Wednesday, May 8, 2024
Homeदेश-समाजहिंदू त्योहार 'पाप', हमारी गलियों से नहीं निकलने दें जुलूस: मुस्लिम बहुल इलाके की...

हिंदू त्योहार ‘पाप’, हमारी गलियों से नहीं निकलने दें जुलूस: मुस्लिम बहुल इलाके की याचिका, मद्रास HC का सॉलिड जवाब

"गलियों से जुलूस को रोकने की माँग की गई क्योंकि इलाका मुस्लिम बहुल है, यहाँ कोई भी हिंदू त्योहार या जुलूस नहीं निकाला जा सकता है। 2012 के पहले सब ठीक था, इसके बाद आपत्ति जताई गई।"

तमिलनाडु के पेरंबलुर जिले का वी कलाथुर मुस्लिम बहुल इलाका है, जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हैं। यहाँ का बहुसंख्यक समुदाय हिंदू मंदिरों से जुलूस या भ्रमण निकालने का लंबे समय से विरोध करता रहा है। इसी को लेकर मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इलाके के कुछ स्थानीय मुस्लिम 2012 से हिंदू जुलूसों को निकाले जाने का विरोध कर रहे थे। इन इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंदू त्योहारों को ‘पाप’ करार दे रखा था। इसी को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता ने अनुष्ठानों और जुलूसों के संचालन के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस से संपर्क किया था। आश्चर्य यह कि सुरक्षा एजेंसियों ने इन अनुरोधों को कुछ प्रतिबंधों के साथ मान भी लिया था।

इस मामले में सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एन किरुबकर्ण और पी वेलमुरुगन की 2 सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुनाया। बेंच ने धार्मिक असहिष्णुता को देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए खतरनाक बताया है। कोर्ट ने कहा कि अगर एक पक्ष से संबंधित धार्मिक त्योहारों के आयोजन का विरोध दूसरे धार्मिक समूह द्वारा किया जाता है, तो इससे दंगे और अराजकता फैल सकती है।

पुलिस उपाधीक्षक के हलफनामे को पढ़ने के दौरान मद्रास उच्च न्यायालय ने देखा कि 2012 के बाद से मंदिर के जुलूसों पर आपत्ति जताई गई थी। जबकि, उससे पहले इस तरह की कोई समस्या नहीं थी। न्यायालय ने जानकारी दी कि मंदिरों से जुलूस निकालने को लेकर कोर्ट की अनुमति के बावजूद मुस्लिम कट्टरपंथियों ने आपत्ति जताई। (डिस्ट्रिक्ट मुनिसीपैलिटी एक्ट 1920 के सेक्शन 180 ए के अनुसार)।

मद्रास हाई कोर्ट का फैसला

मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले के दौरान टिप्पणी की, “केवल इसलिए कि एक धार्मिक समूह विशेष इलाके में हावी है, इसलिए दूसरे धार्मिक समुदाय को त्योहारों को मनाने या उस एरिया की सड़कों पर जुलूस निकालने से नहीं रोका जा सकता है। अगर धार्मिक असहिष्णुता की अनुमति दी जाती है, तो यह एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए अच्छा नहीं है। किसी भी धार्मिक समूह द्वारा किसी भी रूप में असहिष्णुता पर रोक लगाई जानी चाहिए।”

अदालत ने आगे कहा, “इस मामले में, एक विशेष धार्मिक समूह की असहिष्णुता उन त्योहारों पर आपत्ति जताते हुए दिखाई जा रही है, जो दशकों से एक साथ आयोजित किए जा रहे हैं। गलियों और सड़कों से निकलने वाले जुलूस को सिर्फ इसलिए प्रतिबंधित करने की माँग की गई क्योंकि इलाका मुस्लिम बहुल है यहाँ कोई भी हिंदू त्योहार या जुलूस नहीं निकाला जा सकता है।”

इस मामले में जजों ने एक साथ दोहराया कि इलाके में एक धार्मिक समूह का वर्चस्व होने के कारण दूसरे धार्मिक समूहों और जुलूसों को इलाके से नहीं हटा सकते। न्यायालय ने तर्क दिया कि अगर इस तरह के मामलों को स्वीकार किया गया, तो कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय देश के ज्यादातर हिस्सों में अपने त्योहारों को मना ही नहीं पाएगा। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विरोध से धार्मिक लड़ाई झगड़े बढ़ेंगे, दंगे भड़केंगे, जिसमें जानें जाएँगी और जानमाल का भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

प्रोपेगेंडा ‘खतरे में मुसलमान’ का, पर भारत में हिंदुओं की हिस्सेदारी 8% घटी: इस्लामी आबादी का शेयर 5 फीसदी बढ़ा, ईसाई भी फले-फूले

पिछले 65 साल में हिंदू किसी के लिए खतरा नहीं बने, उलटा देश की जनसंख्या बढ़ने के बावजूद उनका प्रतिशत पहले के मुकाबले कम हुआ है।

गोवा के जिस 7 स्टार होटल में ठहरे थे CM केजरीवाल, उसका खर्चा दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार चनप्रीत ने उठाया: ED ने सुप्रीम...

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ASG राजू ने कहा कि गोवा चुनाव के वक्त केजरीवाल वहाँ के एक 7 स्टार होटल में ठहरे थे। उनके खिलाफ सबूत हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -