Tuesday, October 1, 2024
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9 सेकंड का खेल… PM मोदी ऐसे जीत लेते हैं अपने कार्यकर्ताओं का दिल

नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। और ऐसा नहीं है कि यह प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ है। लोगों से स्वतः जुड़ जाना उनकी आदत कह सकते हैं आप। अपनी संस्था या अपने मातहत लोगों को नाम से याद रखना उनकी फितरत है। बदले में लोग भी उन्हें टूट कर प्यार करते हैं।

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में PM मोदी जब सुरक्षा दलों से घिर कर चल रहे थे तो अचानक से एक शख़्स की ओर मुड़ गए। और डाँटने वाले अंदाज़ में पूछा – “क्यों रे बाला, तेरी किताब नहीं मिली यार, कौन-सी किताब लिखी तुमने?” इसके बाद उस कार्यकर्ता के कान पकड़ खींचे भी और कंधे पर एक चपत भी लगाई।

पीएम मोदी की यह ख़ासियत रही है। विदेश दौरों पर भी वह प्यार से कभी किसी बच्चे के कान खींचते नज़र आते हैं, तो कभी मदमस्त अंदाज़ में ड्रम बजाते। हालाँकि, उनकी आलोचना करने वाले इन पर भी कह देते हैं – ‘बच्चों के कान ऐसे तो मत खींचो। शायद कल तक कोई कह भी दे – मोदी ने अपने कार्यकर्ता को मारा थप्पड़!

12 सालों के वनवास के बाद मुस्कुराईं ‘पाकिस्तान की’ जमुना माई

बुढ़ापे में चेहरे की झुर्रियों के बीच उस वक़्त जमुना माई के चेहरे पर खुशी के आँसू आ गए जब 12 साल के इंतज़ार के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिली। पाकिस्तान से 2006 में आईं जमुना माई शुक्रवार से भारत की नागरिक हो गई हैं, हालाँकि अब उनकी उम्र 101 साल है। बता दें कि जमुना माई जोधपुर में एक छोटे से गाँव सोधा री धाणी में 12 साल पहले आकर बसी थीं और उन्होंने 2015 में यहाँ की नागरिकता के लिए आवेदन किया था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने अब उन्हें नागरिकता प्रदान की।

नागरिकता हासिल करने वाली सबसे बुजुर्ग महिला

भारतीय नागरिकता मिलने के बाद जमुना माई ने अपने परिवार के साथ खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “मुझे भारत की नागरिकता मिली है और मैं बहुत खुश हूँ कि अब मैं भारत में हूँ, और रहूँगी। आखिरकार 12 साल के बाद मुझे नागरिकता मिल ही गई।” वहीं जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि जमुना माई भारत की नागरिकता हासिल करने वाली देश की सबसे बुजुर्ग महिला हैं।

जमुना माई के बेटे आत्माराम ने कहा, “मेरे दादाजी राजस्थान के रहने वाले थे वो अकाल में पाकिस्तान चले गए थे। हालाँकि, बाद में हमने समस्या का सामना करना शुरू कर दिया और भारत वापस आने का फैसला किया। आज मेरी माँ भारत की नागरिक बन गई हैं। हम चाहते हैं कि हमारे पूरे परिवार को भारत की नागरिकता मिले।”

2006 में धार्मिक वीजा पर आया था परिवार

जमुना माई 2006 में भारत आईं थी। इससे पहले उनका परिवार पाकिस्तान के कब्ज़े वाले पंजाब में ज़मींदारों के यहाँ खेती करके गुजारा कर रहा था। जमुना के बेटे आत्माराम बताते हैं कि भारत में 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पाकिस्तान में रहना उनके लिए आसान नहीं था, जिसके कारण उन्हें भारत आना पड़ा।

पंजीकरण के आधार पर मिल सकी नागरिकता

जमुना माई को नागरिकता अधिनियम 1955 के आधार पर भारत की नागरिकता दी गई है। नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 में ग़ैरक़ानूनी अप्रवासी न होने पर ही नागरकिता पाने का प्रावधान है। भारत के नागरिक के तौर पर पंजीकृत होने के लिए आवेदन करने से पहले न्यूनतम सात वर्ष तक भारत में निवास अनिवार्य है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के आधार पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों को क़ानूनी तौर पर वीजा लेकर भारत में आने पर ही यहाँ की नागरिकता मिल सकती है।

PM ने कार्यकर्ताओं को दी कड़ी मेहनत की हिदायत- बोले अकेले क्या करेगा मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए 2019 के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं को कड़ी मेहनत करने की हिदायत दे दी। पीएम ने कहा कि 2019 का चुनाव कड़ी मेहनत से जीतना है। केवल मोदी पर ही आश्रित नहीं रहना है। सबकी मेहनत ही रंग लाएगी। उन्होंने कहा, “आप सबका विश्वास सुनने में अच्छा लगता है कि एक हवा फैलेगी, मोदी आएगा सब ठीक हो जाएगा, सब जीत जाएँगे, बाज़ी पलट देगा।” उन्होंने संगठन पर बल देते हुए कहा कि मैं भी इसी संगठन का एक बच्चा हूँ और आपको भी संगठन के लिए मेहनत करनी होगी।

पीएम ने अपने 80 मिनट के भाषण में कहा कि चुनाव मज़बूत और मज़बूर सरकार के बीच है, लेकिन हमें तैयारी करके रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अच्छी फसल के लिए अच्छे बीज और बारिश की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही राजनीतिक ज़मीन को भी तैयार करना पड़ता है। ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत हो, यही जीतने का मंत्र है’।

पीएम ने विपक्ष को बताया असहाय

पीएम मोदी ने न सिर्फ कार्यकर्ताओं को 2019 के लिए सजग किया, बल्कि विपक्ष और गठबंधन को लेकर भी उन्होंने खूब तंज कसा। पीएम ने कहा कि चुनाव ‘मज़बूत सरकार और मज़बूर सरकार’ के बीच है। वहीं महागठबंधन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों ने कॉन्ग्रेस के सामने सरेंडर कर दिया है। अब विपक्ष के पास केवल भाई-भतीजावाद के साथ भ्रष्टाचार बचा हुआ है। विपक्ष के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो ‘एनडीए’ का विकल्प हो।

पीएम ने कहा, “महागठबंधन टिकने वाला नहीं है, हमने तेलंगाना में इसका ट्रेलर देखा था।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने खुद कहा था कि उनका दर्जा किसी क्लर्क से भी बदतर है।

उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि राजनीति एक विचारधारा की तरह होती है। यहाँ सभी लोग एक शख्स के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। हमें इसे समझना चाहिए और इसपर मंथन करने की आवश्यकता है।

सामान्य नागरिक के हित में बदल सकता है देश

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी सरकार ने ये साबित किया है कि देश नागरिकों का है, और देश नागरिकों के लिए बदल भी सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार बिना भ्रष्टाचार के कैसे चलाई जा सकती है, लोगों को हमारी सरकार से सीखने की जरूरत है। सरकार ने सत्ता के गलियारों से दलालों को बाहर करने का काम किया है। हमारा मूल मंत्र है, ‘सबका साथ-सबका विकास’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’।

सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण संबंधी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी, बना कानून

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने सम्बन्धी संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय द्वारा इसके नियम एवं शर्तों को अंतिम रूप देने के साथ ही ये क़ानून लागू हो जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक हफ़्ता लगने की उम्मीद है। इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।

केंद्रीय न्याय एवं विधि मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में अधिसूचना ज़ारी करते हुए कहा कि संविधान के 103वें संशोधन, 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। इसे अनुच्छेद 15 तथा 16 के अंतर्गत पारित किया गया है। इस अधिसूचना के ज़ारी होने के साथ ही 8 लाख से कम सालाना आमदनी वाले सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है। इस क़ानून के अंतर्गत सरकार को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का अधिकार होगा।

हालाँकि, ये प्रावधान अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में लागू नहीं होगा। ये आरक्षण की मौजूदा 50 प्रतिशत की सीमा के अतिरिक्त होगा। इसे लोकसभा एवं राज्यसभा- दोनों सदनों में पारित किया जा चुका है। इसके दोनों सदनों में पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐतिहासिक बिल बताया था।

वहीं गुजरात सरकार ने इस क़ानून को अपने राज्य में संक्रांति से लागू करने की घोषणा की है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने निर्णय लिया कि 14 जनवरी से इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा।

बता दें कि दोनों सदनों में भारी बहुमत से पारित इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है। एक NGO ने इसे ग़ैरकानूनी बता कर अदालत से इस बिल को रद्द करने की माँग की है।

चीन-पाक-बांग्लादेश से लगी सीमाओं पर रणनीतिक महत्व की सड़कें बनाने की तैयारी

भारत सरकार ने Comprehensive Integrated Border Management के अंतर्गत चीन पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी सीमाओं पर सड़कें बनाने का कार्य आरंभ कर दिया है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 में इसका उल्लेख किया है कि विभाग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर रणनीतिक महत्व की सड़कें बनाने, फ़ेसिंग करने और फ़्लड लाइट लगाने के लिए प्रतिबद्ध है।

CPWD ने भारत के साथ लगने वाली पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश की सीमाओं पर यह सारे कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में ₹490 करोड़ की लागत से कार्य किए जा रहे हैं।

CPWD को भारत-चीन सीमा पर रणनीतिक महत्व की 44 सड़कें बनाने का कार्यभार सौंपा गया है। यह सड़कें पाँच राज्यों- जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरेंगी।

इसके अतिरिक्त गृह मंत्रालय ने नवंबर 2018 में विभिन्न कार्यों के लिए भारत-पाकिस्तान तथा भारत-बांग्लादेश सीमा पर क्रमशः ₹450 करोड़ और ₹315 करोड़ जारी किए हैं जिसमें से पाकिस्तान सीमा पर फ़्लड लाइट हटाकर LED लाइट लगाने के लिए ₹350 करोड़ दिए गए।

CPWD को भारत-चीन सीमा पर रणनीतिक महत्व की 44 सड़कें बनाने का कार्यभार सौंपा गया है। ‘डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट’ (DPR) के अनुसार इस कार्य के लिए ₹21,040 करोड़ की लागत आएगी। यह सड़कें पाँच राज्यों- जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरेंगी। डीपीआर को अभी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से पास होना बाकी है।

इसके अतिरिक्त CPWD, सर्द मौसम में चीन सीमा पर तैनात ITBP के सैनिकों के लिए 96 बॉर्डर आउटपोस्ट पर अत्याधुनिक थर्मल इन्सुलेशन से युक्त परमानेंट इंटीग्रेटेड बिल्डिंग बनाएगी। डीपीआर में इसकी लागत ₹2,500 करोड़ के लगभग आएगी। भारत-पाकिस्तान सीमा पर राजस्थान और पंजाब राज्यों में क्रमशः ₹3,700 और ₹1,750 करोड़ की लागत से लेटरल और एक्सियल सड़कें बनाई जाएँगी।

यह सारे कार्य भारत सरकार की Comprehensive Integrated Border Management योजना को लागू करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। उरी और पठानकोट हमले के बाद से ही बॉर्डर मैनेजमेंट को दुरुस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सीमा एक संवेदनशील क्षेत्र होता है जिसका सही प्रबंधन करना शांति और युद्ध, दोनों काल में आवश्यक है। भारत सरकार ने 2015 से अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा को लेकर CIBM योजना को मूर्तरूप देना प्रारंभ कर दिया था।     

कुम्भ 2019: अखाड़ों की परंपरा और जटाएँ

प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले कुम्भ की सबसे बड़ी विशिष्टता इसमें शामिल होने वाले अखाड़े हैं। जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, उदासीन अखाड़ा और अब किन्नर अखाड़ा समेत कुल चौदह अखाड़े है। अखाड़ो की परंपरा अपनी विशिष्टता, भव्यता और रोचकता के कारण हमेशा से जनमानस में कौतूहल, जिज्ञासा का विषय रहे हैं।

इन अखाड़ों का मूल रूप ‘अखंड’ है इसी कारण आदि गुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा और धार्मिक परंपरा को अक्षुण्ण बनाने के लिए साधुओं के संघ को मिलाने का प्रयास किया था और अंततः अखाड़ों की स्थापना हुई। इन अखाड़ों की सबसे खास बात यह है कि ये शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत होते हैं। अखाड़ों का निर्माण सनातन धर्म की रक्षा और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किया गया।

जटा मुकुट की परम्परा

इसी सिलसिले में विमल श्रीवास्तव ने भिन्न-भिन्न अखाड़ों के कुछ महंतो से बात की। श्री महंत केशव नाथ जी (महंत, जूना अखाड़ा) ने कुम्भ में आने वाले महंतों और साधुओं की जटाओं पर बात करते हुए कहा, “अखाड़ों की परंपरा में सबसे अहम है जटा मुकुट की परम्परा। बड़ी मुश्किल से तैयार होती हैं ये जटाएँ और इनकी देख-रेख भी बहुत सम्हाल कर की जाती है। अखाड़ों के साधु इसे अपना आभूषण मानते हैं और उनका कहना है जटायुक्त साधु ‘दर्शनी साधु’ होते है। दर्शनी जटाएँ रस्सी की तरह बँटी हुई होती हैं। यानी जटा का मुकुट होता है।”

जटाओं की महत्ता पर महंत सहदेवानंद जी (महंत, जूना अखाड़ा) ने बताया, “एक साधु की पहचान उसकी जटाओं से होती है और उसे बड़ा करने में इन्हें कई साल लग जाते हैं। तब जा कर इनकी जटाएँ इनके कद से भी कहीं बड़ी हो जाती हैं। इन जटाओं को बड़ा करने के लिए ये साधु इन्हें कंडा की विभूति देते है। अखाड़ों की जटा परंपरा अनादि काल से चली आ रही है।”

इसी विषय पर नागा साधु दिगम्बर कृष्णा पूरी जी ने भी अपनी बात कही, “वैसे तो कुम्भ मेले में अखाड़ों की कई प्राचीन परंपराएँ देखने को मिल रही हैं, जैसे नागा बनने की परंपरा, अखाड़ों की शस्त्र परंपरा आदि लेकिन इन सब में जटा परंपरा अपने आप में अनोखी परम्परा मानी जाती है।”

कुम्भ 2019 से जुड़ी कुछ तस्वीरें आप यहाँ देख सकते हैं।

गुरु गोबिंद सिंह के सम्मान में PM मोदी ने जारी किया 350 रुपए का स्मारक सिक्का

गुरु गोबिंद सिंह की जयन्ती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 350 रुपए का स्मारक सिक्का जारी किया। दिल्ली में चल रहे जयन्ती समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी शिरकत की।

गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे, जिनकी जयन्ती पर स्मारक सिक्का जारी हुआ। दिल्ली में सभा को संबोधित करने के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह एक महान योद्धा, दार्शनिक, कवि और गुरु थे। उन्होंने अत्याचार और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनकी शिक्षा हमेशा धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़ने के लिए रही। उनके द्वारा दिया गया प्रेम, शांति और त्याग का संदेश आज भी सब में बेहद प्रासंगिक है। गुरु गोबिंद सिंह के प्रति अपना सत्कार अदा करने की दिशा में स्मारक सिक्के को नरेंद्र मोदी ने एक बहुत ही छोटा सा कदम बताया।

इस सिक्के को जारी करने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि भारत के पास जो संस्कृति और ज्ञान की विरासत है, उसे विश्व के कोने-कोने तक फैलाए जाने का कार्य किया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह का काव्य भारतीय संस्कृति और हम लोगों के जीवन की सरल अभिव्यक्ति है। जिस प्रकार गुरु गोविंद सिंह जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था, वैसे ही उनका काव्य भी अनेकों विषयों को अपने में समाए हुए है।

इस बीच प्रधानमंत्री ने करतार पुर बॉर्डर पर भी बात की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के लगातार प्रयासों के बाद करतारपुर कॉरिडोर बनने जा रहा है। अब गुरु नानक जी के रास्ते पर चलने वाला हर भारतीय दूरबीन की मदद से नहीं बल्कि खुद अपनी आँखों से गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन कर पाएगा।

नरेंद्र मोदी ने अगस्त 1947 में हुई चूक का इस कॉरिडोर को प्रायश्चित बताया है। 1947 में बँटवारे के समय ये महत्वपूर्ण स्थल रणनीतिक चूक की वजह से पाकिस्तान के हिस्से में चला गया।

केंद्र सरकार द्वारा कॉरिडोर मामले में किया गया यह काम सिखों और हर भारतीय के ज़रिए सराहा जा रहा है। साल 2017 में 5 जनवरी को पीएम ने 350वीं जयन्ती पर स्मारक के तौर पर डाक टिकट की भी शुरुआत की थी।

इन स्मारक सिक्कों के बारे में आपको बता दें कि ये किसी खास मौके पर ज़ारी किए जाते हैं। इनके ऊपर उस अवसर से जुड़े दिन का संदर्भ दिया गया होता है। ये प्राचीन स्मारक स्थलों, ऐतिहासिक व्यक्तियों, लुप्तप्राय प्रजातियों आदि पर प्रकाश डालते हुए थीम पर आधारित हो सकते हैं।

अभी तक महान भारतीय एक्टर और राजनेता स्वर्गीय एमजी रामचंद्रन की याद में 100 रुपए और 5 रुपए का सिक्का पीएम मोदी द्वारा जारी किया गया है। इसके अलावा कर्नाटक शैली की गायिका एमएस सुब्बालक्ष्मी के सम्मान में 100 रुपए और 10 रुपए का सिक्का भी जारी किया गया था।

भारतीय इतिहास में स्मारत सिक्के चलाने की प्रथा रही है। 1964 में सबसे पहला स्मारक सिक्का प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सम्मान में जारी किया गया था।

#MeToo: फ़िल्म डायरेक्टर राजकुमार हिरानी पर यौन शोषण का आरोप

संजू, 3 इडियट्स, मुन्नाभाई और पीके जैसी फिल्में बनाने वाले बॉलीवुड के प्रसिद्ध डायरेक्टर राजकुमार हिरानी भी ‘Me Too’ की जद में आ गए हैं। ये आरोप उनके साथ काम करने वाली एक महिला ने लगाया है। पीड़िता के अनुसार राजकुमार हिरानी ने उन्हें करीब छह महीने तक प्रताड़ित किया। यह महिला पिछले साल आई फ़िल्म संजू के पोस्ट प्रोडक्शन क्रू में शामिल थीं। उन्होंने हिरानी पर आरोप लगाया कि वो उनके साथ बदसलूकी करते थे।

बता दें कि भारत में ‘मी टू (Me Too)’ अभियान की शुरुआत पिछले वर्ष अक्टूबर में तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर पर लगाए गए आरोपों के साथ हुई थी। इसके बाद अभिनेता आलोक नाथ, फ़िल्मकार साज़िद खान, पत्रकार विनोद दुआ सहित कई जानी-मानी हस्ती इसकी जद में आ गए थे। राजकुमार हिरानी पर लगे आरोपों को बॉलीवुड का सबसे बड़ा ‘मी टू (Me Too)’ स्कैंडल माना जा रहा है। राजकुमार हिरानी पिछले 15 सालों से फ़िल्म निर्देशन में सक्रिय हैं और इस दौरान उन्होंने आमिर ख़ान, संजय दत्त और रणबीर कपूर सहित कई बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया है।

हफ़्फिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता संजू के पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान इस सच को सबके सामने लाने का साहस नहीं कर पाईं क्योंकि राजू हिरानी इंडस्ट्री में एक बड़े नाम हैं और वो उसे बदनाम कर सकते थे। साथ ही हिरानी ने पीड़िता को नौकरी से निकालने तक की धमकी भी दे डाली थी। ये सारे खुलासे नवंबर 3, 2018 को फ़िल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा को भेजे गए एक ईमेल से हुए हैं।

इस ईमेल में पीड़िता ने कहा था वो अपने से 30 साल बड़े हिरानी को पिता-तुल्य मानती थी लेकिन उन्होंने उनके दिल, दिमाग और शरीर के साथ खिलवाड़ किया। उस महिला ने हिरानी पर अपने ऑफिस में बुला कर बदसलूकी करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वो हिरानी की प्रताड़ना को सिर्फ इसलिए सहती रही क्योंकि उनके पिता गंभीर रोग से पीड़ित थे और वो अपनी नौकरी नहीं छोड़ सकती थी।

वहीं हिरानी ने हफ़्फिंगटन पोस्ट से बात करते हुए इन सभी आरोपों को निराधार बताया और दावा किया कि उनका उस महिला के साथ सिर्फ़ प्रोफेशनल रिश्ते थे, और कुछ नहीं। उनके वकील ने भी हिरानी पर लगे आरोपों का खंडन किया है।

निर्माता के तौर पर ‘इक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ हिरानी की अगली फ़िल्म है, जो फरवरी में रिलीज़ होने वाली है। इस फ़िल्म में अनिल कपूर, सोनम कपूर और राजकुमार राव मुख्य भूमिका में हैं।

दुबई में ‘हिन्दू’ शब्द बोलने में भी क्यों कतराए जनेऊधारी राहुल गाँधी?

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इन दिनों दुबई के दौरे पर हैं। राहुल यहाँ न सिर्फ पीएम मोदी पर हमला बोल रहे हैं बल्कि गाँधी के विचारों, देश की सांस्कृतिक विरासत और धरोहर को भी चोट पहुँचा रहे हैं। दुबई में भारतवंशियों को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने न सिर्फ ये साबित किया कि उन्हें दर्शन शास्त्र का थोड़ा भी ज्ञान नहीं है, बल्कि ये भी साबित किया कि उन्हें महात्मा गाँधी के अहिंसा के बारे में भी कुछ पता नहीं। दरअसल राहुल गाँधी यहाँ लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ा रहे थे और कह रहे थे कि महात्मा गाँधी ने प्राचीन भारतीय दर्शन, इस्लाम, जूडाइजम से अहिंसा की विचारधारा को लिया है। यहाँ उल्लेखनीय बात यह है कि राहुल ने एक बार भी यह नहीं कहा कि अहिंसा का मूल मंत्र हिंदू धर्म से ही होकर गुजरता है।

ऑडियंस देखकर बोलते हैं राहुल गाँधी

राहुल गाँधी कब क्या बोल जाते हैं, ये उन्हें ही नहीं पता होता है। तभी तो हिंदू शास्त्रों और जैन दर्शन से उठाए गए अहिंसा के पाठ को इस्लाम, जूडाइजम, क्रिश्चैनिटी से जोड़ दिया। राहुल की मानें तो महत्मा गाँधी ने पाश्चात्य संस्कृति से अहिंसा का पाठ पढ़ा। कमाल की बात है कि जिन अंग्रेज या इस्लामी आक्रांताओं से भारत को लंबे समय तक जूझना पड़ा है, आज राहुल गाँधी ने राजनीति करते हुए उन्हें ही अहिंसा का क्रेडिट दे दिया।

भारतीय दर्शन के ‘धर्म दर्शन’ में ‘धर्म’ और ‘रिलीजन’ की अलग ही थ्योरी है। उसमें कहा गया है कि ‘सनातन धर्म’ ही एक मात्र धर्म है, बाकी सभी ‘रिलीजन’ हैं। जिस पाश्चात्य दर्शन ने हमसे अहिंसा का पाठ पढ़ा और सीखा, राहुल गाँधी उनसे महात्मा गाँधी के अहिंसा के पाठ की तुलना कर रहे हैं! ये न सिर्फ भारतीय दर्शन का अपमान है बल्कि महात्मा गाँधी का अपमान भी है। अब सवाल उठता है कि देश में हिंदू धर्म की दुहाई देने वाले और जनेऊ पहनकर खुद को हिंदू कहने वाले राहुल गाँधी विदेश में जाकर वहाँ के ऑडियंस के हिसाब से क्यों बोलने लगते हैं? 

जनेऊधारी राहुल को हिन्दू शब्द से इतना परहेज़ क्यों

देश में रहकर खुद को हिंदू धर्म का रक्षक और रहनुम़ा कहने वाले राहुल भी समय के साथ एक दम बदल जाते हैं। उन्हें पता है कि अवसर का फायदा कैसे लेना है। देश में रहने पर न मालूम उनके अंदर कहाँ से देशभक्ति जाग जाती है। शायद बहुसंख्यकों का वोट उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है। तभी तो सोमनाथ मंदिर में जाकर राहुल गाँधी मंदिर के रज़िस्टर में ग़ैर हिंदू के तौर पर एंट्री करते हैं और तिलक लगाते हुए जनेऊ धारण करके खुद को विशुद्ध हिंदू बताते हैं। लेकिन जैसे ही वो विदेश के दौरे पर होते हैं, वहां के बहुसंख्यकों से ताली बजवाने के लिए ऊल-जलूल कुछ भी बोलते हैं। भले ही वो अहिंसा का गलत पाठ पढ़ाना या हिंदू धर्म का अपमान करना क्यों न हो।

BJP कार्यकर्ता उम्मीदें हारकर चाहते हैं सपा-बसपा से जुड़ना: अखिलेश यादव

सपा-बसपा के गठबंधन के बाद, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने रविवार को ट्वीट के ज़रिए इस बात को कहा कि इस गठबंधन ने बीजेपी के कई लोगों को हतोत्साहित किया होगा। इसलिए पार्टी के निराश और अशांत कार्यकर्ता अब सपा-बसपा से जुड़ना चाहते हैं।

शनिवार (जनवरी 12, 2019) को औपचारिक रूप से गठबंधन की घोषणा करने के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने रविवार (जनवरी 13, 2019) को ट्वीट किया है कि बीजेपी के कई कार्यकर्ता बेहद हताश और निराश हैं और अब सपा-बसपा का हिस्सा बनना चाहते हैं।

बता दें कि शनिवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपने गठबंधन की घोषणा की। ये दोनों पार्टियाँ 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। इस गठबंधन पर पिछले साल मार्च से ही दोनों पार्टियों के मुखिया मायावती और अखिलेश यादव काम कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं की इस गठबंधन को लेकर कई प्रतिक्रियाएँ आईं। जिसके बाद अखिलेख यादव ने ट्वीट करके कहा है, “बसपा-सपा में गठबंधन से न केवल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व व पूरा संगठन बल्कि कार्यकर्ता भी हिम्मत हार बैठे हैं। अब भाजपा बूथ कार्यकर्ता कह रहे हैं कि ‘मेरा बूथ, हुआ चकनाचूर’। ऐसे निराश-हताश भाजपा नेता-कार्यकर्ता अस्तित्व को बचाने के लिए अब बसपा-सपा में शामिल होने के लिए बेचैन हैं।”

हम उनके इस ट्वीट को गठबंधन पर भाजपा द्वारा दी गई प्रतिक्रिया की प्रतिक्रिया भी कह सकते हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने खुल कर गठबंधन पर बात की।

अखिलेश का कहना है कि इस गठबंधन का बीज तो उसी दिन रख दिया गया था, जब भाजपा के नेताओं ने मायवती जी को अपमानित करना शुरू किया था,और बीजेपी ने उन्हें सज़ा देने की बजाए उन्हें मंत्री पद पर बिठा दिया (बता दें अखिलेश की ये बात उस संदर्भ में है, जब मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफ़ा दिया था)।