जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने मंगलवार (29 अप्रैल 2025) को एक सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद और उनकी पाकिस्तानी बीवी मीनल के ‘ऑनलाइन’ निकाह पर बड़ा सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा है कि यह निकाह कानूनी तौर पर सही है या नहीं, इस पर विचार करना होगा।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान पता चला कि मुनीर और उनकी पत्नी ने ‘ऑनलाइन’ निकाह किया है, लेकिन उनके निकाह के कागजात (निकाहनामा) में निकाह की जगह जम्मू के हंदवाल लिखी है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने इसे सही नहीं बताया, क्योंकि ऑनलाइन निकाह में दोनों अलग-अलग जगहों पर थे। बीवी पाकिस्तान में थीं और मुनीर जम्मू-कश्मीर में।
मुनीर और उनकी पत्नी ने ‘ऑनलाइन‘ निकाह की थी। पत्नी वीजा पर भारत आईं, लेकिन उनका वीजा 22 मार्च 2025 को खत्म हो गया है और वह अभी भी यहीं हैं। कोर्ट ने जोड़े से पूछा है कि जब निकाह ऑनलाइन हुई, तो कागजात में हंदवाल का नाम क्यों लिखा गया।
आगे जज राहुल भारती ने कहा कि भारत सरकार को यह देखना होगा कि ऐसी ऑनलाइन शादियाँ कानून में मानी जाएँगी या नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुनीर ने अपने विभाग को अपने निकाह के बारे में बताया था। यह भी कहा था कि 5 नवंबर 2023 को निकाह होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि न तो मुनीर पाकिस्तान गया और न ही उनकी बीवी भारत आईं।

मुनीर ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने अपनी बीवी के वीजा के लिए लंबे समय से अर्जी दी है, मगर कोर्ट ने कहा कि वीजा देना या नहीं देना यह सरकार का काम है। अभी उनकी पत्नी का वीजा खत्म हो चुका है और वह गैरकानूनी तरीके से भारत में रह रही हैं।
हाई कोर्ट ने साफ किया कि जब सरकार इस मामले पर विचार करेगी, तभी पता चलेगा कि महिला को वीजा मिलेगा या नहीं। कोर्ट ने सरकार को दस दिन में जवाब देने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 मई 2025 को होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला को जम्मू-कश्मीर से निकाला जाएगा या नहीं, यह कोर्ट के आखिरी फैसले पर निर्भर करेगा।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले को लेकर मतभेद चल रहे हैं। इस मामले में एक सीआरपीएफ जवान अपनी बीवी को पाकिस्तान वापस भेजने से रोकने के लिए कोर्ट गया है। इससे यह भी पता चला है कि बहुत से पाकिस्तानी लोग, जो पहले वीजा लेकर भारत आए थे, अभी भी यहीं रह रहे हैं।