Thursday, April 25, 2024
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तमाल भट्टाचार्य के लिए अब तालिबान ‘भरोसेमंद’ भी, इस्लामपरस्त गदगद: अफगानिस्तान से बचाकर लाई थी मोदी सरकार

तमाल के विवादास्पद दावों को कट्टरपंथी इस्लामवादियों का भारी समर्थन मिला है, जो तालिबान द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को उचित ठहराने के अवसरों की तलाश कर रहे थे।

‘अच्छा खाना’ और ‘क्रिकेट खेलने’ के लिए तालिबान की तारीफो के पुल बाँध चुके कोलकाता के तमाल भट्टाचार्य ने अब कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को ‘भरोसेमंद’ भी बताया है। तमाल उन 10 बंगालियों में से एक हैं, जिन्हें 21 अगस्त की रात भारत सरकार अफगानिस्तान के हामिद करजई इंटरनेशल एयरपोर्ट से सुरक्षित बचाकर लाई थी। टीवी9 को दिए इंटरव्यू में तमाल ने तालिबान की भरोसेमंद होने के लिए की सराहना की।

उन्होंने कहा, ”हमने सोचा था कि वे (तालिबानी) हमें पकड़ लेंगे और मार डालेंगे। यह डर मेरे साथ 5-6 घंटे तक बना रहा, जब तक कि हमें कर्दन इंटरनेशनल स्कूल से सुरक्षित बाहर नहीं निकाला गया। हमने स्कूल के मालिक और वहाँ मौजूद तालिबानियों से बातचीत की। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि डरने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि वे हमारी रक्षा करेंगे। तालिबानियों ने मुझे और अन्य सभी शिक्षकों की रक्षा करने का वादा किया और सच्चाई भी यही है कि तालिबान ने अपना वादा निभाया।”

तमाल के विवादास्पद दावों को कट्टरपंथी इस्लामवादियों का भारी समर्थन मिला है, जो तालिबान द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को उचित ठहराने के अवसरों की तलाश कर रहे थे। ट्विटर पर मोजम्मल हक सोहेल ने लिखा, “तमाल भट्टाचार्य एक भारतीय शिक्षक हैं, जो कल (रविवार) रात भारत लौटे। उन्होंने तालिबान की तारीफ की। उन्होंने कहा कि तालिबान के खिलाफ मीडिया में जो कुछ हो रहा है वह सब दुष्प्रचार है, यह बेहद घटिया मीडिया है।”

मोजम्मल हक सोहेल के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

बांग्लादेश के एक कट्टरपंथी इस्लामवादी, नज़न अहमद ने भी भारतीय मीडिया को गलत साबित करने के लिए तमाल भट्टाचार्य को धन्यवाद दिया। काबुल से रविवार (22 अगस्त) को भारत वापस लौटे तमाल ने एक लाइव इंटरव्यू में पूरी भारतीय मीडिया को गलत साबित कर दिया। उन्होंने कहा, “तालिबानी बहुत मिलनसार थे और महिलाओं सहित सभी की रक्षा करते थे। उनके मजहब से जुड़े कानूनों का सम्मान करते हुए, मैं कह रहा हूँ कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है।”

नज़न अहमद का ट्वीट

एक फैसल सीजर नाम के शख्स ने लिखा, “बांग्लादेश की प्रिया साहा जैसे लोग देशद्रोही और झूठे हैं, लेकिन भारत में तमाल भट्टाचार्य जैसे कुछ लोग हैं, जो सच बोलने से पीछे नहीं हटते। पेड मीडिया जो तालिबान के बारे में नफरत फैला रहा है, उसे इस आदमी से सीखना चाहिए।”

फैसल सीजर का ट्वीट

तमाल द्वारा तालिबान की कार्रवाई को उचित ठहराने के बाद, पश्चिमबंग्लर मुस्लिम कोंथो (पश्चिम बंगाल की मुस्लिम आवाज)’ के नाम से एक फेसबुक पेज ने उनकी टिप्पणी का सहारा लेते हुए दावा किया, ”इस्लाम कभी भी महिलाओं के खिलाफ नहीं है। इस्लाम वर्तमान में एकमात्र ऐसा मजहब है, जो लैंगिक समानता की बात करता है और यही सच्चाई है। महिलाओं को संबोधित करते हुए तालिबान ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे पढ़ सकती हैं और काम कर सकती हैं, लेकिन पुरुषों के साथ नहीं।”

फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनग्रैब

पश्चिम बंगाल के एसके फरीउद्दीन नाम के एक इस्लामवादी ने फेसबुक पर पोस्ट किया, “सार्वजनिक रूप से (तालिबान के बारे में) सच्चाई को सामने लाने के लिए तमाल भट्टाचार्य का बहुत-बहुत धन्यवाद।” वीडियो में, तमाल को यह दावा करते हुए सुना जा सकता है कि काबुल में सब कुछ बिल्कुल ठीक है और दुकानें व स्टोर हमेशा की तरह चल रहे हैं। उन्होंने ‘शरिया कानून’ की भी तारीफ करते हुए कहा था कि तालिबान शासन में छल और धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने शरिया कानून के फायदे बताते हुए कहा कि नई व्यवस्था में ग्राहकों को 150 रुपए में परोसे जाने वाले मीट (नान कबाब) की मात्रा अब दोगुनी हो गई है।

एसके फरीउद्दीन के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनग्रैब

गौरतलब है कि बीते दिनों ‘अच्छा खाना’ और ‘क्रिकेट खेलने’ के लिए तमाल भट्टाचार्य ने तालिबान की प्रशंसा की थी। घर लौटने के बाद तमाल भट्टाचार्य ने तालिबान की प्रशंसा कर विवाद खड़ा कर दिया। उत्तरी दमदम इलाके के निमटा में रहने वाले 34 वर्षीय तमाल अफगानिस्तान में तब से फँसे हुए थे, जब से तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमा लिया था। मैकेनिकल इंजीनियर तमाल काबुल के कर्दन इंटरनेशनल स्कूल में फिजिक्स और केमिस्ट्री पढ़ाते थे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग के वक्त से तमाल अपने स्कूल के स्टाफ क्वार्टर में रह रहे थे। हालाँकि, तालिबान के काबुल शहर पर कब्जा करने के बाद उन्हें खुद को प्रिंसिपल के आवास के अंदर बंद होने के लिए मजबूर होना पड़ा।

एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, तमाल भट्टाचार्य ने दावा किया कि तालिबान ने न केवल उनके साथ अच्छा व्यवहार किया, बल्कि उन्हें अच्छा खाना भी खिलाया है। उन्होंने दावा किया, “तालिबानियों ने हमारे साथ क्रिकेट भी खेला।” इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से तालिबान के नियंत्रण वाले काबुल से उन्हें तुरंत निकालने का अनुरोध किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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