रखना बताता है कि पीयूष गोयल द्वारा किए गए भाजपा-AIADMK गठबंधन सकारात्मक परिणाम ला सकता है।

ऑपइंडिया को दिए गए साक्षात्कार में जब हमने पीयूष गोयल से पूछा था कि तमिलनाडु के लिए क्या योजनाएँ हैं, तो उन्होंने कहा था, “भाजपा विभिन्न दलों के साथ बातचीत कर रही है। दलों ने कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन किया है, उनका पूरी तरह से सफ़ाया हो गया है। अभिनेता रजनीकांत एक “अच्छे दोस्त” हैं और हम उनसे भी मिलने की कोशिश करेंगे।”

छत्तीसगढ़: ‘कॉन्ग्रेस नेता पुत्र’ बिना परीक्षा दिए बना डिप्टी कलेक्टर

छत्तीसगढ़ सरकार ने पूर्व कॉन्ग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के बेटे आशीष कर्मा को डिप्टी कलेक्टर नियुक्त किया है। यह एक प्रशासनिक पद है। आम तौर पर इस पद के लिए अभ्यर्थियों को छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग (CGPSC) की परीक्षा को पास करना होता है, जिसके लिए निश्चित रूप से बहुत सारे अभ्यर्थी दिन-रात मेहनत करते हैं। लेकिन कॉन्ग्रेस ने परिवारवाद की राजनीति में एक बार फिर साबित कर दिया है कि कॉन्ग्रेस है तो मुमकिन है।

2 मार्च को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (INC) के निवास पर हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में पूर्व कॉन्ग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के बेटे आशीष कर्मा को अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्णय कर सीधा डिप्टी कलेक्टर पद दे दिया गया। बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर रहे कर्मा की 2013 में झीरमघाटी में नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इस हमले में कॉन्ग्रेस नेता के साथ CRPF और राज्य पुलिस को मिलकर कुल 28 अन्य लोगों की भी मृत्यु हुई थी। आशीष कर्मा की पढ़ाई पूरी नहीं होने के कारण अनुकंपा नियुक्ति का मामला पेडिंग था, उन्होंने मात्र स्नातक की डिग्री प्राप्त की है।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान कॉन्ग्रेस सरकार का ये पक्षपातपूर्ण निर्णय ऐसे समय में आया है जब कॉन्ग्रेस पार्टी लगातार मोदी सरकार को घेरने के लिए बलिदानी सैनिकों का सहारा लेकर लगातार राजनीति कर रही है। सोशल मीडिया पर अभ्यर्थी निरंतर रूप से सरकार से इस बात का जवाब माँग रहे हैं कि आखिर यह सामंतवादी और पक्षपातपूर्ण विचारधारा अन्य अभ्यर्थियों पर क्यों थोपी जा रही है? ट्विटर पर हैकिंग के माध्यम से पाकिस्तान सरकार की नाक में दम करने वाले अंशुल सक्सेना से लेकर सभी लोगों ने इस पर आवाज उठाने का प्रयास किया है।

कॉन्ग्रेस सरकार के इस पक्षपात से आहत कुछ अभ्यर्थियों ने ट्विटर के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा है कि सरकार अन्य अभ्यर्थियों के मनोबल को गिरा रही है और उनके प्रयासों का मजाक बनाकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि इस घटना को 6 दिन से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी तक किसी भी मीडिया द्वारा इस खबर को नहीं उठाया गया है। कुछ ट्विटर यूज़र्स का कहना है कि कॉन्ग्रेस द्वारा संचालित यह गोदी मीडिया छत्तीसगढ़ सरकार के इस निंदनीय कृत्य पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है।

जैश का प्रवक्ता है पाकिस्तान, दो मिग गिराए तो सबूत दो: भारत

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शनिवार को नई दिल्ली में पाकिस्तान के झूठ को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। रवीश कुमार ने कहा कि अगर पाकिस्तान ‘नया पाकिस्तान’ होने का दावा करता है तो उसे आतंकी संगठनों के खिलाफ ‘नया एक्शन’ भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लगातार झूठ फैलाने का काम कर रहा है, जबकि उसे भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बात मानकर आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

रवीश कुमार ने कहा कि भारत के खिलाफ एफ-16 विमान का इस्तेमाल करके पाकिस्तान बेनकाब हो गया है, “पाकिस्तान का दावा है कि उसने भारत के दूसरे विमान को मार गिराया है और उसके पास इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग है, तो उसने इसे अभी तक अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ साझा क्यों नहीं किया है? भारत ने एफ-16 गिराने के सबूत दिए हैं तो वह क्यों नहीं दे रहा है? वह आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रवक्ता की तरह काम कर रहा है। पाकिस्तान को आतंकवादियों पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमने अमेरिका से कहा है कि वह इस बात की जाँच करे कि एफ-16 का भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना बिक्री के नियमों और शर्तों के अनुसार है या नहीं। यदि पाकिस्तान दावा करता है कि वह नई सोच वाला नया पाकिस्तान है तो उसे आतंकी समूहों और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ नया ऐक्शन दिखाना चाहिए। यह खेदजनक है कि पाकिस्तान अभी भी जैश-ए-मोहम्मद के पुलवामा हमले के पीछे होने के दावे से इनकार कर रहा है।”

रामजन्मभूमि मसले को मध्यस्थता के लिए भेजना आश्चर्यजनक: RSS

गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि मामले पर सुनवाई करते हुए मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। न्यायालय के इस निर्णय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। संघ ने अयोध्या मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने के निर्णय को ‘आश्चर्यजनक’ बताया है।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक की रिपोर्ट में यह कहा गया कि अयोध्या मामले में न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी लाने के विपरीत उच्चतम न्यायालय ने एक आश्चर्यजनक फैसला लिया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि न्यायालय का हिन्दू धर्म के संवेदनशील विषयों को प्राथमिकता न देना समझ के बाहर है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हिन्दू समाज की निरंतर उपेक्षा की जा रही है। न्यायिक प्रक्रिया में पूर्ण विश्वास जताते हुए संघ ने आशा जताई कि मसले का हल जल्दी ही निकाला जाएगा और सारे अवरोधों को दूर कर राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।

ग्वालियर में चल रही इस बैठक में हिन्दू हित के कई आयामों पर चर्चा होगी। सबरीमला पर केरल सरकार के निर्णय की निंदा करने वाला प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा। संघ के 14000 स्वयंसेवक इस बैठक में भाग लेंगे। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी भाग लेंगे।  

सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि सबरीमला मंदिर मुद्दा पीढ़ियों पुरानी परम्पराओं का हिस्सा है और केरल सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने की आड़ में हिन्दू श्रद्धालुओं पर अत्याचार कर रही है।  

52 फीसदी लोग चुनावों में AAP को वोट देंगे: केजरीवाल का आतंरिक सर्वे

बीते कुछ समय से अरविंद केजरीवाल कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए बेहद बेताब दिखाई दे रहे थे। जिसके चलते दोनों पार्टियों के बीच कई बैठकें भी हुईं, लेकिन कॉन्ग्रेस गठबंधन के लिए नहीं मानी। अब ऐसे में केजरीवाल ने अपनी स्थिति को परखने के लिए चुनाव से पहले दिल्ली में एक आंतरिक सर्वेक्षण कराया। जिसके नतीजे जानने के बाद उन्होंने दिल्ली में अकेले लड़ने का फैसला किया है।

इस सर्वे का उद्देश्य यह जानना था कि दिल्ली की जनता उनकी पार्टी को लेकर किस तरह के विचार रखती है। इस आंतरिक सर्वेक्षण में सामने आया कि दिल्ली के 52 फीसदी लोग आगामी आम चुनावों में आप को वोट करेंगे। नतीजों को अपने पक्ष में देखते हुए केजरीवाल ने खुद अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है।

नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट अनुसार आम आदमी द्वारा यह आंतरिक सर्वे 5 और 6 मार्च को कराया गया था। इस सर्वेक्षण में 18,000 लोगों से उनकी राय ली गई। जिनमें से 52 फीसदी लोगों ने आप को वोट देने की बात कही, 36 ने भाजपा को और 7 फीसदी कॉन्ग्रेस का समर्थन करते हुए नज़र आए।

नतीजे देखने के बाद आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को लगता है कि यदि उनकी पार्टी पहले कॉन्ग्रेस से गठबंधन कर लेती तो अपने हिस्से की सीटों को हार जाती और इसका फायदा भाजपा को मिलता, ऐसे में अच्छा हुआ कि गठबंधन नहीं हुआ।

इस आंतरिक सर्वे में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर भी राय ली गई। जिसके नतीजे बताते हैं कि 56 फीसदी लोग दिल्ली तो पूर्ण राज्य देने के समर्थन में है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी यकीन मान के चल रही है कि दिल्ली के मुस्लिम वोटर भी भाजपा को हराने के लिए उन्हें एक साथ आकर वोट कर सकते हैं।

बता दें कि सर्वेक्षण से पहले खबरें आ चुकी है कि आप के 9 विधायक कॉन्ग्रेस से जुड़ने की योजना बना रहे हैं। जिसकी जानकारी खुद कॉन्ग्रेस द्वारा दी गई है। ऐसे में पार्टी और उसके प्रमुख केजरीवाल के लिए जरूरी है कि आंतरिक सर्वे पर ज्यादा खुश होते हुए समय बर्बाद न करें और पार्टी के आंतरिक ढाँचे को मज़बूत बनाए।

आम चुनाव से पहले कोलकाता में 1000 किलो विस्फोटक के साथ 2 गिरफ्तार

कोलकाता के चितपुर इलाके में एसटीएफ ने भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ बरामद किए हैं। कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज शनिवार (मार्च 09, 2019) को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि चितपुर थाना अंतर्गत, टाला ब्रिज के उत्तरी छोर के निकट बीटी रोड से गुजर रहे एक टाटा-407 मेटाडोर (OD-01 B-5089) माल वाहन को रोका गया और उसमें रखे 27 बैग जब्त किए, जिनमें करीब 1,000 kg पोटेशियम नाइट्रेट था।

IPS अधिकारी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने एक गुप्त सूचना के आधार पर शनिवार सुबह ही कार्रवाई की। इस दौरान स्पेशल टास्क फोर्स ने 1,000 kg पोटैशियम नाइट्रेट के साथ 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ ने वाहन चालक और उसके सहायक को गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों आरोपित इंद्रजीत भुई और पद्मलोचन डे, ओडिशा से विस्फोटक पदार्थ लेकर नॉर्थ 24 परगना में जा रहे थे। फिलहाल दोनों से पूछताछ की जा रही है।

एसटीएफ ने बताया कि अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि आखिर इतनी भारी मात्रा में पोटैशियम नाइट्रेट क्यों ले जाया जा रहा था। लेकिन आम चुनाव से ठीक पहले विस्फोटक पदार्थ की इतनी बड़ी खेप का मिलना गंभीर मसला है। एसटीएफ जाँच कर रही है कि कहीं इनका इस्तेमाल चुनाव के दौरान तो नहीं किया जाना था?

पोटैशियम नाइट्रेट विस्फोटक बारूद के 3 घटकों में से एक है। इसका उपयोग मुख्य रुप से उर्वरक, रॉकेट के नोदक (प्रोपेलेंट) और पटाखों में होता है।

सुरक्षाबलों के हाथ-पैर बाँध कर कहा गया आतंक का मुकाबला करिए – PM मोदी

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने ग्रेटर नोएडा पहुँचे। यहाँ उन्होंने पंडित दीन दयाल उपध्याय इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी का शिलान्यास किया और नोएडा सिटी सेंटर से नोएडा इलेक्‍ट्रॉनिक सिटी के खंड समेत विभिन्न विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया।

नोएडा में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा एक वो भी दिन थे जब नोएडा, ग्रेटर नोएडा की पहचान जमीन घोटालों, लूट घसोट से थी। आज नोएडा और ग्रेटर नोएडा की पहचान विकास की परियोजनाओं से होती है।

पीएम मोदी ने 2014 से पहले और अब के सुरक्षा हालातों में आए फर्क पर बात करते हुए कहा कि 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने आतंकी हमला किया था। सारे सबूत पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं की तरफ जा रहे थे। लेकिन भारत ने क्या किया, पाकिस्तान को कैसे जवाब दिया?

“खबरें तो ये भी हैं कि उस समय भी हमारी वायुसेना ने कहा था कि हमें खुली छूट दीजिए। लेकिन हमारे सुरक्षाबलों को छूट नहीं दी गई। उनके हाथ-पैर बाँध कर कहा गया कि आतंक का मुकाबला करिए। क्या ऐसे देश की सुरक्षा होती है, क्या देश के दुश्मन के साथ ऐसी नरमी दिखनी चाहिए।”

दिग्विजय सिंह, ममता बनर्जी जैसे आदि नेता जो एयरस्ट्राइक पर सवाल उठा रहे हैं उनके लिए पीएम मोदी ने कहा कि वे सवाल भारत के वीरों पर उठा रहे हैं और उनके बयान पर पाकिस्तान में तालियाँ बज रही है। ऐसे लोगों को सही रास्ते पर लाने का काम जनता को करना होगा।

उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद आतंक के आकाओं को समझ में आ गया है कि ये पुराना भारत नहीं है। देश के वीर जवान उन्हें जवाब दे रहे हैं, लेकिन इस देश के नागरिक के तौर पर सतर्क रहकर हमें भी अपना दायित्व निभाना है।