राजस्थान के बाँसवाड़ा जिले में एक चर्च को हिंदू मंदिर में बदला जा रहा है। जिस गाँव में यह बदलाव हो रहा है, उस गाँव के लोग कुछ साल पहले ईसाई में धर्मांतरित हो गए थे। यह चर्च भी उसी समय का बना हुआ है। अब लगभग पूरा गाँव फिर से हिंदू बन गया है। इसके बाद अब ग्रामीण चर्च को मंदिर में बदल रहे हैं। चर्च से मंदिर बनाने के बाद उसमें भैरव जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
यह मामला बाँसवाड़ा जिले के गांगड़तलाई स्थित सोडलादूधा गाँव का है। भारतमाता मन्दिर परियोजना के प्रयास से कुछ दिन पहले इस गाँव के 80 परिवारों ने घर वापसी करके हिन्दू धर्म अपना लिया है। घर वापसी के बाद गाँव के परिवारों ने भैरव जी का मन्दिर स्थापित करने का निर्णय लिया है। रविवार 9 मार्च 2025 को मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निश्चित किया गया है।
दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, गाँव के गौतम गरासिया नाम के एक बुजुर्ग शख्स ने बताया कि 30 साल पहले वे ईसाई बन गए थे। वे धर्मांतरण करने वाले गाँव के पहले व्यक्ति थे। इसके बाद उनके परिवार के 30 सदस्यों ने भी ईसाई धर्म अपना लिया। उनसे प्रेरित होकर कुछ और लोगों ने भी ईसाई धर्म अपना लिया। हालाँकि, उनके छोटे भाई का परिवार हिंदू बना रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम का कहना है कि उनके ईसाई बनने के बाद ईसाई समुदाय के लोगों का उनके गाँव में आवाजाही शुरू हो गई। गौतम हर रविवार को अपनी झोपड़ी में प्रार्थना सभा आयोजित करने लगे। इसके बाद उनकी झोपड़ी को चर्च में बदलने के लिए तीन पहले पहले उन्हें पैसे दिए गए। झोपड़ी जब चर्च बन गया तो उसमें बाहर से भी पादरी आने लगे।
वे गाँव के अन्य लोगों को भी ईसाई बनने के लिए प्रेरित करने लगे। प्रार्थना सभा में आने वाले ग्रामीणों को भी वे दान करने के लिए कहते थे। साथ ही उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहते थे। इन लोगों ने गौतम को गाँव के इस चर्च का पादरी भी बना दिया। इसके बदले उन्हें हर महीने लगभग 1500 रुपए दिए जाते थे।
गौतम के दो बेटों ने घर वापसी कर ली है, जबकि गौतम की पत्नी अभी ईसाई ही हैं। उन्होंने कहा कि गाँव के 45 लोगों में से 30 लोगों ने हिंदू धर्म को फिर से अपना लिया है। उन्होंने दावा किया कि बचे हुए 15 लोग भी जल्द घर वापसी करने वाले हैं। घर वापसी करने वाले लोगों का कहना है कि जो लोग अभी ईसाई हैं, उन्हें हिंदू बनने के लिए वे समझाते हैं।