Saturday, April 20, 2024
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शिक्षा और स्वास्थ्य सेक्टर को मोदी सरकार के कई बड़े तोहफे: नर्सिंग से लेकर वित्तीय साक्षरता तक को बढ़ावा, फार्मा सेक्टर में नवाचार को प्रोत्साहन

बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 88,956 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह राशि पिछले बजट के मुकाबले 2,350 करोड़ रुपए अधिक है। यानी बजट में इस बार हेल्थ सेक्टर के लिए 2.71 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) द्वारा पेश बजट (Budget 2023) की तारीफ हर वर्ग कर रहा है। बजट में हर वर्ग को ध्यान रखा गया है। इसके साथ सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं।

मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा क्षेत्र में आवश्यक मूल बदलावों को पहले ही लागू कर दिया है। इसके बाद इस बजट में शिक्षा से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने की कोशिश की है। इसमें युवाओं को स्वावलंबी बनाने से लेकर जनजातीय समूह के छात्रों को विशेष रूप से ध्यान रखा गया है।

वित्त मंत्री ने देश भर 740 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों के लिए अगले तीन वर्षों में 38,000 टीचर्स और कर्मचारियों की भर्ती की बात कही है। इन स्कूलों में 3.5 लाख आदिवासी छात्र-छात्राओं को शिक्षा की व्यवस्था है। वित्त वर्ष 2023-24 में जनजातीय समुदाय के छात्रों के लिए विशेष स्कूलों के लिए 15,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

एकलव्य मॉडल स्कूलों के लिए बजट 2022-23 के 2,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2023-24 के लिए 5943 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वहीं, जिला स्तर पर शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। 

युवाओं के कौशल विकास के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 की शुरुआत अगले 3 वर्षों में की जाएगी। इसमें इंडस्ट्री फोकस्ड कोर्सेस लॉन्च किए जाएँगे, जिनमें रोबोटिक्स, कोडिंग आदि प्रमुख रूप से शामिल किए जाएँगे। कौशल विकास में तेजी लाने के लिए यूनिफाईड डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म की स्थापना भी की जाएगी।

इसके अलावा, लोक सेवकों और सरकारी कर्मचारियों में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। बच्चों और किशोरों के लिए नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की भी बात कही गई है। सरकार नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम की शुरुआत करेगी।

सरकार 157 नए नर्सिंग कॉलेज की स्थापना भी करेगी। मेडिकल एजुकेशन में मल्टी-डिसिप्लीनरी स्टडी के लिए सामग्री की व्यवस्था की जाएगी। बजट में फार्मा सेक्टर में रिसर्च गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नई रिसर्च योजना का एलान किया गया है। मेडिकल कॉलेजों को रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी तैयार किया जाएगा।

इसके साथ ही टीचर ट्रेनिंग के लिए अगले साल तक अत्याधुनिक टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर भी खोले जाएँगे। देश के टॉप शिक्षा संस्थानों में 3 ‘एक्सीलेंस फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ सेंटर्स खोले जाएँगे।

अगले तीन साल में 47 लाख युवाओं को राष्ट्रीय प्रशिक्षुता योजना यानी नेशनल अप्रेंटिस स्कीम का डीबीटी स्टाइपेंड का लाभ दिया जाएगा। केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत और वार्ड स्तर तक पुस्तकालय खोलने की दिशा में काम करेगी।  

इसके साथ ही बजट में वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) पर जोर दिया गया है। इसके के लिए गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम किया जाएगा। SEBI और NSE के साथ डिप्लोमा और सर्टिफिकेट जैसे कोर्स तैयार किए जाएँगे। 

बता दें कि सरकार ने शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत खर्च किया जाना है। हालाँकि अभी तक इस आँकड़े तक नहीं पहुँच पाई है। बजट 2022-23 में शिक्षा के लिए 1,04,278 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। उसके पिछले साल यानि वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में उसमें 11,054 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई थी।

वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में शिक्षा बजट पर 93,223 करोड़ रुपये था। शिक्षा पर खर्च वित्त वर्ष 2019-20 में 2.8%, 2020-21 में 3.1% और 2021-22 में 3.1% खर्च किया गया है। 

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रावधान

अगर स्वास्थ्य सेक्टर की बात करें तो बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 88,956 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह राशि पिछले बजट के मुकाबले 2,350 करोड़ रुपए अधिक है। यानी बजट में इस बार हेल्थ सेक्टर के लिए 2.71 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

साल 2014 से अब तक बने मौजूदा 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ कोलोकेशन में 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोले जाएँगे। फार्मा सेक्टर में नवाचार के लिए प्रावधान किया गया है। वहीं, चिकित्सा उपकरणों के लिए नए पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है। सरकार देश भर में ICMR की संख्या भी बढ़ाएगी।

सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए निजी निवेश को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, साल 2047 तक सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 40 साल तक के 7 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी।

वित्त वर्ष 2023 में हेल्थ के आवंटित 88,956 करोड़ रुपए में से 86,175 करोड़ रुपए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को मिलेंगे। बाकी 2980 करोड़ रुपए हेल्थ रिसर्च पर खर्च किए जाएँगे। नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम पर 133 करोड़ रुपए खर्च किए जाएँगे।

सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए 7200 करोड़ रुपए, नेशनल हेल्थ मिशन के लिए 36,785 करोड़ रुपए, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए 4,200 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 

पिछले बजट में मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना का तोहफा दिया था। इसके साथ ही स्वास्थ्य बजट में 135 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी। स्वास्थ्य बजट को 94,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया था।

इसके अलावा 75,000 ग्रामीण हेल्थ सेंटर खोलने का ऐलान हुआ था। देश के सभी जिलों में जाँच केंद्र और 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल खोले जाने की घोषणा हुई थी। पिछले बजट में मेंटल हेल्थ काउंसलिंग के लिए नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम की भी शुरुआत की गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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