अपने आप को मुस्लिम समुदाय की आवाज बताने वाला ब्रिटेन का मशहूर ‘इस्लाम चैनल’ गहरी मुसीबत में फँस गया है। रोजाना 20 लाख लोगों तक पहुँचने का दावा करने वाला चैनल अब ब्रिटेन की सरकारी संस्था ऑफकॉम की रडार पर आ गया है। इसकी जाँच करने वाली संस्था ऑफकॉम (Office of Communications) टीवी, टेलीकॉम और डाक जैसे विभागों को नियंत्रित करती है।
‘द टेलीग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लाम चैनल पर आरोप है कि ये हिंसक इस्लामी आंदोलनों की तारीफ करता है, पश्चिमी देशों के खिलाफ नफरत भड़काता है और जिहादी मकसदों को हमदर्दी के साथ दिखाता है। इस चैनल का दावा है कि रोजाना 20 लाख लोग इसे देखते हैं और ब्रिटेन के 60 प्रतिशत मुस्लिम इसे फॉलो करते हैं। अब इस पर निष्पक्षता के नियम तोड़ने और उग्रवाद को बढ़ावा देने का इल्जाम लगा है। अगर ये दोषी पाया गया, तो इसे सजा मिल सकती है।
ये कदम तब उठाया गया जब ऑफकॉम को एक रिपोर्ट मिली, जिसमें कहा गया कि इस्लाम चैनल ने 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजराइल पर हमले की तारीफ की और इजराइल की तुलना नाजियों से की। रिपोर्ट में ये भी इल्जाम है कि चैनल ने उग्रवादियों को मंच दिया, अपनी राजनीतिक कवरेज में निष्पक्षता नहीं रखी और दर्शकों को जरूरी तथ्यों के बारे में गुमराह किया।
इस्लाम चैनल पर जिहादी ग्रुप्स को जायज ठहराने का आरोप
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर ब्रिटिश इस्लाम के डायरेक्टर डॉ. ताज हरगई ने ऑफकॉम को ये शिकायत दी। डॉ. हरगई को ब्रिटिश इस्लाम में उदारवादी विचारक माना जाता है। उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि नवंबर 2024 से जनवरी 2025 तक इस्लाम चैनल ने लगातार ब्रॉडकास्टिंग के नियमों को तोड़ा।
डॉ. ताज हरगई ने आरोप लगाया कि चैनल इस्लाम को पश्चिमी देशों से खतरे में दिखाता है और हमास, ईरान और दूसरे इस्लामी जिहादी ग्रुप्स को पश्चिमी सेक्युलर लोकतंत्रों के खिलाफ जायज रेसिस्टेंट (प्रतिरोध) आंदोलन बताता है। गाजा की कवरेज में भी ये एकतरफा रुख अपनाता है और इजराइल समर्थक वक्ताओं को जगह नहीं देता। डॉ. हरगई का ये भी कहना है कि इस्लाम चैनल वाहाबी-सालाफी इस्लाम को बढ़ावा देता है और शिया, सूफी, अहमदी और सेक्युलर मुस्लिमों को नजरअंदाज करता है।
डॉ. हरगई ने ‘द टेलीग्राफ’ से कहा, “इस्लाम चैनल ब्रिटेन में खतरनाक इस्लामी कट्टरपंथ का प्रतीक है। इस चैनल का दावा है कि ये ब्रिटिश मुस्लिमों की नुमाइंदगी करता है, लेकिन इसकी संकीर्ण सोच मुस्लिम उग्रवाद और कट्टरता को बढ़ाने की कोशिश है। ये ‘हम और वो’ की सोच को हवा देता है, जिससे समाज में एकता बिगड़ती है। ऑफकॉम को इस चैनल की भड़काऊ भाषा और पक्षपाती मेहमानों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो ब्रिटिश मूल्यों को नहीं मानते।”
ऑफकॉम के नियम कहते हैं कि किसी चैनल का कंटेंट नुकसान, गलत प्रभाव या अपराध, अशांति और हिंसा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। इस्लाम चैनल पर इन नियमों को तोड़ने का आरोप है। ऑफकॉम अभी शिकायतों की जाँच कर रहा है कि इस जाँच को आगे बढ़ाना है या नहीं।