Friday, January 3, 2025
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इस्लामी ‘ब्लड मनी’ से भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को नहीं होगी फाँसी: कौन दलाल लेकिन खा गया ₹30-35 लाख, पीड़ित परिवार के पास क्यों नहीं पहुँचा पैसा – जानिए सब कुछ

हत्या के मामलों में सजा के 2 विकल्प है किसास और दूसरा दिया। किसास का मतलब 'जान के बदले जान' और दिया यानी ब्लड मनी। इस्लामिक कानून में 'दिया' यानी ब्लड मनी ऐसा प्रावधान है जो सुलह का अवसर प्रदान करता है।

केरल की भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में यमन के एक नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। यमनी राष्ट्रपति राशद अल-अलीमी ने 2018 में दिए गए इस फैसले को मंजूरी दे दी थी, और उनकी फाँसी अगले एक महीने में तय है। हालाँकि, निमिषा प्रिया को बचाने का एक तरीका मौजूद है। इस्लामी शरिया कानून के तहत मौत की सजा का प्रावधान है, लेकिन कुरान में माफी और मुआवजे (जिसे ‘दिया – Diyya’ या ‘ब्लड मनी – Blood Money’ कहा जाता है) को सजा से बेहतर विकल्प बताया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए ईरान ने मध्यस्थता की इच्छा जताई है, लेकिन माफी मिलने को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। निमिषा प्रिया के वकील सुभाष चंद्रन ने बताया कि यमनी जनजातीय नेताओं ने बातचीत शुरू करने के लिए पहले $40,000 (करीब 34 लाख रुपये) की माँग की थी। पहले $20,000 की राशि कुछ महीने पहले ही दी गई थी, लेकिन सकारात्मक जवाब न मिलने के कारण बाकी भुगतान में देरी हुई।

जानकारी के मुताबिक, दिसंबर के अंत में भारतीय राजनयिक मिशन के माध्यम से सऊदी अरब में $20,000 की दूसरी किश्त दी गई। हालाँकि, इसके तीन दिन बाद ही खबर आई कि यमनी राष्ट्रपति ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा को मंजूरी दे दी है। यमनी राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद भारत सरकार ने कहा कि वो इस मामले में परिवार के साथ है।

निमिषा प्रिया को बचाने की कोशिश में पैसा जुटा रहे लोग

निमिषा प्रिया के मामले में ब्लड मनी जुटाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ सक्रिय है। उनके वकील ने बताया कि निमिषा को बचाने के लिए बातचीत शुरू हो, इसके लिए 20-20 हजार डॉलर की राशि दो बार में भेजी गई थी, लेकिन पीड़ित परिवार को अभी तक ये पैसा नहीं मिला। इसलिए ब्लड मनी पर अभी बातचीत भी शुरू नहीं हो पाई है।

यह भी कहा जा रहा है कि ब्लड मनी की कुल राशि $300,000–$400,000 (2.57 करोड़ रुपये से 3.40 करोड़ रुपये) हो सकती है, जिसे जुटाने के लिए परिवार और समर्थक क्राउडफंडिंग कर रहे हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम के अनुसार, समय पर दूसरा भुगतान न होने के कारण बातचीत का मौका हाथ से निकल गया। अब ईरान की मध्यस्थता और भारत के कूटनीतिक प्रयास ही निमिषा प्रिया की जान बचा सकते हैं।

ब्लड मनी क्या है और कैसे तय की जाती है?

इस्लामिक कानून के मुताबिक, हत्या के मामलों में सजा के 2 विकल्प है किसास और दूसरा दिया। किसास का मतलब ‘जान के बदले जान’ और दिया यानी ब्लड मनी। इस्लामिक कानून में ‘दिया’ यानी ब्लड मनी ऐसा प्रावधान है जो सुलह का अवसर प्रदान करता है। शरिया कानून के अनुसार, हत्या के मामलों में पीड़ित परिवार को यह तय करने का अधिकार होता है कि वे हत्यारे को माफ करेंगे या सजा दिलाएँगे। कुरान के अनुसार, माफी और ब्लड मनी को न्याय और दया का माध्यम बताया गया है।

कुरान की सूरह अल-बकरा, आयत 178 में उल्लेख है: “मगर यदि हत्यारे को पीड़ित के संरक्षक द्वारा क्षमा कर दिया जाए, तो ब्लड मनी को न्यायपूर्वक तय किया जाए और सम्मानपूर्वक भुगतान किया जाए। यह तुम्हारे पालनहार की ओर से एक दया और सुविधा है।”

यमन और कई अन्य इस्लामी देशों में ब्लड मनी का भुगतान परिवारों के बीच आपसी सहमति से तय होता है। हालाँकि यमन जैसे देश, जहाँ गृहयुद्ध और आर्थिक संकट हैं, वहाँ इतनी बड़ी रकम जुटाना एक चुनौती है।

क्या था पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक, निमिषा प्रिया पर आरोप लगे थे कि उन्होंने साल 2017 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी को ड्रग्स का ओवरडोज दे दिया था, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। वहीं, निमिषा ने अपने बचाव में कहा था कि मृतक ने उनका पासपोर्ट छीन लिया था, जिसे वो वापस पाना चाहती थी। निमिषा ने दावा किया था कि उन्होंने महदी को बेहोशी की दवा दी थी। उसकी हत्या करने का इरादा नहीं था।

निमिषा प्रिया शादीशुदा हैं। केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा अपने पति और बेटी के साथ पिछले लगभग एक दशक से यमन में काम कर रही थीं। इस बीच यमन में गृहयुद्ध शुरु हो गया तो उनका परिवार भारत आ गया था। हालाँकि, यमनी नागरिक द्वारा पासपोर्ट ले लेने के कारण निमिषा वापस नहीं लौट पाईं और ये घटनाएँ घट गईं। इस मामले में उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई।

अब, ब्लड मनी के माध्यम से हो सकता है कि निमिषा मौत की सजा पाने से बच जाएँ। हालाँकि क्या समय रहते यह प्रयास सफल हो पाएगा? यह देखना बाकी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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