Sunday, October 6, 2024
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सुशांत पर रिया के लिए ‘दरबार’ सजाया, आर्यन खान को क्लीनचिट पर ‘मीडिया को पाठ’: राजदीप सरदेसाई को ड्रग्स पर रिपोर्टिंग क्यों लगती है ‘शोर’

राजदीप जैसे पत्रकार चाहते हैं कि बॉलीवुड गिरोह के पाप पर मीडिया में चर्चा ही नहीं हो। चाहे वह सुशांत का मामला हो या फिर ड्रग्स का। वे चाहते हैं कि मीडिया उनकी तरह ही ‘त्रि-या चरित्र’ पत्रकारिता करे और शाहरुख खान की मन्नत के खूँटे से बँधी रहे।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स केस में क्लीनचिट दे दी है। आर्यन खान (Aryan Khan) के साथ 5 अन्य आरोपितों को भी एजेंसी ने सबूतों के अभाव में बरी किया है। यह मामला अक्टूबर 2021 में सामने आया था, जब एनसीबी ने मुंबई से गोवा जा रही एक क्रूज पर छापेमारी की थी। 2 अक्टूबर को आर्यन गिरफ्तार हुए थे और 30 अक्टूबर को उनकी जेल से रिहाई हुई थी। फिल्म अभिनेत्री जूही चावला (Juhi Chawla) उनकी जमानतदार बनीं थी। पिता शाहरुख ने भी बेटे की जमानत के लिए वकीलों की फौज खड़ी कर दी थी।

NCB ने इस बहुचर्चित केस में शुक्रवार (27 मई 2022) को तकरीबन 6000 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। इसमें 14 आरोपितों के खिलाफ कई धाराएँ लगाई हैं। लेकिन आर्यन खान का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं है। इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया में तमाम तरह की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ यूजर्स इसे पैसे की ताकत भी बता रहे हैं। 

एक दिलचस्प प्रतिक्रिया इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई की भी सामने आई है। मीडिया गिरोह के प्रमुख चेहरे राजदीप ने ट्वीट कर कहा है कि एनसीबी ने आर्यन खान को क्लीनचिट दे दी है। अब उन सभी (‘शोर’ मीडिया) का क्या होगा जिन्होंने उन्हें दोषी ठहराया था? साथ ही सुशांत सिंह राजपूत मामले का भी जिक्र करते हुए पूछा है कि किसी को खबर है कि इस केस का क्या हुआ जो जुलाई 2020 में सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था।

आर्यन खान को क्लीनचिट मिलने पर मीडिया को ‘ज्ञान’ दे रहे, उसे ‘शोर मीडिया’ बता रहे, राजदीप सरदेसाई वही पत्रकार हैं, जिनका पूरा करियर मीडिया ट्रायल चलाने में ही बीता है। 2002 के गुजरात दंगों को लेकर उनकी एकतरफा रिपोर्टिंग पूरे देश ने देखी है। इसको लेकर टीवी पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ उन्होंने कैसे मीडिया ट्रायल चलाया था यह भी छिपा नहीं है।

आर्यन खान को क्लीनचिट मिलने के बाद अपने ट्वीट में उन्होंने जिस सुशांत सिंह राजपूत के मामले का जिक्र किया है, उस दौरान भी राजदीप सरदेसाई रिया चक्रवर्ती का मीडिया मैनेजमेंट करते हुए नजर आए थे। रिया को सुशांत सिंह की मौत में उनके परिवार ने मुख्य संदिग्ध बताया था।

रिया को ‘पीड़ित’ दिखाने के लिए राजदीप ने उस साक्षात्कार में सुशांत सिंह की कथित मानसिक बीमारी पर ज़ोर दिया था। इसे ऐसे पेश किया मानो मानसिक बीमारी का आरोप वास्तविक तथ्य है, जबकि सुशांत सिंह का परिवार इस मुद्दे पर अपना पक्ष पहले ही रख चुका था। इतना ही नहीं इंटरव्यू के दौरान राजदीप ने रिया को अपनी कहानी सुनाने का भरपूर मौका देते हुए उन सवालों का जिक्र तक नहीं किया जिनके कारण रिया कठघरे में हैं।

वैसे यह पहला मौका नहीं था जब राजदीप ने अपने पाखंड से आरोपित का इमेज गढ़ने की कोशिश की थी। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लिए भी वे सालों पहले ऐसी ही दरियादिली दिखा चुके हैं। 1993 में मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल गया था। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI की शह पर दाऊद ने इसे अंजाम दिया था। लेकिन उस वक्त टाइम्स ऑफ इंडिया में काम करने वाले राजदीप ने एक लेख लिखकर उसे ऐसे पेश किया जैसे वह ही पीड़ित हो। ठीक वैसे ही जैसा उन्होंने रिया चकवर्ती के मामले में करने की कोशिश की थी और अब जैसा आर्यन खान के मामले में कर रहे हैं।

आर्यन खान से जुड़े ड्रग्स मामले में मीडिया ने कोई मनगढ़ंत तथ्य पेश नहीं किए थे। एनसीबी की कार्रवाई से जो जानकारी सामने निकलकर आ रहीं थी, उसे पाठकों और दर्शकों के सामने रखा था। इसमें वह संस्थान भी शामिल है, जहाँ राजदीप खुद काम करते हैं। लेकिन, राजदीप जैसे पत्रकार चाहते हैं कि बॉलीवुड गिरोह के पाप पर मीडिया में चर्चा ही नहीं हो। चाहे वह सुशांत का मामला हो या फिर ड्रग्स का। वे चाहते हैं कि मीडिया उनकी तरह ही ‘त्रि-या चरित्र’ पत्रकारिता करे और शाहरुख खान की मन्नत के खूँटे से बँधी रहे।

वैसे राजदीप सरदेसाई के लिए पत्रकारिता का मतलब प्रोपेगेंडा शुरुआत से ही रहा है। उनके लिए गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली क्लीनचिट मायने नहीं रखती, लेकिन दूसरी ओर चिदंबरम से माफ़ी माँगते उन्हें देर नहीं लगती। याद दिला दें कि सीएनएन आईबीएन में रहते राजदीप पर कैश फॉर वोट की स्टिंग की सीडी भी डकारने के भी आरोप लगे थे। इसके अलावा राडिया केस में भी उनका नाम उछल चुका है।

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