Friday, May 3, 2024
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जिनके ‘काउंटडाउन’ के बाद चंद्रयान-3 ने भरी थी उड़ान, वह आवाज खामोश हुईं: ISRO वैज्ञानिक एन वलारमथी का निधन 

"अलविदा, वलारमथी महोदया। यह उनकी आवाज़ थी जिसे आपने पिछले कुछ वर्षों में इसरो के सभी रॉकेट प्रक्षेपणों की काउंट डाउन करते हुए सुना था। उनका अंतिम कार्य जुलाई में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती करना था।"

भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक और एजेंसी के रॉकेट काउंटडाउन लॉन्च के पीछे की वह प्रतिष्ठित आवाज जिसे आप हर लॉन्च मिशन में सुनते थे थम गई है। इसरो वैज्ञानिक एन वलारमथी का 64 वर्ष की आयु में चेन्नई में निधन हो गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार (3 सितंबर, 2023 ) को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। बता दें 14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग के समय भी जिस काउंट डाउन को पूरे देश ने सुना, वह घोषणा भी उन्होंने ही की थी। वलारमथी की प्रतिष्ठित आवाज अब श्रीहरिकोटा से इसरो के भविष्य के मिशनों की काउंट डाउन की घोषणा नहीं करेगी, जिसने न सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय और बल्कि आम जनता को भी दुखी कर दिया है। सभी सोशल मीडिया X पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। 

इंडिया टुडे के पत्रकार शिव अरूर ने इसरो वैज्ञानिक के निधन की खबर देते हुए पोस्ट किया, “अलविदा, वलारमथी महोदया। यह उनकी आवाज़ थी जिसे आपने पिछले कुछ वर्षों में इसरो के सभी रॉकेट प्रक्षेपणों की काउंट डाउन करते हुए सुना था। उनका अंतिम कार्य जुलाई में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती करना था। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। आपके परलोक का महान सफर शानदार हो !””

वहीं एन वलारमथी के न होने की खबर पाकर इसरो के मैटेरियल और रॉकेट विनिर्माण विशेषज्ञ और निदेशक डॉ. पी वी वेंकट कृष्णन (सेवानिवृत्त) ने एक्स पर पोस्ट किया, “वलारमथी मैडम की आवाज श्री हरिकोटा से इसरो के भविष्य के मिशनों की काउंट डाउन  के लिए नहीं होगी। चंद्रयान-3 उनकी अंतिम काउंट डाउन थी। एक अप्रत्याशित निधन। बहुत दुख हो रहा है। प्रणाम!”

वहीं एक दूसरे यूजर ने एक्स पर लिखा, “वलारमथी मैडम की आवाज श्रीहरिकोटा से इसरो के भविष्य के मिशनों की उलटी गिनती के लिए नहीं होगी। चंद्रयान 3 उनकी अंतिम उलटी गिनती की घोषणा थी। एक अप्रत्याशित निधन।”

बता दें कि वह इसरो की प्री-लॉन्च काउंट डाउन घोषणाओं के पीछे की आवाज थीं और उन्होंने आखिरी घोषणा 30 जुलाई को की थी, जब पीएसएलवी-सी 56 रॉकेट एक वाणिज्यिक मिशन के रूप में 7 सिंगापुरी उपग्रहों को लेकर रवाना हुआ था। वहीं उनके बारे में यह जानकारी भी सामने आई है कि सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में रेंज ऑपरेशंस प्रोग्राम कार्यालय के हिस्से के रूप में, वह पिछले 6 वर्षों से सभी लॉन्चों के लिए काउंट डाउन की घोषणाएँ कर रही थीं। 

गौरतलब है कि 23 अगस्त को, भारत ने तब इतिहास रच दिया जब चंद्रयान -3 का लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा, जिससे भारत ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया। कुल मिलाकर, अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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