उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हिंदू सफाई कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि वो बकरीद के दौरान ‘बड़े पशुओं’ की कुर्बानी के अवशेषों को नहीं उठाएँगे। सफाई कर्मचारियों ने इसे लेकर जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा है। पत्र में नगर निगम और नगर पंचायतों में कार्यरत हिंदू सफाई कर्मचारियों ने इस बार कुर्बानी के पशुओं के अवशेषों की सफाई कार्य में भाग नहीं लेने की बात कही है। उनका कहना है कि मुगलिया दौर से चल रहा ये काम उनकी धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं के खिलाफ है और अब वह इस परंपरा को आगे नहीं बढ़ाना चाहते।
मुगलिया दौर बीता तो उस दौर की व्यवस्था भी हो खत्म
सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री प्रदीप कुमार बाल्मीकि ने कहा कि जिस समुदाय द्वारा कुर्बानी की जाती है, उसी समुदाय के लोगों को उस कचरे और बचे हुए अवशेषों की सफाई करनी चाहिए। उनके अनुसार यह एक मजहबी उत्सव है, जिसमें वों हिस्सा नहीं लेना चाहते, क्योंकि यह उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है।
उनके अनुसार मुगल काल से यह कार्य हिंदू समुदाय के लोग करते आए हैं, लेकिन अब वे इसे अपनी धार्मिक आस्था के खिलाफ मानते है और इसी कारण से वो अब यह कार्य नहीं करना चाहते है। उनका कहना है कि 80% कर्मचारी हिंदू ऐसे कामों को नहीं करना चाहते है।
कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उन पर ये काम करने का दबाव डाला गया, तो वे सामूहिक रूप से हड़ताल पर चले जाएँगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। बाल्मीकि समाज ने यह भी कहा है कि मुगल काल से लेकर अब तक यह काम हमेशा से ही हिंदू सफाई कर्मचारियों द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन अब देश आजाद हो चुका है उन्हें भी अपने धर्म और आस्था के साथ जीने का संवैधानिक अधिकार है।
यूपी के शाहजहांपुर के हिंदू सफाई कर्मचारियों ने बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी के कचरे के अवशेष को साफ करने से साफ इंकार कर दिया है उनका कहना है कि नीरिह सांड, बैल और गाय भैंस के अवशेष उठाने से उनका भी धर्म भ्रष्ट होता है और ये उठाना उनका काम नहीं है यदि ऐसा हुआ तो वो सब हड़ताल… pic.twitter.com/Qn28me6Yin
— धर्मों रक्षति रक्षित: (@surender_vhp) June 5, 2025
कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें कुर्बानी के अवशेषों की सफाई के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गंदगी और बदबू की वजह से उन्हें अक्सर उल्टियाँ, सिर दर्द और मानसिक तनाव जैसी समस्याएँ होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्य सफाई कर्मचारियों के लिए एक प्रकार की मानसिक प्रताड़ना बन जाता है। जो न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके आत्म-सम्मान को भी ठेस पहुँचाता है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी और नगर निगम अधिकारी कर्मचारियों से बातचीत कर रहे हैं। प्रशासन स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।