पाकिस्तान के लोग या तो अपनी ही दुनिया में जीते हैं या फिर कुछ ऐसा चटक लेते हैं जो इतना तगड़ा है कि दिमाग सातवें आसमान पर चला जाता है। वरना कोई बताए, लाहौर के ‘पत्रकार’ उमैर जमाल ने जो तमाशा मचाया है, उसे क्या कहेंगे? इन्होंने अमेरिका की मैगजीन ‘द डिप्लोमैट’ में एक ऐसा लेख ठोंक दिया है, जो हकीकत (मुमकिन) कम और पाकिस्तानी फसाना (फैंटेसी) ज्यादा लगता है।
बात ये है कि भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी (IWT) यानी सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी का समझौता रद्द करने की बात कही, तो जमाल साहब को मिर्ची लग गई। और इस मिर्ची का इलाज करने के लिए इन्होंने न तो पाकिस्तानी नेताओं से बात की, न पाकिस्तानी आवाम से कुछ कहा.. बल्कि सीधे चीन को बुला लिया कि “भाई, आके भारत से बदला ले!”
हाँ, सही पढ़ा! जिस दुनिया में देश अपने झगड़े आपस में या कूटनीति से सुलझाते हैं, वहाँ पाकिस्तान… जो हमेशा का ‘टीनएजर’ है, अपने दो-दो ‘बापों’ को बुलाने की सोच रहा है। एक तो चीन, दूसरा अमेरिका। ये तो वही ‘तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है’ वाला डायलॉग है, लेकिन मज़े की बात ये है कि जमाल साहब को शायद खुद नहीं पता कि उनका ‘बाप’ है कौन। अरे नहीं… हम असल बाप की बात नहीं कर रहे, बल्कि उस ‘डिप्लोमैटिक बाप’ की बात कर रहे हैं, जिसे पाकिस्तान हर बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर बुलाता है। और अभी-अभी उसके एक बाप ने भारत के हाथ-पैर तोड़कर उसे मरने से बचाया है और माफी माँग कर सीजफायर कराया है।
आतंकवाद पर सिल लिया मुँह, लेकिन भारत पर लगा दिया इल्जाम
दरअसल, जमाल साहब ने अपने लेख में एकदम फिल्मी स्टाइल में भारत को विलेन बनाया। लेकिन पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र तक नहीं किया, जिसमें 26 बेगुनाह हिंदुओं की जान चली गई। ये हमला ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने किया, जो पाकिस्तान से चलने वाले लश्कर-ए-तैयबा का ‘हमशक्ल भाई’ है। लेकिन जमाल साहब को ये सब छोड़कर बस भारत की बुराई करनी थी। और कर भी दिया… कि “अरे, भारत ने पानी का समझौता तोड़ा, ये तो गलत है!”
अरे भाई, पहले अपने घर में पनप रहे आतंकवाद को तो देख लो! 26 लोगों की जान गई और तुम्हें एक लाइन भी निंदा के लिए नहीं सूझी? ये तो वही बात है कि कोई चोर चोरी करे और जब पकड़ा जाए, तो उल्टा असली मालिक को ही गाली दे।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दबाकर रेले गए पाकिस्तान से उम्मीद थी कि वो अपने यहाँ आतंकवाद पर लगाम लगाएगा, लेकिन जमाल साहब को लगता है कि भारत का जवाब देना गलत है। ये है उनकी ‘पत्रकारिता’! और वो भी कहाँ? अमेरिका की मैगजीन में! जैसे भारत से पंगा हुआ तो सीधे ‘मम्मी-पापा’ (यानी अमेरिका) को चिट्ठी लिख दी। और साथ में ‘मौसेरे भाई’ चीन (चोर-चोर मौसेरे…. समझ तो गए ही होंगे) को भी धमकी देने के लिए बुला लिया। अरे यार… ये क्या बात हुई? थोड़ा तो शर्म करो!
चीन को बुलाया, लेकिन…
जमाल साहब का लेख तो एकदम घटिया पाकिस्तानी सीरियलों वाले मसाले की तरह है। वो लेख में कहते हैं कि अगर भारत ने इंडस नदियों का पानी रोका, तो चीन ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक देगा। अरे, ये तो वही बात हुई कि स्कूल में पिटने वाला बच्चा अपने बड़े भाई को बुलाए – “भाई आजा, इसे ठोक दे!”
वैसे, चीन तो कोई तुम्हारा पक्का यार भी नहीं है। चीन तो बस अपना बिजनेस देखता है। वो पाकिस्तान को कर्ज़ा देता है, ब्याज वसूलता है और अपने प्रोजेक्ट्स चलाता है। तुम्हारे कहने पर वो भारत से पंगा क्यों लेगा? और वैसे भी भारत ब्रह्मपुत्र पर चीन की हरकतों पर पहले से नजर रख रहा है। ये धमकी तो वैसी है जैसे कोई कहे, “मैं तुझे रेलने(मारने) वाला हूँ”, लेकिन उसके पास लाठी भी नहीं है!
जमाल साहब ये भी भूल गए कि भारत कोई कमजोर मुल्क नहीं है। भारत ने पहले ही चीन की दादागिरी का जवाब दिया है। तो ये सोचना कि चीन आएगा और भारत को डराएगा, ये तो एकदम खुली आँखों से देखे जाने वाला सपना(फैंटेसी) है। वो भी ऐसी-जैसे कोई नौसिखिया लेखक लिखे.. और फिर वो सोचे कि वही सबसे बड़ा उस्ताद है।
अमेरिकी मैगजीन में क्यों चिट्ठी?
अब सवाल ये है कि जमाल साहब ने ये सारी बातें पाकिस्तान के किसी अखबार में क्यों नहीं लिखीं? क्यों अमेरिका की मैगजीन में जाकर रोना रो रहे हैं? ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अपनी बात को दुनिया के सामने ले जाकर भारत को घेरना चाहता है। शायद वो चाहते हैं कि अमेरिका या कोई और ‘बड़ा बाप’, बीच में आए और भारत को डाँट दे। ये वही पुराना तरीका है, जिसमें पाकिस्तान कश्मीर और पानी जैसे मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाता है। लेकिन भारत ने तो साफ कर दिया है, “सुन… ये मेरा और तेरा मसला है, इसमें किसी तीसरे को मत ला।”
वैसे, हम आपको बता दें कि भारत ने पाकिस्तान ही नहीं सारी दुनिया को बता रखा है कि अभी कोई ‘सीजफायर’ नहीं हुआ है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना के बड़े अधिकारी बार-बार कह रहे हैं कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ अभी भी चल रहा है। मतलब साफ ही है कि भारत अपनी शर्तों पर काम करेगा, किसी के दबाव में नहीं।
पाकिस्तान खौरियाया कुत्ता – न घर का, न घाट का
जमाल साहब अपने कपड़े फाड़ के बार-बार धमकी दे रहे हैं कि अगर भारत ने पानी रोका, तो पाकिस्तान में ‘अराजकता’ फैल जाएगी। वो ये भी कहते हैं कि पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी ने ‘पानी के हितों’ की रक्षा की बात कही है। खैर, इसका हम क्या ही करें… तू पहले अपनी हालत सुधार.. फिर लड़ने की बात कर।
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था IMF के कर्ज पर चल रही है। बिजली का बिल भरने के लिए कर्ज लेना पड़ता है। बाँध बनाने के लिए चीन से उधार माँगते हो। और फिर भारत को युद्ध की धमकी दे रहे हो? ये तो वैसी ही बात है जैसे कोई बर्बाद आदमी अपने पड़ोसी को धमकाए कि वो उसका पानी काट देगा, जबकि उसका अपना नल पहले ही बंद है।
बता दें कि पाकिस्तान ने हाल ही में IMF से 1 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया और वो उस पर जश्न मना रहा है। पर कर्ज लेकर जश्न मनाना.. ऐसा सिर्फ पाकिस्तान और पाकिस्तानी ही कर सकते हैं। खैर, जमाल साहब.. अपने बरखुरदारों से तो जरा कह देते कि जनाब.. पहले अपना घर संभालो, पड़ोसी से बाद में लड़ लेंगे।
पानी पर भारत ने की मेहरबानी, लेकिन पाकिस्तान ने अच्छा सिला दिया
इंडस वाटर ट्रीटी कोई बंधन नहीं था, बल्कि भारत की मेहरबानी थी। 1960 में ये समझौता हुआ था ताकि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी का बँटवारा शांति से हो। लेकिन जब पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी हमले हो रहे हैं, तो भारत क्यों चुप बैठे? भारत ने अभी तक पानी पूरी तरह रोका नहीं है, लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी तो वो ऐसा कर सकता है। और ये भारत का हक है। जमाल साहब को ये बात समझ नहीं आ रही। वो बस धमकी दे रहे हैं, लेकिन उनकी धमकियों में कोई दम नहीं है।
जमाल की पत्रकारिता पाकिस्तानी ड्रामे की तरह
जमाल का लेख पत्रकारिता कम, ड्रामा ज़्यादा है। ऐसा लगता है जैसे वो कोई पर्चा बाँट रहे हों, जिसमें लिखा हो, ‘दुनिया वालो, हमें बचा लो!’ वो भारत को डराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी बातें हवा में तीर छोड़ने जैसी हैं। अगर पाकिस्तान आतंकवाद को रोकने में मेहनत करता, अपनी अर्थव्यवस्था को ठीक करता, तो शायद उसे ऐसी चिट्ठियाँ लिखने की ज़रूरत न पड़ती। लेकिन इसके बजाय, वो दुनिया भर में जाकर रो रहा है। कभी अमेरिका से मदद माँगता है, कभी चीन को उकसाता है।
आखिर में… पाकिस्तान की ये आदत पुरानी है कि वो अपनी कमज़ोरियों को छुपाने के लिए भारत को दोष देता है। जमाल साहब ने तो पूरी कोशिश कर ली कि दुनिया भारत को विलेन माने और पाकिस्तान को बेचारा। लेकिन भारत अब वो पुराना भारत नहीं, जो चुपचाप सब सह ले। भारत ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देगा, तो उसे इसका जवाब मिलेगा। और अगर पानी का समझौता तोड़ने की नौबत आई, तो भारत वो भी करेगा, बिना किसी डर के।
तो जमाल साहब, धमकी देना छोड़ो। अपने ‘बाप’ को बुलाने की बजाय, पहले अपने घर को संभालो। और हाँ, अगली बार अगर धमकी देनी हो, तो पहले ये पक्का कर लो कि तुम्हारा ‘बाप’ तुम्हारा है भी या नहीं!
(मूल रूप से ये लेख अंग्रेजी में लिखी गई है, जिसका भावानुवाद किया है श्रवण शुक्ल ने।)