मीडिया हलचल
मीडिया से जुड़ी खबरों और पत्रकारों के बयानों का विश्लेषण
रंजन गोगोई तो बहाना है, राम मंदिर निशाना है: पूर्व CJI को राज्यसभा भेजे जाने से खफा BBC ने रोया ‘सिद्धांतों’ का रोना
बीबीसी कहता है कि रंजन गोगोई ने 'अलिखित सिद्धांतों' का पालन नहीं किया। वही बीबीसी, जो मीडिया के लिखित व अलिखित, सभी सिद्धांतों की रोज अनगिनत बार धज्जियाँ उड़ाता है। बीबीसी के इस लेख से पता चलता है कि असली घाव तो राम मंदिर से हुआ है।
‘द टेलिग्राफ’: जातिवाद, हिन्दू-घृणा, वामपंथी बकैती और नीचता को हेडलाइन बनाने वाला अखबार
आश्चर्य की बात यह कि ममता के बंगाल से छपने वाले इस अखबार में बंगाल के मजहबी दंगे दिखाई नहीं देते, बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं की आए दिन होती हत्याएँ नहीं दिखतीं, लेकिन दलितों को एक वायरस से तुलना करते हुए, राष्ट्रपति पर निशाना साधा जाता है, क्योंकि वो भाजपा-संघ से जुड़े हुए रहे हैं।
टेलीग्राफ है? बकवास ही करेगा: हिन्दू-घृणा से बजबजाते अखबार ने दलितों को वायरस कहा
बंगाल से छपने वाला अखबार होने के बावजूद ममता के शासन में यह पेपर भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, हर जिले में हो रहे मजहबी दंगों और तमाम अपराधों से जलते बंगाल पर चुप्पी साध लेता है। ऐसे तमाम मौकों पर इनकी बुद्धि घास चरने चली जाती है और बेहूदे हेडलाइन सुझाने वाले एडिटरों की रीढ़ की हड्डी गायब हो जाती है। इनका सारा ज्ञान हेडलाइन में अपनी जातिवादी घृणा, हिन्दुओं से धार्मिक घृणा आदि में ही बहता रहता है।
BJP और RSS ने ही दिल्ली में मुस्लिमों को मारा: ताहिर को बचाने के लिए पगलाए ‘स्क्रॉल’ ने याद किया बाबरी और गुजरात
इस लेख में सुप्रीम कोर्ट तक को नहीं बख़्शा गया है। संविधान की रट लगाने वाले राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और संसद द्वारा बनाए गए क़ानूनों की अवहेलना करने से भी बाज नहीं आते। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की और राम मंदिर के निर्माण का मार्ग क्यों प्रशस्त किया, इस पर आपत्ति जताई गई है। यानी कोर्ट भी अब वामपंथियों से पूछ कर फ़ैसले ले।
जब ‘दुकानदार’ राजदीप सरदेसाई से डरते थे रवीश कुमार, पिछले दरवाजे से आते थे दफ्तर
वे 'देवानंद' बनना चाहते थे, लेकिन बन गए कुंठित पत्रकार। सो, खीझ होनी स्वभाविक है। इसलिए ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि राजदीप सरदेसाई को अब रवीश कुमार भी दुकानदार बता रहे हैं। कह रहे हैं मैं उनकी तरह बैलेंसवादी नहीं हूॅं।
मुस्लिमों के खून से सना हुआ है ईसाई राष्ट्रवाद… लेकिन विदेशी मीडिया साध लेता है चुप्पी
पाकिस्तान, ईराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना लगभग 5 लाख निर्दोष मुस्लिम नागरिकों की हत्या कर चुकी है। लेकिन वहाँ की मीडिया को अत्याचारी दिखते हैं हिन्दू राष्ट्रवादी!
‘रवीश को आज अपना मुँह काला करवा लेना चाहिए, क्योंकि जो गिरफ्तार हुआ वो शाहरुख ही है’
"सोशल मीडिया पर यूजर्स का कहना है कि शाहरुख की गिरफ्तारी के बाद एनडीटीवी पर मातम छा गया है। रवीश ने बहुत मेहनत की थी उसे अनुराग मिश्रा बताने में। लेकिन अब हकीकत का खुलासा होने के बाद हो सकता है कि रवीश कुमार स्क्रीन काली कर दे।"
आप अपना धैर्य खो बैठे हैं और विपक्ष के अजेंडे में उलझ कर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं
वो चाहते हैं कि आप हिंसा की बात करें, वो चाहते हैं कि आप कानून को हाथ में ले जिस से उनके किए गए कामों को एक कारण मिल सके। क्यों करना है आपको राणा अयूब की ट्वीट को कोट और जवाब देना है? क्यों आपको स्वरा को गद्दार कहना है? राजदीप को क्यों गाली देना है आपको?
दिल्ली दंगों की 8 कहानियाँ, जिसे मीडिया छुपा रहा: अजीत भारती के सवाल | Ajeet Bharti on Delhi Riots and Media Hiding Facts
वामपंथी मीडिया ये कहानियाँ नहीं दिखाएगा क्योंकि ये कहानियाँ महत्वपूर्ण नहीं। हिन्दुओं की मौत से इस देश की मीडिया को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
AAP की जीत पर स्टूडियो में नाचता है राजदीप, मोदी की जीत पर लड्डू खिलाने वाले की छिनती है नौकरी
विचारधारा के आधार पर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके कारण संपादकीय टीम में एक डर का माहौल है। जो लोग भी बीजेपी के समर्थक समझे जाते हैं उनमें से ज़्यादातर ने सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखना बंद कर दिया है। जबकि वामपंथी, कॉन्ग्रेसी और आम आदमी पार्टी समर्थक माने जाने वालों पर ऐसी कोई पाबंदी लागू नहीं है।