Wednesday, October 9, 2024
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कन्हैया लाल की हत्या में ‘आतंकी संगठन’ नहीं, NIA ने किया क्लियर: टेरर एंगल बता राजस्थान पुलिस की पीठ थपथपा रहे थे CM गहलोत

राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार और पुलिस-प्रशासन इसे विदेशों आतंकी संगठनों द्वारा दिया गया एक आतंकी घटना साबित करने की कोशिश में लगी हुई है, ताकि इसका सारा दोष पाकिस्तान और आतंकी संगठनों पर चला जाए और राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ पर चर्चा ना हो। यह भी सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की एक नीति के एक हिस्से जैसी ही है।

राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की हुई बर्बर हत्या को लेकर राज्य सरकार आतंकी एंगल तलाश कर मुस्लिम समाज में फैल रहे कट्टरपंथ को छिपाने की कोशिश कर रही है और बार-बार पाकिस्तान इसे इसके कनेक्शन को जोड़ने का प्रयास कर रही है। वहीं, राष्ट्र जाँच एजेंसी (NIA) ने आतंकी संगठन होने की संभावना से इनकार किया है।

एनआईए ने कहा है कि प्रारंभिक जाँच से पता चला है कि इस हत्याकांड में कोई आतंकी संगठन नहीं, बल्कि आतंकी गिरोह शामिल हो सकता है। इसमें सिर्फ दो ही सदस्य नहीं, बल्कि कई और सदस्य हो सकते हैं।

वहीं, NIA कन्हैया लाल की हत्या करने वाले दोनों आरोपितों रियाज अख्तरी और गौस मुहम्मद को दिल्ली लाकर पूछताछ करने के बजाए जयपुर में ही उनसे पूछताछ करेगी। वहीं, दोनों आरोपितों को कल शुक्रवार (1 जुलाई 2022) को जयपुर के स्पेशल NIA में पेश किया जाएगा।

NIA ने राज्य सरकार के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि आरोपितों के पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से संपर्क हैं। NIA ने कहा कि दोनों आरोपियों के किसी आतंकवादी संगठन से संबंध होने की रिपोर्ट अटकलों पर आधारित है।

राज्य के DGP ने पुलिस की लापरवाही को ढंकने की कोशिश करते हुए कहा था कि राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर ने कहा है कि कन्हैया लाल की हत्या में UAPA के तहत केस दर्ज किया गया है और इसकी जाँच आतंकी हमला मानकर की जा रही है। DGP लाठर ने कहा था कि एक आरोपित गौस मोहम्मद का दावत-ए-इस्लामी के सम्पर्क में था। वह साल 2014 में इसी संगठन के तहत पाकिस्तान के कराची भी गया था। 

वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार (29 जून 2009) को कहा था, “उदयपुर की घटना धार्मिक नहीं, बल्कि आतंकी घटना है। अपराधियों के तार गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से मिले है। राज्य सरकार द्वारा बिना विलंब अपराधियों को कठोर सजा दिलाई जाएगी। हम सभी को एकजुट होकर शांतिपूर्वक तरीके से ऐसी घटनाओं की निंदा करनी चाहिए।’’

राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार और पुलिस-प्रशासन इसे विदेशों आतंकी संगठनों द्वारा दिया गया एक आतंकी घटना साबित करने की कोशिश में लगी हुई है, ताकि इसका सारा दोष पाकिस्तान और आतंकी संगठनों पर चला जाए और राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ पर चर्चा ना हो। यह भी सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की एक नीति के एक हिस्से जैसी ही है।

हालाँकि, इन जेहादियों की भाषा और बात से स्पष्ट है कि मुस्लिम समाज में बढ़ रहे कट्टरपंथ के कारण इन लोगों ने कन्हैया लाल की हत्या की थी। नूपुर शर्मा प्रकरण के बाद देश में हजारों-लाखों की संख्या में लोगों ने ‘सर तन से जुदा’ करने की धमकी दी थी। इनमें राजनेता से लेकर आम मुस्लिम तक शामिल था। कानपुर सहित देश भर में हुए तमाम दंगों के दौरान भी इसके नारे लगाए गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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