जबलपुर के देवताल पहाड़ी पर शुक्रवार (9 मई 2025) को 18 साल की लक्ष्मी अहिरवार की बेरहमी से हत्या हुई थी। इस खौफनाक हत्याकांड का खुलासा पुलिस ने कर दिया है और हत्यारोपित अब्दुल समद (19) को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा करने में 48 से भी कम घंटे लगाए और सर्विलांस सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए उसे पकड़ा। हत्यारा नागपुर भागने की फिराक में था। अब्दुल ने अपनी क्रूरता का इकबाल करते हुए बताया कि लक्ष्मी ने उससे दूरी बनाई, जिसके गुस्से में उसने हत्या की साजिश रची और उसे चाकू से गोदकर मौत के घाट उतार दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, लक्ष्मी मूल रूप से छतरपुर के खजुराहो की रहने वाली थी। वह अपने परिवार के साथ जबलपुर में देवताल गार्डन के पास मंदिर निर्माण में मजदूरी करने आई थी। जनवरी 2025 में नागपुर में काम के दौरान उसकी मुलाकात अब्दुल से हुई। अब्दुल वहाँ वॉटर प्लांट में काम करता था। दोनों में दोस्ती हुई और फोन पर बातें शुरू हो गईं। लक्ष्मी के खजुराहो लौटने पर अब्दुल ने उसे 10 हजार का मोबाइल गिफ्ट किया। लेकिन मई से लक्ष्मी ने उसकी कॉल्स उठाना बंद कर दिया। अब्दुल को शक हुआ कि लक्ष्मी किसी और लड़के से बात करती है। उसने लक्ष्मी के पुराने फोन की कॉल हिस्ट्री देखी, जिसमें खजुराहो के एक लड़के से बातचीत का पता चला।
लक्ष्मी ने अब्दुल के मुस्लिम होने की वजह से रिश्ता तोड़ने का फैसला किया। यह बात अब्दुल को बर्दाश्त नहीं हुई। उसने ठान लिया कि वह लक्ष्मी को सबक सिखाएगा। 7 और 8 मई को वह लक्ष्मी से मिलने जबलपुर आया। 9 मई को उसने मिठाई लाकर लक्ष्मी से कसम खाने को कहा कि वह किसी और से बात नहीं करती। लक्ष्मी ने मिठाई खाने और कसम लेने से इनकार कर दिया। गुस्से में आगबबूला अब्दुल ने दो चाकू निकाले और लक्ष्मी पर ताबड़तोड़ वार किए। पहले पेट में चाकू घोंपा, फिर उसका गला रेत कर उसे मौत के घाट उतार दिया।
हत्या के बाद अब्दुल मौके से फरार हो गया और शहर के एक होटल में छिप गया। वह नागपुर भागने की फिराक में था, लेकिन पुलिस ने उसकी मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स के आधार पर अंधमूक बायपास से गिरफ्तार कर लिया। अगर अब्दुल लक्ष्मी का मोबाइल अपने साथ ले गया होता, तो शायद वह पुलिस की पकड़ से बच सकता था। गढ़ा थाना प्रभारी प्रसन्न शर्मा की अगुवाई में बनी विशेष टीम ने सीसीटीवी, तकनीकी साक्ष्य और हत्या में इस्तेमाल चाकू बरामद कर लिया। अब्दुल ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल लिया और उसे केंद्रीय जेल भेज दिया गया।
यह घटना प्रेम में धोखे और धार्मिक अंतर की वजह से बढ़ी नफरत का नतीजा है। अब्दुल की दरिंदगी ने एक मासूम जिंदगी छीन ली।