Thursday, June 19, 2025
Homeदेश-समाजमुगल काल में हिंदुओं से उठवाए जाते थे गोवंश के अवशेष, अब बकरीद पर...

मुगल काल में हिंदुओं से उठवाए जाते थे गोवंश के अवशेष, अब बकरीद पर नहीं करेंगे ‘बड़े’ पशुओं की ‘कुर्बानी’ की सफाई : शाहजहाँपुर में हिंदू कर्मचारियों की माँग, पत्र लेकर DM के पास पहुँचे

सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री प्रदीप कुमार बाल्मीकि ने कहा कि जिस समुदाय द्वारा कुर्बानी की जाती है, उसी समुदाय के लोगों को उस कचरे और बचे हुए अवशेषों की सफाई करनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हिंदू सफाई कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि वो बकरीद के दौरान ‘बड़े पशुओं’ की कुर्बानी के अवशेषों को नहीं उठाएँगे। सफाई कर्मचारियों ने इसे लेकर जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा है। पत्र में नगर निगम और नगर पंचायतों में कार्यरत हिंदू सफाई कर्मचारियों ने इस बार कुर्बानी के पशुओं के अवशेषों की सफाई कार्य में भाग नहीं लेने की बात कही है। उनका कहना है कि मुगलिया दौर से चल रहा ये काम उनकी धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं के खिलाफ है और अब वह इस परंपरा को आगे नहीं बढ़ाना चाहते।

मुगलिया दौर बीता तो उस दौर की व्यवस्था भी हो खत्म

सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री प्रदीप कुमार बाल्मीकि ने कहा कि जिस समुदाय द्वारा कुर्बानी की जाती है, उसी समुदाय के लोगों को उस कचरे और बचे हुए अवशेषों की सफाई करनी चाहिए। उनके अनुसार यह एक मजहबी उत्सव है, जिसमें वों हिस्सा नहीं लेना चाहते, क्योंकि यह उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है।

उनके अनुसार मुगल काल से यह कार्य हिंदू समुदाय के लोग करते आए हैं, लेकिन अब वे इसे अपनी धार्मिक आस्था के खिलाफ मानते है और इसी कारण से वो अब यह कार्य नहीं करना चाहते है। उनका कहना है कि 80% कर्मचारी हिंदू ऐसे कामों को नहीं करना चाहते है।

कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उन पर ये काम करने का दबाव डाला गया, तो वे सामूहिक रूप से हड़ताल पर चले जाएँगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। बाल्मीकि समाज ने यह भी कहा है कि मुगल काल से लेकर अब तक यह काम हमेशा से ही हिंदू सफाई कर्मचारियों द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन अब देश आजाद हो चुका है उन्हें भी अपने धर्म और आस्था के साथ जीने का संवैधानिक अधिकार है।

कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें कुर्बानी के अवशेषों की सफाई के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गंदगी और बदबू की वजह से उन्हें अक्सर उल्टियाँ, सिर दर्द और मानसिक तनाव जैसी समस्याएँ होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्य सफाई कर्मचारियों के लिए एक प्रकार की मानसिक प्रताड़ना बन जाता है। जो न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके आत्म-सम्मान को भी ठेस पहुँचाता है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी और नगर निगम अधिकारी कर्मचारियों से बातचीत कर रहे हैं। प्रशासन स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

विवेकानंद मिश्र
विवेकानंद मिश्र
एक पत्रकार और कंटेंट क्रिएटर। राजनीति, संस्कृति, समाज से जुड़ी अनसुनी कहानियाँ सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध।

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कुँवारी लड़कियाँ देती थीं जिन नवजातों को जन्म, उन्हें सेप्टिक टैंक में फेंकती थीं नन: 100 साल बाद 796 बच्चों की हड्डियों की हो...

आयरलैंड के एक होम में सेप्टिक टैंक में खुदाई शुरू हो रही है। इसमें करीब 800 मृत शिशुओं और बच्चों के अवशेष हैं। कैथोलिक नन इस होम को चलाती थीं।

‘पैसों के पहाड़’ पर जस्टिस वर्मा के पास कोई जवाब नहीं, पर्सनल सेक्रेटरी ने आग बुझाने वालों से कहा था- किसी को बताना मत:...

सुप्रीम कोर्ट की एक खास कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश सौंपी है। कपिल सिब्बल ने कहा- अब तक के सबसे बेहतरीन जजों में से एक वर्मा
- विज्ञापन -