महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव और दलितों के उत्थान के लिए काम करने वाले पूर्व IPS किशोर कुणाल सोमवार (30 दिसम्बर, 2024) को पंचतत्व में विलीन हो गए। रविवार को उनका कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया था। महावीर मंदिर और राम मंदिर के जरिए हिन्दू धर्म की सेवा करने और दलितों को मुख्यधारा में लाने के लिए किशोर कुणाल ने IPS सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। उनकी पहचान इसके बाद आचार्य किशोर कुणाल के तौर पर हुई। लेकिन, उनका पुलिस अधिकारी के तौर पर भी करियर कम वीरता से नहीं भरा है।
किशोर कुणाल की पटना के बॉबी कांड को लेकर काफी चर्चा हुई थी। उन्होंने इसके अलावा संयुक्त बिहार में और भी जिलों में अपराध नियंत्रण पर काफी अच्छा काम किया था। ऐसी ही एक घटना उनके पलामू जिले का एसपी रहते हुए हुई थी। इसका जिक्र किशोर कुणाल की आत्मकथा ‘दमन तक्षकों का’ में किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे किशोर कुणाल ने अपनी तैनाती के कुछ ही दिनों के भीतर एक छंटे अपराधी और विधायक विनोद सिंह को मंत्री के सामने पकड़ा था।
इस किताब में किशोर कुणाल बताते हैं कि वह पलामू में तैनाती के बाद एक दिन जिले के ही लातेहार थाना पहुँचे थे। यहाँ थाना खाली थी और मात्र एक सिपाही बैठा था। यहाँ उन्होंने थाने की डायरी, जिसमें मुकदमे दर्ज किए जाते थे, उसका निरीक्षण किया और यह खाली मिली। ऐसा डायरी को बाद में भरने के लिए किया जाता था। कई मुकदमे दर्ज ही नहीं किए जाते थे। थाने के भीतर किशोर कुणाल को थानेदार नहीं मिला तो उन्होंने उसको बुलाया।
किशोर कुणाल लिखते हैं, “इसी बीच एक रोबदार आवाज दूर से सुनाई पड़ी- “अरे दरोगवा कहाँ बाड़े?” दारोगा को दरोगवा कहकर तिरस्कार करनेवाला भी कोई शख्स हो सकता है, यह कल्पना भी नहीं की थी। वह मोटा, भारी-भरकम डील-डौल वाला आदमी आते ही बोल उठा- “अरे दरोगवा कहाँ गईल बा। बीच सड़क पर कवनो ट्रक लगा देले बा, हमार गाड़ी निकल ना सकल। पैदल अवतानी। एहले ई जाहिल दरोगवा के खोजत बानी।”
किताब में आगे उन्होंने बताया, “उस विशिष्ट व्यक्ति ने सामने आकर कुर्सी पर बैठने और अपना परिचय देने की बात कही- “रउरा हमार परिचय पूछत बानी। हमरा कौन ना जानेला। हम नेता विनोद सिंह जेकरा नाम से पलामू के पत्ता-पत्ता डरे ला। इहाँ जिला में कोई अइसन अपराधी नहीं बा जे हमरा खबर कइले बगैर कोई अपराध करत बा? अइसन कोई दारोगा इ जिले में ना बा जे हमरा मर्जी के बगैर के कोई पकड़ सकेला और ना अइसन कोई नेता बा जे हमरा नाम के बिना राजनीति करत बा? हम तो आपका परिचय देली। अब रउरा आपन परिचय दीं।”
कुणाल किशोर लिखते हैं कि इस अपराधी का उनको पहले से पता था और कुछ ही दिन पहले उसकी हिस्ट्रीशीट उन्होंने पढ़ी थी। कुणाल किशोर ने तुरंत उसे गिरफ्तार करने का फैसला किया। वह लिखते हैं, “कुणाल- “आपने अपना सटीक परिचय दिया है। परसों ही मैं आपकी अपराध-गाथा पुलिस अभिलेखों में पढ़ रहा था। आपके एक-एक कारनामे से मैं परिचित हूँ। मैं हूँ एस.पी. कुणाल। रोहतास से बदल कर यहाँ आया हूँ। आपकी गाड़ी तो अब निकल जायेगी, किन्तु आप यहाँ से नहीं निकल पायेंगे।”
यह सुन कर विनोद सिंह ने अपना ताव दिखाने की कोशिश एसपी कुणाल से की। किताब के अनुसार, “विनोद सिंह मूँछ पर ताव फेरते हुए बोला, ऐसा कोई माई का लाल नहीं जन्मा जो विनोद सिंह को बन्दी बना सके और ऐसी कोई हथकड़ी नहीं बनी जो इसके हाथ में डाली जा सके।” इसके बाद एसपी कुणाल ने उसकी गिरफ्तारी के आदेश थानेदार को दे दिए। हालाँकि, किसी तरह से विनोद सिंह यहाँ से निकल गया और बाहर अगले दिन कॉन्ग्रेस सरकार के मंत्री रमेश झा के साथ बैठक में शामिल हो गया। मंत्री यहाँ बीस सूत्रीय कार्यक्रम में शामिल होने आए थे।
एसपी किशोर कुणाल को यह जब पता चला तो वह वहाँ भी विनोद सिंह को पकड़ने पहुँच गए। विनोद सिंह अब तक जान चुका था कि कुणाल किशोर के एसपी रहते हुए उसका पलामू में सलाखों से बच पाना मुश्किल है। ऐसे में वह उनसे बचने के लिए मंत्री रमेश झा के साथ पलामू से भागने लगा। वह विनोद सिंह के विमान में जाकर पहले ही बैठ गया ताकि उसको एसपी कुणाल पकड़ ना सकें। उसका यह पैंतरा भी उसे बचा नहीं पाया। एसपी कुणाल ने तय कर लिया था कि वह अब जेल जाएगा। वह अपने साथ एक दारोगा विनोद राम को भी लिया था।
एसपी कुणाल ने दारोगा के साथ उसका पीछा किया। किताब में किशोर कुणाल लिखते हैं कि इसके बाद उन्होंने मंत्री को रोककर विनोद सिंह को पकड़ने के लिए दारोगा को भेज दिया। इस पर विंड सिंह आनाकानी करने लगा और धमकियाँ देने लगा। ऐसे में दारोगा ने उसका कॉलर पकड़ कर खींच लिया। जब विनोद सिंह को लगा कि अब वह मार भी खा जाएगा तो बाहर आ गया और गिरफ्तार कर लिया गया। उसने एसपी कुणाल को धमकी भी दी। उसने कहा, “”निकलब त दू मूड़ी काटब” यानी निकलूँगा, तो दो सिर काटूँगा।
विनोद सिंह की यह धमकी एसपी कुणाल और दारोगा को थी। हालाँकि, इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ा और विनोद सिंह जेल भेज दिया गया। एसपी कुणाल के इसके अलावा भी पुलिस सेवा के कई बहादुरी के किस्से हैं। यह उनकी किताबों और बाकी जहाँ भी वह तैनात रहे, उनके चर्चे रहे हैं।