सामाजिक मुद्दे
घिसी-पिटी और पॉलिटिकली करेक्ट लाइन से अलग और बेबाक बातें
चारधाम देवस्थानम बोर्ड: उत्तराखंड के मंदिरों के प्रबंधन में आवश्यक है सरकार की भूमिका, जानिए कारण
आर्थिक स्तर पर दक्षिण भारत के मंदिरों और उत्तर भारत के मंदिरों की तुलना करेंगे तो सब स्पष्ट हो जाएगा। आपदा प्रभावित उत्तराखंड के मंदिर...
‘बाइबिल ठीक करेगा कोरोना’: वैक्सीन के खिलाफ मिशनरी प्रोपेगंडा पर चुप्पी, मदद करने वाले मंदिर ही बन रहे निशाना
ईसाई संगठन कोरोना वैक्सीन के खिलाफ लोगों को बरगला रहे हैं। IMA अध्यक्ष अस्पतालों को धर्मांतरण का अड्डा बनाना चाहते हैं। लेकिन, आलोचना का शिकार लोगों की मदद करने वाले मंदिर ही हो रहे हैं।
पहले पाकिस्तान जैसी थी कश्मीर के दलित-हिंदुओं की स्थिति, 370 का छला हिन्दू समाज पीढ़ियों से उठा रहा था कचरा
नाले-पेशाब-पखाना साफ करते हिंदू दलितों की जो हालत आज पाकिस्तान में है, वही हालत अनुच्छेद 370 के उन्मूलन से पहले भारत के जम्मू-कश्मीर में थी।
हिन्दू जिम्मेदारी निभाएँ, मुस्लिम पर चुप्पी दिखाएँ: एजेंडा प्रसाद जी! आपकी बौद्धिक बेईमानी राष्ट्र को बहुत महँगी पड़ती है
महामारी को फैलने से रोकने के लिए यह आवश्यक है कि संक्रमण की कड़ी को तोड़ा जाए। एक समाज अगर सतर्क रहता है और दूसरा नहीं तो...
टिकरी बॉर्डर पर गैंगरेप: ‘क्रांति’ की जगह किसान आंदोलन से ‘अपराध’ की डिलिवरी, आगे क्या…
कथित आंदोलन अब किस अपराध की खोज में निकलेगा, इसका उत्तर शायद टिकरी बॉर्डर पर रुके समय के पास है।
हिन्दुओ… इस आदेश को रट लो, क्योंकि यह केवल एक गाँव-एक प्रांत की समस्या नहीं
अजीत झा -
ऐसे हालात में अमूमन हिंदू मन मसोस रह जाते हैं। अब इससे इतर मद्रास हाई कोर्ट ने एक रास्ता दिखाया है।
‘लोगों की मदद के लिए मठ की ज़मीन भी बेच देंगे’: महामारी का वो दौर जब स्वामी विवेकानंद ने की थी लोगों की मदद
इस दौर में हमें मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से मजबूत करने के लिए कुछ ऐसा चाहिए जिसे हम इन परिस्थितयों से जोड़ कर भी देख सके और वह हमें हर रूप से मजबूत भी करे।
शहाबुद्दीन… सब इंस्पेक्टर रामसागर सिंह याद आए, पत्रकार राजदेव रंजन याद आए
अजीत झा -
शहाबुद्दीन की मौत कोरोना संक्रमण से हुई केवल एक और मौत नहीं है। यह उस डर की मौत है, जो उसके होने से पैदा होता था।
‘मेरे साथ जाहिल गाँव वाले की तरह बात मत करो’: गाँधी होते तो त्रिपुरा के DM साहब से क्या कहते?
कानून लागू करवाना सरकारी अधिकारी की जिम्मेदारी है। पर उसे कैसे लागू करवाना है, इस बात पर अधिकारियों के विवेक और धैर्य की परीक्षा होती है।
3 घंटे तक तड़पी शोएब-पांडे-पटेल की माँ, नोएडा में मर गए सबके नाना: कोरोना से भी भयंकर है यह ‘महामारी’
स्वाति के नानाजी के देहांत की खबर जैसे ही फैली हिटलर, कल्पना मीना और वेंकट आर के नानाजी लोग भी नोएडा के उसी अस्पताल में पहुँचे ताकि...