Tuesday, December 10, 2024
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मिशनरी के अनाथ आश्रम में रहती थी हिंदू लड़की, ईसाई लड़के ने कर लिया अगवा: NCPCR के पूर्व अध्यक्ष बोले- धर्मांतरण का था इरादा, इसलिए संस्था ने नहीं कराई FIR

यह मामला नर्मदापुरम के इटारसी क्षेत्र का है। यहाँ जीवोदय बाल देखरेख संस्था ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित होती है। अनाथ बच्चों को पालने का दावा करने वाली इस संस्था को सिस्टर क्लारा एनीमोट्टी संचालित करती हैं।

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में एक ईसाई मिशनरी संस्था पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें धर्मान्तरण की साजिश और नाबालिग हिन्दू लड़की के अपहरण का मामला सामने आया है। यह आरोप राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) के पूर्व अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने लगाए हैं। प्रियांक ने दावा किया है कि एक ईसाई लड़के ने इस अनाथ आश्रम में रह रही एक हिन्दू लड़की का अपहरण किया था, और इस घटना के पीछे धर्मान्तरण की साजिश हो सकती है। उनका यह भी कहना था कि इस घटना में यौन शोषण का भी पहलू हो सकता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला नर्मदापुरम के इटारसी क्षेत्र में स्थित “जीवोदय बाल देखरेख संस्था” से जुड़ा हुआ है, जो ईसाई मिशनरी संस्था द्वारा संचालित है। इस संस्था को सिस्टर क्लारा एनीमोट्टी संचालित करती हैं, जो इस विवाद के केंद्र में हैं। इस संस्था पर शुक्रवार (29 नवंबर 2024) को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) के पूर्व चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

प्रियांक कानूनगो ने बताया कि जीवोदय संथा में पल रही OBC समुदाय की हिन्दू लड़की का एक ईसाई लड़के ने अपहरण कर लिया। अपहरण का मकसद पीड़िता का यौन शोषण बताया गया है। इस अपहरण के पीछे धर्मान्तरण की साजिश की आशंका जताते हुए प्रियांक कानूनगो ने अपहरण के बाद जीवोदय संस्था द्वारा FIR न दर्ज कराने पर सवाल खड़े किए हैं। अपहरण के 2 दिनों के बाद पीड़िता को गैरकानूनी ढंग से बरामद कर लिया जाता है।

प्रियांक ने आगे बताया कि बरामदगी के बाद एक पंचनामा बनवा कर पीड़िता को आरोपित की बहन मोना मसीह के हवाले कर दिया जाता है। इस पंचनामे का स्क्रीनशॉट भी प्रियांक कानूनगो ने शेयर किया है। दावा है कि मोना मसीह के पास पीड़िता 4 दिनों तक रही। इसके बाद अपहरण का आरोपित पीड़िता को अपने घर ले कर चला गया। आरोप है कि जिले के स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सब जानते हुए संस्था को बचाने और मामले को दबाने की कोशिश की।

चित्र साभार- X/प्रियांक कानूनगो

प्रियांक कानूनगो ने आरोप लगाया कि इस दौरान नर्मदापुरम के स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने मिशनरी संस्था को क्लीन चिट दे दी, जिससे यह मामला और भी संदिग्ध हो गया। प्रियांक ने इसे मानव तस्करी और धर्मान्तरण के रैकेट का हिस्सा बताया और आरोप लगाया कि प्रशासन ने संस्था को बचाने की कोशिश की। उन्होंने बच्चों के अधिकारों पर अक्सर बयानबाजी करने वाले संगठनों को चर्च के टुकड़ों पर पलने वाला बताया है और उनकी चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं।

इसके बाद सिस्टर क्लारा का बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने इन आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया। सिस्टर क्लारा ने अपनी संस्था को पूरी तरह से पाक-साफ बताया और इस लापरवाही का दोष चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) पर मढ़ा। उनका कहना था कि अगर कोई गलती हुई है, तो इसके लिए CWC जिम्मेदार है, न कि उनकी संस्था।

पुलिस ने अब इस मामले में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। जीवोदय संस्था की सुपरवाइजर को इस मामले में नामजद किया गया है, और पुलिस ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जाँच शुरू कर दी है।

SHO गौरव सिंह के मुताबिक, मिले सबूतों के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में अब आगे की जाँच जारी है और पुलिस ने सबूतों के आधार पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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