Wednesday, October 9, 2024
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बिहार के किशनगंज में भी जुमे पर बंद रहते हैं स्कूल: शिक्षा विभाग ने कहा- इलाका मुस्लिम बहुल, इसलिए बन गई परंपरा

यहाँ मुस्लिम छात्रों की संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है। स्कूल की स्थापना 1901 में हुई थी, तभी से शुक्रवार को नमाज अदा करने के नाम पर अवकाश रहता है और रविवार को पढ़ाया जाता है।

झारखंड के बाद बिहार के स्कूलों में रविवार के बदले शुक्रवार को जुमे के नमाज की छुट्टी दिए जाने की खबर सामने आई है। यहाँ किशनगंज जिले के 19 स्कूलों में बिना किसी आदेश के शुक्रवार को अवकाश दिया जा रहा है और ​रविवार को बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के मुताबिक, मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण यहाँ शुरू से ये परंपरा चली आ रही है।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम बहुल इलाका और मुस्लिम छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण इन स्कूलों में शुक्रवार को नमाज पढ़ने की छुट्टी दी जाती है। शहर के लाइन उर्दू स्कूल, उत्क्रमित मध्य विद्यालय लाइन कर्बला, उत्क्रमित मध्य विद्यालय महेशबथना, उत्क्रमित मध्य विद्यालय हालामाला, प्राथमिक स्कूल मोतिहारा वेस्ट सहित कई ऐसे स्कूल हैं, जिनमें रविवार को छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक पहुँचते हैं।

लाइन उर्दू मध्य विद्यालय की प्राचार्य झरना बाला साहा ने बताया कि इनमें से कोई भी उर्दू स्कूल नहीं हैं। यह सभी हिंदी स्कूल हैं। यहाँ मुस्लिम छात्रों की संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है। स्कूल की स्थापना 1901 में हुई थी, तभी से शुक्रवार को नमाज अदा करने के नाम पर अवकाश रहता है और रविवार को पढ़ाया जाता है।

वहीं, किशनगंज के जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता का कहना है कि जिले के अल्पसंख्यक क्षेत्र के स्कूलों में पुरानी परंपरा के अनुसार शुक्रवार को अवकाश और रविवार को पढ़ाई हो रही है। इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया गया है। अन्य स्कूलों की तरह इन्‍हें भी शुक्रवार को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से बात की जाएगी। किशनगंज के पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि शिक्षा को जाति और धर्म से अलग रखना चाहिए।

गौरतलब है कि इससे पहले झारखंड के जामताड़ा जिले के कुछ सरकारी स्कूलों में रविवार की बजाय शुक्रवार की छुट्टी दिए जाने की खबर सामने आई थी। दावा किया गया था कि स्कूल के नोटिस बोर्ड पर बकायदा शुक्रवार को जुमे का दिन घोषित करके अवकाश लिखा गया है। वहीं शिक्षा विभाग द्वारा उन स्कूलों को उर्दू स्कूल बताते हुए ऐसा कदम शिक्षकों की सुविधा को देखकर उठाया जाना बताया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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