Saturday, October 5, 2024
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राहुल ने किया तीन तलाक़ बिल खत्म करने का ऐलान, हुए ट्रोल; लोगों ने लिए मज़े

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अल्पसंख्यक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अगर केंद्र में कॉन्ग्रेस की सरकार बनती है तो वह तीन तलाक़ क़ानून को ख़त्म कर देंगे। इसके बाद से न सिर्फ़ नेताओं के द्वारा इसे राजनीतिक बताया गया, बल्कि कई सारे ट्विटर यूज़र ने भी राहुल गाँधी के इस ऐलान को लेकर जमकर तंज कसा।

कोर्ट ने लगाई दिल्ली सरकार को फटकार, JNU मामले को जल्द निपटाने का दिया आदेश

जेएनयू देशद्रोह मामले में कोर्ट में दाखिल चार्जशीट को क्लियरेंस न मिलने पर दिल्ली के सीएम केजरीवाल से सवाल पूछा गया था कि कोर्ट बार-बार पूछ रहा है कि चार्जशीट की फाइल को दिल्ली सरकार क्लियरेंस क्यों नहीं दे रही है? जिस पर केजरीवाल ने जवाब दिया है कि अभी वह उस पर अध्ययन कर रही है। जिसकृी वजह से अभी और समय लगेगा।

केजरीवाल ने कोर्ट के सवाल पर कहा है कि पुलिस ने चार्जशीट को फाइल करने में 3 साल लगाए हैं तो हमें भी अध्ययन करने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ही। केजरीवाल का कहना है कि चुनाव से पहले बिना मंज़ूरी के कोर्ट में चार्जशीट फाइल करने की वजह से काफी सवाल उठ रहे हैं। इसलिए उन्हें फाइल के अध्ययन की ज़रूरत है। उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस ने काफ़ी लंबी-चौड़ी चार्जशीट बनाई है।

बता दें, जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के मामले पर पुलिस की चार्जशीट को दिल्ली सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी गई थी। लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में इसे दाखिल कर दिया। ऐसे में कोर्ट तब तक इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती है जब तक कि राज्य सरकार की मंज़ूरी न मिले।

इसलिए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है और पूछा की फाइल आख़िर कहाँ अटकी हुई हैं। अधिकारी ने जवाब में दिल्ली सरकार का नाम लिया और कोर्ट ने अधिकारी को आदेश दिया कि मामला जल्द निपटाया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने चार्जशीट पर सुनवाई को 28 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया।

MP में ‘नई एंबुलेंस’ यार्ड में खा रही हैं धूल, मरीजों को ठेले पर ले जाना पड़ा अस्पताल

राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद से अब तक स्वाइन फ्लू से 226 लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्थान के बाद अब दूसरे कॉन्ग्रेसी राज्य मध्य प्रदेश में भी स्वास्थ्य सेवाएँ वेंटिलेटर पर होने की ख़बर सामने आई है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से कुछ दूर स्थित भौंरी इलाक़े से एक ख़बर आ रही है जिसके मुताबिक भौंरी के लोग अपने बीमार परिजनों को गोद में और ठेले पर लेकर अस्पताल आने के लिए मजबूर हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से कुछ किलोमीटर दूर इस अस्पताल के लिए सरकार ने 6 महीने पहले ही 10 करोड़ 35 लाख में 115 एंबुलेंस ख़रीदी थी। ये सभी एंबुलेंस इस समय यार्ड में धूल खा रही हैं।

कॉन्ग्रेस सरकार की सुस्ती की वजह से इन एंबुलेंस को उपयोग में नहीं लाया जा सका है। यही वजह है कि लोग अपने परिवार के बीमार मरीज को ठेले पर या गोद में लेकर अस्पताल पहुँच रहे हैं।

इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने मीडिया से कहा कि मध्य प्रदेश में जब तक बीजेपी की सरकार रही, सब व्यवस्था सुचारू थी। राज्य को बेहतर स्वास्थ सेवाओं के लिए केंद्र से पुरस्कार भी दिया गया। उन्होंने ये भी कहा कि अब जो एंबुलेंस आईं हैं, वो भाजपा सरकार की ही देन है।

उन्होंने आगे यह भी कहा कि एंबुलेंस आने के कुछ दिनों बाद आचार संहिता लग गई थी। इसके बाद कांग्रेस की सरकार आई, जो ख़ुद बीमार है। एक तरफ तो मुख्यमंत्री लगातार दौरों में व्यस्त हैं तो दूसरी तरफ किसान कर्ज़े से परेशान हैं। मुझे लगता है इस मामले में संजीदगी की ज़रूरत है, जो राज्य सरकार नहीं दिखा पा रही है।

दीपक तलवार की हिरासत 12 फरवरी तक बढ़ी, भगोड़े विजय माल्या से जुड़े थे तार

कॉर्पोरेट लॉबीयीस्ट दीपक तलवार के लिंक भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या से जुड़े होने का खुलासा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की एक अदालत में यह दावा किया है। ईडी के मुताबिक एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में दीपक के लिंक माल्या से मिले हैं। ईडी की दलीलों के आधार पर स्पेशल जज एसएस मान ने तलवार की ईडी कस्टडी को 12 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी है।

जानकारी के मुताबिक़, कोर्ट से ईडी ने तलवार की कस्टडी को 7 दिन बढ़ाने की माँग की थी। ईडी ने कहा कि वह तलवार का सामना उसके बेटे से कराना चाहती है, जो अभी विदेश में है। बता दें कि ईडी ने उसे 11 फरवरी को पेश होने के लिए समन भेजा है। दरअसल, ईडी ने तलवार पर प्राइवेट एयरलाइन्स के पक्ष में सौदे कराने के लिए बिचौलिए के तौर पर काम करने का आरोप लगाया है।

ईडी के अनुसार, इससे एयर इंडिया को नुकसान हुआ था। बता दें कि तलवार की कस्टडी का समय पूरा हो रहा था, जिसके बाद ईडी ने कोर्ट से इसे बढ़ाने की माँग की थी, जिसके बाद उसे 12 फरवरी तक ईडी कस्टडी में भेज दिया गया।

जाँच में पता चला माल्या का लिंक

कोर्ट में दावा करते हुए ईडी ने कहा कि जाँच से पता चला है कि तलवार के तार माल्या से जुड़े हैं। बता दें कि फ़िलहाल किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक माल्या अभी ब्रिटेन में है और वहाँ की सरकार ने उसके प्रत्यर्पण के आदेश पर दस्तख़त कर दिए हैं। माल्या पर बैंकों के क़रीब ₹9,000 करोड़ लेकर भागने का आरोप है। दीपक तलवार दुबई से 30 जनवरी को भारत लाया गया था, जिसके बाद ईडी ने उसे गिरफ़्तार किया था।

UK के गृह मंत्रालय से माल्या के प्रत्यर्पण की मिल चुकी है मंज़ूरी

बीते दिनों ब्रिटेन के गृह सचिव ने भारत के भगौड़े कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण की मंज़ूरी प्रदान की थी। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने विजय माल्या से सम्बंधित बैंक खातों में धनराशि को अवरुद्ध करने के लिए स्विस अधिकारियों से अनुरोध किया था, साथ ही उसके खातों का विवरण प्रदान करने की भी माँग की थी। स्विटजरलैंड की शीर्ष अदालत द्वारा सूचना प्रदान करने को मंज़ूरी मिलने के बाद दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा पहल शुरू की जा चुकी थी।

सीबीआई ने स्विस अधिकारियों से इस बात का अनुरोध किया था कि वो भगोड़े व्यापारी विजय माल्या के चार बैंक अकाउंट में आने वाले फंड को रोक दें। जिसके बाद जिनेवा के सरकारी वकील ने 14 अगस्त 2018 को न केवल सीबीआई द्वारा किए इस अनुरोध का पालन किया बल्कि माल्या के अन्य तीन बैंक अकाउंट की जानकारियों को भी साझा की। साथ ही उन पाँच कंपनियों की भी जानकारी सीबीआई को दी, जिनका संबंध माल्या से था।

बुरे फँसे पश्चिम बंगाल के आईपीएस अधिकारी: केंद्र सरकार छीन सकती है मेडल

ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठने वाले आईपीएस अधिकारियों पर केंद्र सरकार की गाज गिर सकती है। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार पाँच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जिनमें पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक भी शामिल हैं ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठने के कारण अपनी वर्दी पर सजे पदकों से हाथ धो सकते हैं।

ध्यान रहे कि भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अखिल भारतीय सेवा है और अखिल भारतीय सेवा नियमावली (AIS Rules) के अनुसार इस सेवा के अधिकारी केंद्र सरकार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते।

जिन अधिकारियों पर गाज गिर सकती है उनके नाम इस प्रकार हैं:

वीरेंद्र (1985 बैच), पुलिस महानिदेशक पश्चिम बंगाल

विनीत कुमार गोयल (1994 बैच), ADG, निदेशक, सुरक्षा

अनुज शर्मा (1991 बैच) एडीजी L&O

ज्ञानवंत सिंह (1993 बैच) CP, बिधाननगर

सुप्रतिम सरकार (1997 बैच) CP

केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से उन आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने को कहा है जो सीबीआई की कार्रवाई के खिलाफ वर्दी में 4 फरवरी को धरने पर बैठे थे। मेडल छीनने के अतिरिक्त सरकार इन अधिकारियों को भविष्य में केंद्र में सेवा देने से बैन भी कर सकती है। यदि केंद्र सरकार अनुशासन तोड़ने वाले अधिकारियों के विरुद्ध एक्शन लेती है तो यह ममता बनर्जी और उनका साथ देने वाले आईपीएस अधिकारियों के लिए एक बड़ा सबक होगा।

लोकसभा में मोदी ने दी विपक्ष को पटखनी; गिनाते रहे उपलब्धियाँ, सुनते रहे सब

आज लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहस का जवाब देते हुए विपक्ष को जमकर लताड़ा।

वीडियो यहाँ देखें:

मोदी के भाषण के कुछ बिंदु

  • मोदी की आलोचना कीजिए, सरकार की नीतियों की आलोचना कीजिए, लेकिन आलोचना करते-करते देश की की बुराई की जाने लगती है।
  • देश की अर्थव्यवस्था में पिछले साढ़े 4 सालों में काफी उछाल आया है
  • कुछ लोगों के लिए BC और AD की अपनी परिभाषा है। उनके लिए BC का मतलब Before Congress और AD का मतलब After Dynasty है
  • चुनौतियों को चुनौती देना देश का स्वभाव होता है, जो चुनौतियों से भागते हैं वह नई चुनौतियों को जन्म देते हैं
  • लोकसभा में कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई, आने वाले चुनावों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए सभी को शुभकामनाएँ
  • हमारी सरकार ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए है
  • आप कह रहे हैं मोदी संस्थानों को खत्म कर रहा है, उल्टा चोर चौकीदार को डाँटे। आपातकाल लगाया कॉन्ग्रेस ने, सेना का अपमान किया कॉन्ग्रेस ने और कहते हैं मोदी बर्बाद कर रहा है
  • कॉन्ग्रेस ने 2004, 2009 और 2014 में अपने मैनीफेस्टो में कहा कि तीन साल के अंदर हर घर में बिजली पहुँचाएँगे। गरीब हटाओ की तरह हर घर में बिजली पहुँचाएँगे के वादे को भी कॉन्ग्रेस आगे बढ़ाती रही
  • आज खड़गे जी ने कहा कि मोदी जी जो बाहर बोलते हैं, वही राष्ट्रपति ने यहाँ कहा। इसका तात्पर्य है कि आप मानते हैं कि आप बाहर कुछ और अंदर कुछ बोलते हैं और हम हमेशा सच बोलते हैं वो संसद हो या कोई जनसभा
  • जो कहते हैं कि ये अमीरों की सरकार है, तो मैं कहता हूँ कि देश के गरीब ही मेरे अमीर हैं। गरीब ही मेरा इमान है, वही मेरी जिंदगी हैं, उन्ही के लिए जीता हूँ, उन्हीं के लिए यहां आया हूँ
  • न्यायपालिका को कॉन्ग्रेस से जुड़े लोग धमकाते है। आज जिस प्रकार न्यायालयों के निर्णयों पर बयान दिए जा रहें हैं, ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ
  • खडगे को कविता से दिया जवाब: बोले- जब कभी झूठ की बस्ती में सच को तड़पते देखा है, तब मैंने अपने भीतर किसी बच्चे को सिसकते देखा है।
  • 2014 तक कॉन्ग्रेस सिर्फ 95 गांव में ऑपटिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचा सकी। हमारी सरकार में 1,16,000 गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिवीटी है
  • जब देश के खिलाड़ी कॉमनवेल्थ में जीतने की तैयारी कर रहे थे, तब ये लोग अपनी वेल्थ में लगे थे
  • जो लोग भाग गए हैं, वह सुबह उठकर ट्विटर पर रो रहे हैं कि हम 9000 करोड़ लेकर भागे थे, हमारी 13000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त हो गई है। आपने (कॉन्ग्रेस) लोगों को लूटने दिया, हमने उसके खिलाफ कानून बनाया
  • विदेशों से धन लेनी वाली 20 हजार संस्थाएँ एक चिट्ठी में सवाल पूछने पर बंद हुईं, इतनी बड़ी राशि का इस्तेमाल कहाँ होता था
  • इनके 55 सालों के शासन में कोई भी रक्षा सौदा बिना किसी दलाली के कोई रक्षा सौदा नहीं हुआ था, अब पारदर्शिता के साथ सौदे हो रहे हैं। इसलिए आत्मविश्वास के साथ झूठ बोले जा रहे हैं, 3-3 राजदारों को बाहर से लाया गया है। अब इन्हें चिंता हो रही है
  • कॉन्ग्रेस ने सेना से लेकर जाँच संस्थाओं तक, हर संस्था का अपमान किया है।
  • मैं महात्मा गाँधी जी की इच्छा पूरी कर रहा हूँ, कॉन्ग्रेस मुक्त भारत का सपना गाँधी जी का था।
  • देश में संगठित क्षेत्र मात्र 10-12 प्रतिशत नौकरी देता है, जबकि असंगठित क्षेत्र 80-90 प्रतिशत रोजगार देता है।
  • 55 साल की सरकार में रोजगार का कोई एजेंडा नहीं था, पिछले 15 महीनों में 1 करोड़ 80 लाख लोग ईपीएफओ से जुड़े हैं।
  • हमने देश के गरीबों के सपने को पूरा करने का काम किया, सामाजिक न्याय के साथ इंसाफ किया।
  • गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत लेकर आए हैं, करीब 11 लाख गरीबों ने इस योजना का अब तक फायदा उठाया है।
  • सभी सांसदों को कहता हूँ कि ज्यादा से ज्यादा गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का फायदा दिलाएँ। चुनाव में अभी 3 महीने हैं, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करें।
  • 6 लाख करोड़ का कर्ज था, कांग्रेस ने 52000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया। कॉन्ग्रेस ने कर्जमाफी का चक्र बना दिया।
  • कर्जमाफ़ी के हाल राजस्थान और मध्य प्रदेश में जाकर देखिए। हम भी कर्ज माफ कर सकते थे, लेकिन हमने किसानों की मदद के लिए योजनाओं का पूरा किया।
  • मिशन इंद्रधनुष से हमने टीकाकरण की योजनाओं को व्यापक किया।

The Quint के ‘आदर्श पत्नी’ वाले लेख के बाद महागठबंधन नेताओं ने वाड्रा को भेजे विवाह प्रस्ताव

जैसा कि हमारी अंग्रेजी वेबसाइट ने बताया था, प्रियंका गाँधी भारतीय मीडिया के लिए तैमूर अली ख़ान की जगह ले चुकी हैं। जैसे तैमूर के सुबह उठ कर बाथरूम जाने से लेकर रात को सूसू कर के सोने तक मीडिया पल-पल की जानकारी प्रकाशित करता रहता है, ठीक वैसे ही, दफ़्तर में बैठी प्रियंका गाँधी के दुपट्टे के रंग से लेकर उनके गाड़ी में बैठने के पोज़ तक- मीडिया को सबकुछ नया-नया लग रहा है। कुछ लोग एक्सक्लूसिव के नाम पर प्रियंका के कमरे के बाहर लगे नेमप्लेट को दिखाकर पत्रकारिता के स्वर्णिम काल के चरम तक जाते दिखे।

यहाँ हम द क्विंट के उस आर्टिकल की बात करने जा रहे हैं, जिसमें प्रियंका गाँधी को एक ‘आदर्श पत्नी’ बताया गया है।

क्विंट का कहना है कि पतिव्रता महिलाएँ सर्वमान्य नेता बन जाती हैं

शुमा राहा द्वारा लिखे गए इस लेख में प्रियंका को एक ‘कर्तव्यनिष्ठ पत्नी’ बताया गया है। क्विंट के अनुसार, एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी की परिभाषा निम्नलिखित है:

  • वह अपने आरोपित पति को एक महँगी गाड़ी से सरकारी एजेंसी के दफ़्तर तक छोड़ने जाती है।
  • वह हमेशा अपने पति के साथ खड़ी रहती है।
  • वह अपने परिवार का समर्थन करती है।
नए तैमूर के स्वागत में मीडिया की स्थिति

इस लेख से एक और नई बात यह पता चली है कि पितृसत्ता ने अब ब्राह्मण जाति, मणिकर्णिका फ़िल्म से होकर पूरे भारत तक का सफर पूरा कर लिया है। लेख में कहा गया है कि भारत जैसे रूढ़िवादी और पितृसत्तात्मक देश में लोग प्रियंका जैसी ‘आदर्श पत्नी’ को नेता के रूप में सहर्ष स्वीकार करेंगे।

राबड़ी देवी तो प्रियंका गाँधी से भी अच्छी पत्नी हैं

द क्विंट के इस लेख के बाद बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को नाराज़ कर दिया है। 20 वर्षों से भी अधिक समय से भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे राजद सुप्रीमो लालू यादव कुछ मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं और अभी जेल की हवा खा रहे हैं। फिर भी, राबड़ी देवी उनके साथ खड़ी हैं और उनका समर्थन करतीं हैं। अगर उनके सामने कोई लालू के ख़िलाफ़ एक शब्द भी बोले तो राबड़ी उसका मुँह नोच लें। अगर प्रियंका अपने पति को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ़्तर छोड़ मोदी को टक्कर दे सकती है, तो राबड़ी ने तो लालू को जेल तक छोड़ा है।

राबड़ी प्रियंका से ज्यादा आदर्श पत्नी हैं (द क्विंट की परिभाषा के हिसाब से)

इस हिसाब से राबड़ी देवी को तो अब तक पूरे भारत का सर्वमान्य नेता होना चाहिए? अरे, भारत पितृसत्तात्मक और रूढ़िवादी है न? लेख में दावा किया गया है कि यहाँ लोग महिला नेताओं से जल्दी जुड़ जाते हैं और उन्हें दीदी (ममता बनर्जी), बहन जी (मायावती) और अम्मा (जयललिता) बुलाने लगते हैं।

‘पितृसत्तात्मक और रूढ़िवादी’ देश की राजनीति की एक झलक

अरे आप कहना क्या चाहती हो? भारत में महिलाओं को तुरंत नेता भी मान लिया जाता है, भारत पितृसत्तात्मक भी है। भारत में महिला नेताओं को सम्मानपूर्वक कुछ नाम देकर भी पुकारा जाता है, भारत रूढ़िवादी भी है। तभी हमारे लेख में एक बार कहा गया था- “येक पे रहना, या घोड़ा बोलो या चतुर बोलो“। वैसे तो ये पंक्ति कपिल सिब्बल के देशद्रोह क़ानून पर दिए बयान के परिपेक्ष्य में पिरोई गई थी, लेकिन इस मामले में क्विंट की लेखिका शुमा राहा पर फिट बैठती है।

महागठबंधन के नेता भी रॉबर्ट वाड्रा से करना चाह रहे शादी

वैसे, द क्विंट के इस लेख का कुछ पॉजिटिव असर भी हुआ है। महागठबंधन के नेताओं ने पूरे भारत के सर्वमान्य नेता बनने रॉबर्ट वाड्रा से शादी करने का प्रण किया है। वैसे भी, धारा 377 को ख़त्म किया जा चुका है। उन्हें पता चल गया है कि जो भी रॉबर्ट वाड्रा की पतिव्रता पत्नी का धर्म निभाएगा, उसे भारत की जनता सहर्ष ही स्वीकार करेगी। और, इस वक़्त जनता द्वारा स्वीकारे जाने के अलावा बचा ही क्या है!

कुछ नेताओं ने तो यहाँ तक दावा किया है कि वो रॉबर्ट वाड्रा को ED और CBI क्या, ज़रूरत पड़ी तो उन्हें तिहाड़ तक भी छोड़ आएँगे और, द क्विंट की नई परिभाषा के अनुसार, एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी बन कर मोदी को टक्कर देंगे। वैसे भी प्रियंका आदर्श पत्नी हों न हों, रॉबर्ट जैसे आदर्श किसान को अपने आदर्श पति के रूप में बहुत नेता देखते हैं क्योंकि, पत्नी तो कान में ही आपको निर्दोष कह सकती है, लेकिन मीडिया तो माइक लेकर वित्तीय धाँधली के मामले में हो रही पूछताछ में भी सकारात्मक ख़बर निकाल लाती है। इतना पावरफुल व्यक्ति किसे नहीं भाता?

लेकिन इन तीनों ने तो कभी शादी ही नहीं की

वैसे यह लेख लिखते समय क्विंट एक बात भूल गया कि जिन महिला नेताओं का उसने उदाहरण दिया है उनके पतिव्रता होने या न होने पर कोई बहस हो ही नहीं सकती क्योंकि अम्मा, बहन जी और दीदी ने तो शादी ही नहीं की।

द क्विंट को झटका, दूसरे दिन नहीं आईं प्रियंका

ताज़ा ख़बरों के अनुसार, प्रियंका गाँधी ने दूसरे दिन अपने पति रॉबर्ट वाड्रा को ED दफ़्तर तक नहीं छोड़ा। द क्विंट की परिभाषा में प्रियंका दूसरे दिन ‘पतिव्रता’ महिला की परीक्षा में क्वॉलीफ़ाई नहीं कर पाई।

रॉबर्ट वाड्रा और ईडी
प्रियंका गाँधी दूसरे दिन वाड्रा को पूछताछ के लिए छोड़ने ED दफ़्तर नहीं आई

वैसे अब देखना यह है कि दूसरे दिन घटनाक्रम में बदलाव के बाद ‘कर्तव्यपरायण महिला’ की नई परिभाषा क्या इज़ाद की जाती है। हमें इंतज़ार रहेगा।

वाड्रा पर जारी रही सवालों की बौछार, पहले राउंड में 6 घंटे और दूसरे में 2 घंटे चली पूछताछ!

मनी लॉन्ड्रिंग केस में बुरी तरह फँसे कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। बुधवार (फरवरी 6, 2019) को 6 घंटे की पूछताछ के बाद आज गुरूवार (फरवरी 7, 2019) को भी रॉबर्ट से दूसरे राउंड में दो घंटे तक पूछताछ चली।

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के अधिकारियों के अनुसार ब्रिटेन में अचल संपत्ति हासिल करने के संबंध में उनसे सवाल पूछने की ज़रूरत थी। ईडी के मुताबिक़ वाड्रा से पूछताछ में लिया गया बयान, मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक क़ानून के तहत दर्ज़ किया जाएगा, जैसा कि इससे पहले वाले राउंड में यानी बुधवार को किया गया था। साथ ही रॉबर्ट को जयपुर में भी पेश होने को भी कहा गया है।

ईडी के सूत्रों की यदि मानें तो रॉबर्ट ने संजय भंडारी के रिश्तेदार सुमित चड्ढा को ई-मेल किए थे। इन्हीं ई-मेल का सुमित ने रॉबर्ट वाड्रा को जवाब भी दिया था। इसके बाद ही रॉबर्ट ने प्रॉपर्टी को लेकर निर्देश दिए। ईडी का दावा है कि उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा के सभी ई-मेल को ट्रैक किया है जिसे वह पेश भी करेंगे।

बता दें जेल जाने के डर से रॉबर्ट ने पहले ही अपनी ज़मानत के लिए अंतरिम ज़मानत के लिए दिल्ली के पटियाला कोर्ट में याचिका दर्ज़ की थी जिसके बाद उन्हें 16 फरवरी तक गिरफ़्तारी से राहत मिली थी। लेकिन, राहत के साथ ईडी के सवालों का सामना करने को कहा गया था।

इस पूरी सुनवाई पर वाड्रा के वकील का कहना है कि रॉबर्ट को इस मामले में बेवजह फँसाने का प्रयास किया जा रहा है। वह क़ानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। वकील के मुताबिक़ रॉबर्ट के ख़िलाफ़ यह एक राजनीतिक चाल चली जा रही है।

हिन्दुओं की मौत में अख़लाक़ वाला सोफ़िस्टिकेशन नहीं है

देश एक ओर जहाँ सहिष्णुता और असहिष्णुता के विवाद में मशगूल है, उसी समय धर्मान्तरण का कारोबार देशभर में तेजी से पैर पसार रहा है। एक सम्प्रदाय विशेष, जिसके इतिहास में जबरन धर्म परिवर्तन, कट्टरता, बर्बरता और हिंसा के पन्ने जुड़े हुए हैं, 21वीं सदी में भी इसी लीक पर काम कर रहा है यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है। लेकिन ये चौंकाने वाली बात ज़रूर है कि देश का ‘बुद्दिजीवी वर्ग’ अपनी नींद से सिर्फ खास मौकों पर ही आगे आता है, तख्तियाँ बनाता है, सत्संग करता है।

बुधवार को ही तमिलनाडु के तिरूभुवनम में एक ‘समुदाय विशेष’ के सदस्यों द्वारा रामलिंगम की हत्या कर दी गई और इसका कारण है कि रामलिंगम दलित बस्तियों में मुस्लिमों को जबरन धर्म परिवर्तन करने के लिए उकसाने से रोक रहे थे। नतीजा ये हुआ कि रामलिंगम को क्रूरता से जख़्मी किया गया, उनके हाथ काट दिए गए और अस्पताल पहुँचाने से पहले ही उनकी मौत हो गई।

भारत देश वर्तमान में बड़े स्तर पर धर्मपरिवर्तन की मार से गुजर रहा है। मुस्लिम हों या फिर ईसाई हों, इनका सबसे आसान और सबसे पहला लक्ष्य हिन्दू धर्म के आर्थिक रूप से वंचित, निचली जातियों के लोगों का धर्म परिवर्तन करना रहता है। स्वयं को सबसे पुरानी, उन्नत, यहाँ तक कि स्वयं को सभ्यता सूर्य मानने का दावा करने वाले ईसाई भी आज के समय पर धर्म परिवर्तन कर संख्या जुटाने के लिए इतने संवेदनशील हैं।

इस तरह से एक हिन्दू ही है जिसका धर्म के प्रचार-प्रसार को लेकर कोई लक्ष्य नहीं है। वो मात्र पूजा-पाठ करना चाहता है, गाय की सेवा करना चाहता है, और तिलक लगाकर एक गौरवपूर्ण जीवन जीने का प्रयास करता है और यह आज़ादी उसे इस लोकतंत्र का संविधान देता है। लेकिन ‘आदर्श लिबरल’ गिरोह द्वारा उसके इस दैनिक जीवन को भी ‘ओल्ड स्कूल थिंग’ कहा जाता है, उसके तिलक लगाने को सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना हो जाता है और इन सब कामों को कट्टरता से जोड़ दिया जाता है। साथ ही, अब पत्रकारिता का भी एक समुदाय विशेष तेजी से उभर कर सामने आया है जिसके अनुसार ये सब ‘घृणित ब्राह्मणवाद’ का प्रतीक है।

मैंने किसी भी विद्यालय, शिक्षण संस्थान और ऑर्गनाइजेशन में काम कर रहे किसी हिन्दू को पूजा-पाठ के लिए दिन में 3 बार तो क्या, सप्ताह और महीने में भी एक बार अवकाश लेते या देते नहीं देखा है और शायद यह पढ़ते हुए भी आपको हँसी आएगी। आप खुद विचार कीजिये कि क्या ऐसा प्रश्न आप अब तक सोचते भी आए हैं? जवाब है नहीं।

क्योंकि हमारा मस्तिष्क धारण कर चुका है कि उपहास और घृणित रूप से देखे जाने के भय से हमें ऐसा सोचने तक की आजादी नहीं है। जबकि, कोई विशेष समुदाय का व्यक्ति शुक्रवार को अपनी इबादत के लिए अवकाश लेता है और इसमें शायद मना करने तक की गुंजाइश नहीं होती है। छुट्टी देने वाला भी इसमें बहुत गौरवान्वित और ‘हल्का’ महसूस करता है। वहीं हिन्दुओं के टीका धारण करने पर भी सवाल उठा लिए जाते हैं कि यह हमारे संस्थान का ‘कल्चर’ नहीं है और जाहिर सी बात है कि ऐसा कहने वाले भी हिन्दू ही हुआ करते हैं।

असल में सब मामला ‘सोफ़िस्टिकेशन’ का है। अगर आप धर्म परिवर्तन को ‘कन्वर्ज़न’ कह दें तो सोफ़िस्टिकेशन कहकर ‘इग्नॉर’ किया जा सकता है और यदि घर-वापसी कह दें, तो ‘कट्टर हिन्दू सोच’ कहकर इसे ‘राष्ट्रवादी ताकतों का षड्यंत्र’ कहा जा सकता है। हिन्दू पुनर्जागरण की अग्रणी स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ‘घर वापसी’ शब्द दिया था, जिसका उद्देश्य ऐसे लोगों को हिन्दू धर्म में वापस जोड़ना था जिन्हें जबरन इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया था।

सवाल ये है कि अपनी आस्थाओं को सिर्फ सुरक्षित रखने का प्रयास करने वाले लोग सांप्रदायिक हिन्दू कैसे हो जाते हैं? जबकि प्रताड़ित कर, जबरदस्ती दबाव बनाकर और तरह-तरह के लालच देकर हिन्दुओं को मुस्लिम और ईसाई बना देना की तरह से एक मानवता के कल्याण की योजना मान लिया जाता है?

पिछले कुछ सालों में इस देश में हिन्दुओं की हिंसात्मक तरीके से हत्या और मार-काट एक आम बात बनकर रह गई है। वामपंथी समुदाय का इन अवसरों पर एक ख़ास मौन धारण कर लेना समझ में आता है लेकिन सत्ता में होने के बावजूद भाजपा सरकार ने भी इन हत्याओं पर कभी कोई विशेष रूचि नहीं दिखाई है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिन्दू धर्मपरिवर्तन के विरोध में आवाज उठाने वालों की हत्या पर कभी कोई राय नहीं रखी।

तमाम अखबार और न्यूज़ वेबसाइट्स केरल, बंगलुरू, मेरठ, लुधियाना, उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक RSS कार्यकर्ताओं की हत्या की ख़बरों से भरे रहे हैं, लेकिन इस पर वामपंथी मीडिया गिरोह ने कभी कोई ‘ऑनलाइन पिटीशन’ और आंदोलन नहीं चलाया।

प्रश्न फिर खड़ा होता है कि आखिर 2 लोगों की हत्या में संवेदनशीलता, विलाप और उग्रता के मीटर में परिवर्तन क्या सिर्फ इसलिए आ जाता है, क्योंकि वो आपके जैसी विचारधारा से ताल्लुक नहीं रखता है? किसी हिन्दू की निर्मम हत्या किसी समुदाय विशेष की मृत्यु से किस तरह अलग हो जाती है? क्या उसे सिर्फ इसलिए न्याय नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि उसका नाम अख़लाक़ नहीं बल्कि रामलिंगम है?

रामलिंगम की निर्मम हत्या भी ऐसे ही बाकी सभी पुराने प्रकरणों की तरह ही एक ‘बीत गई बात’ बनकर रह जाएगी। ख़बरों का टेस्ट तैमूर की क्यूट तस्वीरों और प्रियंका गाँधी के खाने और सोने के समय द्वारा तय कर लिया जाएगा और न्याय की बात अगली ऐसी ही किसी घटना के बाद फिर उठाई जाएगी। जनता का रोष उस चाइनीज़ प्रॉडक्ट की तरह बन चुका है, जिसकी सुबह और शाम तक चलने की कोई गेरेंटी नहीं होती है।

गुर्जर आरक्षण: गहलोत-पायलट के गले की फाँस, हो सकता है उग्र आंदोलन

राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस पार्टी ने गुर्जरों से आरक्षण का वादा किया था। ऐसे में आरक्षण के लोभ से गुर्जर समाज के लोगों ने कॉन्ग्रेस के पक्ष में मतदान किया। यही वजह है कि प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद गुर्जर आरक्षण की माँग को लेकर उग्र हो गए हैं।

सत्ता में आने के लिए कॉन्ग्रेस ने आरक्षण का कार्ड खेला था, जो अब कॉन्ग्रेस सरकार के लिए ही मुसीबत बन गई है। गुर्जरों ने राजस्थान सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि यदि 8 फरवरी तक सरकार ने गुर्जर आरक्षण की घोषणा नहीं की तो गुर्जर समुदाय के लोग रोड और रेल जाम करेंगे।

जब कॉन्ग्रेस कार्यालय में आरक्षण के मामले पर मुख्यमंत्री गहलोत से पत्रकारों ने सवाल पूछा तो गहलोत ने माइक सचिन पायलट की तरफ खिसका दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गहलोत के इस व्यवहार पर सभी पत्रकार ठहाके लगाकर हँसने लगे।

इसके बाद राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पायलट ने मुख्यमंत्री से कहा कि सवाल का जवाब मैं क्यों दूँ, आप क्यों नहीं ? इसके बाद पायलट ने पत्रकारों से पूछा कि आप लोग यह सवाल सरकार से पूछ रहे हैं या कॉन्ग्रेस पार्टी से पूछ रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेन्स में सचिन पायलट के गुस्सा को भांपते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि अरे नहीं आप ही बोलो आप भी सरकार के हिस्सा हो। इसके बाद सचिन पायलट ने पत्रकारों से बात की। पायलट ने पत्रकारों से कहा कि हमारी सरकार गुर्जर आरक्षण को लेकर गंभीर है, लेकिन केंद्र सरकार की सहमती के बग़ैर यह संभव नहीं है। इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेन्स से साफ़ हो गया कि आरक्षण के मामले पर कॉन्ग्रेस पार्टी घिर गई है।

दरअसल, पायलट राजस्थान के गुर्जर समाज से ही आते हैं। यही वजह है कि चुनाव में इस जाति की वोट भी कॉन्ग्रेस के पक्ष में पड़ी थी। लेकिन आरक्षण के मामले पर सरकार को घिरते देख गहलोत ने अचानक से गेंद पायलट के पाले में डाल दी। पायलट इस बात को बख़ूबी समझ रहे थे कि यह कितना अहम मुद्दा है जो आगे चलकर कॉन्ग्रेस सरकार और पायलट के राजनीतिक करियर के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।

जानकारी के लिए बता दें कि आरक्षण के मामले में गुर्जर समाज के लोगों ने राजस्थान सरकार के ख़िलाफ़ 27 जनवरी से खंडार नाम की जगह पर पंचायत की, इसके बाद यह पंचायत राज्य भर में इस तरह की पंचायतें किए जाने की घोषणा की गई।

1 फरवरी को नैनवा और 5 फरवरी को अजमेर में भी पंचायत हुई। इसके बाद 13 फरवरी को दौसा में पंचायत होगी। गुर्जर समुदाय के लोगों ने राज्य सरकार के लोगों को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि राज्य के अलग-अलग ज़िले में होने वाले इस पंचायत के बाद इस जाति के लोग रोड और रेल बंद करेंगे।