पूर्व IPS और महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का रविवार (29 दिसम्बर, 2024) को निधन हो गया। उनका निधन कार्डियक अरेस्ट के चलते हुआ। आचार्य किशोर कुणाल बिहार में हिन्दू एकता और धार्मिक स्थलों के पुनरोद्धार का प्रमुख चेहरा था और उनका राम मंदिर आंदोलन में भी बड़ा योगदान था। वह IPS के तौर पर भी बिहार में काफी प्रख्यात रहे थे। आचार्य किशोर कुणाल ने धर्म की सेवा के लिए IPS की सेवा से रिटायरमेंट भी ले लिया था। वह श्रीराम जन्मभूमि न्यास में भी सदस्य थे।
जब IPS बने तो बॉबी केस खोला
किशोर कुणाल 1972 बैच के IPS थे। वह गुजरात काडर में भर्ती हुए थे लेकिन वह कुछ वर्षों के लिए गुजरात प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए थे। यहाँ उनकी नियुक्ति 1983 में SSP पटना के तौर पर थी। इसी दौरान मई, 1983 बॉबी हत्याकांड हुआ। बॉबी का असल नाम श्वेता निशा त्रिवेदी था और उन्हें घर पर प्यार से बेबी बुलाया जाता था। यही नाम बिगड़ कर बॉबी हो गया था। आरोप था कि बेबी को रघुवर झा नाम के एक व्यक्ति ने जहर पिला कर मार दिया और बाद में आनन फानन में दफना दिया गया।
इस मामले में गड़बड़ी देखकर कुनाल किशोर ने इसकी जाँच की थी। उन्होंने इस मामले की जाँच के लिए बॉबी के दफ़न शरीर को भी निकलवा लिया था। इसी में जहर की पुष्टि हुई थी। उनकी जाँच में सामने आया था कि बॉबी के बड़े नेताओं से रिश्ते थे और वह ऐसे ही कुछ फोटोग्राफ के आधार पर उन्हें धमका रही थी। बॉबी को गोद लेने वाली नेता राजेश्वरी सरोज दास ने एक स्टिंग ऑपरेशन में कुणाल को बताया था कि रघुवर झा द्वारा पिलाई गई दवाई से ही बॉबी की मौत हुई। इस केस में बड़े नाम आने के चलते और दबाव के बाद CBI को सौंप दिया गया था।
CBI ने इस मामले को बाद में आत्महत्या करार दिया था। CBI ने इस आत्मत्या का कारण प्रेमी से मिले धोखे को बताया था। CBI ने रघुवर झा को निर्दोष भी घोषित कर दिया था। इसमें पुलिस पर आरोप लगाया गया था कि जबरदस्ती कुछ लड़कों पर दबाव डालकर रघुवर का नाम आगे लाया गया था।
सामजिक समरसता के बड़े नाम
किशोर कुणाल बिहार में IPS रहते ही समाजसेवी बन गए थे। उन्होंने पटना में रहने के दौरान पटना जंक्शन के बाहर स्थित महावीर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। इस मंदिर के निर्माण कार्य की देख-रेख के लिए उन्होंने पुलिस सेवा से छुट्टी भी ली। महावीर मंदिर का नाम पूरे देश में तब फैला जब यहाँ सामाजिक समरसता को आगे बढ़ाने वाला एक कदम उठाया गया। यहाँ के सचिव रहते हुए उन्होंने 1993 में यह मंदिर बिहार में सामाजिक समरसता का एक उदाहरण बना।
महावीर मंदिर ट्रस्ट का सचिव रहते हुए उन्होंने 1993 में एक दलित पुजारी की नियुक्ति की। इससे पहले किसी बड़े मंदिर में ऐसा कदम नहीं उठाया गया था। इसके चलते दलितों को सामजिक कतार में आगे आने का मौक़ा मिला। सिर्फ महावीर मंदिर ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में उन्होंने यह प्रयोग दोहराया, जिसके चलते देश समाज में दूरियाँ कम हुईं। आचार्य किशोर कुणाल ने 2001 के बाद IPS सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके बाद वह पूरी तरह से समाजसेवा और धार्मिक कार्यों में जुट गए थे।
आचार्य किशोर कुणाल को बिहार राज्य धार्मिक ट्रस्ट बोर्ड का भी सचिव बनाया गया था। इसका सचिव रहते हुए उन्होंने राज्य में कई ऐसे मंदिर बोर्ड वापस से खड़े किए जो एकदम सुप्तप्राय थे। इसके अलावा उन्होंने राज्य के हर बोर्ड में कम से कम एक दलित की नियुक्ति की। उन्होंने एक माँझी व्यक्ति को पुजारी नियुक्ति किया। इसके चलते राज्य में जातीय भेदभाव को खत्म करने में सहायता मिली। नालंदा जिले में उन्होंने राम जानकी मंदिर में पूरा मंदिर बोर्ड दलितों का बनाया। इसने काफी सुर्खियाँ बटोरी।
संगत-पंगत का विचार भी लाए
आचार्य किशोर कुणाल ने सामाजिक एकता का अभियान सिर्फ दलितों की मंदिरों में नियुक्ति या उन्हें मंदिर बोर्ड में जगह देने तक नहीं रखा। उन्होंने समाज के एकीकरण के लिए संगत और पंगत का भी अभियान चलाया। इसके तहत दलित, ब्राम्हण और बाकी सभी जातियाँ सप्ताह में एक दिन मंदिरों में एक पंक्ति में बैठ कर पूजा करते हैं। इसके अलावा छुआछूत मिटाने के लिए उन्होंने ब्राम्हणों और दलितों के साथ भोजन करने की परंपरा डाली। इन दोनों कार्यों को संगत-पंगत का नाम दिया गया।
आचर्य किशोर कुणाल स्वयं उदाहरण पेश करने वाले लोगों में से थे। वह सामाजिक न्याय के नाम पर समाज से ठगी करने वालों से इतर थे। उनके खुद के बेटे सायन कुणाल का विवाह दलित समाज से आने वाले नेता अशोक चौधरी की बेटी शाम्भवी चौधरी से हुआ है। शाम्भवी वर्तमान में समस्तीपुर से सांसद हैं।
राम मंदिर के मध्यस्थ के तौर भी किया काम
आचार्य किशोर कुणाल को वीपी सिंह की सरकार में केन्द्रीय गृह मंत्रालय में लाया गया था। यहाँ उन्हें बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी और विश्व हिन्दू परिषद के बीच बातचीत के दौरान विशेष अफसर के तौर पर नियुक्त किया गया था। किशोर कुणाल को दोनों पक्ष में समन्वय के लिए यहाँ लाया गया था। उन्होंने दोनों पक्ष की तरफ से दिए गए सबोत देखे थे और उनको आगे कार्रवाई के लिए भी भेजा था। उन्होंने इन सबूतों पर विश्लेषण भी किया था। इसको लेकर उन्होंने बाद में ‘अयोध्या रिविजिटेड’ नाम से एक किताब भी लिखी थी।
आचार्य किशोर कुणाल ने इन सबूतों और अध्ययन के आधार पर रामजन्मभूमि का एक नक्शा भी तैयार किया था। यह नक्शा बाद में रामजन्मभूमि की अदालती लड़ाई में भी पेश किया गया था। इस नक़्शे में स्पष्ट रूप से लिखा था कि मंदिर में कहाँ पर भगवान राम का जन्मस्थान था। इस नक़्शे को बाबरी मस्जिद की तरफ से वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में फाड़ दिया था। इसके बाद किशोर कुणाल ने कहा था कि राजीव धवन इस नक़्शे की सत्यता जानते थे और उन्हें पता था कि अगर यह कोर्ट के पास पहुँचा तो मुस्लिम पक्ष हार जाएगा।
सिर्फ धर्म नहीं, समाजसेवा के लिए भी किया काम
आचार्य किशोर कुणाल ने धर्म के लिए सेवा को समाजसेवा में बदला। उन्होंने पटना में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए ज्ञान निकेतन नाम का स्कूल खोला। यह स्कूल जल्द ही सेंट जेवियर और बाकि स्थापित संस्थानों से भी अच्छा रिजल्ट देने लगा। इसके अलावा महावीर मंदिर से ही जोड़ कर उन्होंने कई अस्पताल बनाए। वर्तमान में महावीर ट्रस्ट 9 अस्पताल चलाता है। इनमें ह्रदय रोग और कैंसर तक का इलाज लगभग मुफ्त में होता है। महावीर ट्रस्ट 10वां अस्पताल भी बनाने जा रहा है।