Friday, October 4, 2024
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ताबीज की लड़ाई को दिया जय श्रीराम का रंग: गाजियाबाद केस की पूरी डिटेल, जुबैर से लेकर बौना सद्दाम तक की बात

मामले में प्रोपेगेंडा फैलाने वालों ने तरह-तरह के एंगल दिए हैं। बस छिपाया गया है तो पुलिस की शुरुआती पड़ताल को और आरोपितों के नाम को।

गाजियाबाद में मुस्लिम बुजुर्ग के साथ हुई मारपीट की घटना में अब तक कई दावे हो चुके हैं। कुछ का कहना है कि उनका अपहरण करके उनसे ‘जय श्रीराम’ बुलवाया गया और कुछ का कहना है कि उन्हें ‘वंदे मातरम’ बोलने को भी मजबूर किया गया।  मामले में प्रोपेगेंडा फैलाने वालों ने तरह-तरह के एंगल दिए हैं। बस छिपाया गया है तो पुलिस की शुरुआती पड़ताल को और आरोपितों के नाम को। 

अब इस पूरे केस का घटनाक्रम क्या है और कैसे वामपंथी मीडिया ने इसे रिपोर्ट किया, आइए शुरू से समझें …

अब्दुल के ताबीज का प्रतिकूल प्रभाव देखकर हुई मारपीट

5 जून 2021 को गाजियाबाद में अब्दुल समद को परवेश गुर्जर, आरिफ, आदिल, मुशाहिद और कल्लू नाम के लड़कों ने बुरी तरह पीटा। आरोपितों का कहना था कि जो ताबीज अब्दुल ने उन्हें दी उसका उनके परिवार पर बुरा असर पड़ा जिसके बाद उन्होंने चोरी-छिपे अब्दुल से बदला लेने की योजना बनाई।

पुलिस में समद के बेटे ने की शिकायत, दिया विरोधाभासी बयान

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, समद के बड़े बेटे ने गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस थाने पर सपा नेता उमेद पहलवान इदरिसी की मदद से मामले में शिकायत करवाई। शिकायत में उसने कहा कि उसके घर में ताबीज बनाने का काम कोई नहीं करता जबकि घटना की वीडियो में दिखा कि आरोपित और अब्दुल दोनों ही इस बात को कह रहे हैं कि अब्दुल ने ताबीज बनाई थी।

शिकायत में अब्दुल के बेटे बब्बू सैफी ने कहा कि उनके अब्बा को कुछ अंजान लोगों के समूह ने उठाया, वो भी तब जब वह अपनी दरगाह पर थे। इसके बाद उन्हें अंजान जगह पर ले जाया गया और उनकी दाढ़ी काट दी गई। साथ ही मारते हुए उनके जबरन जय श्रीराम के नारे लगवाए गए और उन्हें पेशाब पीने को दिया गया।

वायर की रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई शिकायत में पुलिस की कोई मुहर नजर नहीं आती। इसलिए ये कहना तो मुश्किल है कि इसी शिकायत को पुलिस में दर्ज किया गया।

7 जून को FIR दर्ज हुई

7 जून को लोनी बॉर्डर के पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई और पुलिस ने अपनी पड़ताल शुरू कर दी। मामले में गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि वह 5 जून को हुई इस कथित घटना में पहले ही प्राथमिकी दर्ज कर चुके है। घटना के दो दिन बाद सात जून को पुलिस को इसकी सूचना दी गई। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के निवासी अब्दुल समद ने अपनी शिकायत में इस तरह के आरोप नहीं लगाए हैं जैसे कि वीडियो के आधार पर सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा। उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस परवेश गुर्जर नाम के एक व्यक्ति को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है, जिसने आलिम के रूप में काम करने वाले समद से ताबीज लिया था।

ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद जुबैर ने मामले को दिया साम्प्रदायिक एंगल

14 जून को ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मज जुबैर ने पीड़ित बुजुर्ग का वीडियो ट्वीट किया (जो वह अब डिलीट कर चुका है)। इसके साथ उसने लिखा, “एक बुजुर्ग आदमी, सूफी अब्दुल समद सैफी पर गाजियाबाद के लोनी में 5 गुंडों ने हमला किया। उन्हें बंदूक की नोंक पर मारा गया, प्रताड़ित किया गया और जबरदस्ती उनकी दाढ़ी काट दी गई।”

इसके बाद पीड़ित का पक्ष रखते हुए जुबैर ने एक और वीडियो डाली और साथ ही पीड़ित पक्ष के नाम पर ये लिखा, “ये अब्दुल समद सैफी की घटना को बयान करते हुए पूरी वीडियो है। उनका दावा है कि उनसे जबरदस्ती जय श्रीराम का नारा बुलवाया गया।”

गौर करने वाली बात ये है कि इन वीडियोज को अपलोड और वायरल वामपंथी धड़े ने ही किया।

द क्विंट में तो ऐसे हिंदूफोबिक कार्टून भी छप गए जिन्हें बाद में उन्हें हटाना पड़ा।

गाजियाबाद पुलिस ने जारी किया बयान

14 जून को ही पुलिस ने पूरे मामले के संबंध में अपनी जाँच के बाद पक्ष रखा। बताया गया ये घटना जून 5, 2021 की है, जिसके बारे में पुलिस के समक्ष 2 दिन बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने जाँच की तो पाया कि पीड़ित अब्दुल समद बुलंदशहर से लोनी बॉर्डर स्थित बेहटा आया था। वो एक अन्य व्यक्ति के साथ मुख्य आरोपित परवेश गुज्जर के घर बंथना गया था। वहीं पर कल्लू, पोली, आरिफ, आदिल और मुशाहिद आ गए।

वहाँ पर बुजुर्ग के साथ मारपीट शुरू कर दी गई। अब्दुल समद ताबीज बनाने का काम करता है। आरोपितों का कहना है उसके ताबीज से उनके परिवार पर बुरा असर पड़ा। अब्दुल समद गाँव में कई लोगों को ताबीज दे चुका था। आरोपित उसे पहले से ही जानते थे। पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपित पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। कल्लू और आदिल भी गिरफ्तार कर लिए गए। अन्य अभियुक्तों की जल्द गिरफ़्तारी का आश्वासन भी पुलिस ने दिया।

यूपी सरकार हुई सक्रिय

मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल न होने पर और बार-बार पुलिस द्वारा स्पष्टीकरण देने पर भी मामले में झूठ फैलाया जाता रहा। एक आप नेता ने तो इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने का प्रयास किया और अपील की कि इसे विदेशी मीडिया पर संज्ञान दिलवाया जाए।

इस बीच यूपी सरकार ने झूठ फैलाने वालों पर कार्रवाई करनी शुरू की। जय श्रीराम का एंगल न होने के बावजूद जिन्होंने झूठ फैलाया उनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज हुए और ट्विटर पर इस आधार पर केस किया गया कि उन्होंने बिना प्रमाणिकता जाने वीडियो को शेयर होने दिया और उसका मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग नहीं लगाया।

जिन प्रोपगेंडाबाजों पर कार्रवाई हुई उनमें राणा अय्यूब, द वायर, सलमान निजामी, मकसूर उस्मानी, समा मोहम्मद और सबा नकवी के नाम शामिल हैं।

जुबैर को हटानी पड़ी वीडियो

एफआईआर के बाद मोहम्मद जुबैर ने 15 जून को उस वीडियो को हटा दिया जिसमें बिन कोई आवाज के दावा हो रहा था कि जय श्रीराम का नारा लगाने के लिए बुजुर्ग को मजबूर किया गया।

वहीं मुकदमे के बाद सबा नकवी और राणा अय्यूब ने भी ऐलान कर दिया कि मामले में कुछ भी बोलने से पहले पुलिस जाँच के पूरे होने का इंतजार करेंगी।

गाजियाबाद पुलिस ने 16 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मामले में झूठी खबर फैलाने वालों पर हुई एफआईआर के बारे में बताया। इनमें ट्विटर, द वायर और 7 अलग-अलग लोगों के नाम थे।

पुलिस ने नैरेटिव गढ़ने वालों को चेताया

एसएसपी अमित पाठक ने चेतावनी दी, “हम अभी भी सतर्क हैं और अगर कोई भी नैरेटिव को आगे बढ़ाता हुआ पाया जाता है और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए जानबूझकर घृणित सामग्री प्रकाशित करता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बौना सद्दाम ने खोले राज

मामले में लगातार जाँच आगे बढ़ रही है। एक बौना सद्दाम नाम के शख्स ने बताया कि उसके जीजा इंतज़ार ने अब्दुल समद को परवेश गुज्जर से मिलवाया था। इंतजार, अब्दुल समद का एजेंट के रूप में काम करता था। अपने बयान में सद्दाम ने बताया है कि अब्दुल समद के ताबीज़ से उसके बेटे पर भी बुरा असर हुआ था। उसके बेटे की भी तबीयत खराब हुई थी। अब्दुल समद तीन बार परवेश गुज्जर से मिल चुका था, जबकि अपनी शिकायत में उसने बताया था कि उसे ऑटो से अज्ञात लोग पकड़ कर ले गए थे, जिसके बाद मारपीट की गई थी। सद्दाम ने बताया कि उस वक़्त वो भी वहाँ मौजूद था।

सपा नेता के विरुद्ध केस दर्ज

इस केस में ‘जय श्री राम’ को बदनाम करने की साजिश रचने वाले स्थानीय सपा नेता उम्मेद इदरिश पहलवान के खिलाफ FIR दर्ज कर उसकी तलाश शुरू हुई। FIR के अनुसार, उसने ही सबसे पहले बुजुर्ग के साथ अनावश्यक वीडियो बनाया और इसे वायरल करने के लिए इसमें धार्मिक वैमनस्यता फैलाने वाली बातें कही। आरोप है कि घटना की सत्यता जाँचे बिना ही वीडियो में धार्मिक आधार पर बातें की गईं।

प्रतीक सिन्हा का रोना

बता दें कि गाजियाबाद घटना का ये पूरा घटनाक्रम है जो अब तक यही दर्शा रहा है कि जय श्रीराम वाला एंगल मामले में जबरदस्ती घुसाया गया और इसे फैलाने का काम लेफ्ट इकोसिस्टम ने सक्रियता से किया। हालाँकि, मामले में जाँच के बाद हकीकत सामने आई तो गलती मानने की बजाया पीड़ित का पक्ष दिखाकर इसे फैलाया।

ऐसे में पुलिस ने कार्रवाई कि तो ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक प्रतीक सिन्हा अपने साथी के लिए बोल पड़े कि ये जाहिर है कि मोहम्मद जुबैर को केवल पीड़ित का पक्ष रखने पर निशाना बनाया जा रहा है। इसलिए ऑल्ट न्यूज की टीम जुबैर के साथ खड़ी है।

दिलचस्प बात ये है कि करीब एक साल पहले ऐसे ही एक मामले को लेकर ऑल्ट न्यूज खेल का अलग नियम चाहता था। यह मामला बिहार के गोपालगंज से जुड़ा था। रोहित जायसवाल नाम के एक बच्चे की मौत के मामले में उसके पिता का दावा था कि उनके बेटे की मस्जिद में बलि दी गई और पुलिस इस मामले में कार्रवाई नहीं कर रही। ऑपइंडिया ने उस समय पीड़ित पिता के दावे को प्रकाशित किया था। साथ ही लगातार इस मामले की रिपोर्टिंग करते हुए हमने पुलिस, जॉंच और बाद में पिता के बयान बदलने को लेकर भी रिर्पोटें की थी। उस समय यही इकोसिस्टम अलग सुर में बात कर रहा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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