Tuesday, March 19, 2024
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‘₹1000 करोड़ के गिफ्ट लेकर Dolo-650 लिख रहे डॉक्टर’: दावे से सुप्रीम कोर्ट भी हैरान, बोले जस्टिस चंद्रचूड़- कोरोना में मैंने भी ली थी यही दवा

CBDT ने डोलो बनाने वाली कंपनी के 36 ठिकानों पर छापेमारी की थी। एजेंसी ने इसके बाद कहा था कि दवा निर्माता कंपनी कई तरह की अनैतिक गतिविधियों में शामिल है। इसके साथ ही उसने 300 करोड़ रुपए की टैक्स की चोरी भी की है। 

बुखार उतारने के लिए दी जाने वाली पैरासिटामोल दवा ‘डोलो-650’ बनाने वाली फर्मास्युटिकल कंपनी ने ब्रांडिंग के लिए डॉक्टरों के बीच घूस के रूप में एक हजार रुपए से अधिक के गिफ्ट बाँटे। यह सुनकर मामले की सुनवाई कर रहा सुप्रीम कोर्ट भी हैरान रह गया। कोर्ट ने इस मामले में केेंद्र सरकार से 10 दिनों में जवाब माँगा है।

मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना (Justices D.Y. Chandrachud and A.S. Bopanna) की बेंच ने इसे गंभीर मामला माना और कहा कि इस आरोप की तह तक जाना चाहिए। बता दें कि कंपनी पर एक संस्था ने यह आरोप लगाते हुए मामला दायर किया है।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “जो आप कह रहे हैं, वो मुझे सुनने में अच्छा नहीं लग रहा। ये वही दवाई है, जिसका कोविड के दौरान मैंने खुद इस्तेमाल किया। अगर ऐसा है तो ये वाकई गंभीर मसला है।”

फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMSRA) की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय पारिख ने यह दावा किया है। उन्होंने अपने इस दावे के पीछे सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT ) की जाँच रिपोर्ट का हवाला दिया है।

बता दें कि CBDT ने डोलो बनाने वाली कंपनी के 36 ठिकानों पर छापेमारी की थी। एजेंसी ने इसके बाद कहा था कि दवा निर्माता कंपनी कई तरह की अनैतिक गतिविधियों में शामिल है। इसके साथ ही उसने 300 करोड़ रुपए की टैक्स की चोरी भी की है। 

एडवोकेट पारिख ने बेंच को बताया कि 500 मिलीग्राम तक के किसी भी टैबलेट का बाजार मूल्य सरकार नियंत्रित होता है। इसमें डोलो 500 तक के टैबलेट भी शामिल हैं। वहीं, 500 मिलीग्राम से ऊपर की दवा की कीमत निर्माता कंपनी खुद तय कर सकती है। ऐसे में डोलो 650 मिलीग्राम टैबलेट को प्रेस्क्राइब करने के लिए डॉक्टरों को खूब फ्री गिफ्ट्स दिए गए और लाभ कमाया गया।

FMSRA ने अपनी याचिका में कहा है कि इस तरह के मामलों में रिश्वत के लिए डॉक्टरों पर तो केस चलता है, पर दवा कंपनियाँ बच जाती हैं। याचिका में डॉक्टरों को तोहफे देने वाली दवा कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की माँग की गई है।

इसके साथ ही फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज के लिए यूनिफॉर्म कोड (UCPMP) बनाए जाने की माँग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इसके कारण अक्सर इलाज करने वाले डॉक्टर महँगे गिफ्ट के लालच में मरीजों को वही दवाई पर्चे पर लिखते हैं, जो महँगी होती हैं। इससे मरीजों के सेहत पर भी प्रभाव पड़ता है।

बता दें कि डोलो-650 कोरोना काल के दौरान खूब चर्चा में था। उस दौरान लगभग हर डॉक्टर मरीजों को डोलो-650 को लिखते थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर 2022 को करेगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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