Friday, March 29, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयबीजिंग से मिटाए जाएँगे सभी इस्लामी सिंबल: हलाल, अरबी-फारसी सब कुछ पर प्रतिबंध

बीजिंग से मिटाए जाएँगे सभी इस्लामी सिंबल: हलाल, अरबी-फारसी सब कुछ पर प्रतिबंध

'मेरी नूडल्स की दुकान पर सरकारी कर्मचारी आए और वहाँ लिखे हलाल शब्द को ढकने के लिए कहा। जब तक मैंने ऐसा नहीं किया, तब तक वे वहाँ खड़े रहे।'

चीन की राजधानी बीजिंग में इस्लाम से जुड़े सभी प्रतीकों को हटाए जाने की ख़बर सामने आई है। चीनी प्रशासन हलाल रेस्टोरेंट से लेकर फूड स्टॉल तक, प्रत्येक स्थान पर अरबी भाषा में लिखे शब्दों और इस्लाम संबंधी सभी प्रतीकों को मिटा रहा है।

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि उन्हें इस्लाम से जुड़ी छवियों को हटाने के लिए कहा गया था, जैसे कि आधा चाँद और अरबी में लिखा ‘हलाल’ शब्द। बीजिंग में नूडल्स की एक दुकान के मैनेजर को सरकारी कर्मचारियों ने दुकान पर लिखे हलाल शब्द को ढकने के लिए कहा और जब तक ऐसा नहीं किया गया, तब तक वे वहाँ खड़े रहे।

बीजिंग में एक फूड स्टॉल, जिस पर अरबी लिपि अंकित है

मैनेजर ने बताया कि अधिकारियों ने उनसे कहा कि यह विदेशी संस्कृति है और आपको चीनी सभ्यता को अधिक से अधिक अपनाना चाहिए। अरबी लिपि और इस्लामिक छवियों के ख़िलाफ़ यह अभियान 2016 से ही चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य सभी धर्मों को मुख्य धारा की संस्कृति के अनुरूप सुनिश्चित करना है।

हलाल प्रतीक को QR और बार कोड स्टिकर के साथ कवर किया गया

इस अभियान में चीनी शैली के पगोडा के पक्ष में देश भर की कई मस्जिदों पर मध्य-पूर्वी शैली के गुंबदों को हटाया जाना भी शामिल है। ख़बर में यह भी कहा गया है कि ऐसा सिर्फ़ मजहब विशेष के साथ ही नहीं हो रहा है बल्कि अधिकारियों ने कई भूमिगत ईसाई चर्चों को भी बंद कर दिया और सरकार द्वारा अवैध माने जाने वाले कुछ चर्चों के क्रॉस को फाड़ दिया गया है।

ग़ौरतलब है कि चीन पर शिनजियांग में 10 लाख उइगरों को हिरासत में लेने व उइगरों पर अत्याचार करने का आरोप है। इस संदर्भ में हाल ही में 22 देशों के राजदूतों ने चीन की नीतियों की आलोचना करते हुए संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद को एक पत्र लिखा था। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान इस मामले में अपनी आँखें मूंदे बैठा है।

पाकिस्तान, ईरान और सऊदी अरब जैसे कई इस्लामिक देश ऐसे देश हैं, जिन्होंने मजहब पर हो रहे इन कथित अत्याचारों पर चुप्पी साध रखी है। इसकी वजह शायद चीन का इन देशों में भारी निवेश है। चीनी निवेश इन देशों को आर्थिक संकट से उबारने में बहुत महत्वपूर्ण है। इसी के चलते ये इस्लामिक देश चीन की नीतियों का विरोध करने की बजाए उसके समर्थन में खड़े नज़र आते हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लालकृष्ण आडवाणी के घर जाकर उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, स्वास्थ्य कारणों से फैसला: 83 वर्षों से सार्वजनिक जीवन में...

1951 में उन्हें जनसंघ ने राजस्थान में संगठन की जिम्मेदारी सौंपी और 6 वर्षों तक घूम-घूम कर उन्होंने जनता से संवाद बनाया। 1967 में दिल्ली महानगरपालिका परिषद का अध्यक्ष बने।

संदेशखाली की जो बनीं आवाज, उनका बैंक डिटेल से लेकर फोन नंबर तक सब किया लीक: NCW से रेखा पात्रा ने की TMC नेता...

बशीरहाट से भाजपा की प्रत्याशी रेखा पात्रा ने टीएमसी नेता के विरुद्ध महिला आयोग में निजता के हनन के आरोप में शिकायत दर्ज करवाई है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe