Friday, April 19, 2024
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वे नहीं रहे… क्योंकि वे हिन्दू थे: अपनी नवजात बेटी को भी नहीं देख पाए गौ प्रेमी किशन भरवाड

किशन को जेल में डाले जाने के ठीक एक दिन बाद, उनकी पत्नी का सिजेरियन सेक्शन हुआ लेकिन किशन को अपनी बेटी का चेहरा कभी देखने को नहीं मिला, क्योंकि जिस दिन उनकी हत्या हुई उसी दिन वह अपनी बेटी को देखने के लिए अपने गाँव लौटे थे।

27 वर्षीय हिंदू युवक किशन भरवाड़ को कट्टरपंथी मुस्लिमों ने 25 जनवरी 2022 को केवल हिंदू होने के कारण मार डाला था। किशन भरवाड़ अहमदाबाद के धंधुका के रहने वाले थे। उनकी उस वक्त हत्या कर दी गई जब वह दोपहिया वाहन पर मोढवाड़ा मोहल्ले से गुजर रहे थे। कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा अन्य हत्याओं की तरह, किशन की हत्या भी “ईशनिंदा” के आरोपों में की गई।

किशन भरवाड़ और तथाकथित ईशनिंदा

युवा किशन भरवाड़ को गायों से प्यार था। फोटोकॉपी की दुकान और खेत में काम करते हुए वह अपने परिवार को आजीविका कमाने में मदद करता थे। लेकिन जनवरी 2022 में उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर किया। यह एक छोटी सी वीडियो थी एनीमेशन के जरिए जिसमें यीशु को ‘गॉड के पुत्र’ के रूप, पैगंबर मुहम्मद ‘गॉड के दूत’ के रूप में, जबकि भगवान श्रीकृष्ण को ‘ईश्वर’ अर्थात गॉड के रूप में दिखाया गया था। इस वीडियो को साझा करने के 30 मिनट के भीतर, किशन भारवाड़ को धमकी भरे फोन आने लगे क्योंकि उन्होंने अपने स्वयं के विश्वास को प्रदर्शित किया जो कट्टरपंथी मुस्लिमों को पसंद नहीं आया।

इस घटना के बाद ही किशन भरवाड़ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग को लेकर करीब 1000 मुस्लिमों की भीड़ स्थानीय थाने पहुँची। और शिकायत दर्ज कराने के बाद भी भीड़ ने किशन भारवाड़ की पिटाई कर दी। हालाँकि कट्टरपंथी भीड़ इससे भीड़ संतुष्ट नहीं हुई। तीन दिन बाद, उन्हें पुलिस स्टेशन से फोन आया क्योंकि उनके खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं उनके पिता ने अगले ही दिन उनका जमानत करा दिया और सुझाव दिया कि वह कुछ दिनों के लिए गाँव छोड़कर चले जाएँ।

किशन को जेल में डाले जाने के ठीक एक दिन बाद, उनकी पत्नी का सिजेरियन सेक्शन हुआ और उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया। लेकिन किशन को अपनी बेटी का चेहरा कभी देखने को नहीं मिला, क्योंकि जिस दिन उनकी हत्या हुई उसी दिन वह अपनी बेटी को देखने के लिए अपने गाँव लौटे थे। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, किशन पर गोली चलाने वाले दो लोग उसके पीछे थे और मोढवाड़ा में एक मोड़ पर उन्होंने पहली गोली चलाई। वे चूक गए और फिर उन्होंने फिर फायरिंग की। जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। परिवार ने किशन के पार्थिव शरीर को लेने से इनकार कर दिया। हालाँकि, भारी पुलिस सुरक्षा के बीच उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

किशन की हत्या के बाद भारी विरोध प्रदर्शन

जिहादी नारे ‘गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही साजा, सर तन से जुदा’ का पालन करते हुए, किशन भरवाड़ की हत्या को अंजाम दिया गया क्योंकि उसने एक पोस्ट साझा किया था जिसे मुस्लिम “ईशनिंदा” मानते थे। गुजरात में हो रहे इस जिहादी एजेंडे का विरोध करने और मारे गए हिंदू युवक को न्याय दिलाने के लिए गुजरात के विभिन्न शहरों में बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए थे।

लोगों ने केंद्र सरकार से इस मामले की जाँच कराने की भी माँग की ताकि पाकिस्तान से की मदद से कथित तौर पर की जाने वाली ऐसी जिहादी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जा सके।

हथियार सप्लाई करने वाले मौलवियों की शुरुआती गिरफ्तारी

वहीं इस मामले में 27 जनवरी 2022 को, अहमदाबाद पुलिस ने किशन की हत्या के मामले में दो मौलवियों के लिंक का पता लगाने के बाद दो लोगों को गिरफ्तार किया। हत्या दो मौलवियों के निर्देश पर की गई थी, एक अहमदाबाद से और दूसरा मुंबई से था। अहमदाबाद के जमालपुर इलाके के एक मौलवी ने हत्यारों को हथियार मुहैया कराए थे और मुंबई के मौलाना ने निर्देश दिया था। वहीं 29 जनवरी 2022 को इसमें पाकिस्तानी कनेक्शन भी सामने आया।

इसके कुछ घंटों बाद ही पुलिस को कुल 6 मुस्लिम मौलवियों के शामिल होने का संदेह था। गिरफ्तार मौलवी अयूब से यह पता चला कि किशन की हत्या से पहले, जामनगर के एक अन्य युवक को इस्लाम के खिलाफ “ईशनिंदा” के लिए मारने की योजना थी। इसके लिए राजकोट निवासी अजीम बसीर समा ने हथियार दिए थे। हालाँकि, इस मामले में पुलिस ने उन शूटरों को भी गिरफ्तार कर लिया जिन्होंने इस हत्या को अंजाम दिया था।

वहीं किशन को मारने के लिए जिस पिस्तौल और बाइक का इस्तेमाल किया गया था, वह गुजरात पुलिस को धंधुका में सर मुबारक बुखारी दादा दरगाह के पास के इलाके से मिली थी। शूटर शब्बीर और इम्तियाज दोनों 25 जनवरी को किशन भरवाड़ की हत्या में शामिल थे। इम्तियाज बाइक चला रहा था और शब्बीर ने किशन पर गोलियाँ चलाईं।

शब्बीर और इम्तियाज ने अपनी खुलासा किया कि वे मौलाना कमर गनी के 2021 में सूरत में दिए गए भाषण से प्रेरित थे। जिसके बाद गुजरात एटीएस ने मौलाना कमर गनी उस्मानी को दिल्ली से गिरफ्तार किया था।

गौरतलब है कि जाँच एजेंसियों को करीब 26 लोगों के प्रोफाइल मिले जो इस जिहादी नेटवर्क के निशाने पर थे। सूची में गाजियाबाद के डासना मंदिर के यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी (वसीम रिज़वी), बीएस पटेल, पंकज आर्य, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, महेंद्रपाल आर्य, राहुल आर्य, राधेश्याम आचार्य, अपडेट राणा, उपासना आर्य, साजन ओदेदरा और आरएसएन के नाम शामिल थे।

नोट: मूल रूम से यह लेख अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी। जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

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