Saturday, June 29, 2024

सामाजिक मुद्दे

7 दिन में गोरी, 15 दिनों में छरहरी: क्रीम बेचने वालों पर लगाम जरूरी और खुद की मानसिकता पर भी!

कॉलेज-ट्यूशन से लेकर शादी-ब्याह तक के बीच एक लड़की के मन में ब्यूटी प्रोडक्ट्स को लेकर चुनाव चलता ही रहता है कि आखिर वो किस तरह समाज के बनाए पैमानों पर निखर पाएगी और कैसे अन्य लड़कियों की तरह खुद को सुंदर बना पाएगी... और कंपनियाँ इसी का फायदा उठाती हैं।

दरभंगा का ‘मिनी पाकिस्तान’: बांग्लादेशियों का पनाहगार, आतंकियों का ठिकाना और अब CAA पर उबाल

दरभंगा मॉड्यूल! शुरुआत इंडियन मुजाहिदीन के फाउंडर यासीन भटकल ने की। NIA ने दरभंगा मॉड्यूल में जाकिर नाइक का भी कनेक्शन बताया था। चुपके-चुपके इसका विस्तार पूरे मिथिलांचल में हो रहा है।

गोडसे से रामभक्त गो** तक: बौद्धिक आतंकियों की हिंदुत्व को बदनाम करने की साजिश हमेशा धराशाई हुई है

सत्यान्वेषी पत्रकार रवीश कालजयी मुस्कान लेकर जरा देर से अपने प्राइम टाइम में आए लेकिन इससे पहले ही उनकी घातक टुकड़ियों के सिपहसालार ध्रुव राठी से लेकर शेहला रशीद और स्वरा भास्कर ट्विटर पर गोडसे और गो** में तालमेल बैठाते नजर आए।

शाहीन बाग की महान उपलब्धि: एक बच्चे से कट्टरपंथियों ने कलम की जगह बंदूक चलवा दी

आखिर हिन्दू धर्म को मानने वाला कट्टर क्यों बनना चाह रहा है? वो सोच क्या रहा है? क्या ऐसे बच्चे और भी हैं? क्या इस्लामी कट्टरपंथियों और आतंकियों के आतंक से इस समाज के बच्चे अब डरने लगे हैं?

CAA-विरोधियों द्वारा मार दिए गए नीरज की मृत्यु में शादाब नाम वाला सेकुलर ग्लैमर नहीं है

नीरज प्रजापति JNU से नहीं थे, वो मूर्तियाँ बनाते थे और उसी से अपने घर का पेट पालते थे। लेकिन मृतक नीरज का परिवार आज भी आतंकवादी अफजल गुरु की यादों में खून रोने वाली मीडिया और लिबरल गिरोह की संवेदनाओं के इन्तजार में है।

औरतें हलाला को मजबूर, मर्दों के लिए बनी रहे 4 बीवियों की आजादी: जिल्लत से मुक्ति कब

कभी ससुर से तो कभी देवर से। कभी मौलवी से तो कभी जीजा से। हलाला को अभिशप्त औरतें आखिर कब पितृसत्तात्मक इस्लामिक कानून से मुक्ति की आवाज बनेंगीं।

आज शरजील है, तब मुहम्मद शफी था: उस समय भी हिंदू भेंट चढ़े थे, आज भी निशाना वही हैं

तब भी ऐसा ही मजहबी उन्माद था। इसी तरह के नारे और ऐसी ही साजिशें थी। उस समय इसकी आग में कश्मीर के हिंदू जले थे। आज नहीं चेते तो अगला नंबर आपका हो सकता है।

शाहीन बाग में हिन्दूविरोधी पोस्टर, मज़हबी नारे: अजीत भारती के सवाल | Ajeet Bharti on Shaheen Bagh’s Hinduphobia

शाहीन बाग में हिन्दुओं के पवित्र चिन्ह स्वास्तिक के साथ खिलवाड़ किया गया। हिन्दू महिलाओं को हिजाब में दिखाया गया, इस्लामिक नारे लगा कर...

शाहीन बाग की इन औरतों का हंगामा और संविधान देने वाली उन 15 महिलाओं का हासिल

संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम किरदार निभाने वाली उन महिलाओं ने क्या सपना देखा था और शाहीन बाग की औरतें कैसी मिसाल पेश कर रही हैं। यह जानने के लिए 26 जनवरी से बेहतर दिन नहीं हो सकता।

संविधान और शरीयत में से शरीयत को चुन चुका है शाहीन बाग़

वास्तविकता आज बुरका पहनकर शाहीन बाग़ में अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते हुए पत्रकारों की सामूहिक लिंचिंग कर रही है। सेकुलर शाहीन बाग़ आज ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्हम्दुलिल्लाह का स्वर बोल रहा है, और क्योंकि यह स्वर क्रांतिजीवों, JNU-मतावलम्बियों के श्रीमुख से निकला है, इसलिए प्रोग्रेसिव लिबरल भी उनकी हाँ में हाँ मिलाता नजर आ रहा है।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें