राजस्थान के अजमेर में मुस्लिम बाप-बेटे ने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया है। इस्लाम में रहते हुए पिता का नाम शफीक खान (बदला हुआ नाम) और बेटे का अकरम खान (बदला हुआ नाम) था। शफीक ने अपना नाम शुभम अग्रवाल और बेटे ने अपना नाम अमन अग्रवाल कर लिया है। दोनों पड़ोसी मौलाना से तंग थे। मौलाना इनकी पत्नी और बेटी को उकसाकर इनके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगवाए थे।
दोनों पिता-पुत्र मूल रूप से अजमेर के खानपुरा के रहने वाले हैं। वे अजमेर के सुभाष नगर में फिलहाल रह रहे हैं। लगभग 45 साल के शफीक का कहना है कि वह पिछले 30 साल से फोटोग्राफी का काम कर रहे हैं और अपनी पत्नी, बेटा और बेटी साथ रहते थे। उनका कहना है कि पड़ोसी मौलाना ने उनकी बेटी और बीवी को अपने वश में कर लिया और उनके ही खिलाफ दोनों को उकसा रहा है।
शफीक ने आरोप लगाया है कि उन्हें और उनके बेटे को मौलाना द्वारा पिछले तीन साल से प्रताड़ित किया जा रहा है। मौलाना ने पीड़ित की बेटी को बहका कर उसके खिलाफ 14 अगस्त 2024 को रामगंज थाने में पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) में मुकदमा दर्ज करवा दिया। मौलाना पीड़ित की बीवी के जरिए भी लगातार प्रताड़ित कर रहा था। आखिरकार पीड़ित ने बीवी से तलाक लेने का निर्णय लिया।
शुभम अग्रवाल बने पीड़ित शफीक का कहना है कि 27 अगस्त 2024 को अपनी बीवी को 2 लाख रुपए दिए और तलाक लिया। इसके बावजूद मौलाना के बहकावे में बीवी और बेटी पीड़ित को लगातार प्रताड़ित करते रहे। उनका कहना है कि इस संबंध में उन्होंने अपने समुदाय के लोगों से मदद माँगी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। इसके बाद पिता-पुत्र ने हिंदू समुदाय के लोगों से मदद माँगी।
जब हिंदू समुदाय के लोगों से इन्हें हर तरह की मदद मिली तो दोनों ने इस्लाम मजहब त्यागकर हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया। इसके बाद वे दोनों ने क्रिश्चियन गंज स्थित मंदिर के पुजारी से संपर्क किया और हिंदू धर्म अपनाने की बात कही। इसके बाद पुजारी ने पूजा-पाठ, हवन और पूरे विधि-विधान से दोनों को हिंदू धर्म में घरवापसी करवाई। दोनों ने कोर्ट के जरिए भी धर्म परिवर्तन कर लिया।
दोनों का हिंदू धर्म में स्वागत करने वाले अजमेर के मंदिर के पुजारी ने बताया कि दोनों पिता-पुत्र काफी समय से परेशान थे और दोनों हिंदू धर्म अपनाना चाहते थे। आखिरकार सोमवार (13 जनवरी) को पूजन हवन करके उन्होंने सनातन धर्म अपना लिया। पुजारी का कहना है कि दोनों ने स्वेच्छा से हिंदू धर्म अपनाया है। दोनों को सनातन धर्म के बारे में काफी जानकारी पहले से ही है।
हिंदू धर्म अपनाने वाले बाप-बेटे का कहना है कि उनका हिंदू धर्म से पहले से जुड़ाव रहा है। अब वे स्वेच्छा से हिंदू धर्म में आ गए हैं। दोनों ने हिंदू समाज से उन्हें अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “मेरा हिंदू समाज से भी निवेदन है कि मुझे और मेरे बेटे को हिंदू धर्म में स्वीकार करें। हमने कोर्ट के जरिए भी धर्म बदल लिया है। अगर मेरी कोई गलती हो तो मुझ पर कार्रवाई की जाए।”
मीडिया ने मौलाना को धर्मगुरु लिखकर संशय पैदा करने की कोशिश की
शफीक और अकरम नाम के दोनों बाप-बेटे अपने पड़ोसी मौलाना से परेशान थे। हालाँकि, मुख्यधारा की मीडिया संस्थानों ने मौलाना को धर्मगुरु बताकर समाज में भ्रम पैदा करने की कोशिश की। इस पूरे खबर को पढ़कर एक बार संशय होता है कि वे हिंदू धर्मगुरु से परेशान थे, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। इस तरह हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
दैनिक जागरण ने आरोपित को मौलाना लिखने की जगह उसे हिंदू धर्मगुरु लिखा है। कहीं भी मौलवी जैसे मौलाना मजहबी उलेमा के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है। वहीं, दैनिक भास्कर ने इस्लामी धर्मगुरु भी नहीं लिखा। उसने लिखा कि दोनों बाप-बेटे ‘पड़ोसी धर्मगुरु’ से परेशान थे। इससे लगता है कि वे किसी हिंदू से परेशान थे।