जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में सीमा सुरक्षा बल और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ की ख़बर सामने आई है। ख़बरों के अनुसार, इस मुठभेड़ में जवानों ने तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया है। इनमें से एक का शव बरामद कर लिया गया है।
वहीं दु:खद समाचार यह भी है कि इस मुठभेड़ में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के DSP अमन ठाकुर आतंकवादियों की गोली का निशाना बन गए और उनके बॉडीगार्ड को भी गंभीर चोटें लगी हैं। साथ ही एक मेजर और जवान भी गंभीर रूप घायल हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद सुरक्षा बलों ने घाटी में चौकसी की नज़र और पैनी कर दी थी। आतंकवादियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन का तेज़ी के साथ विस्तार कर दिया था। इसी के चलते पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा बलों को बड़ी क़ामयाबी मिली थी जिसके तहत उन्होंने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी गाजी राशिद उर्फ़ कामरान को मार गिराया था। कामरान के बारे में कहा जाता है कि वो पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड था।
इसके अलावा सुरक्षा बलों ने जैश के ही एक अन्य आतंकी हिलाल को भी मौत के घाट उतारा था। हालाँकि उस मुठभेड़ में देश को सेना के चार जवानों के बलिदान की क्षति सहनी पड़ी था। बीते शुक्रवार (फ़रवरी 22, 2019) को भी सुरक्षा बलों ने सोपोर में जैश के दो आतंकियों को न सिर्फ़ मार गिराया था बल्कि उनके पास से भारी मात्रा में असला भी बरामद किया था।
ख़बरों के मुताबिक़, कश्मीर घाटी में लगभग 60 आतंकी सक्रिय रूप से मौजूद हैं जो देश को किसी न किसी तरह की भारी क्षति पहुँचाने की ताक में रहते हैं। ऐसे ही आतंकियों के ख़ात्मे के लिए सुरक्षा बलों ने ‘ऑपरेशन-60’ चला रखा है। इसी प्रकार के एक अन्य ‘ऑपरेशन-25’ में सुरक्षा बलों ने आतंकी गाजी राशिद को ढेर किया था।
इतिहास रचने की कोई उम्र नहीं होती, अगर मेहनत हो और कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो तो वो कभी रचा जा सकता है। ऐसा ही कारनामा 16 वर्षीय सौरभ चौधरी ने कर दिखाया। सौरभ ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज़ी खेल महासंघ (ISSF) विश्वकप में न सिर्फ़ विश्व रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि गोल्ड मेडल अपने नाम करके देश के लिए टोक्यो ओलंपिक का तीसरा कोटा भी सुनिश्चित किया।
बता दें कि सौरभ ने ISSF सत्र की शुरुआती प्रतियोगिता की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में शीर्ष स्थान प्राप्त करते हुए 245 अंक हासिल किए। दूसरे स्थान पर सर्बिया के दामी मिकेच रहे जिन्होंने 239.3 प्राप्त किए। और अगर बात करें कांस्य पदक की तो वो 215.2 अंकों के साथ चीन के वेई पांग के हिस्से गया।
सौरभ ने अपनी पारी में आठ पुरुषों के फाइनल में अपनी पकड़ मज़बूत रखी और रजत पदकधारी से 5.7 अंक की बढ़त बनाए रखी। इस प्रकार सौरभ अंतिम शॉट से पहले ही गोल्ड मेडल अपने नाम करने में क़ामयाब रहे।
सर्बियाई निशानेबाज़ के साथ बराबरी पर रहे सौरभ ने काफी अच्छी शुरुआत की थी। दूसरी सीरीज़ में सौरभ ने अपनी क्षमता को बरक़रार रखा और इस तरह वो पहला स्थान प्राप्त करने में वो आगे रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ (नेशनल वॉर मेमोरियल) का ज़िक्र करते हुए कई बातें कहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 फरवरी को एक समारोह में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ राष्ट्र को समर्पित करेंगे। वह इस अवसर पर पूर्व सैनिकों को भी संबोधित करेंगे।
हम सबको जिस वॉर मेमोरियल का इन्तजार था, वह अब ख़त्म होने जा रहा है। इसके बारे में देशवासियों की जिज्ञासा, उत्सुकता बहुत स्वाभाविक है। एक ऐसा मेमोरियल, जहाँ राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर जवानों की शौर्य-गाथाओं को संजो कर रखा जा सके।
प्रधानमंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल PMO India से वॉर मेमोरियल फोटो जारी कर जानकारी देते हुए लिखा है, “नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास नेशनल वॉर मेमोरियल हमारे जवानों के लिए एक उचित श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश की आजादी के बाद देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।”
नेशनल वॉर मेमोरियल के जरिए उन सैनिकों को भी याद किया जाएगा जिन्होंने शान्ति स्थापना मिशन और ‘काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस’ में बलिदान दिया था।
अमर चक्र की लौ, शहीद सैनिक की अमरता का प्रतीक है। दूसरा सर्कल वीरता चक्र का है, जो सैनिकों के साहस और बहादुरी को प्रदर्शित करता है। इसके बाद, त्याग चक्र है। यह सर्कल सैनिकों के बलिदान को प्रदर्शित करता है। इसके बाद रक्षक चक्र, यह सुरक्षा को प्रदर्शित करता है। इस सर्कल में घने पेड़ों की पंक्ति है। ये पेड़ सैनिकों के प्रतीक हैं और देश के नागरिकों को यह विश्वास दिलाते हुए सन्देश दे रहे हैं कि हर पहर सैनिक सीमा पर तैनात है और देशवासी सुरक्षित है।
मन की बात के 53 वें एपिसोड में आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमने नेशनल वॉर मेमोरियल के निर्माण का निर्णय लिया और मुझे खुशी है कि यह स्मारक इतने कम समय में बनकर तैयार हो चुका है। 25 फरवरी को हम करोड़ों देशवासी इस राष्ट्रीय सैनिक स्मारक को, हमारी सेना को सुपुर्द करेंगे। देश अपना कर्ज चुकाने का एक छोटा सा प्रयास करेगा।”
प्रधानमंत्री ने PMO ट्विटर एकाउंट से लिखा है, “इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के पास ही ये नया स्मारक बनाया गया है। मुझे विश्वास है, ये देशवासियों के लिए राष्ट्रीय सैनिक स्मारक जाना किसी तीर्थ स्थल जाने के समान होगा। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है।”
यूँ तो रॉबर्ट वाड्रा नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है, क्योंकि वो भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके हैं। बावजूद इसके हम आपको बताना चाहेंगे कि वो कॉन्ग्रेसी परिवारवाद की राजनीति एक ऐसा अहम हिस्सा हैं जिन्हें आए दिन अख़बारों और टेलीविज़नों की सुर्ख़ियों में जगह मिलती रहती है।
इस बार उनका दर्द फेसबुक पर छलक गया जिसमें उन्होंने सफाई दी कि देश के असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार उनके नाम का इस्तेमाल करती है। अवैध सम्पत्ति मामले में ED द्वारा हो रही पूछताछ को उन्होंने शोषण बताया और कहा कि पिछले लगभग 10 वर्षों से विभिन्न सरकारें उन्हें न सिर्फ़ बदनाम कर कर रही हैं बल्कि उनके नाम को उछालकर देश के असल मुद्दों से ध्यान भी भटकाया जा रहा है।
अपने आपको निर्दोष तय कर चुके वाड्रा ने कहा कि लोग उनके पास आते हैं और उन्हें शुभकामनाओं के अलावा बेहतर भविष्य का आशीर्वाद देकर जाते हैं। बता दें कि वाड्रा अपने गुणगान में इतना मशगूल हो गए कि उन्होंने अपनी तमाम अच्छाईयों को प्रूव करने के लिए 40 तस्वीरों को अपने फेसबुक अकाउंट से शेयर किया। यह प्रश्न अपने आप में काफी है कि भला ऐसी भी क्या आवश्कता आन पड़ी थी कि वाड्रा को अपनी बेगुनाही प्रमाणित करने के लिए तस्वीरों का सहारा लेना पड़ा।
फेसबुक पर शेयर की गई इन तमाम तस्वीरों के ज़रिए वाड्रा ने ख़ुद को एक मसीहा के अवतार में दिखाने का भरसक प्रयास किया। ग़रीब और अक्षम लोगों के साथ फोटो खिंचवा कर उनका इस्तेमाल ख़ुद अपने लिए किया। शायद ही उन मासूमों को यह पता हो कि आपने उनके साथ खींची गई फोटो का इस्तेमाल यहाँ फेसबुक पर किया है और अब उन्हीं तस्वीरों को ज़रिया बनाकर आप उनके भोलेपन का मजाक उड़ा रहे हैं। राजनीतिक समीकरणों को समझने में असमर्थ मासूमों के साथ आपका यह व्यवहार निहायत ही निंदनीय है।
इस तरह की तस्वीरें खिंचवा कर तो कोई भी अपने फेसबुक की टाइमलाइन पर अपलोड कर सकता है। ऐसा करके तो कोई भी कभी भी आदर्शवादी व सज्जनता का पुरुस्कार बड़ी आसानी से हासिल कर सकता है। वाड्रा के द्वारा इस तरह फोटो शेयर करना बहुत ही निम्न स्तर की बचकानी हरक़त है जिसका उन्होंने अपने बचाव के रूप में इस्तेमाल किया। बता दें कि रॉबर्ट वाड्रा पर धोखाधड़ी और अवैध सम्पति के आरोप लगे हैं जिसकी पूछताछ अभी भी जारी है और कुछ में तो वो दोषी भी पाए गए हैं।
फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट में वाड्रा ने अपने ख़िलाफ़ चल रही पूछताछ का ज़िक्र किया जिसमें वो ख़ुद को बेचारा साबित करने से नहीं चूके। उन्होंने लिखा कि दिल्ली और राजस्थान प्रवर्तन निदेशालय जाने और फिर 8 घंटे की पूछताछ की जाती है। इस बात से क्या वो पूछताछ को किसी तरह की प्रताड़ना से जोड़ना चाहते हैं? दरअसल, यहाँ वो ख़ुद असली मुद्दे को गोलमोल कर गए और आगे बढ़ गए।
इसके आगे की बात पर हम केवल सलाह दे सकते हैं कि उन्हें यहाँ बताना चाहिए था कि कैसे वो ED की पूछताछ में अपना सहयोग नहीं दिखाते हैं। कभी वो अपना चश्मा भूल जाते हैं जिसकी वजह से पूछताछ में देरी हो जाती है। अपनी पोस्ट में उन्हें लिखना चाहिए था कि जो लंदन में उन्होंने घर ख़रीदा था वो दलाली की रक़म से ख़रीदा था या कहीं और से। इतना ही नहीं वाड्रा के चेक से ड्राइवर के नाम पर ज़मीन ख़रीदने वाले सत्य से भी अवगत कराना चाहिए।
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि सरकार नहीं बल्कि वाड्रा ख़ुद ऐसा काम कर रहे हैं जिससे वो एक दयावान के रूप में ख़ुद को सामने रख सकें और इसके लिए वो नेत्रहीन और ग़रीब लोगों की तस्वीरों का इस्तेमाल करके जनता का ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं।
जब भी इस तरह के हमले होते हैं, तो हम सब उद्वेलित हो जाते हैं। उरी हो, पठानकोट हो, मुंबई हो, संसद हमले हों या कई बार हुए सीरियल ब्लास्ट, ऐसे क्षणों में हमारी त्वरित प्रतिक्रिया आतंकियों और उसको पोषित करने वाले पाकिस्तान की बर्बादी ही होती है। हम अपने जवानों के बलिदान पर संवेदनशील भी होते हैं, और अंदर का क्रोध भी बाहर आता है कि सरकार कुछ नहीं कर रही तो हम स्वयं कुछ कर बैठेंगे।
इसमें भी कोई संदेह नहीं कि हम में से कई लोग अपनी जान देने को भी तैयार हैं, और मौका मिले तो दे भी देंगे। लेकिन यह बात सिर्फ आपकी, या मेरी नहीं है। आपके या मेरे मरने से, या जवानों के बलिदान से सिर्फ शारीरिक क्षति तक ही सीमित होती तो युद्ध की बातों पर गौर किया जा सकता था। लेकिन, ऐसा है नहीं। युद्ध का मतलब है देश और समाज तो दस साल पीछे जाएगा ही, साथ ही हजारों लोग सीधे तौर पर इससे प्रभावित होंगे। अभी चालीस घरों में मायूसी है, तब हजार में होगी।
हाँ, ये न समझा जाए कि पाकिस्तान को लेकर मैं शांति की बात करने में यक़ीन रखता हूँ, या उनके लिए मानवतावादी हो गया हूँ। नहीं, बिलकुल नहीं। मानवतावाद की बात आदर्श स्थिति में ही संभव है। वो आदर्श स्थिति है कि पाकिस्तान की धरती से वो आतंकी नहीं आते, वहाँ उन्हें ट्रेनिंग नहीं मिलती हो। ऐसा नहीं है, इसलिए मुझे हजार या लाख पाकिस्तानियों के मरने से थोड़ी भी चिंता नहीं होती।
मुझे सुकून मिलता है जब पाकिस्तानी चैनलों पर यह सुनता हूँ कि वहाँ के व्यापारियों के दुकान बंद हो गए, बॉर्डर पर इतने करोड़ का सामान पड़ा है। मुझे अच्छा लगता है जब वहाँ की मीडिया ऐसे मौक़ों पर अपने ‘एटमी ताक़त’ होने की बात करते हुए भारत को धमकाती है, क्योंकि उससे उनका डर झलकता है। मैं भारत के नेताओं को पानी बंद करने की बात करते हुए बढ़िया महसूस करता हूँ। मुझे पाकिस्तानियों से कभी विशेष प्रेम नहीं रहा, फिर भी मुझे युद्ध सुनकर ही समस्या हो जाती है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज के दौर में, जब भारत लगातार एक स्थिर गति से आर्थिक प्रगति कर रहा है, विकास के काम हो रहे हैं, तमाम सूचकांकों पर धीमी ही सही, पर बढ़त बन रही है, उस समय युद्ध आर्थिक रूप से एक बुरा चुनाव है। युद्ध हमेशा अंतिम विकल्प होना चाहिए। युद्ध तब तक टाला जाना चाहिए जब तक हमारे अस्तित्व पर ही संकट न आ जाए।
ऐसा करना इसलिए बेहतर है क्योंकि हम अमेरिका नहीं हैं जो अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए युद्ध छेड़ता है, लेकिन अपनी धरती पर कभी नहीं। इससे ज़्यादा से ज़्यादा सैनिकों और परिवारों को शारीरिक क्षति ही पहुँचती है, उनके देश को फ़र्क़ नहीं पड़ता। उनके शहरों पर बमबारी नहीं होती। ये उनके लिए मिनिमम डैमेज और मेक्सिमम फायदा वाली स्थिति है। इसलिए वो इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, लीबिया और दुनिया जहान जाते रहते हैं।
हमारी स्थिति वैसी नहीं है। एक तो हमारी जनसंख्या इतनी है कि आँख मूँदकर भी बम फेंक दिया जाए, तो लाख-दो लाख निपट जाएँगे। इस नुकसान की भरपाई असंभव होती है। पारम्परिक युद्धों में दुश्मन सबसे बड़े शहरों पर हमला करता है। मुंबई पाकिस्तान से बहुत दूर नहीं है। हम भले ही पूरा पाकिस्तान बर्बाद कर दें, लेकिन पाकिस्तान के बराबर की आबादी यहाँ से भी बर्बाद होगी। इसका मूल्य बहुत ज़्यादा है।
मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ जो ऐसी जगहों पर हैं। मैं ऐसे नामों को दिन में पाँच बार सलाम किया करता था जब मैं अपने स्कूल के ‘अमर जवानों’ के स्मारक के पास से गुज़रता था। वो सारे लोग मेरे स्कूल के सीनियर थे, जिन्होंने अलग-अलग ऑपरेशन या युद्ध में अपना बलिदान दिया था। क्या आपको लगता है वहाँ एक और नाम जुड़ जाए, जो कि किसी वैसे व्यक्ति का हो जिसे मैं जानता हूँ, जो मेरा दोस्त रहा हो, वो मैं चाहूँगा?
युद्ध में हमारे और आपकी ही तरह के लोग जाते हैं, जो गोली खाते हैं क्योंकि और कोई उपाय नहीं है। गोली से उतना ही ख़तरा उन्हें भी है, जितना हमें है। उनके परिवार वाले हर शाम उनके फोन का इंतजार करते हैं। उन्हें बस यह सुनना होता है कि बोलने वाला उनका बेटा, पति या पुत्र है। अपनी बेटी, पत्नी या बहन के युद्ध के दौरान वीरगति पाने की ख़बर किसी को भी अच्छी नहीं लगती। ऐसी खबरें किसी को सुननी ज़रूरी नहीं।
हम और आप जब युद्ध की बात कर रहे हैं, मेरे किसी दोस्त ने सियाचिन से तस्वीर भेजी है कि ‘तुम कश्मीर और युद्ध में उलझे हो, यहाँ हवा में साँस लेना मुश्किल है। यहाँ सबसे पहला काम है जान बचाना।’ वो सियाचिन में इसीलिए है क्योंकि हम हमेशा युद्ध के मोड में रहते हैं। वरना उस बर्फ़ के वीराने में ऐसी कौन सी खेती होगी कि उस ज़मीन पर सैनिकों का होना ज़रूरी है, इसका अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं।
देश है, सीमाएँ हैं, सेना है, और हम हैं। इसलिए सियाचिन में -60° सेल्सियस में भी वहाँ जवानों का होना ज़रूरी है। हम और आप परेशान न हों, किसी दिन पाकिस्तानी मोर्टार या बम आपके सर पर न गिरे, उसके लिए इंतजाम करते हैं। ये उनका काम है, और वो अपना काम लगातार कर रहे हैं। सेना को हर दिन चुस्त रहना है, आतंकियों को एक दिन चाहिए। इसलिए, एक्सपर्ट का काम एक्सपर्ट पर ही छोड़िए।
सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम बलिदानियों के वेलफ़ेयर फ़ंड में अपना योगदान दें ताकि ऐसे परिवारों की ज़िंदगी में रुकावट न आए। युद्ध से ऐसे परिवारों की संख्या बढ़ेगी ही, घटेगी नहीं। साथ ही, आज के समय में दो न्यूक्लिअर ताक़तों के बीच हुए निर्णायक युद्ध का मतलब पूरे विश्व का ख़ात्मा है। छोटे युद्ध का मतलब है कि आपने उन्हें फिर से पनपने के लिए छोड़ दिया। इस अवस्था में युद्ध से बेहतर दूसरे विकल्प हैं।
फिर क्या किया जाए? चुप बैठे रहें? बिलकुल नहीं। युद्ध इसलिए भी ज़रूरी नहीं क्योंकि बाकी तरीक़ों से पाकिस्तान को घेरा जा सकता है। उन बाकी तरीक़ों में पाकिस्तान को आर्थिक क्षति पहुँचाना, समाज को भीतर से तोड़कर आंदोलन की स्थिति में ले आना, उनके संवेदनशील हिस्सों में उन्हीं के लोगों की मदद से तबाही मचाना, अपनी सेना द्वारा छोटे-छोटे हमले कराकर उन्हें जवाब देना प्रमुख है।
मुझे याद है जब मैं सैनिक स्कूल में था तो हमारे एक प्राचार्य हुआ करते थे। ऐसे स्कूलों के प्राचार्य, हेडमास्टर और रजिस्ट्रार भारतीय सेनाओं के अफसर होते हैं। हमारी पूरी क्लास के साथ उनकी बातचीत चल रही थी। कर्नल से हमने पूछा कि आखिर पाकिस्तान बार-बार बम फोड़कर लोगों की हत्या कर देता है, हम ऐसा क्यों नहीं करते?
उन्होंने जो कहा था, वो याद है, “हम उन्हें दुगुनी क्षति पहुँचाते हैं। लेकिन वो आम जनता को जाननी ज़रूरी नहीं, तो उसे प्रचारित नहीं किया जाता है।”
उसी तरह से, अगर हम पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दें, बिना युद्ध किए तो क्या समस्या है? ट्रेड के मामले में पाकिस्तान पर असर दिखना शुरु हो गया है। उनके करोड़ों के माल से भरे ट्रक बॉर्डर पर अटके हुए हैं। ख़ैर, व्यापार से बहुत ज़्यादा लाभ तो पाकिस्तान को हो भी नहीं रहा था, लेकिन जितना छोटा देश है और गधों को चीन भेजकर पैसे जुटा रहा है, उस हिसाब से कुछ सौ करोड़ का धक्का भी उनके लिए ठीक-ठाक है।
सिंधु जल समझौते पर जो क़दम सरकार ने लिए वो पाकिस्तान पर लम्बा असर डालने वाले हैं। लोग कहते हैं कि पानी रोक लिया जाए। हाँ, लोगों को ये समझ में नहीं आता कि पानी रोक कर रखेंगे कहाँ? उसका पहले इंतजाम किया जाए, फिर रोक लेंगे, मोड़ देंगे। उरी, पठानकोट के बाद ही सरकार ने अपनी नदियों पर बाँध बनाना शुरु कर दिया था। अब हम उस स्थिति में हैं कि पानी को रोक सकें। आने वाले समय में यह व्यवस्था इतनी सक्षम हो जाएगी कि उन्हें अपनी इच्छा से पानी दिया भी जाएगा (कि बाढ़ ही आ जाए), और रोका भी जाए (कि उन्हें पीने के पानी और सिंचाई के लिए तरसना पड़े)।
अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने में भी सरकार ने जो तेज़ी इस बार दिखाई है, वो अपने आप में सराहनीय है। सराहनीय इसलिए कि चीन तक ने यूएन द्वारा की गई निंदा में सहमति दी है। साथ ही, पाकिस्तान ने इन क़दमों के बाद जमात उद दवा और जैश से जुड़ी कई जगहों को अपने क़ब्ज़े में लिया है। ख़ैर, पाकिस्तान कुछ भी करे, उससे हमें मतलब नहीं क्योंकि कुत्ते की दुम फिर टेढ़ी होनी ही है। इसलिए हमारे वश में जो कर पाना है, वो हम कर लें तो भी पाकिस्तान को बिना युद्ध के घुटनों पर लाया जा सकता है।
ऐसे हमलों के बाद नेताओं की मजबूरी होती है कि वो ‘कड़ी निंदा’ और ‘करारा जवाब दिया जाएगा’ ही कह सकते हैं। हम या आप और क्या चाहते हैं? क्या मोदी या मनमोहन कंधे पर रॉकेट लॉन्चर लेकर प्रेस को संबोधित करें? ऐसा नहीं होता, होगा भी तो हास्यास्पद होगा। ऐसे मौक़ों पर देश की जनता को एक्शन चाहिए, लेकिन एक्शन झटके में नहीं लिया जाता। तैयारी करनी होती है, योजना बनानी होती, स्पेशल लोग लाने होते हैं, फिर जाकर एक सर्जिकल स्ट्राइक होती है।
जिनके दोस्त बलिदान हुए, जिस संस्था पर हमला हुआ, उसे प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दे दी है, तो वो चुप बैठकर चाय तो पी नहीं रहे होंगे! यक़ीन मानिए, आपसे और मुझसे कहीं ज़्यादा गुस्सा होगा उनके अंदर। लेकिन गुस्से को बाँधकर, उसको दूसरी तरफ मोड़ना और अपने क्रोध का लाभ लेना ही सही परिणाम देता है।
युद्ध अंतिम विकल्प रहे तो बेहतर है। युद्ध परिवारों को तबाह करता है, देश को तोड़कर रख देता है। युद्ध से डरिए, क्योंकि इसमें फायदा नहीं है। गुस्सा करना, संवेदना दिखाना सामान्य मानवीय भाव है। लेकिन इसे उन्माद बनाकर सरकारों से दबाव में वैसा कुछ मत करवा लीजिए कि पूरे देश को उसका मूल्य चुकाना पड़े।
पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा उससे छीन लिया था और अपने माल पर आयात शुल्क भी बढ़ा दिया था। वहीं भारतीय व्यापारियों ने पाकिस्तान से आयात को एक महँगा सौदा बताया। नतीजतन, भारतीय व्यापारी पाकिस्तानी सामान ख़रीदने से बच रहे हैं और इसी के परिणामस्वरूप आवागमन के लिए माल ले जाने वाले ट्रकों की लंबी लाइन वाघा सीमा पर लग गई है।
बता दें कि भारत सरकार ने पाकिस्तान के सामान पर कस्टम ड्यूटी 200 फ़ीसद कर दी है इसी के फलस्वरूप पाकिस्तान के सामान से लदे क़रीब 150 ट्रक वाघा सीमा पर फँसे हुए हैं। इन ट्रकों को 16 फ़रवरी को भारत में आना था, लेकिन कस्टम ड्यूटी के बढ़ जाने से भारतीय आयातकों ने पाकिस्तान के सामान को लेने से मना कर दिया है।
ऐसे में पाकिस्तान को अब आर्थिक रूप से नुक़सान उठाना पड़ेगा, वो इसलिए क्योंकि पाक कारोबारियों के लिए वाघा (पाकिस्तान) में खड़े ट्रकों को वापस मँगवाना आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए कारोबारियों को अपने देश में कई आवश्यक औपचारिकताओं से गुज़रना पड़ता है।
एक अनुमान के अनुसार भारत-पाक स्थित इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट अटारी पर पिछले 9 दिनों में क़रीब ₹450 करोड़ के कारोबार पर प्रभाव पड़ा है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इन व्यापारियों में भारत के वो व्यापारी भी शामिल हैं जिन्हें कई दिक़्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे पाक से सीमेंट मँगवाने के लिए पाकिस्तान के व्यापारियों को पेमेंट का भुगतान एडवांस में किया जाता है। ऐसे कई व्यापारी हैं जो पहले से ही भुगतान कर चुके हैं और वो सामान फ़िलहाल पाक में ही है।
वाघा सीमा पर पाकिस्तानी व्यापारियों का सामान जिसमें छुहारा, सीमेंट और जिप्सम आदि के लगभग 150 ट्रक कतार में खड़े हैं तो वहीं भारतीय व्यापारी भी अपने कारोबार को लेकर चिंतित है।
ख़बरों के मुताबिक, इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट अटारी पर हिंद मज़दूर सभा के सदस्य इस मसले पर आने वाले कुछ दिनों में कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं। ऐसी उम्मीद है कि वो या तो जेसीपी (ज्वॉइंट चेक पोस्ट) अटारी पहुँचने वाले सैलानियों को रीट्रीट सेरेमनी में जाने रोकने का काम करेंगे या फिर राजधानी दिल्ली में लाहौर बस का घेराव करेंगे। सरकार ने इस बात को गंभीर लेते हुए जेसीपी अटारी पर BSF ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (फ़रवरी 24, 2019) को उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। पीएम ने गोरखपुर में ₹75,000 करोड़ की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की शुरुआत की। इस मौके पर प्रधानमंत्री 1 करोड़ से ज़्यादा किसानों के बैंक खातों में ₹2000 की पहली किस्त ट्रांसफर की गई। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को क्रेडिट कार्ड का भी वितरण किया।
इस मौके पर पीएम ने कहा, “ये तो अभी शुरुआत है। इस योजना के तहत हर वर्ष लगभग ₹75 हज़ार करोड़ किसानों के खातों में सीधा पहुँचने वाले हैं।” देश के वो 12 करोड़ छोटे किसान, जिनके पास 5 एकड़ या उससे कम भूमि है, उन्हें इसका लाभ मिलेगा।
पीएम किसान सम्मान निधि में देश के 21 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश के किसानों को ₹2000 की पहली किस्त सीधे खातों में ट्रांसफर हो चुकी है। इसकी अगली किस्त कुछ दिनों में जारी हो जाएगी। इससे किसानों को बीज, खाद, दवा ख़रीदने के लिए परेशान नहीं होना होगा।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ ऐसी भी सरकारें हैं, जिनकी नींद नहीं खुली है। उन्होंने ऐसी राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसानों के साथ अन्याय किया तो अच्छा नहीं होगा। मोदी ने कहा कि जब इस योजना को लॉन्च किया गया, तब विपक्षी दलों के चेहरे लटक गए थे।
पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ‘जय जवान – जय किसान’ के नारे के साथ की। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने कहा, “कुछ राज्य इस योजना के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। विपक्षी झूठ फैला रहे हैं, लेकिन आप किसी के बहकावे में मत आना। इस योजना का जैसा ही ऐलान हुआ, महामिलावटी लोगों के मुँह उतर गए थे।”
कॉन्ग्रेस के किसान ऋण माफ़ी को बताया वोट बैंक के लिए रेवड़ी बाँटने वाला करतब
पीएम मोदी ने महागठबंधन को महामिलावटी बताया। उन्होंने कहा, “विपक्ष को 10 साल में एक बार इन्हें किसान याद आता है और ये कर्ज़माफ़ी के द्वारा रेवड़ी बाँटकर वोट हासिल कर लेते थे। पिछली सरकारों ने कागजों में योजनाएँ बनाई। कॉन्ग्रेस ने ₹6 लाख करोड़ में से केवल ₹52 हज़ार करोड़ ही माफ़ किया। झूठी बातें करने वालों पर किसान भरोसा नहीं करेगा।”
उन्होंने कहा कि किसानों को 10 साल में ₹7.5 लाख करोड़ दिए जाएँगे। इससे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी। पीएम ने कहा कि हम भी किसान कर्ज़माफ़ी कर सकते थे लेकिन हमने इस पाप को नहीं किया। हमारी योजना से 100 में से 19 किसानों को फ़ायदा होगा। अगले 10 सालों में किसानों को हर साल इस योजना का फ़ायदा मिलेगा।
कर्ज़माफ़ी के आसान रास्ते को ना चुनकर भविष्य को मज़बूत करने पर ज़ोर देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमारे लिए भी बहुत आसान था कर्ज़माफ़ी का फ़ैसला। हमारी सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ही करीब ₹1 लाख करोड़ खर्च कर रही है। इतनी बड़ी राशि हम लगा रहे हैं, ताकि देश में जो सिंचाई परियोजनाएँ 30-40 साल से अधूरी थीं, लटकी हुई थीं, उन्हें पूरा किया जा सके।”
पीएम मोदी ने कहा, “हमने देशभर की 99 ऐसी परियोजनाएँ चुनीं थीं, जिसमें से 70 से ज़्यादा अब पूरी होने की स्थिति में आ रही हैं। इन योजनाओं की वजह से किसानों को लाखों हेक्टेयर ज़मीन पर सिंचाई की सुविधा मिल रही है। ये वो काम है जो किसानों की आने वाली कई पीढ़ियों तक को लाभ देगा।”
नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में किसान सम्मान निधि योेजना द्वारा किसानों के अधिकार सुरक्षित किए जाने के सम्बन्ध में कहा, “ये नया भारत है। इसमें केंद्र सरकार जितना पैसा किसान के लिए भेजती है, वो पूरा पैसा उसके खाते में पहुँचता है। अब वो दिन गए जब सरकार 100 पैसा भेजती थी, तो बीच में 85 पैसा दलाल और बिचौलिए खा जाते थे। इसी तरह PM किसान योजना को भी फूल प्रूफ बनाया गया है, ताकि किसान का अधिकार कोई छीन न सके।”
ये नया भारत है।
इसमें केंद्र सरकार जितना पैसा किसान के लिए भेजती है, वो पूरा पैसा उसके खाते में पहुंचता है।
अब वो दिन गए जब सरकार 100 पैसा भेजती थी, तो बीच में 85 पैसा दलाल और बिचौलिए खा जाते थे। #PMKisan को भी फूल प्रूफ बनाया गया है ताकि किसान का अधिकार कोई छीन न सके: PM
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मोदी ने कहा, “ये हमारी सरकार ही है, जिसने MSP पर किसानों की बरसों पुरानी माँग को पूरा किया। रबी और खरीफ की 22 फसलों का समर्थन मूल्य लागत का 50% से अधिक तय किया गया है। मौसम की मार से किसानों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी बनाई गई है।”
ये हमारी सरकार ही है जिसने MSP पर किसानों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया।
रबी और खरीफ की 22 फसलों का समर्थन मूल्य लागत का 50% से अधिक तय किया गया है।
मौसम की मार से किसानों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी बनाई गई है: PM
e-NAM प्लेटफॉर्म का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि इस से देशभर की सैकड़ों मंडियों को जोड़ने का काम चल रहा है और इससे किसानों को सीधे देशभर की किसी भी मंडी में ऑनलाइन अपनी उपज बेचने का विकल्प मिलेगा।
PM Kisan Yojna: जानिए इस योजना के नियम, इन किसानों को मिलेगा लाभ
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के लाभार्थियों के लिए गाइडलाइन तय कर दी है। इसके तहत सिर्फ़ उन किसानों को ही इसका लाभ मिलेगा जिनके नाम पर 1 फ़रवरी से पहले 2 हेक्टेयर से कम ज़मीन दर्ज होगी। फ़रवरी के पहले सप्ताह पेश किए गए अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने देश के 12.5 करोड़ लघु और सीमांत किसानों को पीएम किसान योजना के तहत प्रति वर्ष ₹6,000 की प्रत्यक्ष आय सहायता की घोषणा की है। सरकार ने 2019-20 के अंतरिम बजट में ₹75,000 करोड़ की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का प्रावधान किया है।
कृषि सचिव द्वारा राज्यों को भेजे गए पत्र के मुताबिक अगर खेती की भूमि के स्वामित्व का हस्तांतरण होता है, तो योजना का लाभ नए भूमिधारक को मिलेगा, लेकिन अगर यह ज़मीन अगले 5 सालों के दौरान किसी को बेची जाती है, तो नए भूमिधारक को इसका लाभ नहीं मिलेगा। वहीं किसान के खेत कई गाँवों या राजस्व रिकॉर्ड में फैले होंगे, तो उनकी गिनती एक साथ की जाएगी।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी देने वाला इमरान मसूद अब आगामी लोकसभा चुनाव-2019 में कॉन्ग्रेस पार्टी (उत्तर प्रदेश) की चुनाव समिति का हिस्सा होगा। बता दें कि इमरान मसूद यूपी का पूर्व कॉन्ग्रेसी विधायक है।
कॉन्ग्रेस पार्टी ने शनिवार (फ़रवरी 23, 2019) को लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के लिए कई समितियों की घोषणा की थी। इसमें चुनाव समिति, अभियान समिति, चुनाव रणनीति और योजना समिति, समन्वय समिति, घोषणापत्र समिति, मीडिया और प्रचार समिति जैसी विभिन्न समितियाँ शामिल हैं। इमरान मसूद को कॉन्ग्रेस पार्टी की चुनाव समिति में शामिल किया गया है।
कॉन्ग्रेस फ़िलहाल ऐसे लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करने से लेकर मुख्यमंत्री बनाने में बिज़ी है जो हिंसा को भड़काने और नरसंहार में शामिल होने का इतिहास रच चुके हैं। इमरान मसूद भी उन्हीं में से एक है। हाल ही में, मसूद प्रियंका गाँधी, राहुल गाँधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लखनऊ में प्रियंका गाँधी के पहले रोड शो के दौरान एक लक्ज़री बस में दिखा था।
बता दें कि साल 2014 में जब मसूद सहारनपुर से कॉन्ग्रेस का उम्मीदवार था तब उसने एक सार्वजनिक रैली में घोषणा की थी कि वह ‘नरेंद्र मोदी के टुकड़े-टुकड़े कर देगा’।
दिलचस्ब बात एक और है कि उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस पार्टी की चुनाव समिति का नेतृत्व उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस प्रमुख राज बब्बर करेंगे, जिन्होंने प्रधानमंत्री को टारगेट करके उनकी विनम्र छवि और उनके परिवार को लेकर अभद्र टिप्पणियाँ की थी। कॉन्ग्रेसी नेता राज बब्बर ने प्रधानमंत्री मोदी की माँ की उम्र का मजाक उड़ाते हुए उनकी उम्र की तुलना रुपए के गिरते स्तर से की थी।
एक तरफ तो कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ‘प्रेम की राजनीति’ के फ़र्ज़ी क़िस्से बुनने में व्यस्त हैं, और दूसरी तरफ वो भारत के प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ बेहद अपमानजनक टिप्पणी करने वालों पर अपनी कृपा बरसा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (फरवरी 24, 2019) सुबह 11 बजे ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के 53वें एपिसोड के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। इसकी जानकारी पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से दी थी। उन्होंने लिखा, ‘‘आज मन की बात कार्यक्रम स्पेशल होगा। आप बाद में मत कहना है कि पहले नहीं बताया।’’
Today’s #MannKiBaat is special! Do tune in at 11 AM.
53वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सबसे पहले पुलवामा हमले का जिक्र किया। पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद यह पहला ‘मन की बात’ कार्यक्रम था। नरेंद्र मोदी ने कहा, “मन की बात शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है, 10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया। इन पराक्रमी वीरों ने, हम सवा-सौ करोड़ भारतीयों की रक्षा में ख़ुद को खपा दिया। देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए, इन हमारे वीर सपूतों ने, रात-दिन एक करके रखा था।
‘मन की बात’ शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है.10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया. इन पराक्रमी वीरों ने, हम सवा-सौ करोड़ भारतीयों की रक्षा में ख़ुद को खपा दिया. देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए, इन हमारे वीर सपूतों ने, रात-दिन एक करके रखा था. PM in #MannKiBaatpic.twitter.com/zpqUZKutqF
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की प्रमुख बातें:
इस आतंकी हिंसा के विरोध में जो आवेग आपके और मेरे मन में है, वही भाव हर देशवासी के अंतर्मन में है और मानवता में विश्वास करने वाले विश्व के मानवतावादी समुदायों में भी है। भारत-माता की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले देश के सभी वीर सपूतों को मैं नमन करता हूँ।
यह बलिदान आतंक को समूल नष्ट करने के लिए हमें निरन्तर प्रेरित करेगी। देश के सामने आई इस चुनौती का सामना हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बाकि सभी मतभेदों को भुलाकर करना है, ताकि आतंक के खिलाफ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों।
हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं। शांति की स्थापना के लिए जहाँ उन्होंने अद्भुत क्षमता दिखायी है, वहीं हमलावरों को भी उन्हीं की भाषा में जबाव देने का काम किया है।
बिहार के भागलपुर के बलिदानी रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन जी ने दुख की इस घड़ी में भी जिस ज़ज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि वे अपने दूसरे बेटे को भी दुश्मनों से लड़ने के लिए भेजेंगे और जरुरत पड़ी तो ख़ुद भी लड़ने जाएँगे।
ओडिशा के जगतसिंह पुर के बलिदानी प्रसन्ना साहू की पत्नी मीना जी के अदम्य साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है। उन्होंने अपने इकलौते बेटे को भी सीआरपीएफ ज्वाइन कराने का प्रण लिया है। जब तिरंगे में लिपटे वीर बलिदानी विजय शोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुँचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौज़ में जाऊँगा। इस मासूम का जज़्बा आज भारतवर्ष के बच्चे-बच्चे की भावना को व्यक्त करता है।
ऐसी ही भावनाएँ हमारे वीर, पराक्रमी बलिदानियों के घर-घर में देखने को मिल रही हैं। हमारा एक भी वीर इस में अपवाद नहीं है, उनका परिवार अपवाद नहीं है।
चाहे वो देवरिया के पराक्रमी विजय मौर्य का परिवार हो, कांगड़ा के शहीद तिलकराज के माता-पिता हों या फिर कोटा के हुतात्मा वीर हेमराज का 6 साल का बेटा हो – बलिदानियों के हर परिवार की कहानी, प्रेरणा से भरी हुई हैं।
देशभक्ति क्या होती है, त्याग-तपस्या क्या होती है, उसके लिए हमें इतिहास की पुरानी घटनाओं की ओर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। हमारी आँखों के सामने, ये जीते-जागते उदाहरण हैं और यही उज्ज्वल भारत के भविष्य के लिए प्रेरणा का कारण हैं।
हम सबको जिस वार मेमोरियल का इन्तजार था, वह अब ख़त्म होने जा रहा है। इसके बारे में देशवासियों की जिज्ञासा, उत्सुकता बहुत स्वाभाविक है। एक ऐसा मेमोरियल, जहाँ राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर जवानों की शौर्य-गाथाओं को संजो कर रखा जा सके।
हमने नेशनल वार मेमोरियल के निर्माण का निर्णय लिया और मुझे खुशी है कि यह स्मारक इतने कम समय में बनकर तैयार हो चुका है। 25 फरवरी को हम करोड़ों देशवासी इस राष्ट्रीय सैनिक स्मारक को, हमारी सेना को सुपुर्द करेंगे। देश अपना कर्ज चुकाने का एक छोटा सा प्रयास करेगा।
इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के पास ही ये नया स्मारक बनाया गया है। मुझे विश्वास है, ये देशवासियों के लिए राष्ट्रीय सैनिक स्मारक जाना किसी तीर्थ स्थल जाने के समान होगा। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है।
राष्ट्रीय सैनिक स्मारक ‘Four Concentric Circles यानी 4 चक्रों पर केंद्रित है, जहाँ पर सैनिकों के जन्म से लेकर शहादत तक की यात्रा का चित्रण है।
अमर चक्र की लौ, शहीद सैनिक की अमरता का प्रतीक है। दूसरा सर्कल वीरता चक्र का है, जो सैनिकों के साहस और बहादुरी को प्रदर्शित करता है। इसके बाद, त्याग चक्र है। यह सर्कल सैनिकों के बलिदान को प्रदर्शित करता है। इसके बाद रक्षक चक्र, यह सुरक्षा को प्रदर्शित करता है। इस सर्कल में घने पेड़ों की पंक्ति है। ये पेड़ सैनिकों के प्रतीक हैं और देश के नागरिकों को यह विश्वास दिलाते हुए सन्देश दे रहे हैं कि हर पहर सैनिक सीमा पर तैनात है और देशवासी सुरक्षित है।
अंत में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है। मार्च, अप्रैल और पूरा मई, ये 3 महीने की सारी हमारी जो भावनाएँ हैं, उन सबको मैं चुनाव के बाद एक नए विश्वास के साथ आपके आशीर्वाद की ताकत के साथ फिर एक बार ‘मन की बात’ के माध्यम से हमारी बातचीत के सिलसिले का आरम्भ करूँगा और सालों तक आपसे ‘मन की बात’ करता रहूँगा।
मार्च, अप्रैल और पूरा मई; ये तीन महीने की सारी हमारी जो भावनाएँ हैं उन सबको मैं चुनाव के बाद एक नए विश्वास के साथ आपके आशीर्वाद की ताकत के साथ फिर एक बार ‘मन की बात’ के माध्यम से हमारी बातचीत के सिलसिले का आरम्भ करूँगा और सालों तक आपसे ‘मन की बात’ करता रहूँगा: PM#MannKiBaat
आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी ने जमशेद जी टाटा, बिरसा मुंडा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का भी स्मरण किया। मोदी ने कहा, “मोरारजी भाई देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था। सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे। मोरारजी भाई देसाई के कार्यकाल के दौरान ही 44वाँ संविधान संशोधन लाया गया, यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इमरजेंसी के दौरान जो 42वाँ संशोधन लाया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम करने और दूसरे ऐसे प्रावधान थे, उनको वापिस किया गया।”
मोरारजी भाई देसाई के कार्यकाल के दौरान ही 44वाँ संविधान संशोधन लाया गया |
यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि emergency के दौरान जो 42वाँ संशोधन लाया गया था, जिसमें सुप्रीमकोर्ट की शक्तियों को कम करने और दूसरे ऐसे प्रावधान थे, उनको वापिस किया गया: PM#MannKiBaatpic.twitter.com/UvbjjIRtBz
पुलवामा आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा देशभर में हो रही है। पाक द्वारा छिप कर किए इस वार की जहाँ एक तरफ तीखी आलोचनाएँ हो रही हैं वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान का आतंकवाद में लिप्त चेहरा भी स्पष्ट हो चुका है।
इस छद्म हमले के ख़िलाफ़ कड़ी प्रतिक्रियाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन्हीं प्रतिक्रियाओं में AIMM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पाक की इस नापाक हरक़त के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अख़्तियार किया। उन्होंने पाक के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर निखाना साधते हुए कहा कि वो अपने चेहरे से शराफ़त का नक़ाब उतार दें।
A Owaisi: We would like to tell Pakistan PM don’t give that message to India which you want to, by sitting before a TV camera. You started this, it wasn’t a first attack. There was Pathankot,Uri&now Pulwama. We would like to tell Pakistan PM to drop his mask of innocence. (23.02) pic.twitter.com/M5ae0nBuB2
आतंकवादियों को पनाह देना पाकिस्तान की पुरानी आदत है। पठानकोट और उरी हमला भी उसकी ही देन है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर की कड़ी आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा कि वो टीवी के सामने बैठकर भारत को संदेश देना बंद करें और अपने बनावटीपन से बाहर आएँ।
ओवैसी ने पूरी ताक़त से इस बात पर ज़ोर दिया कि पुलवामा हमला पाकिस्तान के इशारे पर ही हुआ है और इसमें पाकिस्तानी आर्मी और ISI का भी पूरा सहयोग है। ओवैसी ने पुलवामा हमले में CRPF के 40 जवानों के बलिदान पर दु:ख व्यक्त किया और कहा कि इस हमले का ज़िम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद नहीं जैश-ए-शैतान और जैश-ए-इबलिस है और इसका सरगना मसूद अज़हर मौलाना नहीं शैतान का चेला है।
Asaduddin Owaisi: This attack has links to Pakistan. It was done as per plan of Pakistan govt, Pakistan Army & ISI. I would like to tell the outfit that killed our 40 men & claimed its responsibility – you’re not Jaish-e-Mohammed, you are Jaish-e-Shayateen. #PulwamaAttack (23.02) pic.twitter.com/IO5bkztzUC
Asaduddin Owaisi: A soldier of Mohammed does not kill a person, he is merciful towards humanity. You are Jaish-e-Shayateen, Jaish-e-Iblis. Mazood Azhar, you are not a Maulana, you are a disciple of the devil. It is not Laskhar-e-Taiba, it is Lashkar-e-Shayateen. (23.02.2019) https://t.co/plxp1pjnYU
ओवैसी ने अपने बयान में पाकिस्तान को याद दिलाया कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पाक ने अपने आतंकी कारनामों से भारत को ज़ख्मी करने का प्रयास किया हो, इससे पहले भी अनेकों बार वो अपनी धरती का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करता आया है।