चीन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म DeepSeek के चलते अमेरिकी बाजारों में तबाही आई है। AI के चलते हजारों करोड़ बनाने वाली कम्पनियों के शेयर DeepSeek के आने के चलते गोता लगा रहे हैं। बाकी AI मॉडल्स की तरह DeepSeek भी लोगों के सवालों के जवाब देता है। लेकिन इस पर भी चीन ने एक तगड़ा कंट्रोल लगाया है। DeepSeek उन सवालों के जवाब नहीं देता है, जिन को चीन लगातार दबाता आया है। तिआनमेन नरसंहार से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक यह खामोशी साध लेता है।
क्या है DeepSeek?
DeepSeek एक चीनी कम्पनी है। यह AI के क्षेत्र में काम करती है। DeepSeek ने भी OpenAI और Perplexity AI जैसी कम्पनियों की तरह ही अपना AI मॉडल तैयार किया है। यह कम्पनी लियांग वेंगफेंग ने बनाई है। DeepSeek ने अपना नया मॉडल R1 भी हाल ही में लॉन्च किया है।
इसका कहना है कि जो जवाब OpenAI बिना कुछ सोचे हुए देती है, वही जवाब DeepSeek AI पहले सोचती और उस पर अपनी तर्कक्षमता लगा कर देती है। DeepSeek ने हाल ही में अपना एप और चैटबॉट लॉन्च किया है। यह तेजी से पॉपुलर हो रहा है।
अमेरिकी बाजारों में DeepSeek से क्यों मचा कोहराम?
अमेरिका समेत दुनिया भर के टेक्नोलॉजी से सम्बन्धित शेयर बीते DeepSeek के चलते गोता लगा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा असर सेमीकंडक्टर बनाने वाली कम्पनी Nvidia पर पड़ा है। यह सेमीकंडक्टर AI मॉडल बनाने के लिए लगते हैं। इसके चलते Nvidia की मार्केट वैल्यू 593 बिलियन डॉलर (₹4.8 लाख करोड़) गिर चुकी है।
इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी कम्पनियों के शेयर भी गिरे। इसके पीछे निवेशकों का इन कम्पनियों में डिगा हुआ भरोसा है। निवेशकों को लगता है कि अब Nvidia की उतनी हैसियत नहीं रह जाएगी। दावा है कि DeepSeek में लगाई जाने वाली लागत भी OpenAI और बाकी कम्पनियों से कहीं कम है।
DeepSeek पर विवाद क्यों?
DeepSeek AI लॉन्च होने और जनता के बीच पॉपुलर होने के साथ ही विवादों में भी घिर गई है। जहाँ बाकी AI मॉडल उन सभी प्रश्नों का जवाब देते हैं, जिनके विषय में जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है तो वहीं DeepSeek कुछ विषयों में जानकारी नहीं देता या फिर जवाब देकर गायब कर देता है। यह अधिकांश विषय ऐसे हैं जिन पर चीन भी नहीं बोलता या फिर कतराता है।
DeepSeek में चीन के दखल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह अरुणाचल प्रदेश तक के विषय में नहीं बताता। जहाँ यह विश्व के बाकी हिस्सों की विशेषताएँ, वहाँ कैसे पहुँचे और बाकी जानकारी कुछ सेकंड के भीतर दे देता है, वहीं अरुणाचल प्रदेश के विषय में पूछने पर यह जवाब देता है, “सॉरी, यह मरे स्कोप से बाहर है। किसी और विषय पर बात करते हैं।”

यही जवाबा DeepSeek का लद्दाख पर है। गौरतलब है कि अरुणाचल को चीन अपना हिस्सा बताता है और अपने नक़्शे में शामिल कर इस पर दावा ठोंकता रहता है। इसी तरह DeepSeek चीन की भारत में घुसपैठ पर भी चुप्पी साध लेता है। वह यह तक नहीं बताता कि कितने बार भारत ने चीन पर घुसपैठ का आरोप लगाया है।

DeepSeek तिब्बती धर्मगुरु, दलाई लामा पर भी नहीं बोलता। यह उन्हें महान व्यक्तित्व मानने वाले प्रश्न पर भी रटा रटाया जवाब देता है। यहाँ तक कि वह उनकी शिक्षाओं को भी बताने से इनकार कर देता है। DeepSeek अगर कुछ चीजों का जवाब देता भी है तो कुछ ही सेकंड के भीतर उन्हें मिटा देता है।

सिर्फ अंतरराष्ट्रीय विवादों पर ही नहीं बल्कि DeepSeek चीनी नीतियों और बोलने की स्वतंत्रता पर भी जवाब नहीं देता। जब अमेरिकी AI ChatGPT से पूछा जाए कि क्या अमेरिकी एजेंसियाँ खबरों में दखल देती हैं और मीडिया को रोकती हैं, तो यह स्पष्ट जवाब देता है कि ऐसा हुआ है।

वहीं DeepSeek इसका जवाब भी देने से मना कर देता है।

कई मौकों पर यह जवाब देकर मिटा भी देता है। ऐसा ही इसे दलाई लामा पर पूछे गए प्रश्न के संबंध में किया।
How is DeepSeek working?
— chandan kumar (@chandankumar_29) January 28, 2025
Is it providing accurate information to people through AI or is it filtering the answers through Chinese-controlled policies?
See in this video (after 1:20) how a question is quickly deleted after answering it: pic.twitter.com/OCBdOE2k3z
DeepSeek के AI के इन जवाब के चलते अब इस पर प्रश्न उठ रहे हैं। लोगों का कयास है कि इस AI पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का पूरा नियंत्रण है और यह उसी की नीतियों अपर चल रहा है। भविष्य में अमेरिका जैसे देश इसमें चीनी सरकार के दखल के चलते इस पर बैन भी लगा सकते हैं।