Friday, April 19, 2024
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मार्च में पीक पर होगा ओमिक्रोन, पर लॉकडाउन के आसार नहीं: कोरोना पर सटीक अनुमान लगाने वाले IIT प्रोफेसर का आकलन

प्रोफ़ेसर मणींद्र अग्रवाल ने अनुमान लगाया है कि जब तीसरी लहर पीक पर होगा तो 2 लाख बेड की जरूरत होगी, क्योंकि उनका अब तक का अनुभव बता रहा है कि डेल्टा में जहाँ 5 संक्रमित में से एक को बेड की जरूरत थी वह ओमिक्रॉन में 10 में 1 रहेगी।

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार (29 दिसंबर 2021) को कहा कि इस वैरिएंट का खतरा बहुत ज्यादा है। WHO की यह प्रतिक्रिया पिछले सप्ताह पूरी दुनिया में कोविड-19 के 11 प्रतिशत मामले बढ़ने के बाद आई है। भारत में भी ओमिक्रोन संक्रमण के मामले बढ़कर 781 हो गए हैं।

इधर ओमिक्रोन वैरिएंट का पहला शिकार बने दक्षिण अफ्रीका के डेटा का विश्लेषण कर आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कुछ दिन पहले कहा था कि ओमिक्रोन स्ट्रेन के तेज प्रसार की वजह मुख्य तौर पर इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) का घटना है। इसके प्रसार को संक्रमण में बढ़ोतरी से न जोड़ा जाए। 

‘सूत्र मॉडल’ के जरिए किए विश्लेषण के आधार पर प्रोफ़ेसर अग्रवाल ने बताया कि साउथ अफ्रीका का पीक आकलन के अनुसार आया। इसके पहले वहाँ कॉन्टैक्ट रेट और रीच में बढ़त दर्ज हुई। रीच 1 के पार जाने का अर्थ होता है, इम्यूनिटी खत्म हो जाना। इसे आधार मानें तो वहाँ 18 प्रतिशत लोगों में इम्यूनिटी खत्म हो गई है। इससे ओमिक्रोन का प्रसार बढ़ा।

भारत में 80 प्रतिशत लोग इम्यून हैं। भारत के मुकाबले दक्षिण अफ्रीका में वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी कम रही। वहाँ फाइजर और यहाँ कोविशील्ड इस्तेमाल हुईं। हालाँकि, एक तथ्य साफ है कि ओमिक्रोन वैरिएंट वैक्सीन इम्यूनिटी को बड़े स्तर पर और कुदरती इम्यूनिटी को कुछ हद तक भेद रहा है। भारत में फिलहाल कॉन्टैक्ट रेट 0.54, रीच 0.95 और नैचुरल इम्यूनिटी 83 प्रतिशत है। अगर 20 प्रतिशत लोग प्रतिरोधक क्षमता खो दें तो पैरामीटर में बदलाव हो जाएगा। 

उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में मौजूदा समय में कॉन्टैक्ट या बीटा रेट 0.52 है, जो पिछले महीने की दर 0.72 से कम है। डेनमार्क में भी ऐसा ही हुआ है। ऐसे में माना जाए कि भारत में 20 प्रतिशत लोगों की इम्यूनिटी अगर खत्म हो जाए तो मार्च की शुरुआत में हर दिन 1.8 लाख केसों के साथ तीसरी लहर का चरम (पीक) आ सकता है। फिर इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है। हालाँकि यह दूसरी लहर के मुकाबले आधे से भी कम होंगे। बता दें कि दूसरी लहर में मई के पहले हफ्ते में प्रतिदिन नए मामलों की संख्या चार लाख को पार कर गई थी।

प्रोफ़ेसर मणींद्र अग्रवाल ने अनुमान लगाया है कि जब तीसरी लहर पीक पर होगा तो 2 लाख बेड की जरूरत होगी, क्योंकि उनका अब तक का अनुभव बता रहा है कि डेल्टा में जहाँ 5 संक्रमित में से एक को बेड की जरूरत थी वह ओमिक्रॉन में 10 में 1 रहेगी। उनका कहना है कि फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि साउथ अफ्रीका की तरह भारत पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा। किसी तरह के लॉकडाउन का भी अंदेशा नहीं दिखता। हालॉंकि, मुकम्मल तौर पर अनुमान ओमिक्रोन के भारत में व्यापक रूप से प्रसार के बाद ही लगाया जा सकता है।

ब्रिटेन में ज्यादा मामलों के मिलने पर अग्रवाल ने कहा कि वहाँ टीकाकरण (ज्यादातर एमआरएनए वैक्सीन) अधिक हुआ है, लेकिन सीरो पाजिटिविटी कम है। भारत में टीकाकरण भी ज्यादा हुआ है और सीरो पॉजिटिविटी भी अधिक पाई गई है। उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन के अलावा लोगों में नेचुरल इम्यूनिटी भी डेवलप हो गई है। ऐसे में तीसरी लहर दूसरी लहर की तुलना में कम भयावह होगी।

इससे पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 18 से 23 दिसंबर तक कोरोना के पीक पर रहने का अनुमान जताया था। हालाँकि उन्होंने कुछ दिन और इंतजार करने की बात कही थी।

बता दें कि देश में कोविड-19 संक्रमण को ट्रैक करने के लिए प्रोफेसर मणींद्र ‘सूत्र’ मॉडल विकसित कर चुके हैं और इनकी बात इसलिए भी मायने रखती है, क्योंकि इनका अनुमान पहले भी बेहद सटीक साबित हुआ है। अगस्त में उन्होंने कहा था कि कोरोना की तीसरी लहर के आने का अंदेशा बहुत ही कम है। अगर वायरस का कोई नया वैरिएंट आता है तभी तीसरी लहर आएगी, लेकिन कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए एहतियात जरूरी है। 

इसके अलावा उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर को लेकर अनुमान लगाया था कि मई 2021 में इसका भयानक रूप देखने को मिलेगा। IIT कानपुर के प्रोफेसर ने इस अध्ययन में सभी राज्यों में अलग-अलग कोरोना के पीक टाइम और ग्राफ गिरने की तारीख का अनुमान लगाया था और यह सही साबित हुई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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