Sunday, April 28, 2024

राजनैतिक मुद्दे

विनम्र होकर महिलाओं से माफ़ी माँगिए राहुल गाँधी

राहुल गाँधी का जयपुर में दिया गया बयान महिला-विरोधी है। उनकी ओछी मानसिकता का परिचायक है। और ट्विटर पर उस बयान के बचाव में एक और सेक्सिस्ट बयान देना उनकी छोटी सोच को दर्शाता है।

आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्गों को आरक्षण सही मायने में ‘सबका साथ सबका विकास’

अब तक ये इसलिए ख़ारिज होता रहा है क्योंकि संविधान में इसका प्रावधान ही नहीं किया गया था। इस बार संविधान में इसका प्रावधान किया गया है, इसलिए यह संविधान सम्मत है।

रायसीना डायलॉग में थलसेनाध्यक्ष जनरल रावत के बयान के मायने

सुन त्ज़ू ने भी आर्ट ऑफ़ वॉर में कहा था कि शत्रु को तभी समाप्त किया जा सकता है जब उसकी पहचान निश्चित हो जाए। जब तक आतंकवाद की परिभाषा नहीं गढ़ी जाएगी उसे समाप्त करने की बात करना बेमानी है।

डियर थरूर जी, मोदी के कपड़े खींचते हुए आप मोर बन जाते हैं

ऐसी बातें फ़्रस्ट्रेशन हैं, छटपटाहट है, अभिजात्यता की ऐंठ से जनित सोच है। ये अगर बाहर नहीं आएगा तो ये लोग सड़कों पर कुत्तों की तरह आते-जाते भाजपाइयों या उनके समर्थकों को दाँत काटने लगेंगे। दाँत काटने से बेहतर है कि अंग्रेज़ी में ऐसे बयान दो कि आदमी को समझने में दो मिनट लगे कि क्या बोल गया।

कॉन्ग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए संविधान के साथ खिलवाड़ किया?

कांग्रेस सरकार अपना रास्ते की रूकावटों को दूर करने के लिए भी संविधान का संशोधन करती है।

सबरीमाला: सोनिया ने लगाई अपने ही सांसदों को फ़टकार, विरोध प्रदर्शन करने से भी कर दिया साफ़ मना

केरल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने सीएम पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मंदिर में दो महिलाओं का इस तरह प्रवेश कर लेना एक साजिश है, जिसको रचने वाले खुद सीएम महोदय हैं।

मोदी सरकार की वो 6 योजनाएँ, जिन्होंने 2014 से ही बदलनी शुरू कर दी थी देश की तस्वीर

आज भ्रम की स्थिति में फँसकर लोग इन बातों को भी भूल गए हैं कि देश के व्यवस्थित तबके को सुव्यवस्थित करने के साथ ही मोदी सरकार ने बिगड़ी चीजों को भी सुधारा है।

माओवंशियों के लिए तो ‘मिसेज़ गाँधी’ कस्तूरबा हुईं, और ‘R’ से उनका पुत्र रामदास गाँधी

अब कोई लक्ष्मणसूर्य पोहा टाइप इतिहासकार ये न कह दे कि कस्तूरबा गाँधी वाक़ई में इतालवी महिला थी जो महात्मा गाँधी से दक्षिण अफ़्रीका प्रवास के दौरान मिली थी और दोनों में प्रेम हो गया।

वामपंथी लम्पट गिरोह चुप रहता है जब ‘गलत’ भीड़ ‘गलत’ आदमी की हत्या करती है

यहाँ न तो दलित मरा, न मुस्लिम। उल्टे तथाकथित दलितों ने पुलिस वाले की जान ले ली क्योंकि उन्हें लगा कि वो जान ले सकते हैं। ये मौत तो 'दलितों/वंचितों' का रोष है जो कि 'पाँच हज़ार सालों से सताए जाने' के विरोध में है।

सबसे ख़तरनाक होता है राहुल हो जाना!

वैसे भी, किसी की कमी पर ऐसे हँसना सही बात नहीं है। भगवान हर किसी को अलग तरह से बनाता है। किसी को रूप देता है, किसी को बुद्धि। किसी को रूप नहीं देता, किसी को बुद्धि नहीं देता। किसी को एक डिम्पल देता है, तो किसी को दो।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe