Sunday, April 27, 2025
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‘हाथ काटो, जजिया लगाओ, गोली मारो’: ISIS समर्थक ‘उपदेशक’ अंजेम चौधरी ने तालिबान को भेजा संदेश

टेलीग्राम के एन्क्रिप्टेड सुविधा के माध्यम से उपदेशक ने जहर फैलाया और तालिबान को संदेश दिया कि जो कोई भी अल्लाह की हुकूमत लागू करने के बीच में आए उन सब पर वो (तालिबान) गोली चलाएँ।

अफगानिस्तान में तालिबान के घुसने के बाद कई तालिबानी समर्थक विश्व के कोने-कोने में बैठ कर अपनी बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे में नफरत फैलाने वालों का कारोबार भी अपने चरम पर है। हाल में यूके के एक मौलवी व मजहबी घृणा फैलाने के लिए कुख्यात ‘उपदेशक’ अंजेम चौधरी ने बयान दिया है कि तालिबान को व्‍यभिचारियों को मौत की सजा देनी चाहिए, चोरों के हाथ काट देने चाहिए और संगीत पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

54 वर्षीय अंजेम चौधरी, जिस पर कई आतंकवादी हत्याओं को प्रेरित करने का आरोप है, उसने तालिबान को सलाह देते हुए अपनी यह बात कही। मालूम हो कि ये उपदेशक 5 साल तक इसीलिए जेल में बंद था क्योंकि इसका समर्थन ISIS को था। 2018 में इसकी रिहाई हुई और इस पर प्रतिबंध लगाया गया कि ये सार्वजनिक स्थलों पर नहीं बोलेगा। लेकिन, पिछले माह जैसे ही ये प्रतिबंध हटा, इसने दोबारा अपना बयान दे डाला।

टेलीग्राम के एन्क्रिप्टेड सुविधा के माध्यम से इसने जहर फैलाया और तालिबान को संदेश दिया कि जो कोई भी अल्लाह की हुकूमत लागू करने के बीच में आए उन सब पर वो (तालिबान) गोली चलाएँ। उसने यह भी कहा कि तालिबान अफगानिस्तान के विदेशी दूतावासों को बंद करे और संयुक्त राष्ट्र को काबुल से बाहर निकालने का आग्रह किया। इसके अलावा देश में जो कोई भी गैर मुसलमान है उससे जजिया की माँग रखने की भी अपील की। साथ ही साथ उस हर कोर्ट को बंद करने की माँग की, जो शरीया कानून के मुताबिक फैसले नहीं देता।

चौधरी कहता है, “केवल सख्त शरिया दंड, जिसमें चोरों के हाथ काटना और मिलावट करने वालों को पत्थर मारना शामिल है, उसको लागू किया जाना चाहिए।” उपदेशक का सुझाव यह भी है कि तालिबान को अफगानिस्तान का नाम इस्लामिक स्टेट कर देना चाहिए। उसके मुताबिक, “सभी सीमाओं को हटा दिया जाना चाहिए और सभी मुसलमानों को नए इस्लामिक राज्य के नागरिक बनने का निमंत्रण दिया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप की मुस्लिम भूमि को एकजुट करना और खलिफाओं के बीच एकता स्थापित करना है।”

उल्लेखनीय है कि अंजेम चौधरी के बयान के संबंध में अभी यूके प्रशासन से कोई आधिकारिक बयान आने की पुष्टि नहीं हुई है। हालाँकि, सोशल मीडिया पर लोग इस बयान को पढ़कर गुस्से में हैं। उनका पूछना है कि प्रशासन ने ऐसे नफरत फैलाने वाले व्यक्ति को अपने देश में जगह ही क्यों दी है। इसे वहीं क्यों नहीं भेज दिया जाता जहाँ के लिए ये सलाह दे रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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