विचार
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पलायन या षड्यंत्र? ये देश को तबाह करने की साजिश नहीं तो और क्या है? दो लाख लोग इकट्ठा कैसे हो गए?
अरविंद केजरीवाल ने उन्हीं लोगों को धोखा दिया है, जिनके बल पर वह सत्ता पाता है। वो जानता था कि दिल्ली में वो 2 लाख लोगों की कोई व्यवस्था नहीं कर सकता। ऐसे में अफवाहें फैलाई गई और उन गरीब मजदूरों को घर से बाहर निकालने का षड्यंत्र रचा गया ताकि वो दिल्ली छोड़कर कहीं भी जा सकें।
दिल्ली को और झटके मत दीजिए केजरीवाल जी! ताहिर, शाहरुख़ और शरजील अभी भी लोगों के जेहन में हैं
सड़क पर पिस्टल लहरा कर गोलीबारी करते शाहरुख़ को देश भुला नहीं है। शरजील इमाम और वारिस पठान जैसे नेताओं के बयान अभी भी जेहन में हैं। फैसल फ़ारूक़ के स्कूल को दंगाइयों द्वारा अटैक बेस बनाया जाना याद ही होगा। ताहिर हुसैन ने अपने हजारों लोगों के साथ मिल कर जो कत्लेआम मचाया, उसकी जाँच जारी है। अमानतुल्लाह ख़ान ने जिस तरह दंगाइयों का बचाव किया, वो सभी को पता ही है।
सनकी शासकों से अभिशप्त रही ढिल्लिका: ‘तुगलक’ केजरीवाल के कारण लंदन की जगह वुहान बनने के कगार पर
दिल्ली को लंदन बनाने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली को वुहान बनने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। दुर्भाग्य यह है कि जिस जनता के साथ आज उन्होंने छल किया है, उसी को वोट बैंक बनाकर वो तीसरी बार सत्ता में लौटे हैं।
प्रवासी मजदूरों का दिल्ली छोड़ना: पलायन या षड्यंत्र? 5 आँकड़े और 3 स्क्रीनशॉट से समझें हकीकत
जब 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा हुई तो पूरा देश उपलब्ध संसाधनों के साथ वायरस को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा था। लेकिन AAP के लोग क्या कर रहे थे? वो #ShameOnNitishKumar को ट्रेंड करवा रहे थे। वो प्रवासी मजदूरों के पलायन का लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे थे।
97000 सिखों और हिंदुओं का सफाया… वो भी सिर्फ 29 साल में! आतंकी हमले आम, मानवाधिकार बेमानी है अफगानिस्तान में
अमेरिका के स्टेट्स डिपार्टमेंट और मीडिया के अनुसार 1990 में वहाँ 1 लाख हिन्दू और सिख आबादी थी, जोकि अब 3000 के आसपास है। यह समझना कोई कठिन काम नहीं है कि उन 97,000 हिन्दुओं और सिखों के साथ क्या हश्र हुआ होगा।
ग्लोबल लीडर बनने का चायनीज षड्यंत्र: हजारों मौत के बाद का प्रोपेगेंडा, कई देश आए वामपंथी लपेटे में!
सर्बिया के राष्ट्रपति ने तो यूरोपीय सहयोग और बंधुत्व को महज एक 'दिवास्वप्न' करार देते हुए कहा कि सिर्फ चीन ही था, जिसने उनकी मदद की। - चीन के इसी प्रोपेगेंडा का शिकार होने की लाइन में ईरान, इराक और इटली जैसे देश भी हैं। जहाँ रोजाना हजारों मौतें हो रहीं, वहीं चीन इस दुर्भाग्यपूर्ण समय को एक अवसर के तौर पर देख रहा।
क्या अफगान-तालिबान शांतिवार्ता की घुटन का परिणाम है ISIS द्वारा गुरूद्वारे पर हमला, भारत में लिबरल-वामपंथी गिरोह की चुप्पी के मायने?
कल गुरूद्वारे पर हमले के बाद पूरा अफगानिस्तान अपने सिख-हिन्दू भाइयों के लिए उमड़ पड़ा और अपनी सहानुभूति व्यक्त कर उसके साथ खड़े होने की दृढ़ता दिखाई। इस हमले पर अभी तक तालिबान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी लेकर एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा दुनिया के सामने रख दिया। इधर भारत में लिबरल-वामपंथी गिरोह इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है। जैसे उसने सुकमा में नक्सली हमले के वक्त साधा था।
Covid-19: भारत के राष्ट्रीय चरित्र और संकल्प की प्रयोगशाला सिद्ध होगी यह परीक्षा
अगर भारतवासी इन मुश्किल दिनों और कठिन परीक्षाओं के लिए एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होते हैं, तो कोरोना को निश्चित रूप से पराजित होना पड़ेगा। भारतीय संस्कृति के आधारभूत विचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्' के निर्णायक आत्मसातीकरण का क्षण निकट है।
जिस डॉक्टर ने कोरोना के बारे में सबसे पहले बताया, उसे ही चीन ने प्रताड़ित किया: करनी वामपंथियों की, भुगत रही पूरी दुनिया
आज एक वामपंथी सनक का सबब पूरी दुनिया देख रही हैl एक राजनीति तो इसके नाम पर भी चल रही है लोग यह कह रहे हैं कि जब जापानी इन्सेफेलाईटिस, जो कि जापान के नाम पर है तो कोरोना वायरस को चाइनीज वायरस क्यों नहीं कह सकते हैंl डोनाल्ड ट्रंप ने तो इसे चाइनिज वायरस कहकर एक नई बहस को जन्म भी दे दिया हैl
‘मुस्लिमों में भारतीयता का बहुत अभाव, वो इसका महत्व नहीं समझते’ – शहीद दिवस पर भगत सिंह का ‘कम चर्चा’ वाला वो लेख
"मुस्लिमों में भारतीयता का बहुत अभाव है। इसलिए वे सभी भारतीयता के महत्व को नहीं समझते हैं और अरबी एवं फारसी लिपि को पसंद करते हैं। पूरे भारत की एक भाषा होनी चाहिए और वह भी हिंदी। जिसे वे कभी नहीं समझते हैं, इसलिए वे अपनी उर्दू की प्रशंसा करते रहते हैं और एक तरफ बैठते हैं।"