अपने हाथों से बूढ़ी महिला को खिलाना, साधु-संतों को दण्डवत प्रणाम, मंदिरों में दर्शन, ग़रीबों संग भोजन, बीजद-कॉन्ग्रेस के दिवंगत नेताओं का सम्मान- संबित पात्रा ने पुरी में भाजपा के लिए बिगुल बजा दिया है। उनके अभी तक के पूरे चुनावी अभियान का विश्लेषण।
जामा मस्जिद के शाही इमाम द्वारा किसी खास पार्टी के समर्थन की घोषणा करने से लेकर जनेऊ और शिव-भक्त बनते हुए भारतीय राजनीति ने लंबा सफर तय कर लिया है। इस सफर में मजार पर चढ़ते चादर से लेकर गंगा आरती तक के स्टेशन आए। लेकिन अब जो आया है, वो 'रंगीला' है, 'खूबसूरत' है।
मेजर गोगोई के खिलाफ यह मामला जब प्रकाश में आया था तो टुकड़े-टुकड़े गिरोह के समर्थकों ने यह हवा बनानी शुरू कर दी थी कि मेजर गोगोई को कोई सजा नहीं मिलेगी क्योंकि उन्हें ‘राईट-विन्गर्स’ का समर्थन है। यह ख़बर उनके चेहरे पर सड़े अंडे की तरह है।
कहानी 1992 नई दिल्ली उपचुनाव की, जिसके बाद 'हारे' हुए शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा ने वो सब कुछ दिया, जो उन्हें किसी और पार्टी में जीतने के बाद भी नहीं नसीब होता। और कहानी अब की, जब वो भीड़ भी नहीं जुटा पाते। भाजपा ने उन्हें सही तरीके से हैंडल किया।
लालू यादव के समय उनके आस-पास रघुनाथ झा, रघुवंश प्रसाद, अखिलेश सिंह और सीताराम सिंह जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता संकटमोचक के रूप में हुआ करते थे जो पार्टी में किसी भी तरह की स्थिति को संभालने की ताक़त रखते थे। आज पार्टी को इनकी कमी खल रही है।
जिस तरह की पार्टी है, और जैसे चाटुकार लोग हैं, वो लोगों की गालियों वाले ट्वीट को भी 'चर्चा में तो हैं हमलोग' मानकर निकल ले रहे हैं। मालिक तो पहले ही मूर्ख है, वो तो पेपर देखकर पढ़ नहीं पाता, उसको कुछ भी कह दो, क्या फ़र्क़ पड़ता है!
आतंकी संगठन स्कूली बच्चों को नाबालिग होने की वजह से अपना स्लीपर सेल बना रहे हैं। स्कूली बच्चों पर किसी को शक नहीं होगा और ये पकड़े गए तो जुवेनाइल एक्ट में जल्द छूट जाएँगे, इन्हीं वजहों से इन बच्चों को आसान हथियार बनाया जा रहा है।
ऑपइंडिया ने इस तरफ अपना ध्यान केंद्रित किया और सबूतों को प्राप्त करने की दिशा में क़दम आगे बढ़ाए जिससे यह पता चल सके कि कहीं सोनिया गाँधी और उनका इटैलियन परिवार बोफोर्स घोटाले में शामिल तो नहीं था और फिर उनके नाम सार्वजनिक रूप से छिपा दिए गए हों।
फसल को इसलिए कटवाया जा रहा है ताकि मायावती का विमान आसमान से वहाँ पर उतरे और उनका चुनावी भाषण जोर-शोर से वोटर्स को सुनाया जा सके। चिंता की बात यह भी है कि अभी फ़सल पकने का समय नहीं है, ऐसे में यह फ़सल मवेशियों के चारे के अलावा किसी काम में नहीं आ सकेगा।