झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित घोड़थंबा में होली (14 मार्च 2025) के दिन जुलूस के दौरान हिंदुओं पर हमला हुआ। ये हमला मुस्जिद वाली गली में हुआ। इस हिंसा के दौरान जिन घरों से पत्थर चले, वो मुस्लिमों के हैं। जिन्होंने हमले किए, वो मुस्लिम थे। चाहे मस्जिद वाली गली में हिंदुओं के जुलूस को निशाना बनाना हो, या फिर पीछे की गली में मंदिर पर हमले-पथराव और पुलिस की गाड़ियों को निशाने बनाने का मामला। इन सभी का सिलसिलेवार तरीके से एफआईआर की कॉपी में भी जिक्र है।
इसके बावजूद आरोपित नंबर 1 से 11 तक हिंदुओं के नाम है। ये एक तरह से तुष्टिकरण है, जिसकी आशंका पहले से जताई जा रही थी। झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी यही कहा है। इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए उन्होंने प्रशासन पर हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।
मैंने कल आशंका व्यक्त की थी कि होली के दिन गिरिडीह के घोड़थंबा में हुई हिंसा मामले में प्रशासन उपद्रवियों का बचाव करते हुए मामले को संतुलित दिखाने के लिए पीड़ित हिंदू पक्ष पर कारवाई कर सकती है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) March 16, 2025
अब इस मामले में दर्ज FIR को देखने से ऐसा लगता है जैसे यह कोई शिकायतवाद नहीं, बल्कि… pic.twitter.com/MQOzY1chPy
मुस्लिमों ने हिंदुओं पर किया पेट्रोल बम, ईंट-पत्थरों से हमला
एफआईआर के अनुसार, 14 मार्च 2025 की शाम 15-20 लोगों की होली की टोली मस्जिद गली से गुजरना चाहती थी, लेकिन नमाज का समय होने की वजह से उन्हें रोका गया। टोली का कहना था कि वे हर साल इसी रास्ते से जाते हैं। समझाने के बावजूद टोली गली में आगे बढ़ गई। इसके बाद मुस्लिमों ने पेट्रोल बम, बोतल, ईंट और पत्थरों से हमला शुरू कर दिया। बाजार चौक के पास पेट्रोल बम फेंककर कई दुकानों, बाइकों और गाड़ियों में आग लगा दी गई।
एफआईआर में इस बात का साफ-साफ जिक्र है कि समुदाय विशेष (मुस्लिमों) ने मंदिर पर हमला किया। पत्थर फेंके और पुलिस पहुँची तो उसकी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। इस हिंसा में चार पुलिसकर्मी घायल हुए। प्राथमिकी धनवार के बीपीओ सह दंडाधिकारी सुरेंद्र कुमार वर्णवाल ने दर्ज की है।
खास बात ये है कि पुलिस ने शुरुआती 11 लोगों के नाम आरोपितों के तौर पर शामिल किए हैं, वो सभी हिंदू हैं। जबकि पूरी एफआईआर में हिंदुओं द्वारा कहीं भी हमले का जिक्र नहीं है, बल्कि हमले मुस्लिमों की तरफ से हुए, चाहे वो मस्जिद वाली गली में हिंदुओं के जुलूस पर हमले की बात हो या पीछे की गली में मंदिर पर हमले की।
इसके बावजूद एफआईआर में 39 नाम हिंदुओं के और 41 नाम मुस्लिमों के शामिल करके पूरे मामले को बैलेंस करने की कोशिश की है। साफ है कि यह कार्रवाई उपद्रवियों का मनोबल बढ़ाने और भविष्य में हिंदुओं पर हमले को प्रोत्साहित करने वाली है। क्योंकि हिंदुओं पर त्योहारों के दौरान हमले हो रहे हैं, और बाद में उन्हें ही दोषी ठहराया जा रहा है।