राजनैतिक मुद्दे
हर सियासी मुद्दे का वह पहलू जिस पर ख़बरों से आगे चर्चा है ज़रूरी
लखनऊ में अखिलेश के ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ पर वाह-वाह, अयोध्या में योगी आदित्यनाथ का विकास ‘सांप्रदायिक’: यूँ ही ‘बेताब’ नहीं है नूर मोहम्मद
राम की पावन भूमि अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण क्योंकर साम्प्रदायिक हो सकता है? उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बनाए जा रहे मंदिर का विरोध क्यों?
नसीर साहब! जब आपके घर में कॉकरोच आता है तो आप उसे ‘शरणार्थी’ कहते हैं क्या… मुगल भारत के निर्माता नहीं, कॉकरोच थे
यह 'डर' अच्छा है और यह 'डर' तब तक बना रहना चाहिए, जब तक घर की सफाई पूरी नहीं हो जाती है।
एक मुहम्मदवाद के इतने खतरे, और ‘पैगंबर’ गढ़कर क्या करेंगे: कालीचरण महाराज की ‘गाली’ से गायब नहीं हो जाते गाँधी पर सवाल
अजीत झा -
क्या यह विचित्र नहीं है कि इस देश में हिंदू अराध्यों को गाली दी जा सकती है, देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात हो सकती है... पर गाँधी पर सवाल नहीं किया जा सकता।
मुगलों को बताया शरणार्थी, औरंगजेब की आलोचना से दिक्कत: फ़िल्में न मिलने की खुन्नस मोदी सरकार पर निकाल रहे नसीरुद्दीन शाह?
भारतीय राजाओं, भारतीय सनातन धर्म और भारतीय इतिहास को लेकर नसीरुद्दीन शाह हिन्दुओं में हीन भावना भरना चाहते हैं। मुगलों का गुणगान क्यों? औरंगजेब की आलोचना से दिक्कत क्यों?
पहले ‘मैं हिंदुत्ववादी नहीं हूँ’, अब महात्मा गाँधी पर बदजुबानी: रायपुर ‘धर्म संसद’ की पटकथा कॉन्ग्रेस की लिखी?
अजीत झा -
आखिर क्या कारण है कि चित्रकूट के हिंदू महाकुंभ की उपेक्षा करने वाले हरिद्वार और रायपुर के 'धर्म संसद' पर इतना हल्ला मचा रहे?
कश्मीर में गजनी हो या गोवा में पुर्तगाली… गुलाम नबी जी, ‘तलवार की नोक’ पर ही होता है धर्मांतरण, तभी सूटकेस में मिलती हैं...
गुलाम नबी आज़ाद बता दें कि धर्मांतरण अगर प्यार-पुचकार से होता है तो गुरु तेग बहादुर को क्यों बलिदान देना पड़ा था? मामला उनके ही राज्य का है।
सिखों को ललकार ईसाई नेता ने बँटवा दिया था पंजाब: उसी Pak में उनका और ईसाइयों का बुरा हश्र, आज नाला साफ करने को...
ईसाई नेता दीवान बहादुर सिन्हा ने जिन्ना का समर्थन कर पंजाब का बँटवारा करा दिया। उसी पाकिस्तान में उनका और ईसाईयों का बुरा हश्र हुआ।
भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय… लेकिन हम राहुल गाँधी के लिए उम्मीद कर यह लेख प्रकाशित कर रहे
हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है। इसलिए राहुल गाँधी को यह आलेख हिंदू-हिंदुत्व का व्याकरण समझाते हुए सप्रेम भेंट कर रहे हैं।
काशी कब चल रहे हो? महसूस कीजिए शताब्दियों की उपेक्षा, अनदेखी और लूट के बाद पैदा हुई इस नवीनता, उत्साह और आशा को
काशी एक शहर मात्र नहीं है। यह हमारी सभ्यता की जीवंतता और चिरंतनता का जीता-जागता प्रमाण है। गंगा अगर इसके प्राण हैं तो भोलेनाथ इसका हृदय।
राहुल गाँधी ने नहीं सुना था ‘लिंचिंग’ शब्द, क्योंकि 2014 से पहले इसे ‘बड़ा पेड़ गिरने पर धरती हिलना’ कहते थे: भूले...
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए राहुल गाँधी का कहना है कि 2014 से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में भी नहीं आता था। आइए, उन्हें इतिहास बताएँ।