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Wednesday, April 16, 2025
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सुनवाई के पहले ही दिन वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों की एंट्री रोकने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया प्रस्ताव, केंद्र से पूछा- क्या हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को देंगे प्रवेश?

हालाँकि, CJI ने कहा कि हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक कोई भी बाहरी व्यक्ति बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है। यहाँ तक कि कपिल सिब्बल ने यह तक कह दिया कि राज्य ये बताने वाला कौन होता है कि मुस्लिमों का उत्तराधिकार कैसे होगा। इस सीजेआई ने कहा कि हिंदुओं के मामले में भी उत्तराधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम संसद द्वारा बनाया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन कानून को लेकर कट्टरपंथी मुस्लिम देश भर में हंगामा कर रहे हैं। वहीं, इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगभग 73 याचिकाएँ दाखिल की गई हैं, जिस पर बुधवार (16 अप्रैल) को सुनवाई हुई। सुनवाई के पहले दिन सुप्रीम कोर्ट ने कानून के कई प्रावधानों पर रोक लगा दिया है।

सुनवाई के पहले दिन भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अधक्षता वाली जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। हालाँकि, कोर्ट ने कानून के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन बेहद कठोर टिप्पणी की है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने आगे कहा कि वह वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कुछ अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव कर रहा है। इसमें पहला ये है कि कोर्ट द्वारा वक्फ के रूप में घोषित की गई संपत्तियों को वक्फ संपत्ति से हटाया नहीं जाना चाहिए, चाहे वे वक्फ-बाय-यूजर हों या विलेख द्वारा वक्फ हों। हालाँकि, आदेश अभी पारित नहीं किया है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने आगे आदेश दिया कि संशोधन अधिनियम के उस प्रावधान, जिसके अनुसार वक्फ संपत्ति को वक्फ के रूप में नहीं माना जाएगा, जब तक कि कलेक्टर यह जाँच ना करे कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, को प्रभावी नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, सिवाय पदेन सदस्यों के।

सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, “हमारा अंतरिम आदेश समानता को संतुलित करेगा। हम कहेंगे कि जो भी संपत्तियाँ कोर्ट द्वारा वक्फ घोषित की गई हैं, उन्हें गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा, चाहे वह उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ हो या नहीं। कलेक्टर कार्यवाही जारी रख सकते हैं, लेकिन प्रावधान लागू नहीं होंगे। बोर्ड और परिषद के संबंध में पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।”

इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने की। वहीं, वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह ने दलीलें पेश कीं। सुनवाई के पहले दिन दोनों पक्षों ने विभिन्न मौकों पर अपनी बातें रखीं।

बहस के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, “हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुस्लिम ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं, जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुस्लिम हूँ या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूँ या नहीं?”

एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड माँगेंगे तो समस्या आएगी। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जो अल्लाह का है, वो वक्फ है। कानून में झूठे दावों से बचने के लिए वक्फ डीड का प्रावधान है। वहीं, CJI ने कहा कि वक्फ रजिस्ट्रेशन मददगार साबित होगा।

सिब्बल ने कहा कि इस कानून के जरिए मुस्लिमों की आस्था में दखलअंदाजी की गई है। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 26 अपने धर्म के अनुसार काम करने की इजाजत देता है। इस पर CJI संजीव खन्ना ने कहा, “हिंदुओं के मामले में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया है। आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है। यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है।”

सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड में हिंदू भी सदस्य होंगे। यह अधिकारों का हनन है। इस पर केंद्र की ओर से पेश SG तुषार मेहता ने कहा कि यह एक वैधानिक कमिटी की बात है, जो नजर रखेगी। इसमें मुस्लिम भी सदस्य हो सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं। इस जस्टिस कुमार ने उनसे पूछा कि क्या तिरुपति बोर्ड में भी गैर-हिंदू हैं।

हालाँकि, CJI ने कहा कि हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक कोई भी बाहरी व्यक्ति बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है। यहाँ तक कि कपिल सिब्बल ने यह तक कह दिया कि राज्य ये बताने वाला कौन होता है कि मुस्लिमों का उत्तराधिकार कैसे होगा। इस सीजेआई ने कहा कि हिंदुओं के मामले में भी उत्तराधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम संसद द्वारा बनाया गया है।

केंद्र की ओर से पेश SG ने कहा कि यह यह कानून जेपीसी द्वारा लंबे विचार-विमर्श के बाद आया है। इस पर संयुक्त संसदीय समिति ने  38 बैठकें कीं, विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया और 98 लाख से अधिक मिले सलाहों पर विस्तृत चर्चा की। इसके बाद यह कानून बना। वक्फ के पंजीकरण को लेकर सिब्बल द्वारा उठाए गए सवाल पर भी मेहता ने कहा कि पंजीकरण 1995 के अधिनियम में भी अनिवार्य है।

CJI ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस कानून में वक्‍फ बाई यूजर क्‍यों हटाया गया? 14वीं, 15वीं सदी की अधिकांश मस्जिदों में बिक्री डीड नहीं होगा। अधिकांश मस्जिदें वक्‍फ बाई यूजर होंगी। इस पर SG तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें (मुस्लिमों को) उन्हें पंजीकृत करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा? सरकार की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि वक्‍फ बोर्ड में पहले सिर्फ शिया और सुन्‍नी थे। अब सभी संप्रदाय के लोगों को इसमें जगह दी गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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