Thursday, June 19, 2025
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पति की शारीरिक कमजोरी का मजाक नहीं उड़ा सकती पत्नी, उसे नहीं कह सकती ‘केम्पा-निखट्टू’: ओडिशा हाई कोर्ट ने बताया ‘मानसिक क्रूरता’, तलाक का आधार माना

कोर्ट का कहना है कि पत्नी अगर पति की शारीरिक दुर्बलता पर अपमानजनक टिप्पणियाँ करती है तो ये पति के लिए मानसिक उत्पीड़न का कारण बनता है। इन शब्दों उपयोग पत्नी की ईर्ष्या भरी सोच और अनादर बताता है।

ओडिशा हाई कोर्ट का कहना है कि अगर पत्नी अपने पति की शारीरिक अक्षमता या दुर्बलता का मजाक बनाती है या उसे ‘निखट्टू’ या ‘केम्पा’ जैसे अपमानजनक शब्दों का उपयोग करती है तो इस आधार पर पति अपनी पत्नी से तलाक ले सकता है। पति के लिए इस तरह के शब्द मानसिक क्रूरता से कम नहीं हैं।

फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए जस्टिस बिभु प्रसाद राउत्रे और जस्टिस चित्तरंजन दास की बेंच ने ये कहा-

“किसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह सामान्य तौर पर भी दूसरे व्यक्ति का सम्मान करे। जब पति-पत्नी के संबंधों की बात आती है तो यह अपेक्षित होता है कि पत्नी अपने पति का सम्मान करे,फिर चाहे पति को कोई शारीरिक दुर्बलता ही क्यों न हो। यहाँ यह मामला है कि पत्नी ने पति की शारीरिक दुर्बलता को लेकर उस पर आरोप लगाए और उस पर टिप्पणियाँ की। यह निश्चित रूप से मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।”

क्या है मामला

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, तलाक के लिए कोर्ट पहुँचे पति-पत्नी का विवाह हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार 1 जून 2016 को हुआ था। पति का आरोप है कि शादी के बाद से ही पत्नी उसकी शारीरिक दुर्बलता को लेकर ताने कसती रहती थी।

सितंबर 2016 में पत्नी उसका घर छोड़कर चली गई। मान-मनौव्वल के बाद जनवरी 2017 में वह वापस आई। हालाँकि पति का आरोप है कि वापसी के बाद भी पत्नी का रवैया नहीं बदला और वह लगातार उस पर ताने कसती रही। इसके चलते पति-पत्नी के बीच काफी झगड़े हुए। इसके बाद मार्च 2018 में पत्नी ने घर छोड़ कर चली गई और पति और ससुराल वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए (क्रूरता) के तहत आपराधिक मामला दर्ज करा दिया।

इसके बाद पति ने अप्रैल 2019 में तलाक की अर्जी डाली। फैमिली कोर्ट के जज जस्टिस पुरी ने पाँच मुद्दों पर फैसला सुनाया। इसमें पत्नी की ओर से पति पर की गई क्रूरता की बात भी शामिल की गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी।

पत्नी एलीमनी (स्थायी भरण-पोषण) और स्त्रीधन संपत्तियों के वापस न मिलने से परेशान थी। इसके चलते पत्नी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए वैवाहिक अपील (मेट्रीमोनियल अपील) दायर कर दी। कोर्ट ने पत्नी को फैमिली कोर्ट का रुख करने की आजादी भी दी है क्योंकि पति-पत्नी की आय का आकलन किए बिना स्थायी भरण-पोषण देने का कोई आधार नहीं था।

कोर्ट ने क्या कहा

हाई कोर्ट ने माना कि पति शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति है। पति ने इस बात की गवाही दी थी कि पत्नी उसकी शारीरिक अक्षमता को लेकर उस पर ‘केम्पा’ और ‘निखट्टू’ जैसी अपमानजनक टिप्पणियाँ करती थी। केम्पा एक उड़िया शब्द है जिसका अर्थ है- एक हाथ से दिव्यांग होना। इस पर सुनवाई के दौरान भी पत्नी इन आरोपों को गलत साबित नहीं कर पाई। इसके अलावा पति की ओर से आए एक अन्य गवाह ने भी इस बात की पुष्टि की।

सुनवाई के दौरान पत्नी ने यह भी माना कि उसने पति और ससुराल वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवाया। मामले पर फैसला सुनाने से पहले कोर्ट ने कहा कि क्रूरता में मानसिक उत्पीड़न भी शामिल होता है। जस्टिस राउत्रे ने फैसले में कहा कि वैवाहिक संबंधों में पति-पत्नी से एक-दूसरे का सम्मान और समर्थन करने की अपेक्षा की जाती है।

कोर्ट का कहना है कि पत्नी अगर पति की शारीरिक दुर्बलता पर अपमानजनक टिप्पणियाँ करती है तो ये पति के लिए मानसिक उत्पीड़न का कारण बनता है। इन शब्दों उपयोग पत्नी की ईर्ष्या भरी सोच और अनादर बताता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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