Thursday, March 28, 2024
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कुछ तो परीक्षा, चुनाव में भी इंटरनेट पर लगा देते हैं पहरा, यहाँ तो प्राइम टाइम में प्रोपेगेंडा की आजादी

पाकिस्तान को 10 में से सात नंबर मिले। पाकिस्तान के अलावा बेलारूस, तुर्की, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और इरिट्रिया को भी 10 में से सात नंबर मिले। सेंसरशिप स्केल में यह नंबर इंटरनेट फ्रीडम के मामले में काफी खराब स्थिति को इंगित करता है।

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (17 जनवरी 2020) को वकील एहतेशाम हाशमी ने एक जनहित याचिका दायर की। इसके जरिए शीर्ष अदालत से इंटरनेट शटडाउन को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने की अपील की गई है। यह तथ्य छिपा नहीं है कि जम्मू-कश्मीर हो या नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भड़की हिंसा के बाद देश के कुछ शहरों में इंटरनेट पर जो पाबंदी लगाई गई थी, वह आतंकी खतरों और सुरक्षा के मद्देनजर किया गया था। आशंका रहती है कि देश के दुश्मन और असमाजिक तत्व इंटरनेट का इस्तेमाल हिंसा को भड़काने के लिए कर सकते हैं।

बावजूद इसके भारत की कथित सेक्युलर मीडिया, वामपंथी-लिबरल गैंग इस मसले को प्रोपेगेंडा की चाशनी में इस कदर लपेट कर परोसता है कि जैसे अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा बिठा दिया गया हो। पिछले महीने इंटरनेट शटडाउन पर एक रिपोर्ट आने के बाद इसी तरह का माहौल बनाने की कोशिश की गई थी। हाल में जब सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी को लेकर टिप्पणी की तो ‘गिरोह’ ने उसे भी गलत तरीके से पेश किया।

अब एक वैश्विक रिपोर्ट आई है जो इस प्रोपेगेंडा को तार-तार कर देती है। जो बताती है कि इंटरनेट की आजादी के मामले में भारत काफी आगे है। न केवल पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी, बल्कि रूस जैसे विकसित राष्ट्रों से भी। भारत में इंटरनेट की आजादी सिंगापुर जैसे अत्याधुनिक मुल्क से लेकर उम्माह का दंभ भरने वाले इस्लामी मुल्कों से भी काफी बेहतर है।

टेक रिसर्च कंपनी कंपैरीटेक ने दुनिया के 181 देशों में इंटरनेट की आजादी को लेकर यह सर्वे किया है। इसमें बताया गया है कि कई अफ्रीकी मुल्कों में चुनाव के वक्त सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया जाता है। मसलन, मॉरीतानिया। इथोपिया और सोमालिया जैसे देश तो स्कूलों में परीक्षा के दौरान भी इंटरनेट पर पाबंदी लगा देते हैं।

इस रिपोर्ट में 10 कारकों के आधार पर देशों की रैंक तैयार की गई है,

  • टॉरेंट रिस्ट्रिक्टिड
  • टॉरेंट बैन
  • पॉर्नोग्राफी रिस्ट्रिक्टिड
  • पॉर्नोग्राफी बैन
  • पॉलिटिरल मीडिया रिस्ट्रिक्टिड
  • पॉलिटिकल मीडिया सेंसर
  • सोशल मीडिया रिस्ट्रिक्टिड
  • सोशल मीडिया बैन
  • वीपीएन रिस्ट्रिक्टिड
  • वीपीएन बैन

इंटरनेट सेंसरशिप 2020 की इस रिपोर्ट में स्कोर के जरिए विश्व के उन देशों के बारे में बात हुई, जो इंटरनेट सेंसरशिप के लिहाज से सबसे खराब पाए गए। जहाँ इंटरनेट इस्तेमाल करने पर इतनी पाबंदी है कि लोग सोशल मीडिया से न केवल दूर हैं, बल्कि ग्लोबल इंटरनेट का इस्तेमाल तक नहीं कर पाते। इनमें नॉर्थ कोरिया, चीन,
रूस, तुर्की, ईरान जैसे देशों का नाम सबसे ऊपर है। इन्हें ‘इंटरनेट सेंसरशिप के लिए सबसे खराब देश’ की सूची में 10/10, 9/10, 8/10 अंक प्राप्त हुए हैं। बता दें इन देशों को ये स्कोर उस देश की जनता द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सोशल मीडिया, टॉरेंट या वीपीएन के इस्तेमाल और पॉर्न देखने पर आँका गया। पाकिस्तान को 10 में से सात नंबर मिले। पाकिस्तान के अलावा बेलारूस, तुर्की, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और इरिट्रिया को भी 10 में से सात नंबर मिले। सेंसरशिप स्केल में यह नंबर इंटरनेट फ्रीडम के मामले में काफी खराब स्थिति को इंगित करता है।

नॉर्थ कॉरिया में लोगों के लिए न केवल सोशल मीडिया इस्तेमाल करने, पॉर्न देखने और टॉरेंट इस्तेमाल पर प्रतिबंध है, बल्कि वहाँ तो सूचना भी सिर्फ़ एक स्त्रोत के जरिए ही पहुँचती है। इसका नाम है- द कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी। इसके बाद इस सूची में चीन है। जिसे इस मामले में 9/10 स्कोर मिला है। यहाँ पश्चिमी सोशल मीडिया, पॉर्न और वीपीएन सब ब्लॉक है। पॉलिटिकल मीडिया पर तो भारी सेंसशिप है। जानकारी के मुताबिक चीन में अगर पत्रकारों को सरकार के ख़िलाफ़ कुछ भी करते हुए देख लिया जाता है तो उन्हें फौरन जेल की सजा सुना दी जाती है।

रूस, तुर्की और ईरान को 8 नंबर मिले हैं। इन देशों में भी पॉलिटिकल मीडिया पर भारी सेंसर लगा है। मगर, अगर इनके बारे में अलग-अलग बात करें तो इन तीनों देशों के इंटरनेट इस्तेमाल को लेकर अपने कानून हैं। जैसे रूस में टॉरेंस साइट्स और वीपीएन ब्लॉक है। लेकिन यहाँ पूर्ण रूप से पॉर्न या सोशल मीडिया ब्लॉक नहीं है। रूस में पॉर्न देखना गैरकानूनी नहीं हैं। लेकिन ऐसा कुछ प्रोड्यूस करना जुर्म है। इसके अलावा रूस में प्रतिबंध होने के बावजूद कई सोशल मीडिया साइट्स का लोग इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन इन पर सरकार कड़ी निगरानी और नियंत्रण रखती है। इनके इस्तेमाल के लिए यूजर्स को अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर करना पड़ता है। यहाँ बता दें, रूस अपना खुद का इंटरनेट बनाने पर विचार कर रहा है।

इसी तरह ईरान में वीपीएन ब्लॉक हैं। लेकिन यहाँ टॉरेंटिंग को पूर्ण रूप से बैन नहीं किया गया है। इसके अलावा ईरान में पॉर्नोग्राफी बैन है, लेकिन सोशल मीडिया का थोड़ा बहुत इस्तेमाल होता है। यहाँ न्यूज़ मीडिया सेंसरशिप के दायरे में आती है। ईरान के उलट तुर्कीस्तान में सोशल मीडिया ब्लॉक है, लेकिन प़ॉर्न पर, टॉरेंटिंग पर, वीपीएन के इस्तेमाल पर इतना प्रतिबंध नहीं हैं।

इसके बाद बेलारूस, तुर्की, ओमान, पाकिस्तान, यूनाइटिड अरब और इरीट्रिया को इस स्कोर बोर्ड में 7 अंक मिले हैं। क्योंकि इन सभी देशों में इंटरनेट सेंसरशिप के एक जैसे तरीके हैं। इन सभी देशों में पॉर्न बैन है। पॉलिटिकल मीडिया पर प्रतिबंध हैं। इसके अलावा पाकिस्तान में टॉरेंटिंग बैन है और इरीट्रिया में सोशल मीडिया।

अब जाहिर है कि इस सूची आने के बाद ये तो साफ हुआ कि भारत इंटरनेट सेंसरशिप पर विश्व में सबसे आगे नहीं है। हाँ, ये बात जरूर है कि भारत में पड़ोसी मुल्क और विपक्षियों के भड़काने से परिस्थितियाँ ऐसी उत्पन्न होती है कि चाहते, न चाहते हुए सरकार को कई बार कई इलाकों में इंटरनेट ठप्प करना पड़ता है। वो भी सिर्फ़ इसलिए होता है, ताकि कानून-व्यवस्था के हालात ना बिगड़े। अफवाहों को रोका जा सके। इंटरनेट के जरिए फैलाई जाने वाली अराजकता को नियंत्रित किया जा सके। अभियव्यक्ति की आजादी और सूचना प्राप्त करने का अधिकार छीनने के लिहाज से इंटरनेट बंद नहीं किया जाता।

लेकिन फिर भी जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी को तूल दी गई। मानवाधिकारों की दुहाई देने वाले इस मामले को कोर्ट तक ले गए।बता दें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बाद राज्य में धारा 144 लागू करने के साथ ही इंटरनेट सेवाएँ बेमियादी तौर पर बंद कर दी गई थीं। साथ ही मोबाइल इंटरनेट, वायरलाइन या लैंडलाइन सर्विस के साथ ही वायर ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएँ स्थगित की गई थीं। सिर्फ़ इसलिए ताकि वहाँ के लोग किसी बहकावे में न आए। पड़ोसी मुल्क और विपक्षियों के अराजक तत्वों के प्रोपेगेंडा में न फॅंसे।

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर प्राइम टाइम में प्रोपेगेंडा रचने वालों, हिंदू विरोधी घृणा से भरे लिबरल गैंग को आइना दिखाता है। बताता है कि अभिव्यक्ति की यह आजादी उन्हें उस पाकिस्तान में भी नहीं मिलती जो उनके हवाले से अक्सर भारत विरोधी दुष्प्रचारों को हवा देता रहता है।

परमादरणीय रवीश कुमार, भारत का दिल छोटा नहीं, आपकी नीयत में खोट है

बात रवीश कुमार के ‘सूत्रों’, ‘कई लोगों से मैंने बात की’, ‘मुझे कई मैसेज आते हैं’, वाली पत्रकारिता की

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