Friday, January 24, 2025
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बच्चियों तक का अपहरण और धर्मांतरण के बाद निकाह, नहीं बची उम्मीद: पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने माना- मुल्क से जान बचा भाग रहे हिंदू

HRCP रिपोर्ट के अनुसार, "काशमोर जिले से 300 से ज़्यादा हिंदू अराजकता और डाकुओं द्वारा अपहरण के डर से भारत चले गए हैं। ऐसी रिपोर्टों के बावजूद, सरकार इन पर ध्यान नहीं देती। और सही एक्शन लेने बजाय इसे पाकिस्तान के खिलाफ़ एक 'साजिश' के रूप में पेश करती है।"

पाकिस्तान में हिन्दुओं का उत्पीड़न लगातार जारी है। रोज बलात्कार,धर्म परिवर्तन, बलात्कार, भेदभाव, मंदिरों को अपवित्र करना और हिंसा झेलने वाले हिन्दू किसी भी पाकिस्तान से तरह भारत आना चाहते हैं। हिन्दुओं की एक बड़ी जनसँख्या 1947 में पाकिस्तान के बनने के बाद से अपनी जान बचा कर भारत आ भी चुकी है।

पाकिस्तान के अधिकांश इलाकों में हिन्दुओं की जनसँख्या नगण्य हो चुकी है। हालाँकि, पाकिस्तान के सिंध में अब भी कुछ लाख हिन्दू बचे हैं। लेकिन यहाँ भी बीते कुछ सालों से हालात ऐसे हैं कि हिन्दू अपनी जमीन-घर और व्यापार छोड़ कर भारत में आ रहे हैं।

पाकिस्तान से हिन्दुओं का पलायन कितना तेज है, इसी को साबित करती हुई एक रिपोर्ट अब सामने आई है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने 23 जनवरी, 2025 को यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में सिंध के हिन्दुओं के सामने आने वाले समस्याएँ बताई गई हैं, जिसके चलते वह भारत भागने को मजबूर हैं।

नया नहीं हिन्दुओं का पलायन

HRCP की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान या सिंध से हिन्दुओं का पलायन कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह दशकों से चला आ रहा है। रिपोर्ट बताती है कि 1992 के बाद से सिंध में हिन्दू विरोधी रवैये में तेजी आई है और तबसे यह समुदाय तेजी से भारत को आ रहा है।

सिंध के हिन्दू धार्मिक उत्पीड़न के साथ ही कानून व्यवस्था के चलते भी भागने को मजबूर हैं। रिपोर्ट बताती है कि 1986 में पाकिस्तान की सुक्कर जेल से वह 34 अपराधी भाग गए थे जो हिन्दू कारोबारियों का अपहरण कर उनसे वसूली करते थे। इसके बाद हिन्दुओं में डर बैठ गया और वह भारत जाने को ही एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देखने लगे।

इसी का एक उदाहरण है कि यहाँ के कशमोर इलाके से 300 हिन्दू परिवार अब तक पलायन कर चुके हैं। इन परिवारों के पलायन के पीछे भी अपराधियों का डर और उनके ख़ास करके निशाना बनाया जाना ही कारण रहा है। कई परिवारों को सिंध के कुख्यात ‘कच्चे के डाकू’ भी लगातार परेशान करते रहे हैं।

HRCP रिपोर्ट के अनुसार, “काशमोर जिले से 300 से ज़्यादा हिंदू अराजकता और डाकुओं द्वारा अपहरण के डर से भारत चले गए हैं। ऐसी रिपोर्टों के बावजूद, सरकार इन पर ध्यान नहीं देती। और सही एक्शन लेने बजाय इसे पाकिस्तान के खिलाफ़ एक ‘साजिश’ के रूप में पेश करती है।”

ऑपइंडिया इस विषय में पहले भी बता चुका है कि पाकिस्तान में 1990 के बाद से, लगभग 95% हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया है, इस्लामवादियों द्वारा उन पर कब्जा कर लिया गया है या पाकिस्तानी सरकारों द्वारा उन्हें मस्जिदों, मदरसों, मुर्गी की दुकानों, पशु फार्मों और कभी-कभी शौचालयों के रूप में पुनः उपयोग में लाया जाता है।

असुरक्षा बड़ा कारण

HRCP रिपोर्ट में वह कारण भी बताए गए हैं, जिनके चलते सिंध से हिन्दू पलायन कर रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि हिंदुओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएँ भले ही कम हुई हों लेकिन अपहरण, फिरौती और वसूली अब भी जारी है। इसके चलते हिन्दू सिंध में हिंदू लगातार डर और असुरक्षा में रहते हैं।

HRCP ने बताया कि सिंध में हिंदुओं का अपहरण और जबरन वसूली बड़े पैमाने पर होती है, यह सबसे अधिक सिंध के उत्तरी इलाकों में हो रही है। हिंदू समुदाय, विशेष रूप से तथाकथित “उच्च जाति” हिंदुओं को उनकी धार्मिक पहचान के साथ-साथ उनकी संपत्ति के लिए भी निशाना बनाया जाता है।

रिपोर्ट बताती है कि घोटकी, जैकबाबाद और काश्मोर जैसे जिलों में हिन्दुओं की ऊँची जातियों का कारोबार, ट्रांसपोर्ट समेत बाकी क्षेत्रों में दबदबा है। इसी के चलते वह इनके निशाने पर आते हैं। उनकी सम्पत्ति छीनने की कोशिश होती है।

यहाँ तक कि सिंध के इन इलाकों के कबीलाई सरगनाओं को हिन्दुओं के व्यापार में हिस्सेदार बनाने का दबाव डाला जाता है। यह मुनाफे में लगभग 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा लेते हैं और डाकुओं को रोकने के लिए हिंदू दुकानों और व्यवसायों के बोर्ड और बैनर पर उनके नाम लिखे जाते हैं।

हिन्दू लड़कियाँ भी बन रही निशाना

HRCP रिपोर्ट बताती है कि सिंध में हिंदू महिलाओं को उत्पीड़न, अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन की लगातार धमकियों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण हिंदू परिवार अपनी बेटियों को पढ़ाई छुड़वा कर उन्हें दूसरे शहर भेजते है। यहाँ तक कि उन्हें भारत भी भेज दिया जाता है।

HRCP की रिपोर्ट में बताई गई ऐसी ही एक घटना के विषय में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया, “एक शादी में, एक कबीलाई सरदार के बेटे ने एक हिंदू दुल्हन को अनुचित तरीके से छुआ, जिससे उसे अपमानित होना पड़ा। इसका बदला ना ले पाने के चलते परिवार तीन महीने के भीतर चुपचाप भारत चला गया।”

HRCP के अनुसार, सिंध में जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह एक बड़ा मुद्दा है, इसका केंद्र घोटकी है। HRCP ने बताया कि सिंध का एक मौलाना मियां अब्दुल हक उर्फ ​​मियां मिट्ठू लगातार हिन्दू लड़कियों को निशाना बनवाता है।

रिपोर्ट बताती है, “मियां मिठू अपने प्रभाव का लाभ उठाकर नाबालिग हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह करवाता है। घोटकी के दहारकी में स्थित उसकी दरगाह भरचुंडी शरीफ में यह काम धड़ल्ले से हो रहा है…, यहाँ कथित तौर पर इस तरह के अपहरण और धर्मांतरण होते हैं।”

HRCP रिपोर्ट बताती है कि मियां मिठू इन सभी निकाह को लड़कियों की मर्जी बताता है। जबकि असल में नाबालिग लड़कियों पर दबाव डाल कर ही उनके निकाह करवा दिए जाते हैं। यहाँ तक कि हिन्दू लड़कियों को सिंध से पंजाब ले जाया जाता है, ताकि उनका 18 साल से कम ही निकाह करवाया जाए।

मंदिरों पर भी हो रहा हमला

सिंध लगातार हिंदू विरोधी हिंसा का केंद्र रहा है। जून 2024 में, इस्लामी कट्टरपंथियों ने कच्ची कॉलोनी में भगवान राम के जीर्ण-शीर्ण मंदिर में रात को हमला किया था। उन्होंने हिंदू मंदिर को अपवित्र किया और मंदिर के दरवाज़े बंद होने के बावजूद हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और गीता लूट कर ले गए।

उन्होंने ओम सहित पूजनीय हिंदू धार्मिक प्रतीकों को स्प्रे पेंट से नुकसान पहुँचाया। इससे पहले, इस्लामी कट्टरपंथियों ने नवाबशाह जिले में सोची पाड़ा, टांडो आदम में एक प्राचीन हिंदू मंदिर को लूटा और अपवित्र किया। ऑपइंडिया ने न केवल सिंध बल्कि पाकिस्तान के अन्य इलाकों से सामने आई ऐसी ही घटनाएँ लगातार बताई हैं।

HRCP की रिपोर्ट में यह तो माना गया है कि हिन्दू मंदिर लगातार निशाना बनाए जा रहे हैं लेकिन इस बार से इनकार किया गया है कि यह सब जानबूझ कर हो रहा है। इसके अलावा हिन्दुओं पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाकर भी उन्हें निशाने पर लिया जाता है।

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि ईशनिंदा के आरोप, अक्सर झूठे होते हैं और हिन्दुओं पर आपसी दुश्मनी के चलते लगाए जाते हैं। हालाँकि, आरोप लगाने के बाद हिन्दुओं की कोई नहीं सुनता और उन्हें या तो भागना पड़ता है या फिर वह हिंसा झेलते हैं। इसके चलते भी बड़ी संख्या में हिन्दू भारत की तरफ आए हैं।

HRCP रिपोर्ट कहती है ,”ईशनिंदा के आरोपों के बाद, कुछ हिंदू सिंध को पूरी तरह से छोड़ देते हैं। घोटकी में एक हिंदू पंचायत नेता ने बताया कि ईशनिंदा का आरोप लगने के बाद के दो हिन्दू भारत भाग गए थे। शुरू में माना गया था कि वे कराची गए हैं, लेकिन बाद में पता चला कि वे भारत के इंदौर में बस गए हैं।”

CAA बना आशा की किरण

मजबूरी में पलायन करने वाले पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए भारत CAA नागरिकता क़ानून आशा की किरण जैसा है। CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वाले गैर मुस्लिमों को भारत नागरिकता देता है। इसका फायदा वही ले सकते हैं, जो 2014 से पहले भारत आ गए थे। हालाँकि, इसके चलते बने सकारात्मक रवैये से भी हिन्दू भारत आ रहे हैं।

इस बात को HRCP ने भी माना है। HRCP की रिपोर्ट कहती है, “CAA ने सिंध के हिन्दुओं को खास तौर पर प्रभावित किया है। मध्य प्रदेश में, इन शरणार्थियों की एक बड़ी संख्या को नागरिकता दी गई है। NDTV ने 2021 में जैकबाबाद के एक परिवार के बारे में रिपोर्ट की थी, जिसे इंदौर में नागरिकता प्रमाण पत्र मिला था। पिछले 5 सालों में सिंध के लगभग 2,000 हिंदू शरणार्थियों ने भारतीय नागरिकता प्राप्त पाई है और 1200 से अधिक इस मामले में आवेदन कर चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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