खुद को ‘पत्रकार’ कहलाना पसंद करने वाले ‘प्रोपेगेंडा बाज’ राजदीप सरदेसाई ने ममता बनर्जी की चरणवंदना की सभी हदें पार कर दी हैं। इसी कड़ी में राजदीप सरदेसाई ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। दरअसल, इस बार उन्होंने ओडिशा के पुरी में बने 900 साल पुराने जगन्नाथ धाम की तुलना पश्चिम बंगाल के दीघा में ममता बनर्जी सरकार द्वारा बनाए गए नए जगन्नाथ मंदिर से कर दी है।
मौजूदा समय में पुरी जगन्नाथ की रथ यात्रा चल रही है। इस पवित्र मौके को भी उन्होंने ममता सरकार के लिए प्रोपेगेंडा फैलाने में इस्तेमाल किया। ऐसे में शुक्रवार (27 जून 2025) को राजदीप ने ट्वीट किया, “जगन्नाथ यात्रा के अब दो ठिकाने हैं: एक असली पुरी में, दूसरा नया दीघा में।”

ये ट्वीट एक सोची-समझी चाल का हिस्सा लगता है, जिसमें पुरी के ऐतिहासिक जगन्नाथ धाम को दीघा के नए मंदिर के बराबर दिखाने की कोशिश की गई। बता दें, दीघा का मंदिर अभी दो महीने पहले ही (30 अप्रैल 2025) को खुला है।
माना जा रहा है कि यह ममता बनर्जी की सरकार की एक रणनीति है, जो हिंदू भावनाओं को भुनाकर आगामी विधानसभा चुनावों में लाभ लेना चाहती है। टीएमसी सरकार द्वारा बनाए गए दीघा मंदिर को पुरी के पौराणिक मंदिर के समकक्ष दिखाने की यह कोशिश न केवल धार्मिक परंपराओं का अपमान है, बल्कि जनता की आस्था से भी सीधा खिलवाड़ है। इस बयान को लेकर सोशल मीडिया से लेकर धार्मिक संस्थानों तक विरोध हो रहा है।
कौन हैं राजदीप सरदेसाई?
राजदीप सरदेसाई की पत्नी सागरिका घोष पहले पत्रकार थीं और अब तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की राज्यसभा सांसद हैं। ऐसे में राजदीप का ये ट्वीट TMC के लिए प्रचार करने की कोशिश माना जा रहा है। रथ यात्रा जैसे पवित्र मौके पर उन्होंने ऐसा दिखाने की कोशिश की जैसे ममता सरकार ने दीघा में भगवान जगन्नाथ के लिए कोई नया और खास ठिकाना बना दिया हो।
दरअसल, यह टीएमसी सरकार की चुनाव से पहले हिंदू वोटरों को लुभाने की कोशिश मानी जा रही है। सालों तक मुस्लिम तुष्टिकरण और ‘बाहरी बनाम बंगाली’ जैसे नैरेटिव पर चलने वाली पार्टी को अब समझ आ गया है कि सिर्फ इन्हीं बातों से चुनाव नहीं जीता जा सकता।
इसलिए अब पार्टी दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर जैसे धार्मिक प्रयासों को दिखाकर हिंदुओं को अपनी तरफ करने की कोशिश कर रही है। राजदीप सरदेसाई के इस पोस्ट इसी एजेंडा को बढ़ावा देने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने भी फैलाया ऐसा ही झूठ
नेशनल अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ ने भी शनिवार (28 मार्च 2025) को एक लेख छापा, जिसमें पुरी के जगन्नाथ धाम को दीघा के नए मंदिर के बराबर दिखाने की कोशिश की गई। लेख का शीर्षक था, “दीघा में नए जगन्नाथ मंदिर के उभरने के बीच ओडिशा ने पुरी में रथ यात्रा के लिए पूरी ताकत झोंक दी।” इस लेख में ऐसा दिखाया गया जैसे दोनों मंदिरों के बीच कोई तुलना हो सकती है।

पुरी जगन्नाथ धाम और दीघा के मंदिर की कोई तुलना नहीं
बता दें कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर और पश्चिम बंगाल के दीघा में बने नए जगन्नाथ मंदिर दोनों की आपस में न तो कोई तुलना हैं और न ही इनमें कोई प्रतिस्पर्धा है। पुरी का मंदिर 12वीं शताब्दी में राजा अनंतवर्मन चोडगंगा देव ने बनवाया था।
यह 900 साल पुराना है और हिंदू आस्था परंपरा और कलिंग शैली की वास्तुकला का केंद्र माना जाता है। इसका संचालन गजपति महाराजा की अध्यक्षता में एक समिति करती है। वहीं दीघा का मंदिर हाल ही में करीब दो महीने पहले खुला है और इसे पश्चिम बंगाल सरकार ने बनवाया है।
यह पुरी मंदिर की एक प्रतिकृति (रेप्लिका) मात्र भर है। इस मंदिर के उद्घाटन के समय ये विवादों में भी घिर गया था, खासकर ‘हलाल प्रसाद‘ और मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों को लेकर। ममता सरकार अब इस नए मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम‘ कहकर राजनीतिक रूप से इस्तेमाल कर रही है, जिससे लोगों को यह भ्रम हो कि यह पुरी के प्राचीन मंदिर जितना ही महत्वपूर्ण है। इससे यह भी आरोप लग रहा है कि सरकार जानबूझकर असली जगन्नाथ धाम की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
TMC का दोहरा चरित्र हो चुका है बेनकाब
ममता सरकार ने जहाँ दीघा में नया मंदिर बनाकर हिंदुओं को लुभाने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के मुस्लिम-बहुल मालदा जिले में 629 साल पुरानी ‘रथ मेला‘ पर रोक लगा दी। ये दिखाता है कि TMC की हिंदू-समर्थक छवि सिर्फ दिखावा है।
पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने साफ कहा है कि दीघा का मंदिर ‘भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्ति से कोई लेना-देना नहीं रखता।’ फिर भी राजदीप सरदेसाई और इंडियन एक्सप्रेस जैसे मीडिया हाउस दीघा के मंदिर को पुरी के जगन्नाथ धाम के बराबर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी वजह से लोगों में गलतफहमी और नाराजगी दोनों ही बढ़ती जा रही है।
ममता सरकार कर रही हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़
ममता बनर्जी की TMC सरकार ने दीघा में मंदिर बनाकर और उसे ‘जगन्नाथ धाम’ कहकर हिंदू धर्म की परंपराओं और शास्त्रों का अपमान किया है। राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार और इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबार इस प्रचार में शामिल होकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। पुरी का जगन्नाथ धाम 900 साल की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है, जबकि दीघा का मंदिर सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बनाया गया नया मंदिर है, जो दिखने में जगन्नाथ धाम की तरह हो सकता है। ऐसे में इस तरह का प्रचार न सिर्फ गलत है, बल्कि हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है।