Friday, March 29, 2024
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पिता की पेंटिग राणा कपूर को करोड़ों में बेचना प्रियंका गाँधी को पड़ेगा महँगा, ED की नजरों में है ये अपराध

पीएमएलए की इस धारा के तहत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जो व्यक्ति भी अपराध के दौरान उस प्रक्रिया या संपत्ति से संबंधित होता है, उसे मनी लॉन्ड्रिंग का अपराधी माना जाता है।

कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने एमएफ हुसैन द्वारा बनाई अपने पिता राजीव गाँधी की पेंटिग को यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर को करोड़ों में बेचा था। शायद उस समय उन्हें अंदाजा नहीं था कि ये सौदा उन्हें इतना महंगा पड़ेगा कि इस लेन-देन के कारण ईडी उन पर अपना शिकंजा कसेगी।

जी हाँ, खबर आ रही है कि ईडी बैंक फ्रॉड मामले में इस ट्रांसैक्शन को अपराध मान सकती है। अभी फिलहाल जाँच एजेंसी ने राणा कपूर को कस्टडी में ले रखा है। लेकिन आसार है कि इस मामले में देनदारों से भी पूछताछ हो सकती है। जिसकी खबर सुनकर गाँधी परिवार के वकील केटीएस तुलसी ने इसे असंवैधानिक बताया। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यह सब अपराध में कैसे आ सकता है? यह पूरी तरह से एक निजी वाणिज्यिक लेनदेन है और जब कॉन्ग्रेस पार्टी ने इसे आयकर घोषित किया है, तो हमें उन पर विश्वास करना होगा। बिना किसी काल्पनिक खींचतान के ये मामला मनी लॉन्ड्रिंज की गतिविधि का हिस्सा नहीं बन सकता।

उल्लेखनीय है कि मामले की जाँच में जुटे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “2 करोड़ रुपए, जिसे राणा कपूर ने प्रियंका गाँधी को पेंटिंग के बदले दिया, वह कपूर के अकाउंट में कुछ समय पहले ही आए थे। इस कारण से ये मामला उनके लिए जाँच का विषय है और इसी वजह से खरीददार और देनदार दोनों पर PMLA एक्ट की धारा 3 के कार्रवाई हो सकती है।”

यहाँ बता दें कि पीएमएलए की इस धारा के तहत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जो व्यक्ति भी अपराध के दौरान उस प्रक्रिया या संपत्ति से संबंधित होता है, उसे मनी लॉन्ड्रिंग का अपराधी माना जाता है।

जानकारी के मुताबिक एमएफ हुसैन ने राजीव को उनकी ये पेंटिंग उनके प्रधानमंत्री रहने के दौरान दी थी। लेकिन साल 2010 में प्रियंका गाँधी ने इसे 2 करोड़ रुपए में राणा कपूर को बेच दिया। कपूर ने इसकी पेमेंट प्रियंका गाँधी को चेक के जरिए की थी। जिसकी जाँच आईटी विभाग द्वारा जारी है।

गौरतलब है कि ये मामला उस समय प्रकाश में आया था, जब ईडी ने राणा कपूर के मुंबई वाले घर पर छापेमारी की और इस पेंटिंग को जब्त किया था। बाद में जाँच में मालूम हुआ कि 2 करोड़ की लेन-देन इसी पेंटिग से संबंधित थी। खुद राणा कपूर ने ईडी को इस मामले में कॉन्ग्रेस पार्टी के होने के सबूत दिए।

खबर के अनुसार, जब कपूर से पूछा गया कि उन्हें ये पेंटिंग कैसे मिली, तो बैंकर राणा कपूर ने उन्हें अपने और पूर्व कॉन्ग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा के बीच हुई बातचीत (संदेश के जरिए) की एक कॉपी सौंपी। इसमें एक पत्र स्वीकृति का था और दूसरा प्रियंका गाँधी की ओर से आभार का। इसके अलावा एक कॉपी उस 2 करोड़ रुपए के चेक की थी, जिसपर उन्होंने 3 जून 2010 को हस्ताक्षर किया।

जाँच एजेंसियों को सौंपे गए संदेशों को उस समय ब्लैकबेरी के जरिए प्रेषित किया गया था। जिसमें डिओरा और कपूर के बीच 25 मई 2010 से लेकर 6 जून 2010 तक की बातचीत है। प्राप्त दस्तावेजों से मालूम पड़ता है कि कपूर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की पेंटिंग खरीदने की इच्छा जताई थी और यस बैंक के जरिए इस खरीददारी को वाजिब ठहराने के लिए ये कारण दिया था कि वह कला को संग्रहित करने के शौकीन हैं।वहीं, प्रियंका गाँधी द्वारा कपूर को लिखे गए पत्र में उन्होंने इस पेंटिंग के ऐतिहासिक मूल्यों को संदर्भित किया था और आशा जताई थी कि कपूर इस पेंटिंग के कद के अनुरूप इसे सही जगह देंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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