Tuesday, March 25, 2025
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ब्रिटेन से ‘द गार्जियन’ ने भेजा सिग्नल, इधर ‘पाकिस्तान’ की चिंता में दुबली हुई कॉन्ग्रेस: कच्छ के रण में बन रहे दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क पर जताई आपत्ति

गार्जियन के लिए यह लेख लिखने वाले वाले भी हन्ना एलिस पीटरसन और रवि नायर हैं। इनमें से पीटरसन भारत और हिन्दू विरोधी होने के लिए जाना जाता है जबकि रवि नायर OCCRP से जुड़ा है। OCCRP, जॉर्ज सोरोस से पैसा लेता है। गार्जियन ने यहाँ दावा किया है कि भारत ने सुरक्षा नियमों को बदला ताकि यह प्रोजेक्ट लग सके।

विदेशी मीडिया के सहारे भारत की संसद में हंगामा मचाने की कॉन्ग्रेस की पुरानी आदत नहीं गई है। एक बार फिर उसने अंग्रेजों के एक मीडिया संस्थान की एक रिपोर्ट के आधार पर संसद में हंगामा किया है। कॉन्ग्रेस ने अब गुजरात के कच्छ में स्थापित किए गए खावड़ा सोलर पार्क को लेकर हंगामा मचाया है। कॉन्ग्रेस ने यह हंगामा ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की एक रिपोर्ट के आधार पर किया है। गार्जियन का दावा है कि पाकिस्तान सीमा के निकट स्थापित दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क को सरकार ने विशेष अनुमति दी है।

कॉन्ग्रेस ने यही दावा दोहराते हुए गुरुवार (13 फरवरी, 2025) को लोकसभा में चर्चा के लिए नोटिस दिया था। कॉन्ग्रेस ने माँग की कि सारा कामधाम छोड़ कर लोकसभा इस मुद्दे पर बहस करे। कॉन्ग्रेस ने अपनी नोटिस में कहा, “अडानी समूह की खावड़ा सोलर ऊर्जा पार्क परियोजना, कच्छ के रण में संवेदनशील भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 1 किलोमीटर किमी दूर स्थित है, जो दोनों देशों के बीच लड़ाई वाला क्षेत्र रहा है।”

कॉन्ग्रेस ने दावा किया कि इस जगह पार्क स्थापित करने को सरकार ने सेना की सलाह ना मानते हुए अनुमति दे दी है। कॉन्ग्रेस का सेना और देश के रणनीतिक हितों को लेकर बात करना काफी हास्यास्पद है क्योंकि यह वही कॉन्ग्रेस है जो दशकों तक लगातार देश के सीमाई इलाकों में इन्फ्रा बनाने का विरोध करती रही है। यह वही कॉन्ग्रेस है जिसने सेना के लिए साजोसामान खरीदने से मना कर दिया था और फंड की कमी बताई थी।

क्या लन्दन से आदेश ले रही कॉन्ग्रेस?

कॉन्ग्रेस पार्टी ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस ब्रिटिश समाचार पोर्टल द गार्जियन की ‘एक्सक्लूसिव’ रिपोर्ट के बाद दिया है। गार्जियन अपने भारत विरोधी रवैये के लिए कुख्यात है। इस रिपोर्ट में भी अटकलों, हवा हवाई स्रोत और उल्टी सीधी जानकारी के आधार पर खावड़ा सोलर पार्क को खराब का ठप्पा दे दिया गया है।

खावड़ा सोलर पार्क को गार्जियन ने इसलिए दिक्कत वाला बताया है, क्योंकि यह ‘पाकिस्तान सीमा के करीब’ है। गार्जियन के अनुसार, इसमें दूसरी समस्या यह है कि इसे अडानी समूह बना रहा है। इस पूरे लेख में कोई पक्का सबूत या कारण नहीं दिया गया है, लेकिन गार्जियन चाहता है कि उसके लिखे वाक्यों को ब्रह्मवाक्य माना जाए।

गार्जियन का कहना है कि अडानी पर अमेरिका में मुकदमा दायर किया गया था, इसलिए यह प्रोजेक्ट ठीक नहीं है। गार्जियन यह नहीं बता पाया है कि अडानी समूह पर लगाए गए मुकदमे के खिलाफ अमेरिका के ही सांसद खड़े हो गए हैं। उन्होंने जाँच की है। वहीं नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वह कानून ही खत्म कर दिया, जिसके तहत अडानी पर कार्रवाई होनी थी।

गार्जियन के लिए यह लेख लिखने वाले वाले भी हन्ना एलिस पीटरसन और रवि नायर हैं। इनमें से पीटरसन भारत और हिन्दू विरोधी होने के लिए जाना जाता है जबकि रवि नायर OCCRP से जुड़ा है। OCCRP, जॉर्ज सोरोस से पैसा लेता है। गार्जियन ने यहाँ दावा किया है कि भारत ने सुरक्षा नियमों को बदला ताकि यह प्रोजेक्ट लग सके।

यह समझने में गार्जियन को भी दिक्कत हुई कि आखिर भारत अगर कोई नियम अपने यहाँ इन्फ्रा विकसित करने के लिए बदलता है तो इसमें क्या समस्या है। इससे पहले भी कई बार नियम बदले गए हैं। दूसरी बात यह है कि भारत को अपना सीमाई इलाका क्यों नहीं विकसित करना चाहिए।

क्या सीमाई इलाका होने चलते छोड़ दें?

कॉन्ग्रेस ने दशकों तक भारत के सीमाई क्षेत्रों को अविकसित छोड़ दिया था। यहाँ के गांवों को कभी भी अच्छी सड़कें, स्कूल या रोजगार के अवसर नहीं मिले। चाहे वह कच्छ का रण हो, जम्मू और कश्मीर, जैसलमेर, लद्दाख या उत्तर पूर्व भारत, कहीं भी अच्छे इन्फ्रा पर काम नहीं हुआ।

जब सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर सड़केंऔर तकनीकी कनेक्टिविटी होती है, तो यह किसी युद्ध के समय सेना की ही मदद करता है। यह दुश्मन देश को एक मजबूत संदेश भी देता है कि कोई भी इलाका उजाड़ नहीं हैं ताकि वे अपनी मर्जी से वहाँ घुसते चले आएँ।

वर्तमान में सैन्य रणनीति सिर्फ बन्दूक-टैंक तक सीमित नहीं है। बल्कि यह इन्फ्रा और एनर्जी जैसे क्षेत्रों तक फैला है। द गार्जियन और कॉन्ग्रेस द्वारा यह दावा करना कि खावड़ा में बनी विश्व की सबसे बड़ी ग्रीन एनर्जी परियोजना परियोजना ‘सुरक्षा जोखिम’ होगी, भ्रामक है और इसका साफ़ उद्देश्य जनता में डर फैलाना है।

संसद सत्र में हंगामा कॉन्ग्रेस की पुरानी आदत

ससंद सत्र में फर्जी बातों पर हंगामा करना कॉन्ग्रेस की पुरानी आदत रही है। पार्टी अभी तक यह नहीं समझ पाई है कि संसद में उन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए जो वास्तव में भारत की जनता के लिए चिंता का विषय हैं। उसे पश्चिमी देशों में अपने विदेशी आकाओं को खुश करने के लिए नाटक करना बंद देना चाहिए।

बजट सत्र 2025 की शुरुआत में, पीएम मोदी ने कॉन्ग्रेस और विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि 2014 के बाद पहली बार संसद का सत्र बिना किसी ‘विदेशी चिंगारी‘ के शुरू होने वाला है। वह कॉन्ग्रेस पार्टी की पुरानी आदत की ओर इशारा कर रहे थे। हालाँकि, कॉन्ग्रेस इस बार भी पुरानी आदत नहीं छोड़ पाई।

यह लेख संघमित्रा पुरोहित ने लिखा है। इसको अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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